मुझे तो तेरी लत लग गई

यह आपबीती मुझे मेरे दोस्त जय पाण्डेय ने भेजी है… और मैं जानती हूँ कि यह शत प्रतिशत सही है।

तो पेश है आपबीती… ‘मुझे तो तेरी लत लग गई’

बात उन दिनों की है जब मैं नया नया डॉक्टर बना था। मेरी पहली पोस्टिंग बिहार में बक्सर जिले में हुई थी। बक्सर जिला कम गाँव ज्यादा था। वहाँ बिजली की बहुत समस्या रहती है।

चूँकि मैं सरकारी डॉक्टर था इसीलिए रहने के लिए एक बंगला मिला हुआ था। सरकारी हॉस्पिटल में दवाई बेचने के लिए दलाल सब पटना से आये करते थे। मुझे तरह तरह के गिफ्ट भी मिला करती थी… शुरू में तो बहुत अच्छा लगता था लेकिन फिर बोरियत लगने लगी थी…

महीने दो महीने गुज़र गए, न कोई गर्ल फ्रेंड थी जिससे फ़ोन सेक्स करें, न ही कोई जुगाड़… जुगाड़ से याद आया महेश जी जो खुद बहुत बड़े जुगाड़ू थे।

महेश जी- और सर जी, इस पर अपना हस्ताक्षर कर दीजिये…

मैं- लो कर दिए।

महेश जी- ये रहे सर जी आपकी दस प्रतिशत कमीशन !

मैं- वो सब तो ठीक है महेश जी लेकिन !

महेश जी- लेकिन क्या सर जी…?

मैं- आप तो पटना जाते रहते हैं न वहाँ से कोई जुगाड़ हो जायेगा?

महेश जी- हाँ हाँ हो जायेगा… बोलिए व्हिस्की रम… क्या ले लूँ आपके लिए?

मैं- अरे वो नहीं महेश जी मेरा मतलब था….

मैंने अपने नाक को छूकर इशारा किया।

महेश जी- ओह्ह हो ! तो आप भी इसका शौक रखते हैं?

मैं- हाँ !

महेश जी- ओके सर जी, हो जायेगा ! फिर पटना क्यूँ जाना, वो तो पास के आरा जिले से कर आता हूँ।

मैं- आरा यानि गाँव की…? नहीं कोई शहरी !

महेश जी- जो मस्ती यहाँ के गाँव की औरत में है वो शहर की लड़की में कहाँ?

मैं- ओह तो ये बात है?

दो दिन बाद महेश जी शाम को एक औरत के साथ मेरे बंगले में आये।

मैं- ओह, महेश जी !

महेश जी- ये देखिये किसको लाये है… कमली को… पास के गाँव पुराना भोजपुर की है !

मैं- लेकिन यह तो औरत है, मैंने तो लड़की बोला था।

महेश- अरे सर आपकी उम्र अभी कच्ची है… ये औरत आपको सिखाएगी ,,, वर्ना लड़की आपसे नहीं संभलेगी

मैं- लेकिन ये है कौन ??

महेश- ये कमली है… इसका पति इसको छोड़कर चला गया है… तो पास वाले घर में अपने बूढ़े माँ बाप के साथ रहती है।

मैं- और इसका कितना लोगे महेश बाबू?

महेश- आपके लिए फ्री… तीन दिन तक रखिये… मजे कीजिये।

मैं- तीन दिन तक?

महेश- अरे और क्या ! एक रात में मन नहीं भरेगा कमली से ! यह है ही कुछ ऐसी चीज़।

मैं- मैं कुछ समझा नहीं?

महेश ने कमली का साड़ी उठाया और पीछे घुमाया… उसकी कच्छी नीचे खींची।

उसके गोल गोल चूतड़ देख कर मज़ा आ गया और उसकी बिन बाल की चूत देख लार टपक गई।

महेश- यह देखिये… ख़ास आपके लिए उसके बुर की हजामत करवाई है…

फिर महेश ने उसके ब्लाउज के हुक खोके और ब्रा ऊपर उठा कर उसके उरोज़ बाहर निकाल दिए। महेश ने उसके एक एक कर गोल गोल मम्मे निचोड़े…

महेश- ये देखिये, एकदम रस भरे… खूब चूसिये महाराज, आपको जरुरत भी है !

