लक्ष्मी की ससुराल-1

राज कौशिक 2011-02-27 Comments

हाय दोस्तो,

मैं राज एक बार सभी चूत वालियों को लण्ड हिलाकर प्रणाम और सभी लण्डधारियों को नमस्कार।

आपने मेरी कहानियाँ “सुहागरात भी तुम्हारे साथ मनाऊँगी और “कुवाँरी चूत मिली तोहफ़े में” पढ़ी। मुझे मेल करने के लिए धन्यवाद।

मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।

शादी के एक साल के अन्दर ही लक्ष्मी को लड़का हुआ तो डेढ़ महीने बाद उत्सव रखा गया था।

लक्ष्मी का मेरे पास फोन आया- तुम्हें भी आना है।

मैंने कहा- मैं नहीं आऊँगा।

बोली- लड़के का पापा ही नहीं आयेगा तो फिर फायदा क्या?

मैंने उसे समझाया- मेरा आना ठीक नहीं है क्योंकि मुझे उसके घर वाले पहचानते थे और मैंने बाद में आने को बोला।

उत्सव के एक महीने बाद मैं उसकी ससुराल पहुँचा। मैंने पहले ही लक्ष्मी से पूछ लिया था कि घर में कौन-कौन है।

उसने बताया था कि वो खुद और उसकी ननद है बस ! बाकी सब लोग कहीं शादी में गये हैं।

मैंने दरवाजा खटखटाया। थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला तो मैं देखता ही रह गया। मेरे सामने एक 18-19 साल की लड़की लाल टॉप और जींस पहने खड़ी थी जिसकी आँखें बिल्कुल ऐश राय की तरह, होंट बिल्कुल लाल, रंग साफ, चूचियाँ एकदम सीधी खड़ी थी।

मैं उसे ऊपर से नीचे तक देख रहा था, वो बोली- जी आप कौन?

मैं कुछ बोलता, उतने में लक्ष्मी आ गई- अरे राज तुम? यहाँ कैसे?

मैं बोला- यहाँ से निकल रहा था, सोचा मिलता चलूँ।

वो लड़की खड़ी थी इसलिए ऐसा कहना पड़ा। उसने लक्ष्मी की तरफ देखा।

लक्ष्मी बोली- ये भईया के दोस्त हैं !

उस लड़की ने नमस्ते की और चली गई।

मैं उसकी गाँड को देख रहा था जिस पर उसकी चोटी पड़ी थी।

लक्ष्मी बोली- क्या देख रहे हो?

मैंने पूछा- यह कौन है?

मेरी ननद।

सुन्दर है।

क्या सलाह है?

सलाह तो बहुत कुछ है ! और हम हँसने लगे।

मैं लक्ष्मी को देखने लगा वो भी मस्त लग रही थी। उसने हल्के नीले रंग की साड़ी ब्लाउज पहन रखी थी और बाल खुले थे। मैंने उसे पकड़ा और चूम लिया।

क्या कर रहे हो? रीतिका देख लेगी ! चलो कमरे में चलते हैं। वो मुझे अपने बैडरूम में ले आई। रीतिका चाय पानी ले आई और साथ बैठकर पीने लगे।

मैं बोला- रीतिका जी, आप बहुत सुन्दर हो।

लक्ष्मी बोली- रीतिका, तुमने राज का दिल एक ही नजर में चुरा लिया।

रीतिका ने नजरें झुका ली।

मैं बोला- क्यूँ नहीं। नजरें हैं ही इतनी कातिल।

वो हँसने लगी और बोली- भाभी, कम ये भी नहीं हैं। ऐसे देखते हैं जैसे नजरों से ही खा जायेंगे।

मैं बोला- इजाजत दो फिर बताता हूँ।

वो शर्माती हुई उठी और बोली- आप लोग बातें करो ! मैं सहेली के यहाँ जा रही हूँ।

मैं बोला- नाराज हो गई क्या?

नहीं थोड़ा काम है, अभी आती हूँ।

रीतिका चली गई। उसके जाते ही मैं लक्ष्मी को पकड़ कर चूमने लगा।

ओहो ! कितने बेसब्र हो रहे हो। पहले अपने बेटे से तो मिल लो !

नहीं, पहले बेटे की मम्मी से तो मिल लूँ। इतने दिन बाद मिली है।

कहते हुए मैंने लक्ष्मी को बिस्तर पर लिटा दिया। साड़ी अलग कर दी और चूमते हुए ब्लाउज खोलने लगा।

ब्लाउज उतार कर फैंक दिया और पेटीकोट का नाड़ा खोलकर अलग कर दिया। अब वो सिर्फ सफेद ब्रा और काली पैन्टी में थी, बाल खुले थे, जिससे और ज्यादा सुन्दर लग रही थी।

हम एक दूसरे को चूमने लगे। उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिये। मैंने भी उसकी ब्रा और पैन्टी उतारकर चूचियों को दबाया और चूसने लगा। उसकी चूचियों से दूध निकल रहा था। मैं चूसे जा रहा था। वो सी सी कर रही थी। हम दोनों गर्म हो गये।

उसने मेरा लण्ड पकड़ा और बोली- बहुत दिन बाद मिला है।

मैं बोला- प्रेम के नहीं है क्या?

प्रेम उसके पति का नाम है।

वो हँसते हुए बोली- है ! पर मेरे जानू के लण्ड से छोटा और मोटा भी कम है ! इसलिए मजा कम आता है।

कहते हुए लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। फिर हम 69 की अवस्था में आ गये।

लक्ष्मी खड़ी हुई, बोली- जानू अब नहीं रुका जा रहा ! जल्दी करो।

मैंने उसे घोड़ी बनाया और लण्ड उसकी चूत पर रखा, चूचियाँ पकड़कर तेज झटका मारा। लण्ड एक ही झटके में पूरा अन्दर चला गया। लक्ष्मी को थोड़ा दर्द हुआ, फिर मेरा साथ देने लगी।

मैं तेज तेज झटके मार रहा था, वो भी गाँड उठा उठाकर हर झटके का जबाब दे रही थी।

कमरे में लक्ष्मी की और झटकों की फच फच की आवाज गूंज रही थी- हाँ राज ! मजा आ रहा है ! और तेज ! हाँ फा.. फा.. फाड़ डाल ! ब.. बहुत दिन में मिला है ! चोद ! चो.. चोद ! औ.. और तेज आ.. आह.. सी.. सी.. ई.. इ..।

फिर लक्ष्मी मेरे ऊपर आ गई और लण्ड पर बैठकर झटके मारने लगी।

थोड़ी देर बाद ऊई मैं गई ! कहकर मेरे ऊपर लुढ़क गई और छाती पर चूमने लगी। उसकी चूत का पानी मेरे लण्ड पर आ रहा था।

मैं लक्ष्मी की गाँड पर हाथ फेरने लगा, वो मुस्कराने लगी और बोली- आज फिर गाँड मारोगे जानू?

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