दो बूंद आँसू

राजवीर
दोस्तो, मेरी पिछली कहानियाँ
पढ़ के आपने जो अपने कीमती मेल भेजे उसके लिए शुक्रिया।
तो मैं अपनी नई कहानी पर आता हूँ।

एक मेरी दोस्त है उसके घर में एक दिन पार्टी थी, काफी लोग आये थे, ज्यादतर लड़कियाँ ही थी। उसकी एक सहेली आयशा के साथ उसकी बड़ी बहन रूपा भी आई थी, वो मुस्लिम थे। रूपा का नाम जैसा ही रूप था और छोटी भी ठीक थी।

बातों बातों में हमारी भी बात होने लगी और उसने मेरा नंबर लिया और इमेल भी लिया। उसके बाद हम चले गए अपने अपने घर।

अगले दिन एक इमेल आया था जिसमें लिखा था- आई ऍम रूपा ! पर आप तो छुपे रुस्तम निकले?

मैंने उसका उत्तर लिखा- क्या? कैसा छुपा रुस्तम? मैंने क्या छुपाया?

उसके बाद ऑनलाइन बात हुई तो उसने कहा- छुपाया नहीं तो बताया भी तो नहीं !

मैंने कहा- क्या नहीं बताया?

उसने कहा- यही कि आप कहानियाँ लिखते हैं?

मुझे थोड़ा अजीब सा लगा, मैं ऑफलाइन हो गया। आधे घंटे बाद उसका कॉल आया।

रूपा- चले क्यों गए? मुझे तो आपसे और बात करनी थी काम की।

मैं- क्या काम है?

रूपा- अरे डरो मत ! मिलो तो ! बताती हूँ।

फिर उसने मुझे एक मॉल में मिलने को बुलाया अगले दिन।

मैं समय से 15 मिनट देर में पहुँचा। उसने आते ही मुझे गले से लगाया और बैठने को बोला। गले लगते ही उसकी 36 की नरम चूचियाँ मेरे सीने में चुभ गई।

फिर उसने कहा- मैंने भी आपकी कहानियाँ पढ़ी हैं, सभी अच्छी है। आपकी कहानियों से लगता है कि आप सेक्स से ज्यादा दिल के रिश्तो को मानते हैं। आपसे उस दिन भी बात की जिससे पता चला कि बात बहुत अच्छे इंसान भी हैं।

फिर कुछ सॉफ्ट-ड्रिंक्स आई, हमने पी। फिर उसने कहा- मेरी शादी को एक साल हो गया है। मेरे पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाते और न ही मुझे अब तक बच्चा ही दे पाए हैं। मेरे जेठ भी मुझ पर लाइन मारते थे तो एक दिन उनसे भी कर लिया पर वो भी ऐसे ही थे। हाथ में जैसे ही लिया निकल गया। मुझे और कुछ नहीं बस एक बच्चा चाहिए।

पहले तो मैंने उसे थोड़ा समझाया कि ऐसे नहीं हो रहा तो गोद ले लो।

तो वो कहने लगी- नहीं, मेरे घर वालों को मेरे से ही बच्चा चाहिए। और उल्टा मेरे में ही कमी निकालते हैं। आप एक अच्छे इंसान है और भरोसे वाले भी हो, इसलिए मैं चाहती हूँ कि आप मेरी मदद करो।

फिर मैंने बोला- मुझे सोचने का वक्त चाहिए।

उसने कहा- मैं कल अपने पति के घर चली जाऊँगी। फिर एक हफ्ते बाद आऊँगी।

मैं घर गया तो एक मैसेज आया था रूपा का- प्लीज मेरी हेल्प कर दो।

उसमें मुझे उसका दर्द भी दिखाई दिया उसके जाने से पहले ही मैंने हा कर दी। वो भी सुनकर खुश हो गई। अपने पति के घर जाकर भी मुझसे फोन पर बातें करती थी, एक दो बार फोन सेक्स भी किया।

एक हफ्ता बीत गया। उसने आकर एक दिन बाद मुझे अपने घर बुलाया, कहा- घर पर आज कोई नहीं है, आ जाना दिन में और शाम को चले जाना।

7-8 घंटे थे हमारे पास में। मैं उस दिन उसके बताये समय यानि 11 बजे उसके यहाँ पहुच गया।

जैसे ही बेल बजाई, वैसे ही आयशा ने दरवाजा खोला, मैं हैरान था। उसने मुझे बैठाया, मेरे लिए पानी लाई और कहा- राजवीर थैंक्स, जो कुछ तुम मेरी दीदी के साथ करोगे, उसकी लाइफ में खुशियाँ आ जाएँगी।

मैंने पूछा- तुम्हारी दीदी कहाँ हैं?

तभी वो नहा कर बाहर आई, गुलाबी सूट पहना हुआ था। उसके आते ही आयशा उठी और बोली- दीदी, मैं सहेली के घर जा रही हूँ, शाम तक आऊँगी।

और चली गई।

अब घर में सिर्फ़ मैं और रूपा थे। फिर रूपा कुछ खाने का लाई और कहा- वीर आप कुछ पीते भी हैं?