ये व्यंग्यात्मक बातें इसीलिए क्यूंकि मैं दुबला पतला तो था ही साथ ही कुँवारा और कम उम्र का हूँ।

महेश जब कमली का प्रदर्शन कर रहा था तब कमली एकदम चुप थी।

मैंने पूछा- यह इतनी चुप क्यूँ है?

महेश ने बताया- पति जब से गया है, यह चुप ही रहती है, बस पैसों के लिए चुदवाती है।

महेश- सर कमली ख़ास माल है… सबको चूत नहीं देती, आप खुशनसीब हैं।

मैं- तो ऐसी बात है कमली?

कमली ने बस हामी भरी।

महेश- सर यहाँ पर हिजड़ों की खूब खूब चुदाई होती है… रंडी के नाम पर हिजड़े रांड बन घूम रहे हैं।

इस पर कमली मुस्कुराई। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

महेश कमली को छोड़ कर चला गया।

अगले तीन दिन सरकारी अस्पताल भी बंद था… अब बस मैं और कमली थे घर में !

मैंने इससे पहले चुदाई नहीं की… बस अब मौका मिल गया था !

मैं- कमली, चल अन्दर कमरे में चलते हैं।

वो मेरे साथ कमरे में आ गई… मैंने उसे कपड़े खोलने को बोला !

उसने पहले अपनी साड़ी खोली… फिर ब्लाउज, फिर पेटीकोट, अब वो सिर्फ ब्रा पैंटी में थी… ब्रा उजले रंग का पुराना सा था और पैंटी के नाम पर कच्छा था !

फिर उसने यह भी उतार दिए और बेड में लातें सिकोड़ कर बैठ गई, कुछ बोल नहीं रही थी, बस नज़रें झुकाए थी !

क्या मस्त लग रही थी… सांवला सा बदन था लेकिन पेट में स्ट्रेच मार्क थे।

मैं- कमली तेरा कोई बच्चा भी है क्या?

कमली एकदम से सकपका गई…

कमली- बाबू जी आपको कैसे पता?

मैं- डाक्टर हूँ, सब पता है।

कमली- हाँ इसी हरामजादे का था… साला बेच आया !

मैं- महेश का? बेच आया…??

कमली- हाँ, जब देखो चोदता रहता था… अब बस इधर उधर सरकारी बाबू के पास ले जाता है मुझे !

मैं- और तेरे को पैसा कितना देता है?

कमली- एक दिन का सौ रुपये !

मैं सोच में पड़ गया… कमीने ने मुझसे पचास हज़ार के दवाई पर मुहर लगवाया और सौ रुपये वाली पकड़ा गया !

मैं- कोई नहीं, मैं तुम्हें एक दिन का पांच सौ दूँगा।

कमली- सच बाबूजी? लेकिन महेश को मत बताना !

मैं- नहीं बताऊँगा।

लेकिन जो भी हो, महेश ने मेरा तो जुगाड़ बना दिया… जय हो उसकी !

कमली- इधर आओ न बाबू जी !

कमली ने मुझे बुलाया खुद ही पैंट खोली और मेरा लौड़ा चूसने लगी।

कमली- पांच सौ के लिए कर रही हूँ बाबू जी ! एक बार कमली से चुसवाओगे, बहुत सुकून मिलेगा।

मैं अपना होश खो रहा था, पहली बार एक नंगी औरत लंड चूस रही थी…

उससे शायद चूसने में महारत हासिल थी… क्या प्यार से चूस रही थी… बार बार लंड के टोपे को काट रही थी, फिर अपनी जीभ मेरे मलद्वार के पास ले गई और गोलियों के नीचे चूसने लगी।

उसने अपनी एक पतली सी उंगली मेरी गांड में ले गई और मलद्वार के अन्दर घूसा कर अन्दर-बाहर करने लगी… मेरा लंड तनतना गया… वो गंवार जिन जगहों को छू रही थी वो एक पुरुर्ष के ‘जी स्पॉट’ होते हैं…. उसे पता नहीं इतना सेक्स ज्ञान कहाँ से था।

खैर मैं अपनी जवानी के उस दौर में बह गया, उसे बिस्तर में पटक के अपने लंड पर कंडोम लगाया और उसकी भरी हुई जांघें फैलाई !

