मुम्बई के सफ़र की यादगार रात-2

उसके बाद उसने अपने हैण्ड बैग से टिशु पेपर निकाला और मेरा लण्ड पौंछा, फिर मेरे मुरझाये हुए लण्ड को मेरे कपड़ों में डाल के मेरी पैंट ऊपर खसका दी, मेरे होंठों को चूमते हुए बोली- मुझे आज तक कपड़ों के साथ इतना मजा कभी नहीं आया।

मैं समझ गया कि मेरा मुम्बई का चार दिन का स्टे बढ़िया रहने वाला है।

चूंकि हम दोनों का ही एक बार हो चुका था और बस में नीचे की सिंगल सीट में कपड़े उतारना मुमकिन नहीं था तो आगे का हम दोनों ने कुछ करने का भी नहीं सोचा।

सुबह मुझे काम पर जाना था तो थोड़ी नींद लेना मेरे लिए भी जरूरी था, इसलिए मैंने उसे कहा- रात हो गई है, तुम ऊपर जा कर अपनी सीट पर सो जाओ।

वो ऊपर जा कर उसकी सीट पर सो गई, मैं नीचे अपनी सीट पर सो गया। नींद कब लगी पता ही नहीं चला, बीच में एक बार नींद खुली, उसे देखा तो वो ठंड से कांप रही थी तो अपना कम्बल मैंने साक्षी पर डाल दिया और उसका एसी बंद कर दिया। मैं चादर ओढ़ कर सो गया।

सुबह करीब सात बजे उसने ही मुझे जगाया। जागने का मन तो नहीं था पर सो भी नहीं सकता था अत: उठ गया, उठ कर उससे बाते करने लगा पर रात वाली कोई बात न उसने करी न मैंने की।

फिर उसने मेरा नम्बर माँगा मैंने कार्ड निकाल कर उसे दे दिया, कार्ड में सिर्फ दफ्तर का नम्बर और मेरा मेल आई डी लिखा था। मैंने पेन से उस पर मोबाइल नम्बर भी लिख दिया। वो मेरा पहला मोबाइल फोन था जो मैंने खरीदा था 1300 रूपये में सेमसंग का रिलायंस वाला फोन।

उसने कहा कि वो फोन करेगी।

मैंने कहा- मैं शाम को तो फ्री रहूँगा तो तुम फोन करना, हम लोग साथ में कॉफी के लिए मिलेंगे।

उसने कहा- ठीक है।

मैंने उसका नम्बर माँगा तो वो बोली- मेरे पास मोबाईल नहीं है !

जो आज से छः साल पहले सामान्य बात थी।

फिर हम दोनों की ज्यादा बात नहीं हुई और हम आठ बजते बजते मुंबई पहुँच गये। मेरे रहने का इन्तजाम बोरीवली स्टेशन के पास के किसी होटल में किया गया था और आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य शाखा के पास मुझे काम करने जाना था।

मैं दस बजे दफ्तर पहुँचा और काम करना शुरू तो किया लेकिन मेरा मन काम में कम और साक्षी में ज्यादा था।

जैसे तैसे मैं काम निपटा रहा था और शाम को करीब तीन-चालीस पर साक्षी का फोन आया, वो बोली- मेरे पास जो रहने की जगह थी वो अब नहीं है और अभी रहने का कोई ठिकाना नहीं है। क्या एक दिन के लिए तुम्हारे साथ मेरे होटल में रुक सकती हूँ, कल मेरी सहेली आ जायेगी तो उसके घर चली जाऊँगी।

मुझे क्या चाहिए था, मैंने कहा- हाँ बिल्कुल रुक जा ना यार ! तेरे लिए मना तो है नहीं।

मैंने कहा- तू मुझे आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य शाखा पर मिल !

तो वो बोली- मैं बोरीवली स्टेशन आ जाऊँगी।

मैंने कहा- ठीक है, वहीं आ जा !