मैंने कहा- पी तो लूँगा पर आपका साथ चाहिए।

तो वो एक गिलास ले आई।

मैंने पूछा- एक ही गिलास क्यों?

तो रूपा ने कहा- एक से ही पीयेंगे।

रूपा ने एक पेग बनाया और चिकन तो था ही। पहले मैंने आधा पीया फिर वही पेग रूपा ने नाक बंद करके पिया, कहा- वीर जी, हम पीते नहीं हैं, बस आपका साथ है तो जहर भी पी लेंगे।

फिर ऐसे ही दूसरा पेग भी पिया, इस बार रूपा ने अपने हाथ से पिलाया और उसको मैंने अपने हाथ से।

खाना ख़त्म हो गया, फिर मैंने उसे खींच कर अपनी गोद में बैठा लिया और गालों से चूमता हुआ गर्दन तक और फिर होंठों पर होंठ रख दिए। फिर उसकी कमीज़ उतार दी और ब्रा भी ! एकदम गोरी गोरी चूचियाँ ! मैं उन्हें सहलाने-दबाने लगा और चूसने लगा। कभी एक तो कभी दूसरी। आधे घंटे तक मैं चूसता रहा जिससे उसकी योनि गीली हो गई और मेरी पैंट भी गीली हो गई।

मैंने उसकी सलवार और पेंटी भी उतार दी, उसने मेरे कपड़े भी उतार दिए। मेरा तन्नाया लंड देखते ही वो नीचे बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी, मैं उसकी चूचियों से खेलने लगा।

अब उससे रहा नहीं जा रहा था, उसने कहा- अब जल्दी से मुझे चोद दो, दे दो अपना पानी मेरी चूत में और बना दो मुझे माँ, मेरी जिंदगी में खुशियाँ दे दो।

फिर मैंने देर न करते हुए उसकी चूत में लंड डाल दिया। लंड आराम से अंदर चला गया, फिर मैंने धक्के लगाने शुरू किये।

वो कहती जा रही थी- खूब चोदो ! और चोदो ! और तेज !

मैं भी उसको तेज तेज धक्के लगा रहा था, बाहर निकाल निकाल कर चोद रहा था। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी और उसका पानी निकल गया।

मैं अभी भी उसे चोद रहा था, 5 मिनट बाद मैं भी उसकी चूत में निकल गया। फिर मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा। कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर से हट कर बगल में लेट गया। वो मेरे ऊपर आ गई और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

मैंने प्यार से उसे समझाया और माथे पर चूमा।

फिर उस दिन मैंने उसे 3 बार चोदा, तीनो बार मैंने उसकी चूत में पानी निकाला। तीन दिन बाद फिर मैं उसके घर गया। वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी, काले रंग का सूट पहन रखा था उसने, क्या गजब लग रही थी वो !

मेरे जाते ही उसने मुझे खींच लिया और गले से लगा लिया। फिर उसने अपने हाथ से बनाया खाना अपने हाथ से खिलाया और कहने लगी- जो चाहिए वो मांग लो आज !

मैंने कहा- बस अपने दिल में दोस्ती की जगह बनाये रखना।

यह सुन कर वो मेरी गोद में बैठ गई और मुझे गले से लगा लिया।

थोड़ी देर ख़ामोशी तोड़ते हुए मैंने कह ही दिया- हाँ अगर देना है वो आज आगे भी और थोड़ा पीछे से भी ले लूँ।

‘धत्त ! वहाँ नहीं ! वहाँ दर्द होता है, मैंने सुना है ऐसा !’

मैंने कहा- सुना है न, किया तो नहीं? आज कर के देख लो, दर्द तो आगे से भी हुआ होगा पहली बार? लेकिन बाद में मजा आया था न?

उसने कहा- चलो ठीक है, आपकी जो मर्जी ! आप मेरे साथ जो करो, सब मंजूर है, मैं तो अभी आपकी ही हूँ।

फिर मैंने उसके होंठों पे होंठ रख दिए और फ्रेंच किस की और साथ में अपना हाथ उसकी चूचियों पर ले आया और दबाने लगा।

उसने मेरी टीशर्ट उतार दी और मेरी छाती पर चूमने लगी, निप्पल चूसने लगी।

मैंने भी थोड़ी देर बाद उसका कमीज और साथ में ब्रा उतार दी। फिर मैं उसकी चूचियो से खेलने लगा और कस के दबाने लगा। वो सिसकारियाँ लिए जा रही थी- और जोर से ! और करो ! अह्ह्ह राजवीर और जोर से !