कमली- अहह आराम से बाबूजी ! अभी मैं गरम नहीं हुई हूँ !

मुझे समझ नहीं आया कि उसने गर्म क्यूँ कहा… क्या तात्पर्य था उसका? लेकिन मैं लंड उसके छेद में घुसाने लगा… मुझे मुश्किल होने लगी। एक तो मेरी पहली चुदाई थी और दूसरे उसकी चूत अभी गीली नहीं हुई थी !

फिर भी मैंने किसी तरह उसके चूत में लंड डाल ही दिया और जल्दी जल्दी घस्से मारने लगा।

कमली- अहह बाबूजी आराम से…

उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और चूसने लगी।

वो मुझे स्मूच दे रही थी… लेकिन उसके मुँह से गन्दी बास आ रही थी सो मैंने अपना मुँह हटा दिया।

मैं- रांड है रांड की तरह चुदवा… बीवी की तरह नहीं… तेरे मुँह से बास आ रही है।

मैं अब तक दस झटके मार चुका था… दो तीन मिनट ही हुए थे कि मैंने उसे जोर से पकड़ा और लंड ने पिचकारी मार दी…

मैं उसकी चूत में झड़ गया।

लंड निकाला तो देखा मुठ कंडोम में लटका हुआ था… झट से कंडोम खोल कर लंड धोने लगा।

कमली- क्यूँ बाबूजी, बस इतना ही था?

मैं समझ गया उस गंवार ने क्या कहा… उसने मेरी मर्दानगी को ललकारा तो था ही साथ ही मुझे बच्चा सेक्स के मामले में कह दिया !

मैं नंगा कमली के पास जाकर बैठ गया… कमली ने मुझे बांहों में भर लिया।

कमली- क्यूँ रे… इतनी कम देर करेगा तो बीवी को कैसे खुश रखेगा?

मैं- तो क्या करूँ? कैसे करूँ?

कमली- तेरे को लंड चुसवाने में मज़ा आया था?

मैं- हाँ आया था।

कमली- तो फिर मेरी भी चूत को चाट !

मैं- चाटनी ही होगी तो शहर की लड़की की चाटूँगा, तेरी नहीं !

कमली- क्यूँ शहर की लड़की की चूत से क्या गुलाब का पानी निकलेगा? चल चुपचाप चाट !

मैंने सोचा, सच ही तो कह रही है, चूत तो सबकी एक जैसी ही होगी… मैंने कमली की टांगें फैला कर बुर चाटना शुरू किया… उसकी बुर से मछली जैसी दुर्गन्ध आ रही थी।

कमली- अहह बाबू… क्यूँ बास आ रही है न…? बस चूसते रहो… महक आने लगेगी।

कमली के क्लाइटोरिस को चाट रहा था… आखिरकार डॉक्टर हूँ पता तो था ही !

उसके जी स्पॉट को चूसने पर उसके बुर से ओर्गास्म का पानी निकलने लगा अर्थात बुर पानी छोड़ने लगी।

अब कमली गर्म हो रही थी और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था… कमली ने मेरा लंड अपने हाथ में लिया।

कमली- बहुत मुलायम लंड है बाबु… चोद चोद कर कठोर बना दूँगी।

फिर कमली ने एक पैर उठाया… और लंड को अपने बुर में डाल दिया।

लंड फिसल के अन्दर घुस गया… कमली मेरे ऊपर आ गई यानि ‘वुमन ओन टॉप’ अवस्था में !

कमली ऊपर नीचे उठक-बैठक करने लगी, मेरा लंड फनफना रहा था, कमली की मुलायम जांघें मुझे कसे हुई थी, कमली जितनी छलांग मार रही थी, उसके मुम्मे उछल उछल कर कह रहे थे- चूसो हमें !