और मैं पाँच बजे तक काम निपटा कर वहाँ से निकल गया। मेरा प्रेजेंटेशन अगले दिन था तो उस दिन जल्दी निकल भी सकता था मैं।

मैं ऑटो पकड़ कर सीधे बोरीवली स्टेशन गया, तब तक उसका भी फोन आया, मैंने बताया कि मैं कहाँ पर हूँ, मैंने उसे जगह बताई और हम लोग स्टेशन से सीधे मेरे होटल आ गये। रास्ते में मैंने ध्यान दिया कि उसके पास सिर्फ एक छोटा सा बैग था जिसमें मुश्किल से तीन जोड़ी कपड़े आ सकते थे, पर मैंने कुछ कहा नहीं।

दफ्तर से स्टेशन जाते हुए मैंने एक मेडिकल स्टोर पर ऑटो रुकवा कर पहले ही मूड्स सुप्रीम कंडोम का एक बड़ा पैकेट खरीद लिया था।

होटल पहुँच कर मैंने उसे तो सीधे कमरे की तरफ भेज दिया था और मैं खुद चाभी लेने काउंटर पर चला गया।

काउंटर से चाभी ली और मैं कमरे की तरफ गया, उसे साथ लिया और कमरे में पहुँच गया।

कमरे के अंदर पहुँचना था कि वो तो मुझ पर मानो चढ़ ही गई, उसने बैग एक तरफ फैंका, मेरा लैपटॉप बैग कंधे से जबरन ही उतारा और मुझे चूमना शुरू कर दिया।

मैं भी रुकना तो चाहता नहीं था तो मैंने भी उसके चुम्बनों का जवाब देना शुरू कर दिया, चुम्बनों के साथ ही मैं उसके दोनों बड़े बड़े स्तनों को भी दबाते जा रहा था और वो एक हाथ से मेरे लण्ड को मसल रही थी।

मैंने इसी बीच उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए और उसने मेरे।

मैंने पहले उसकी जैकेट उतारी फिर टीशर्ट भी उतार दी अब वो काली ब्रा और जींस में बड़े बड़े चूचक में गजब की दिख रही थी। हालांकि कमर पर थोड़ी सी चर्बी जरूर थी पर फिर भी उस वक्त तो मुझे वो जन्नत की हूर ही दिख रही थी।

उसकी टीशर्ट उतार कर मैंने उसके चूचों को मसलना और चूमना शुरू कर दिया, जीभ से चाटना भी शुरू कर दिया तो वो भी जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतारने में लग गई और मुझे पता भी नहीं चला कि कब उसने मेरी शर्ट और पैंट उतार दी। अब मैं सिर्फ अंडरवियर और बनियान में था और वो ब्रा और जींस में !

मैंने भी उसकी जींस उतारने के लिए उसको बिस्तर पर ले जाकर धक्का दे दिया क्यूँकि उसको उठाना मेरे बस के बाहर की बात थी। उसे बिस्तर पर गिरा कर मैं उसकी जींस उतारने लगा। जब मैंने जींस उतारी तो देखा कि जांघों से लेकर पैरों तक एकदम चिकनी थी वो, कहीं कोई बाल नहीं, कहीं कोई रुखी त्वचा नहीं।

उसके बाद मेरा ध्यान उसकी बांहों पर गया जो पूरी तरह से चिकनी थी और उसकी बगलों में भी कोई बाल नहीं था, और बाकी के शरीर पर भी मुझे कोई बाल नहीं दिखा, जो मेरे लिए एक नया अनुभव था पर मैं तो उसको काली जालीदार ब्रा और पैंटी में देख कर पागल सा हो रहा था और वो शायद और ज्यादा पागल हो रही थी।

मैंने साक्षी के ऊपर आकर उसे चूमना शुरू किया और उसने अपने हाथों से मेरी अंडरवियर और बनियान भी उतार दी। अब मैं पूरा नंगा था और वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में, पर मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उतारने की कोई जल्दी नहीं की बल्कि उसकी ब्रा के ऊपर से ही मैंने उसके कड़क हो चुके चुचूकों को चूसना शुरू कर दिया। वो तड़पने लगी और अपने नाखूनों से मेरी पीठ को खरोंचने लगी। उसने इतनी जोर से नाखून चुभाये कि मेरी पीठ पर थोड़ा खून उभर आया पर उस वक्त की मस्ती में होश किसे था, वो नाखूनों का चुभना भी तब तो सुख ही लगा था।

