चुदाई या छुपन-छुपाई

करण शर्मा 2004-07-11 Comments

मैं करन हिमाचल क रहने वाला हूं। यह बात की है जब मैं बारहवीं में पढ़ता था। मैं अपने मामा के यहां पेपर देने गया था।

वहां पड़ोस में एक लड़की सुन्दर सी, मस्त फ़िगर वाली रहती थी। नाम था हनी। वो मुझ पर पहले दिन से ही लाइन मारने लगी थी पर मैंने ज्यादा धयान नहीं दिया.

एक दो दिन में वो मुझ से बात भी करने लगी और हम लोग एक दूसरे को इशारे भी करने लगे। एक दिन जब मामा काम पे गये थे और मामी बच्चों के साथ पड़ोस में गयी थी तो वो बाहर छोटे बच्चों के साथ खेल रही थी।

मैंने बड़ी हिम्मत कर के उसे इशारा किया और अपने पास बुलाया मगर उसने आने से मना कर दिया।

उस दिन के बाद मैंने सोच लिया कि कुछ ना कुछ तो जरुर करुंगा उसे पाने के लिये।

मेरे मामा शाम को 7:30 बजे वापिस आते थे। उस के थोड़ी देर बाद जब थोड़ा स अन्धेरा हो गया तो सब बच्चे घर चले गये और उस ने मुझे इशारा कर के मुझे बुलाया, मैं उसके पास गया मगर पड़ोस की एक औरत वहां आ गयी और उससे बात करने लगी।

मैं बात बिना किये ही आगे चला गया।

थोड़ी देर बाद जब वापिस आया तो वो अकेली खड़ी थी। मैं उससे बात करने लगा। पहले तो हम इधर उधर की बातें करते रहे फ़िर वो बोली कि आप मुझे भूल तो नहीं जाओगे।
मैंने कहा कि भूलूंगा तो नहीं मगर चाहता हूं कि ये याद थोड़ी शानदार और हसीन हो जाये।
यह सुन कर वो शरमा गयी।

उस समय काफ़ी अन्धेरा हो गया था और उसने बाहर की रोशनी भी नहीं जला रखी थी। हम अन्धेरे में ही बातें कर रहे थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आगे कैसे बढूं। उस तरफ़ भी आग बराबर लगी थी.
वो हिम्मत कर के बोली- मुझे एक किस करो.
तो मैंने पूछा- कहां पे?
तो वो बोली- गाल पे।

मैंने कहा- नहीं मेरा दिल होठों पे करने को कर रहा है।
उसने कहा- जहां दिल करता है वहीं कर लो।

मैंने उसे अपनी बाहों में पकर लिया और एक जोरदार चुम्मी ली उसके होठों पे। उसका गदराया बदन मेरे हाथों में था। पहली बार मैंने ऐसे किसी लड़की को पकड़ा था।
हम दोनों बहुत गरम हो गये थे।

उसने कहा कि यहां कोई आ जायेगा, चलो मेरे कमरे में चलो।
मैंने पूछा- घर पे कोई नहीं है?
वो बोली- पापा मम्मी बाहर रहते हैं, यहां मैं और भैया रहते हैं। वो भी आज नहीं आयेंगे। मेरे साथ मेरी एक भतीजी है 5 साल की, उसे पहले ताई जी के पास भेज देती हूं थोड़ी देर के लिये।

उसने फ़टाफ़ट भतीजी को भेज दिया और मैं उस के कमरे में चला गया।

दरवाजा बद करके हम एक दूसरे से लिपट गये। मैंने उसे बिस्तर पे गिरा लिया और उस की कमीज उतार दी। मैं उसके मोम्मों को दबाने लगा। हम काफ़ी देर एक दूसरे को चूमते, चूसते रहे। मैंने उस के मोम्में खूब चुसे पर दिल नहीं भरा।

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और हम डर गये।
हनी ने पूछा- कौन है?
तो बाहर उसकी भतीजी थी।

उसने मुझे फ़टाफ़ट छिपने के लिये कहा। मैं बिस्तर के नीचे छिप गया।

उस ने दरवाजा खोला और कुछ बात करके भतीजी को फ़िर कहीं भेज दिया। दरवाजा बद करके वो वपिस आयी तो मैं निकला। मैंने देर ना करते हुए उसकी सलवार उतार दी और जल्दी से उसकी चूत में अपना लन्ड घुसा दिया।

मगर बड़ी दिक्कत के साथ अन्दर गया और उसके आंसू निकल आये।

वो चीखी- निकालो बाहर इसे!
मगर मैं अन्दर घुसाये जा रहा था। मेरे कुछ रुकने पे वो सामान्य हुई।

अब मेरे हल्के हल्के धक्कों से उसे मजा आने लगा और वो सिस्कारियां भरने लगी। मैं उसे चोदता रहा वो मजे लेती रही।

थोड़ी देर बाद उसने मुझे कस के पकड़ लिया।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- तुम धक्के लगते रहो, मजा आ रहा है।

मैं धक्के लगाता रहा और मैंने अपने लन्ड पे कुछ गरम गरम महसूस किया। उसकी चूत से पानी निकल रहा था। मुझे भी मजा आ रहा था। मैंने धक्के तेज कर दिये। थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया।
हम एक दूसरे से लिपटे रहे और चूमते रहे। कुछ देर बाद हमने कपड़े पहन लिये।

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
हनी ने पूछा- कौन है।
बाहर उसकी भतीजी थी.

हनी ने मुझसे कहा- तुम अभी छुप जाओ, मैं इसे कहीं और ले जाती हूं, पीछे से तुम निकल जाना। हम कल मिलेंगे।

मैं वहां से आ गया।

अगले दिन उसका भाई आ गया और हम दोबारा नहीं मिल पाये।

एक दो दिन में मैं वापिस आ गया। फ़िर 3 – 4 साल बाद वहां गया तो उसकी शादी हो चुकी थी, मगर उसने कहा था कि भूलना मत और सही में मैं उसे आज भी नहीं भुला पाया हूं.

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