मैंने झट से एक स्तन को मुँह में ले लिया और चूसने लगा।

कमली- आह्ह्ह बाबु चूसते रहो… अहह, दूसरा भी चूसो…

कमली के चूतड़ों को मैं मसल रहा था… कमली की पतली कमर और बड़े बड़े गांड और चूची मुंबई दिल्ली की लड़कियों को भी पीछे छोड़ देती… क्या मस्त फिगर था… मॉडल जैसा !

फिर मैं कमली के ऊपर आ गया और धीरे धीरे झटके मारने लगा…. मैंने खुद कमली के होंठों पर अपने होंठ रखे और प्रगाढ़ चुम्बन करने लगा।

कमली- क्यूँ बाबूजी…. बास नहीं आ रही?

मैं- नहीं मेरी जान, अब होश किसे… बस चोदने दे….

मैं मदहोश हो गया चुदाई में ! बीस मिनट तक चुदाई के बाद मैं चरमोत्कर्ष पर पहुँच रहा था !

कमली- न बाबूजी, अभी मत झड़ना, वरना कमली की गांड की प्यास कौन बुझाएगा।

कमली ने मेरे लंड को बुर से निकाला और एकदम से निचोड़ दिया।

मेरे मुँह से सिसकी निकल गई… लेकिन फिर मेरा लंड सामान्य हो गया।

कमली- अब जल्दी से मेरे गांड में तेल मलो और गांड को पेलो।

मैंने उसकी गांड में तेल डाला और लंड अन्दर बाहर करने लगा…. सच क्या मज़ा आ रहा था।

कमली- अहह अहह और तेज़…. याद रखना जब तक किसी औरत की गांड नहीं मार देते वो संतुष्ट नहीं होती।

इसी तरह मैंने उसकी गांड को दस मिनट तक पेली… अब मेरा लंड वीर्य छोड़ने को आतुर हो उठा था…

मैं- बस कमली, मेरा तो निकल जायेगा…

कमली ने झट से मेरा कंडोम उतारा और अपने मुँह में ले लिया।

मैंने सारा वीर्य उसके मुँह में निकाल दिया, कमली सारा वीर्य पी गई।

कमली- यह क्या बाबूजी, तुम हर बार लंड पर रबर बैंड क्यूँ लगा लेते हो इससे मज़ा नहीं आता।

कमली का मतलब कंडोम से था… वो कह रही थी कि कंडोम रहते लड़की को मज़ा नहीं आता।

मैंने कमली को कंडोम का महत्व बताया, कहा- इससे यौन सम्बन्धी बिमारी नहीं होती और गर्भ भी नहीं ठहरता।

अगले तीन दिन तक मेरी छुट्टी थी…. कमली को मैंने तीनों दिन बिस्तर पर नंगी रखा।

बस कुछ ब्रेड और अंडा खाते थे… और बाकी टाइम सेक्स करते थे।

हम तीन दिनों तक न नहाये थे न ही ब्रश किया था।

बस कभी कभी हम लोग टॉयलेट जाते थे।

मैंने तीन दिनों में कमली को दसियों बार चोदा।

वो तीन दिन कैसे बीते, पता ही नहीं चला ! लेकिन उन तीन दिनों में मैं सेक्स का गुरु बन गया।

हम फिर कभी नहीं मिले लेकिन मैं कमली का शुक्रगुज़ार हूँ कि आज मेरा वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखद है…

दोस्तो, शादी से पहले कुंवारे भाइयों से बस इतना कहना चाहूँगा कि सेक्स के बारे पूरा ज्ञान रखें, रंडी या गर्ल फ्रेंड से यौन सम्बन्ध बनाते समय कंडोम का प्रयोग ज़रूर करें क्यूंकि एड्स लाइलाज है।

यह श्रेया आहूजा की प्रस्तुति है जो आप अन्तर्वासना.कॉम में पढ़ रहे थे।

इज़ाज़त दीजिये अब मुझे…

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