लक्ष्मी की ससुराल-2

राज कौशिक 2011-02-28 Comments

क्यों नहीं? तो मारो ! मेरा भी मन कर रहा है ! प्रेम तो गाँड को हाथ भी नहीं लगाता।

चिन्ता मत करो जानू !

इतने ही पीछे से आवाज आई- भाभी?

हमने देखा, रीतिका खड़ी थी क्योंकि गेट तो हमने लगाया ही नहीं था। लक्ष्मी डर गई और सिर मेरी छाती पर रख दिया।

रीतिका लक्ष्मी को देखकर बोली- भाभी डरो मत ! मैं किसी से नहीं कहूँगी।

मैंने लक्ष्मी की कमर पर हाथ रखा, उसका डर कुछ कम हुआ।

रीतिका बोली- पर एक शर्त है।

उसने साफ कहा- भाभी अकेले मौज ले रही हो। अपनी ननद का ख्याल नहीं किया। राज को मेरी चूत की खुजली मिटानी होगी।

मैं बोला- नेकी और पूछ-पूछ।

लक्ष्मी मेरी तरफ मुस्कराई और बोली- जानू मछली तो खुद जाल में फंस गई।

मैं बोला- तो देर किस बात की है।

उसने खुद ही अपनी जींस और टी शर्ट उतार दी। उसने गुलाबी रंग की ब्रा और पेन्टी पहनी थी, ऊपर से काले लम्बे बाल।

मैं तो उसे देखता ही रह गया। मेरा लण्ड लक्ष्मी चूत में ही था। मैंने लक्ष्मी को ऊपर से हटाया तो मेरा 8 इन्च और 2 इन्च मोटा लण्ड लक्ष्मी की चूत के पानी से भीगा आसमान की तरफ सीधा खड़ा हो गया।

रीतिका देखते ही घबरा गई, बोली यह कितना बड़ा और मोटा? अनुज का तो इसका आधा होगा।

उसने बताया कि अनुज उसका बॉयफ़्रेन्ड है और वो अभी उससे चुदवाने गई थी पर किसी कारण चुद न सकी।

लक्ष्मी बोली- रीतिका, यही तो असली लण्ड है ! तुम्हारे भईया का भी इससे छोटा है। ऐसे लण्ड से तो चुदने का मजा ही और है। तुम्हारे भाग्य अच्छे है जो तुम्हें चुदने को ऐसा लण्ड मिल रहा है।

रीतिका बोली- मुझे नहीं चुदना, इससे मैं तो मर ही जाऊँगी। मेरी चूत में तो उंगली से दर्द होता है, यह तो बांस जैसा है।

लक्ष्मी बोली- मैं भी तो इससे चुदती हूँ।

रीतिका बोली- तुम तो एक बच्चे की माँ हो !

नहीं रीतिका ! सबसे पहले मैं भी राज से ही चुदी थी। बहुत मजा आया था।

और दर्द?

उसका तो पता भी नहीं चलता।

मैंने रीतिका के बाल पकड़े और बिस्तर पर खींच लिया, बोला- रण्डी, जब तुझे चुदना ही है तो छोटा-बड़ा क्या देखती हो?

और उसका सिर पकड़ कर अपने होंट उसके होंटों पर रखकर चूमने लगा। मैं उसे बिस्तर पर लिटाकर गर्दन पर चुम्बन करते हुए उसकी सख्त चूचियों को दबाने लगा। वो भी मुझे चूमने लगी। मैंने उसकी ब्रा खोल दी। उसकी चूचियाँ गोरी थी और रगड़ने से लाल हो गई।

मैं एक एक करके चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा और जांघों को सहला रहा था। वो मुझे चूमते हुए सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने उसकी पेन्टी उतार दी और उसकी चूत पर हाथ रखकर रगड़ने लगा। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और गीली थी।

मैंने अपने होंट उसकी चूत पर रख दिये। उसकी चूत गर्म थी। मैं चूत को चाटने लगा और जीभ उसकी चूत में डालकर हिलाने लगा। वो बैचेन हो गई और मेरा सिर अपनी जाँघों के बीच दबा लिया। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी। फिर मैंने अपना लण्ड उसके होंटों पर रख दिया। वो आईसक्रीम की तरह जीभ से लण्ड को चाटने लगी, लक्ष्मी की चूत के पानी को चाटने लगी क्योंकि तभी कुछ देर पहले मैंने लक्ष्मी को चोदा था।

मैंने उसका सिर पकड़ा और लण्ड उसके मुँह में ठुसकर आगे-पीछे करने लगा। उसकी आँखें पूरी खुल गई और मुँह लाल हो आया। लक्ष्मी ने थोड़ी सी क्रीम लेकर उसकी फ़ुद्दी में लगाई और उंगली से उसे चोदने लगी।

मैंने रीतिका के मुख से लण्ड बाहर निकाला तो वो सीत्कारे मारने लगी- हाँ भाभी, तेज तेज करो ! मजा आ रहा है ! फाड दो मेरी चूत !

लक्ष्मी ने उंगली निकाली और बोली- फाड़ेगा तो राज ! राज आ जाओ ! लोहा गर्म है !

