औरत की धधकती आग-2

(Aurat Ki Dhadhakti Aag- Part 2)

जय कुमार 2006-05-13 Comments

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तो रूबी कहने लगी- इतना मजा पहली बार ले रही हूँ ! आज तक जिन्दगी में इतना मजा और तृप्ति मुझको कभी नहीं मिली !

मैं कहने लगा- रूबी, अब मैं चलता हूँ !

तो रूबी कहने लगी- अभी नहीं ! एक बार और हो जाये जय !

मैंने कहा- रूबी जी ! आपको खुश कर दिया, यही मेरा काम था। यहीं पर मेरा काम खत्म हो जाता हैं। अब रूबी जी मेरी फीस दो ! मैं चलता हूँ !

तो रूबी नशीली आँखों से मुझको देखकर बोली- आपकी फीस मिल जायेगी और वो भी मुँह माँगी। मुझको पता है कि आप फीस अपने हिसाब से लेते हो ! पर कोई बात नहीं अभी एक बार मेरी आग शान्त करके जाना जोकि बहुत दिन से भड़की हुई थी जय। यार जय ! ओ मेरे जय ! बस एक बार ! आप नाराज तो नहीं हो गये?

मैंने कहा- नहीं रूबी जी, ऐसी बात नहीं ! पर मेरा जो उसूल है, मैं उस पर ही अमल करता हूँ।

तो रूबी बोली- चलो आप अपना उसूल भी मत तोड़ो, मेरी एक छोटी सी बात मानोगे?

मैंने कहा- क्या ?

जय, मैंने आपसे दोस्ती के लिए कहा था !

चलो आपने कहा था कि मैं दोस्ती कर सकता हूँ पर आपने जो कहा था आपको आपकी फीस मिलेगी !

क्या अपने दोस्त की इतनी छोटी सी बात नहीं मानोगे जय।

मैंने कहा- चलो ठीक है, पर जैसा मैं चाहूँगा वैसा करूगाँ रूबी जी।

रूबी कहने लगी- मुझको सब कुछ मंजूर है, आप जो कहोगे वही होगा ! किसी बात पर भी कोई भी मेरी तरफ से आपत्ति नहीं होगी।

मैंने कहा- चलो ठीक है ! मुझको फँसा ही लिया आखिरकार तुमने ! चलो कोई बात नहीं।

रूबी खड़ी होकर चलने लगी तो मैंने कहा- मेरी जान कहाँ चली?

रूबी बोली- जय, बातों ही बातों में हम दोनों ठण्डे हो गये। मैं पहले आपके खाने के लिए कुछ लेकर आती हूँ !

और रूबी नंगी ही खड़ी होकर चल दी, मैं भी रूबी के पीछे पीछे चल दिया तो रूबी कहने लगी- जय जी, आप आराम करो, मैं अभी लेकर आती हूँ !

मैंने कहा- मैं भी साथ में चलता हूँ !

रूबी ने फ्रिज से तीन बीयर निकाली और पनीर निकाला और ड्रांइग रूम में मेज़ पर रखा। हम दोनों ने पनीर को छोटे टुकड़ों में काटा और एक दूसरे के नंगे बदन को देखकर हँसते रहे। फिर हमने बीयर पी वो भी एक ही गिलास में डालकर बारी बारी से। रूबी को अपनी गोद में बिठाकर २०-२५ मिनट तक हम दोनों जब तक बीयर खत्म नहीं हुई पीते रहें और पनीर खाते रहे। कभी मैं रूबी को अपने हाथ से पिलाता और कभी रूबी मुझे पिलाती।

हम दोनो ऐसे ही पीते रहे और एक दूसरे के साथ छेड़छाड़ करते रहे। अब हम दोनों पूरे शबाब में थे।

मैं बोला- रूबी ये तुम्हारी टांगों के बीच में क्या है?

तो रूबी बोली- जय मेरी नहीं ये तो आपकी टांगों के बीच में है !