चूचियाँ चूसते चूसते मैंने उसकी सलवार भी उतार दी और पेंटी में हाथ डाल दिया और उसकी भग्नासा को रगड़ दिया। उसने बहुत तेज सिसकारी ली और पूरे कमरे में उसकी आवाज गूंज गई।

फिर मैंने दो उंगलियाँ उसकी चूत में डाल दी और आगे पीछे करने लगा। वो गांड उठा उठा कर मेरी उंगली अपनी चूत में ले रही थी। फिर मैंने उसकी पेंटी उतार कर, पैरों को उठा कर अपना मुँह उसकी गीली चूत पे लगा दिया। वो भी अपने हाथ से मेरा सर पकड़ के चूत पर सर को दबा रही थी। उसकी चूत पानी छोड़े जा रही थी जिससे उसकी गांड गीली हो गई।

मैंने एक उंगली उसकी गांड में डाल दी, पहले उसने गांड भीच लिया फिर ढीला छोड़ दिया। मैं उंगली को गोल गोल घुमा के गांड में जगह बना रहा था, फिर मैंने अपनी पैंट खोल दी और उसने मेरा अंडरवियर और मेरे शैतान को मुँह में लेकर बुरी तरह चूसने लगी।

5 मिनट में चूस के लंड को पूरा खड़ा कर दिया। मैंने तेल लिया और उसकी गांड में उंगली डाल के अन्दर तक तेल लगाया और अपने लंड पर भी अच्छे से लगा लिया और गांड के छेद पर रख कर एक धक्का दिया।

रूपा- आह्ह प्लीज़ आराम से !

मैंने बिना कुछ बोले दूसरा धक्का लगाया, फिर तीसरा !

उसकी आँखों में आँसू आ गए तो मैं रुक गया, उसके गालों को चूमा और पूछा- अगर दर्द हो रहा है तो निकाल लूँ?

उसने कहा- नहीं, आपके लिए दर्द भी मंजूर है, डाल दो पूरा।

मैंने फिर थोड़ी देर रुक के दो धक्के और दिए और पूरा लंड उसकी गांड में जा चुका था।

मैं धीरे धीरे धक्के लगा रहा था, उसे भी मजा आने लगा और मेरा साथ देने लगी, पूरे कमरे में सिसकारियाँ गूंजने लगी, 15 मिनट बाद वो झर गई, मैं भी आने वाला था।

उसने कहा- गाण्ड में नहीं, मेरी चूत में निकालो !

मैंने गांड से लंड निकाला, पक से आवाज आई निकलते समय और दो झटके में चूत में डाल दिया और धक्के लगाने शुरू किया और एक मिनट में उसकी चूत में झर गया और उसके ऊपर लेट गया।

उसने मेरे गालों पर पप्पियों की बारिश कर दी और गले से लगा के एकदम चिपक गई। कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने उसके होंठों पर होंठ रख दिए और लंड तो चूत के पास था ही। किस करते करते लंड भी खड़ा हो गया। इस बार वो मेरे ऊपर आ गई और लंड को चूत में पूरा समां लिया और उछल-उछल कर चुदने लगी। मैं भी उसकी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा। उसे और मुझे दोनों को मजा आने लगा।

कुछ देर में मैं बैठ गया और उसे गोद में बैठा कर चोदने लगा।

20 मिनट में वो दो बार झर गई मैं भी आने वाला था तो उसे लेटा दिया और पूरा माल उसकी चूत में डाल दिया और उसके ऊपर लेट गया।

फिर हमने थोड़ी ड्रिंक ली और फिर शुरू हो गए। वो मेरा लंड चूस रही थी मैं उसकी चूत चाट रहा था। हम 69 पोजीशन में थे। वो मेरे लंड को गले तक उतार के चूस रही थी, मैं भी उसकी चूत में जीभ डाल के चोदे जा रहा था और और गांड में उंगली भी डाली हुई थी जिसे आगे पीछे कर रहा था।

कुछ देर में उसने कहा- अब चोद दो राजवीर, बना दो मुझे अपने बच्चे की माँ !

मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा, पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया और धक्के लगाने लगा।

एक इंच अन्दर रखता और पूरा बाहर निकाल के झटके से डालता, जिससे मेरा लंड उसके बच्चेदानी से टकराता और वो मजे से तेज आवाज में चीखती और सिसकारी लेती।

ऐसे करते हुए 15 मिनट हुए और वो और मैं एक साथ झर गए। मैं उसकी पीठ पर लेट गया।

रूपा- राजवीर, आज जो तुमने मेरे को जो सुख दिया उसके लिए मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूल पाऊँगी।

मैं- एहसान किस बात का? एक तरह से हेल्प की है बस और क्या ! दोस्त हो तो दोस्ती नहीं निभाऊँगा क्या?

और चला गया।

फिर उसी दिन वो अपने ससुराल चली गई और अपने पति से चुदवाया कि किसी को शक न हो और कुछ दिन बाद उसने मुझे बताया कि वो माँ बनने वाली है।

अब देखो लड़का होता है या लड़की।

उसने मुझे 10000 देने चाहे लेकिन मैंने लिए नहीं, बस ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई’ फिल्म का डायलोग- अजय देवगन जो बोलता है- दुआ में याद रखना।

उसने मुझे कहा- आपने जो मुझे ख़ुशी दी है उसकी कीमत मैं नहीं दे सकती।

और दो बूँद आंसू उसकी आँखों में आ गए।

मैंने उसे गले लगाते हुए कहा- आपके दो बूँद आंसू ही मेरी कीमत समझ ले।

तो दोस्तो बताना कि आपको मेरी आपबीती कैसी लगी?
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