अब आया मज़ा?

प्रेषक – नन्द कुमार

मेरे दोस्त की शादी थी। उसकी शादी की सारी तैयारियाँ उसका मामा देख रहा था जो करीब ४० साल का था। दोस्त होने के नाते मैं बी काम में उसका हाथ बँटाने लगा, उसके मामा से मेरी अच्छी पटने लगी।

दोपहर के दो बजे मैं मामा के साथ तैयारियों में लगा था तभी मैंने देखा कि ३२ या ३३ साल की एक औरत लाल साड़ी में मामा के पास आई जो बहुत ही गज़ब की लग रही थी, सेक्सी फ़िगर थी, साड़ी में भी उसकी गाँड उभरी हुई थी, और उसकी चूचियाँ तो जैसे दो पपीते लटक रहें हों। उस औरत को देखकर मेरा लण्ड ज़ोर मारने लगा, जैसे कह रहा हो इसको तो चोदना ही है। मेरे हाथ अपने आप लण्ड को सहलाने लगे।

तभी मामा ने मुझे आवाज़ दी, मैं उनके पास गया, उन्होंने कहा, इनसे मिलो ये तुम्हारी संगीता मामी है। एक सेकण्ड को हमारी नज़रें एक-दूसरे से टकराईं फिर मामी ने मुझे ऊपर से नीचे तकत बड़े ग़ौर से देखा। तभी मामा ने कहा, तुम्हारी मामी को अभी बाज़ार जाना है और मैं अभी शादी की तैयारियों में व्यस्त हूँ, क्या तुम अपनी मामी के साथ बाज़ार जा सकते हो। मैंने मन ही मन कहा, लगता है किस्मत साथ है।

मामा ने अपनी बाईक की चाभी मुझे दे दी और मैं मामी के साथ बाज़ार को निकल गया। हम बातें करते जा रहे थे, मैं बाईक धीरे-धीरे चला रहा था। तभी मामी ने पूछा, “तुम कितने साल के हो?”

२४ साल का – मैंने बताया।

मामी बोलीं,”फिर बाईक इतनी धीरे क्यों चला रहे हो?”

“वो आप बैठीं हैं ना, और आपने मुझे पकड़ा भी नहीं है, इसलिए धीरे चला रहा हूँ।” मैंने कहा।

“अच्छा तुम बाईक तेज़ चलाओ, मैं तुम्हें पकड़ लेती हूँ।”

मैंने बाईक की स्पीड बढ़ा दी।

मैंने मामी से पूछा,”आपको बाज़ार में क्या लेना है?”

“लेना कुछ नहीं, मुझे तो ब्यूटी-पार्लर जाना है। वहाँ जाने से पहले क्यों ना एक-एक कप कॉफी हो जाए।”

मैंने मामी से कहा, “ठीक है।”

“चलो’ – मामी ने भी कहा।

मैंने बाईक इंडिया कॉफी हाउस की ओर मोड़ दी, हमने कोने की टेबल पर कब्ज़ा कर लिया और दो कप कॉफी का ऑर्डर दिया। मैं और मामी बातें करने लगे, बातें करते-करते मेरी एक टाँग मामी की टाँग से टकरा गई, मैंने टाँग अलग की और सॉरी कहा।

“कोई बात नहीं।” मामी ने कहा और धीरे-धीरे मुस्कुराने लगीं।

कॉफी पीते-पीते मामी और मेरी नज़रें एक-दूसरे से कई बार टकराईं और हम दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे।

कॉफी पीकर हम पार्लर की ओर चल पड़े।

मामी का हाथ मेरी कमर पर था, अचानक मैंने ब्रेक लगा दिया, मामी के दोनों स्तन एक साथ ज़ोर से मेरी पीठ से टकराए, और उसकी गुदगुदाहट का मुझे भी अहसास हुआ, और मामी के मुँह से आह निकल गई साथ ही उनका हाथ फिसल कर मेरे लण्ड पर आ गया। मामी ने भी मेरे लण्ड को दबा दिया, मेरे मुँह से भी आह निकल गई।

“अब आया मज़ा?” मामी बोलीं।

“अगर आप चाहो, तो ये मज़ा और भी बढ़ सकता है।”

“कैसे?” मामी ने पूछा।

मैंने बाईक किनारे रोक दी और मामी से कहा कि मामा को मोबाईल पर फोन करके कहो कि शादी के मौसम के कारण सभी ब्यूटी-पार्लरों पर भारी भीड़ है और मुझे दो से तीन घंटे लग जाएँगे।

मामी ने वैसा ही किया।

मामा ने कहा- ठीक है, वैसे भी नन्द तुम्हारे साथ है तो फ्री होते ही आ जाना।

“अब क्या करना है?” मामी ने पूछा।

“अभी तीन बज रहे हैं, क्यों ना कोई फिल्म देखने चलें?”