हम दोनों नशे में एक दूसरे को पता नहीं क्या क्या बकते रहे और दोनो ऐसे ही झूमते रहे। फिर रूबी काफी देर के बाद बोली- जय कुछ करते हैं !

मैंने कहा- अब क्या करेंगे?

अरे आप तो बडे़ नशेड़ी निकले जो सब कुछ भूल गये?

मैंने कहा- जय कुछ नहीं भूलता ! आपके बदन की आग ठण्डी नहीं हुई क्या।

रूबी बोली- अबे जय ये नशे में तू क्या बोलने लगा?

मैंने कहा- रूबी जी, अब जय तो अपने घर जायेगा।

रूबी बोली- ओ जय, तू यहीं पर रहेगा !

मैं बोला- नहीं मैं तो अपने घर जाऊँगा !

और हम दोनों ऐसे ही बच्चों की तरह झगडने लगे- यार रूबी तेरे साथ तो झगड़ने बड़ा ही मजा आता है, तू तो बिल्कुल ही बच्ची है !

रूबी ऐसे बोली- बे जय, हम बच्चे ही तो हैं !

मैंने कहा- मेरी जान रूबी, आज मैं तो तेरी प्यारी गाँड मारूँगा ! तू मेरे लन्ड को खड़ा तो कर !

तो रूबी कहने लगी- नहीं जय, पहले तू मेरी चूत फ़ाड़ेगा !

मैं बोला- नहीं मैं तो पहले तेरी गाँड फ़ाडूँगा !

हम दोनों ऐसे ही झगड़ने लगे क्योंकि मैं भी नशे में था और रूबी भी ! क्योंकि हम दोनों ने मिलकर ५ बीयर जो डकार ली थी।

रूबी बोली- जय ऐसा करते हैं, जो पहले बैडरूम में जायेगा उसकी जीत होगी और पहले उसकी मर्जी मानी जायेगी !

मैंने कहा- कोई बात नहीं रूबी, हमें सब कुछ मंजूर है।

और हम दोनों लड़खड़ाते हुए बैडरूम की तरफ चलने लगे। मैं रूबी से आगे निकला ही था कि रूबी ने पीछे से मेरी टांग खींच ली और मैं गिर पड़ा तो रूबी तेजी से भागी। मैं भी कहाँ कम था, मैंने भी उठकर रूबी को बाहों में भर कर पीछे गिरा दिया और रूबी से पहले बैडरूम में पहुँच गया।

रूबी कहने लगी- ओ जय, तू तो बड़ा ही चीटर है।

मैंने कहा- रूबी तू बड़ी चीटर है।

और हम दोनों फिर झगड़ने लगे। रूबी मुझे गाली देती और मैं रूबी को गाली देता- साली हरामी चीटर, रूबी कहती- साले जय तू बड़ा चीटर है।

फिर हम दोनों में फैसला हुआ कि हम दोनों ही चीटर हैं। दोनों बारी बारी से अपनी अपनी जगह पर चुदाई करेंगे। मैंने रूबी से कहा- रूबी जी पहले आपकी बारी है।

तो रूबी कहने लगी- पहले आप करो ना ! अपना लण्ड मेरी गाँड में डालो !

मैंने कहा- नहीं, कोई बात नहीं ! पहले आप मेरे लन्ड को अपनी चूत में लो !

हम दोनों फिर ऐसे ही झगड़ने लगे।

मैंने कहा- यार रूबी, हम तो दोनों ही असली बात को भूल गए हैं और झगड़ने में लग गए हैं। चलो, मैं आपको गर्म करता हूँ ! आप मुझे गर्म करो !

और फिर हम दोनों ६९ की पोजीशन में होकर एक दूसरे को गर्म करने लगे। मैं रूबी की चूत को अपनी जीभ से चाट चाट कर गर्म करता और रूबी मेरे लन्ड को मुंह में लेकर चूसती और हाथ से मुठ मारती। ७-८ मिनट में मेरा लन्ड लोहे की रॉड की तरह से अकड़ गया। रूबी कहने लगी- यार तेरा औजार तो बहुत ही बड़ा हो गया है और मेरे मुहँ में भी नहीं आ रहा, अब क्या करूँ जय?