कहते हुए लक्ष्मी ने मेरे लण्ड पर क्रीम लगा दी। मैंने उठ कर उसके पैरों के बीच बैठकर लण्ड चूत पर लगा दिया, कन्धे पकड़कर हल्का सा धक्का दिया तो लण्ड का टोपा उसकी चूत में घुस गया।

वो चिल्लाई- मर गई !

और पीछे को हट गई। मेरा लण्ड बाहर निकल आया। वो दर्द से चीख रही थी- मर गई… मुझे नहीं कराना अन्दर !

मैं बोला- रीतिका, थोड़ी देर दर्द होगा… फिर तो मजा ही मजा है।

वो बोली- मुझे नहीं लेना मजा।

लक्ष्मी भी गर्म हो चुकी थी। वो मुझे पीछे धक्का देते हुए बोली- राज रहने दो इस कुतिया को ! यह नहीं चुदेगी। तुम मुझे चोदो !

और लण्ड पर बैठकर झटके मारने लगी। हम दोनों रीतिका को दिखाने के लिए तेज तेज आहें और सिसकारियाँ लेने लगे। लक्ष्मी जोर से लण्ड पर उछलती हुई अपनी चूचियों को मसल रही थी।

मैं भी नीचे से झटके मारते हुऐ सिसकारियाँ ले रहा था।

शायद यह देखकर रीतिका का दर्द कम हो गया और फिर चुदने का मन हो गया, वो बोली- भाभी, मुझे करने दो।

मैंने लक्ष्मी की तरफ इशारा किया, लक्ष्मी बोली- ठीक है ! पर इस बार नखरे मत करना।

ठीक है भाभी ! पर मैं भी तुम्हारी तरह बैठकर खुद अन्दर डालूँगी।

लक्ष्मी खड़ी होते हुए बोली- ठीक है, आ जाओ !

रीतिका दोनों टाँगें चौड़ी करके लण्ड पर बैठ गई और धीरे से दबाब डालने लगी। लक्ष्मी उसके पीछे कन्धों पर हाथ रखकर खड़ी थी।

मैंने रीतिका के बाल पकड़े और लक्ष्मी की तरफ इशारा किया।

जैसे ही रीतिका ने नीचे जोर लगाया, मैंने बाल पकड़ कर ऊपर झटका मारा और लक्ष्मी ने कन्धे नीचे दबा दिये।

मेरा लण्ड उसकी चूत फाड़ता हुआ आधा घुस गया।

वो फिर चिल्लाने लगी पर उठ नहीं पाई।

मैंने उसे पकड़ कर लिटा लिया और बाजुओं से हाथ पकड़ लिया, बोला- कुतिया, चुदना भी चाहती है और नखरे भी कर रही है? ले चिल्ला !

और एक दमदार झटका मारा !

जैसे ही उसने मुँह खोला, उसकी पेन्टी उसके मुँह में ठूंस दी।

2-3 झटकों में पूरा लण्ड चूत में ठोक दिया। उसकी चूत से खून और आँखों से आँसू निकल रहे थे। लक्ष्मी उसकी चूचियाँ सहलाने लगी।

मैं लगातार झटके मार रहा था और बोल रहा था- अब चिल्ला रण्डी, खसम से चुदने जा रही थी? मैं बनाता हूँ तेरी चूत का भौसड़ा ! बहन की लौड़ी, ले !

और झटके मार रहा था। थोड़ी देर में वो भी गाँड उछालने लगी।

मैं समझ गया कि उसे भी मजा आने लगा है और उसके मुँह से पेन्टी निकाल दी।

उसने साँस ली और बोली- तुम तो मुझे मार ही डालते?

मैं बोला- कुतिया, अब चुपचाप मजे ले ! चोदने से कोई लड़की मरती तो दुनिया में लड़कियाँ नहीं बचती।फिर उसकी गाँड के नीचे तकिया लगाया और झटके मारने लगा। वो भी गाँड उछाल-उछाल कर पूरा साथ दे रही थी और बड़बड़ा रही थी- ते..तेज ! और.. तेज हाँ.. भा.. भाभी मजा आ रहा है ! फ.. फाड़.. डाल कुतिया को ! बहुत खुजली होती है इसमें ! हाँ.. अ.. आ.. आ.. आह.. सी.. सी.. ई.. मजा.. आ.. गया.. और तेज।

मैं उसे ठोके जा रहा था- कुतिया.. ये तो फाड़ दी.. तेरी गाँड फाडूगा.. तब पता चलेगा।

फाड़ देना….आ.. आ.. आह.. औ.. गोड..आ.. सी ..मैं गई…. कहते हुए लेट गई।

मेरा भी निकलने वाला था, मैंने 8-9 झटके मारे और रीतिका की चूत वीर्य से भर दी, उसके ऊपर लेट गया।

मैंने उस दिन दोनों को रात भर चोदा और गाँड भी मारी।

रीतिका की हालत ऐसी हो गई कि उससे बिस्तर से नहीं उठा गया। अब जब भी वे दोनों घर में अकेले होती है तो मुझे बुला लेती हैं, मैं जाता हूँ, दोनों को खूब चोदता हूँ।

फिर मैंने बहन की सहेली को चोदा !

कैसे?

यह अगली कहानी में बताऊँगा।

मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताना।

आपका दोस्त राज कौशिक

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