“नहीं वहाँ ठीक नहीं रहेगा, क्यों ना किसी होटल में चलें।”

“यही ठीक होगा।”

और हम एक होटल की ओर चल पड़े।

हमने ३०० रुपये में एक कमरा ले लिया। कमरे में जाते ही मैंने कमरे को अन्दर से बन्द किया। मैं जैसे ही पलटा, मामी मेरे ऊपर एक भूखे जानवर की तरह टूट पड़ी, इस पर मैं भी मामी पर टूट पड़ा।

मेरे होंठ मामी के होंठों को चूम रहे थे, कभी मामी अपनी जीभ मेरी मुँह में डाल देती, तो कभी मैं अपनी जीभ उनके मुँह में।

चूमते-चूमते मैं मामी के दूधों को ऊपर से ही कस-कस कर दबाने लगा। मामी दर्द से कराहने लगी।

कम से कम पाँच-दस मिनट हम एक-दूसरे को चूमते रहे और मैं मामी के बड़े-बड़े दूधों को दबाता रहा। फिर मैंने मामी की लाल साड़ी को मामी के शरीर से अलग कर दिया और मामी की पेटीकोट का नाड़ा भी खींच मामी की ब्लाउज़ के हुक खोल कर उसे भी मामी के शरीर से अलग कर गिया। अब मामी सिर्फ पैन्टी और ब्रा में मेरे सामने पड़ी थी।

मामी की मस्त फिग़र जैसे तराशा हुआ ताजमहल हो। मामी ३६ डी आकार के लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी जो दो बड़े बड़े पपीतों को बड़ी मुश्किल से सम्हाल पा रहे थे। २९ इंच की कमर, उसके नीचे अलग-अलग रंग के धब्बों वाली पैन्टी जिसके बगलों से मामी की झाँटों के बाल निकल रहे थे। मैंने मामी को अपनी ओर खींचा और ब्रा व पैन्टी को भी उनके शरीर से अलग कर दिया।

मैं जैसे ही मामी की चूत को चाटने के लिए झुका, मामी ने मुझे रोक दिया और कहा, अब मैं तुम्हारे कपड़े उतारूँगी। फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरी शर्ट के बटन खोलकर मेरी छाती को चूमने लगी, फिर मेरी बेल्ट को जीन्स से निकाल फेंका और जीन्स का बटन खोलकर एक झटके से जीन्स निकाल कर दूर फेंक दिया।

मेरी अण्डरवियर का तंबू बना हुआ था और वह कहाँ मेरे शरीर पर रहने वाला था, मामी ने उसे भी निकाल फेंका। मेरे ६ इंच के लण्ड को देख मामी बहुत उत्तेजित हो गई और मुँह मे लेकर लॉ़लीपॉप की तरह चूसने लगी। जब वह मेरे अण्डकोष से मेरे सुपाड़े तक अपनी जीभ को फेरती तो जन्नत का मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर में मैंने अपना माल मामी के मुँह में ही छोड़ दिया, और उन्होंने सारा का सारा पी लिया, और मेरा लण्ड सिकुड़ने लगा। फिर मैंने मामी को बिस्तर पर लिटाया और उनकी चूत को चाटने लगा। चूत बहुत ही गीली हो चुकी थी और चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं मामी की चूत के गुलाबी दाने को हल्के-हल्के काटने लगा और मामी की सिसकियाँ निकलने लगीं। मामी आआआआहहहह आआआहहह करने लगी, उनकी ये सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं। तभी मामी ने पूरे ज़ोर से मेरे मुँह पर अपना माल छोड़ दिया, मैंने भी सारा पानी पी लिया। तब तक मेरा मुरझाया हुआ लण्ड भी फौलाद की तरह सख्त हो चुका था।

“मामी अब मैं आपकी सवारी करने वाला हूँ…”

“नहीं मैं तुम्हारी सवारी करूँगी” मामी ने मेरी बात बीच मे ही काटकर कहा।

मैं बिस्तर पर लेट गया, मामी मेरे ऊपर आ गई और मेरे लण्ड को अपनी चूत की दरार पर रख कर आगे होने लगी, तभी मैंने नीचे से एक ज़ोर का झटका मारा, और हमारी झाँटे आपस में मिल गईं। मामी की चीख और आँसू निकल आए। वह बोली, “क्या मेरी चूत को फाड़ना है?”

“चूत फटेगी नहीं, इस पर तो अब गाज़ गिरने वाली है,” कहते हुए मैं एक झटके से पलट कर मामी के ऊपर आ गया, मामी को कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हो गया। मामी बोली – “तुम तो एकदम एक्सपर्ट लगते हो, पर शुरु में आहिस्ता करना, ठीक है?”