मैंने कहा- यार रूबी, तेरी चूत भी रस छोड़ने लगी है !

हाँ यार जय, मुझे तो बड़ा ही मजा आ रहा है, चलो अब मेरी चूत को फाड़ डालो जय।

मैंने कहा- नहीं रूबी, मैं तो पहले तेरी गाँड फाडूँगा !

तो रूबी बोली- जय अब हम झगड़ेंगे नहीं, क्योंकि हम अब नशे में नहीं हैं !

मैंने कहा- चलो कोई बात नहीं ! आप अब बैड से नीचे उतरो, मैं आपको एक नया ऐहसास देता हूँ।

रूबी एकदम से बैड से नीचे उतर करके नीचे खड़ी हो गई।

मैंने कहा- माई डियर रूबी जी, अब आप बेड के साथ दीवार के पास खड़ी हो जाओ !

तो रूबी ऐसे ही खड़ी हो गई। मेरा लन्ड तो सीधा था, मैंने रूबी से कहा- आप अपनी एक टांग बैड के ऊपर रखो !

अब मुझे रूबी की चूत पीछे से दिखाई देने लगी और रूबी की चूत का मुँह भी खुल गया। मैंने रूबी से पूछा- आप मेरा लन्ड अपनी चूत में लेने के लिए तैयार हो क्या?

रूबी कहने लगी- मैं तो तैयार हूँ, पर यह देख लेना कि मुझे नुकसान नहीं पहुँचे !

मैंने कहा- नहीं आप सिर्फ नये अनुभव का मजा लो !

तो कहने लगी- यार जय मुझे आप पर विश्वास है, आप जैसे चाहो करो, मैं आपका पूरा साथ दूँगी।

मैंने कहा- रूबी जी ठीक है !

और यह कहकर मैंने अपना लन्ड रूबी की चूत पर रखा, देखा कि रूबी की चूत तो पूरी तरह से गीली है और अपने लन्ड का दबाव बनाकर जोरदार धक्का मारा और मेरा लन्ड जड़ तक रूबी की चूत में उतर गया। रूबी की चूत गीली होने के कारण हल्का सा दर्द हुआ पर वो सहन कर गई। अब मैंने रूबी की चूत में पीछे से धक्के मारने शुरू किये और कुछ ही देर में रूबी को मजा आना लगा। मैं रूबी की दोनों चुचियों को हाथ से पकड़कर मसलने लगा और रूबी के मुँह से सिसकारी निकलने लगी और कहने लगी- जय आप में तो कमाल का जादू है, आप तो चुदाई के हर काम में माहिर हो।

मैंने कहा- रूबी इसीलिए तो मेरी डिमांड हमेशा रहती है और मैं अपना फोन नम्बर भी किसी को नहीं देता क्योंकि मुझको पता है कि लोग मुझको परेशान करेंगे।

जय, आप बात को छोड़कर आज मुझे सबसे प्यारे जहान की सैर करा रहे हो बस मुझे ऐसे ही मजा देते रहो- आ आअअअइइइइई ओइइइआआ ओ नो यस कम आन जय कम आन जय ! मुझे भी और भी जोश आ गया और मैं भी जोर जोर से से धक्के मारने लगा। कुछ ही देर में रूबी का शरीर अकड़ने लगा और रूबी की चूत ने पानी छोड़ दिया। रूबी ढीली पड़ने लगी और फिर मैंने अपना लन्ड रूबी की चूत से निकाल कर रूबी को कहा- अपना पैर बैड से नीचे कर लो और अपने हाथ बेड पर रख कर घोड़ी बन जाओ ! रूबी जी अब मैं आपकी गाँड में अपना लन्ड डालूँगा।

रूबी बोली- जय मैं अपनी गाँड पहली बार आपके हवाले कर रही हूँ, जरा ध्यान से करना जय, मेरे दोस्त जय।

मैंने कहा- मेरी जान रूबी, आपने पहली बार जब अपनी चूत फ़ड़वाई थी तो तब जितना दर्द हुआ था, उससे कम ही होगा।

रूबी बोली- जय, अब चाहे जो भी हो, आप करो ना ! मुझे देर पंसन्द नहीं !