अब मैंने उसके चूचों को छोड़ उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया, होंठों को चूसने में वो भी मेरे होंठों को चूसते हुए पूरा साथ दे रही थी। फिर उसने मेरी जीभ को अपने मुँह में लेकर मेरी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और मैं उसके दोनों तन चुके चुचूकों को ब्रा के अंदर हाथ डाल कर मसल रहा था।

हम दोनों इसी तरह एक दूसरे को चूम रहे थे और मैं उसे मसल रहा था, वो मेरी पीठ को खसोट रही थी, हाथों से मेरे बालों को सहला रही थी।

यह कार्यक्रम कुछ मिनटों तक चलता रहा, फिर वो बोली- मुझे तुम्हारा चूसना है।मैंने कहा- चूसो ! मैंने कहाँ मना किया है?

पर मैंने उसके मुंह में लण्ड देने के बजाय खुद को उसके नीचे की तरफ खिसकना शुरू कर दिया और होंठों से नीचे होता हुआ उसकी ठोड़ी पर कुछ सेकंड तक चूमा, फिर और नीचे खिसक कर उसके गले को चूमा, फिर और थोड़ा नीचे खिसक कर उसके दोनों चुचूकों के बीच में चूमा और वहाँ थोड़ी देर तक चूसता रहा।

मैं यह सब कर रहा था और वो कह रही थी- संदीप बस करो ना.. और नहीं.. प्लीज रुक जाओ.. मुझसे सहन नहीं हो रहा।

लेकिन इसके बाद भी एक भी बार उसने मुझ हटाने की कोशिश नहीं की और मैं उसे चूसता हुआ थोड़ा और नीचे खिसका और उसकी चूचियों को थोड़ा ऊपर उठा कर मैंने साक्षी की चूचियों के नीचे वाली जगह को चूमना शुरू कर दिया और इसके बाद वो पागल सी होने लगी तड़पने लगी।

मैं थोड़ा और नीचे खिसक कर उसकी नाभि के पास आया और मैंने उसकी नाभि के चारों तरफ अपनी जीभ चलाना शुरू कर दी। मेरी जीभ जैसे ही उसकी नाभि पर गई वो तो उछल गई, उसने हाथों से मेरे बालों को नोचना शुरू कर दिया और अपने पैरों को मेरी पीठ पर लपेट लिया। मैंने अपनी जीभ को उसकी नाभि के अंदर तक घुसा दिया और जोर जोर से चलाने लगा, मेरा सीना उसकी चौड़ी टांगों के बीच में था जिससे वो खुद को रगड़ रही थी। मैंने उसकी नाभि के छेद को जीभ से चूसना लगातार चालू रखा और वो मुझे अपने में समाने की कोशिश करते हुए अचानक अकड़ने लगी और मैं कुछ समझता उससे पहले ही वो बुरी तरह से झड़ने लगी और झटके मारने लगी।

हर झटके के बाद उसकी पकड़ ढीली होती और हर झटके के वक्त मुझे कस लेती, जब वो दस-बारह झटके मार कर पूरी तरह से झड़ गई तो बड़े प्यार से उसने मेरे सिर को पकड़ कर मुझे ऊपर की तरफ खींचा और मैं भी उसकी तरफ खिचंता चला गया।

उसने अपने तपते हुए होंठ को मेरे होंठों पर रख दिए…

इसके बाद क्या हुआ?

जानने के लिए अगली कड़ी का इन्तजार कीजिए !

मुझे बताइए कि कैसी लगी मेरी कहानी आपको?

[email protected]

मुझे आप फेसबुक पर भी इसी आईडी से ढूंढ सकते हैं।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top