मैंने मामी के होंठ चूमते हुए पहला झटका मारा, पच्च की आवाज़ के साथ मेरा लण्ड आधा मामी की चूत में समा गया। मामी हल्के से चीखी… आहहहह और दूसरे झटके से मेरा पूरा लण्ड जड़ तक मामी की चूत में समा गया और मैंने हल्के-हल्के झटके मारने चालू कर दिए और मामी की सिसकारियाँ उसी के साथ बढ़ने लगीं।

मामी की सिसकारियाँ पच्च-पच्च की आवाज़ के साथ जुगलबन्दी कर रही थीं। तभी मैंने अपना लण्ड चूत से निकाल लिया। “ऐसा मत करो, मुझे चोदते रहो अपनी लण्ड से, इसे फाड़ डालो, आज पहली बार मुझको चुदाई का असली आनन्द आ रहा है। मेरा पति मादरचोद अभी तक मुझे ऐसा मज़ा नहीं दे सका जो तुमने आधे घण्टे में दिया है।”

“ठीक है, पर अब मैं जैसा कहूँ, आपको वैसा ही करना होगा मामी।”

“अब तो मुझे मामी कहना बन्द करो।”

“तो क्या कहूँ?”

“कुछ भी कहो, पर मामी नहीं।”

“तो अब आप को मैं राण्ड कहूँगा और आप मुझे गाली देती रहना।”

मामी बिस्तर पर चढ़कर कुतिया बन गई और मैं उसकी गाँड के पीछे खड़ा हो गया, अपने लण्ड को चूत की दरार पर रख कर मामी के दोनों स्तनों को दबाते और गालों को चूमते हुए लण्ड को दबाने लगा। लण्ड फिसलता हुआ चूत में समा गया और मेरे झटके चालू हो गए और साथ ही मेरी राण्ड की सिसकियाँ भी।

वह चिल्लाने लगी… “आआआआहहहह आआआहह… बहनचोओओओददद… चोद दे मुझे… फाड़ दे मेरी चूत… निकाल दे इसका पानी, बहा दे इससे गंगा जमुना…”

“गंगा जमुना दोनों बहेगी और मेरा लण्ड उसमें डुबकी भी लगाएगा” और मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी।

पूरे कमरे में फच्च-फच्च और फक्क-फक्क का संगीत बजने लगा।

पाँच मिनट बाद मैंने एक ज़ोर का झटका मारा और मामी पलंग पर पसर गई। मैं भी चूत में लंड डाले मामी के ऊपर ही गिर पड़ा। गिरने के कारण मेरा लंड और अन्दर समा गया और मामी की चीख निकलने से पहले मेरे हाथों ने उसका मुँह बन्द कर लिया और हल्के-हल्के झटके मारता रहा। थोड़ी देर में मामी सामान्य हो गई। मैंने हाथ हटा लिया और अपनी रफ्तार बढ़ा दी। मामी का शरीर अकड़ने लगा। मैं समझ गया कि यह झड़ने वाली है। मैं और तेज़ी से धक्के मारने लगा… तभी मामी झड़ गई।

मैंने लण्ड बाहर निकाला, मामी को सीधा किया और लण्ड मामी की चूत में फिर से पेल दिया।

मेरे झटकों से मामी के दोनों स्तन हिलने लगे, हिलते हुए स्तन बहुत प्यारे लग रहे थे। मैं झुका और एक को चूसते हुए झटके चालू रखे। मैं और मामी एक-दूसरे का भरपूर साथ दे रहे थे। मामी अपनी गाँड उचका-उचका कर मेरा साथ दे रही थी और मैं मामी को पूरे दम से चोद रहा था। गाँड हिलाते-हिलाते मेरा बुरा हाल हो गया था पर मैं रुका नहीं, झटके चालू रखे। थोड़ी देर बाद मेरा और मामी का शरीर अकड़ने लगा, मैं बोला,”मेरी राण्ड, मैं झड़ने वाला हूँ, कहाँ झड़ूँ?”

“अपने वीर्य से मेरी चूत भर दो, इसकी आग को अपने पानी से शान्त कर दो, मैं भी झड़नेवाली हूँ” मामी बोली।

और मैंने अपना वीर्य मामी की चूत में ४-५ झटकों के साथ छोड़ दिया। दोनों एक ही साथ झड़े थे। मैं मामी के ऊपर ही पस्त होकर पड़ा रहा। मामी मेरे बालों पर अपना हाथ फिरा रही थी और बोली, “ऐसा परम आनन्द मुझे पहले कबी नहीं मिला, मेरी चूत को तो अब तुम्हारे लण्ड का चस्का लग गया है। अब शादी भर जब भी मौक़ा मिलेगा, तुम मेरी चुदाई करना और मुझे ऐसे ही आनन्द देते रहना।”

तभी मामी के मोबाईल पर मामा का फोन आ गया, मामा ने कहा “तुम लोग जल्दा घर आ जाओ, दो घण्टे बाद बारात निकलने वाली है।”

“अभी ब्यूटी-पार्लर में मेरा नम्बर आने वाला है, हम थोड़ी देर से आते हैं” और मामी ने फोन बन्द कर दिया।

हमने अपने कपड़े पहने और ब्यूटी-पार्लर की ओर चल पड़े।

शादी में भी मैंने मामी को दो बार चोदा। कैसे, यह अगली कहानी में बताऊँगा।

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