मैंने रूबी की गाँड पर अच्छी तरह से थूक लगाया और अपने लन्ड पर रूबी की चूत का रस लगाकर खूब गीला किया, रूबी की गाँड पर हल्का सा दबाव बनाया तो मेरा लन्ड जोकि पूरा ही लोहे की तरह से सख्त था, उसका सुपाड़ा अन्दर गया तो रूबी को बहुत ही तेज दर्द हुआ और रूबी बुरी तरह से चिल्लाई !

तो मैंने कहा- रूबी जी अगर आप को परेशानी है तो अपना लन्ड बाहर निकाल लेता हूँ !

रूबी बोली- जय, यह तो कुछ भी नहीं, जब पहली बार चूत चुदाई थी तो इससे भी ज्यादा दर्द हुआ था, अब तो कुछ भी नहीं हुआ। अब तो कोई बात ही नहीं, चाहे दर्द हो या कुछ भी हो। आपने हमारी इच्छा पूरी की और अब हमारा भी तो फ़र्ज़ बनता हैं कि हम आपकी इच्छा भी पूरी करें। जय आप अपना काम करो !

फिर क्या था, मैं अपने हाथ से रूबी की चुचियों को मसलने लगा और अपना लन्ड पहले धीरे धीरे से फिर स्पीड बढ़ाने लगा।

रूबी को मजा आने लगा और रूबी कहने लगी- आप में ऐसी क्या कशिश है कि आप जो भी काम करते हो उसमें पूरा मजा देते हो। ओ जय आ ई ईआ आअ इऐऐ ऐ ऐ ऐ ऐ एए ई ई ई ओ जय, बस जिन्दगी में आज पहली बार ऐसा मजा आया है।

मेरा छुटने को आया तो मैंने कहा- रूबी जी, अब आप बैड पर सीधी लेट जाओ !

रूबी सीधी लेट गई और मैं रूबी की टांगों को अपने कंधों पर रखकर अपना लन्ड रूबी की चूत में एक ही बार में पूरा उतार कर दनादन धक्के मारने लगा और ३-४ मिनट के बाद में ही मेरे लन्ड ने अपना पानी रूबी की चूत में छोड़ दिया। मैं रूबी के ऊपर लेट गया और पता ही नहीं चला कि हम दोनों को कब नींद आ गई।

सवेरे आठ बजे मेरी आँख खुली तो मैं देखता हूँ कि मेरे शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था, मेरे कपड़े कमरे में इधर उधर पड़े थे। मैंने अपने कपड़े पहने और कमरे के बाहर निकला ही था तो रूबी की आवाज आई- जय फ्रेश हो लो।

मैंने रूबी से कहा- नहीं, मैं अब निकलता हूँ !

रूबी बोली- नहीं, पहले नहा लो !

तो मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया और नहा धोकर फ्रेश होकर बाहर निकला तो रूबी ने नाश्ता तैयार कर दिया था। हम दोनों ने नाश्ता किया। मैं रूबी को देखकर बोला- आपको हमारी सेवा कैसी लगी?

रूबी हँसकर कहने लगी- यार जय, जिन्दगी ऐसे लम्हें मुश्किल से मिलते हैं, आपने तो हमारी पूरी रात यादगार बना दी। हम इन लम्हों को हमेशा अपनी यादों में सम्हाल के रखेंगे।

रूबी जी ! हमें जाने की इजाजत दो !

रूबी कहने लगी- ठीक हैं जय। अगर मुझे आपको बुलाना पड़े तो आपको फोन करके बुला सकती हूँ ना?

मैंने कहा- हाँ, मेरा काम ही यही है, आपको जब भी जरूरत पडे तो आप याद करना।

रूबी कहने लगी- फिर आज आप क्या कर रहे हो?

मैंने कहा- घर जाकर पूरा दिन सोना है बस और कुछ नहीं !

तो रूबी कहने लगी- फिर आज के दिन मेरे साथ ही रूक जाओ, मैं भी दो दिन तक अकेली ही रहूँगी।

मैंने कहा- नहीं, आज नहीं ! फिर कभी !

तो रूबी ने अपनी बाँहे मेरे गले में डालकर कहा- जय मत तड़फाओ, आपको पता है कि औरत को तड़फाना अच्छी बात नहीं होती मेरी जान, अब मान भी जाओ न मेरे प्यारे जय, प्लीज प्लीज !

मैंने कहा- ठीक है, पर अभी मैं दो घन्टे के लिए सोने जा रहा हूँ, मुझे डिर्स्टब मत करना।

रूबी बोली- चलो, मैं आपको बैडरूम में छोड़ देती हूँ !

रूबी मुझे अपने बैडरूम में ले गई मैं अपने कपड़े उतारने लगा तो रूबी ने कहा- जय अपने कपड़े मुझे दे दो, मैं इनको धो देती हूँ !

मैंने रूबी को अपने सारे कपड़े उतार कर दे दिये। अब मेरे शरीर पर सिर्फ़ अन्डरवीयर ही था। मैं जैसे सोने के लिए बैड पर लेटा तो मुझको रूबी तिरछी नजर से निहार रही थी और मुस्कुरा रही थी। रूबी की मुस्कुराहट को देखकर मेरा लन्ड खड़ा होने लगा तो रूबी बोली- जय आपका औजार तैयार है, अगर आपको कोई एतराज ना हो तो कुछ हो जाये?

मुझे लगा कि पूरा दिन जब यहीं बिताना है तो ठीक है, मैंने कहा- अब आ जाओ !

रूबी ने कपड़े रख दिये और मेरे ऊपर चढ़ गई और फिर हम दोनों एक दूसरे में समा गये। आधे घन्टे तक हम दोनों की कामक्रिया चली और मैं वहीं पर सो गया। रूबी कपड़े धोने के लिए चली गई और अपने घर का काम खत्म करके रूबी भी मेरे ही पास सो गई। उस दिन हम दोनों ने हर तरीके से खूब जमकर चुदाई की। और फिर मैं शाम को ८.०० बजे अपने घर जाने लगा तो रूबी मुझको पूरे ८० हजार रूपये देने लगी तो मैंने कहा- रूबी, ये तो मेरी फीस से ज्यादा हैं !

तो रूबी ने कहा- नहीं, ये पार्ट टाइम के भी हैं। जय आपने मुझको जो पूरी रात और आज दिन में दिया, उसके बदले में तो ये कुछ भी नहीं हैं, मैं आपको और भी देती हूँ, बस हमारी आपसे विनती यही है कि जब भी हम आपको बुलाएँ आपको ही आना पड़ेगा।

मैंने कहा- रूबी, यह तो मेरा काम है कि मैं अपनी तरफ से अपने ग्राहक को पूरी तरह से खुश करूँ, बस आखिरी बार यही जानना चाहूँगा कि हमारे साथ में आपका अनुभव कैसा रहा।

रूबी जी ने कहा- जय यह अनुभव नहीं, यह तो एक पिकनिक जैसा रहा, जो कभी कभी ही नसीब होता है।

फिर मैंने जाने के लिए रूबी से इजाजत माँगी तो रूबी ने मुझको अपनी बाँहों में भरकर गले लगा लिया, होठों से होंठ मिलाकर एक लम्बा किस किया और मुझको बाहर तक छोड़ने आई।

और मैं अपने घर वापिस आ गया।

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