प्रेम और पिंकी का प्यार-2

प्रेम 8 2010-09-29 Comments

प्रेषक : प्रेम

मैंने कहा- पिंकी, अच्छा लग रहा है?

वो बहुत गर्म हो चुकी थी, बोली- हाम्म् प्रेम करो न ! प्रेम अह्ह और थोड़ा करो न वहाँ पर हमम्म अह्ह काटो मत ! नाम्म प्रेम !

मैं चूसता ही जा रहा था, मैंने पेट पर काटा भी और पूरा पेट चूस चूस कर गीला कर दिया।

फिर धीरे से उसका नाड़ा खींचा और उसकी सलवार खुल गई, मैंने नीचे की, उसने काली पेंटी पहन रखी थी, मैंने जैसे ही उसकी फुद्दी पर हाथ रखा, उसके बदन पर कम्पकंपी छा गई- ओह… ओह… ओह… प्रेम… अह्ह्ह… ओह…

मैंने फिर उसकी जांघों को चूसना शुरू किया, वो इतनी अतिशय गर्म हो चुकी थी कि बस अब चोद दो, पर मैंने बहुत तड़पाया उसको और बहुत देर दोनों जांघों पर काटा भी और चूस कर लाल कर दी।

वो बोली- प्रेम, ह्म्म जल्दी प्रेम ! जल्दी आओ न प्रेम ! प्यार करो न प्रेम ! जल्दी प्यार करो न मुझे।

अब मैंने उसकी पूरी कुर्ती ऊपर कर दी तो मुझे उसके चूचे दिखे ! वाह ! क्या निप्पल थे यार ! मस्त गहरे भूरे और गोल-गोल, मोटे-मोटे !

मैंने उन्हें मुँह में लिया तो ! कितने नर्म थे ! मैंने बहुत जोर जोर से चूसना शुरू किया।

“हम्म प्रेम ! अह अह अह प्रेम ! धीरे प्रेम ! हाँ प्रेम ! धीरे हाँ प्रेम ! हाँ करो न प्रेम ! करो, प्यार करो न मुझे..”

वो बहुत ही गर्म हो चुकी थी पर मुझे संतोष नहीं था, मैंने इतने काट-काट कर उसके वक्ष चूसे कि वो लाल हो गए और उन पर निशान भी बन गये। अब मुझसे नहीं रहा गया, मैं पैंट उतार कर नंगा हो गया। वो तो थी ही गर्म, मेरे पेट पर हाथ फेरने लगी, उसने पहली बार लंड देखा था तो बहुत गर्म हो गई। मैंने उसका हाथ लंड पर रखा तो बस कुछ नहीं कहा उसके पकड़ कर रखा उसने।

मैंने कहा- ज़रा इसे हिला दो ना !

तो उसने कहा- ऐसे?

और हिलाने लगी।

मैंने कहा- हाँ आअ !

उसने कहा- प्रेम, प्यार करने में मज़ा आ रहा है ना?

मैंने कहा- हाँ पिंकी ! अह अह ! पिंकी और कर !

“हाँ प्रेम लो और लो ! ”

और वो तेजी से हिलाने लगी, मुझे लगा कि अब मैं छुट जाऊँगा, तो मैंने कहा- बस पिंकी ! अब मुझे प्यार करना है।

मैंने उसकी कमीज उतार दी और सलवार भी, पूरा नंगा कर दिया और वाह यार ! क्या लग रही थी वो ! गोरी गोरी पतली कमर और वो नाभि ! मैं तो पागल हो गया था। बस अब जल्दी से चोदना था।

वो बोल रही थी- प्रेम, मैं पहली बार तुमसे सिर्फ तुमसे प्यार कर रही हूँ। मेरे साथ वो कर डालो ! जल्दी प्यार करो न प्रेम !

मैंने देर नहीं की और उसकी चूत पर मुँह रख दिया।

वो बोली- स…स…हम्म ! प्रेम क्या कर रहे हो? यीई…ईईए… अह्ह… अह प्रेम ! और… और… और प्रेम !

और मैं चूसता ही गया, चूसता जी गया, चूत में पूरी जीभ डाल कर चूसता गया, मस्त मुलायम और लाल लाल चूत थी।

और मैं उमम्म्च… अलम्म्च ह्मम कर के चूस रहा था। अब मुझे उसकी चूत में बहुत खारा खारा स्वाद लगा।

मैंने मन में कहा कि बस अब मुझे इसको चोदना है।

मैं उसके ऊपर आ गया, अपने पूरे शरीर का भार डाल कर, मेरी छाती से उसके मम्मे दब रहे थे। मैं बहुत जोर जोर से उसके होंट चूसने लगा, हम दोनों नंगे थे, एक दूसरे के ऊपर ! अहह क्या अहसास था यार ! मैंने देर नहीं की और बस लंड उसकी चूत पर रख कर धीरे धीरे अन्दर करने लगा।

वो बोल रही थी- अह अह अह ! आआ प्रेम और और ! अह्ह्ह प्रेम ! दुःख रहा है ! ना प्रेम ! अह आहा अह्ह्ह !

मैंने उसको इतना गर्म किया था कि उसको चूत में दर्द न हो !

मैंने एक जोरदार धक्का मारा, पुचच्च कर के अन्दर चला गया, मुझे अन्तर्वासना पढ़ पढ़ कर पता था कि यह चिल्लाएगी, मैंने पहले ही उसके मुँह में मुँह डाल दिया और चूसने लगा, वो ह्म्म्मम्म्म्मम्मम कर के चिल्लाई।

पर मेरे मुँह में दब गई वो चीख !

उसकी आँखों से आंसू आ रहे थे पर मैंने उसके हाथ जोर से दबा कर पकड़ रखे थे, दोनों हाथ से और मैंने तब तक उसका मुँह चूसा जब तक उसे मज़ा न आने लग जाये।

मैं नीचे से अन्दर-बाहर धक्के लगाने लगा।

अह अह अह आहा उम्म्म्मच…ओम्म्म्च…आओ ऊमम्म पचच्च !

मैं उसके होंट और मम्मे चूसता जा रहा था और नीचे से उसे चोद रहा था- अह अह हा पिंकी ! आई लव यू मेरी जान ! मुझे बहुत

मज़ा आ रहा है।

“हा हा हा अह अह प्रेम ! हाँ प्रेम मुझे भी ! और प्यार करो न मुझे ! और और करो न ! स्स्स्स्स स्स्स अह हम्म प्रेम ! और करो जोर से करो न प्रेम ! हाआ आ प्रेम ऐसे ही करो ना ! मैं बहुत प्यार करती हूँ तुमसे प्रेम ! तुम बहुत प्यारे हो ! अह्हह्ह प्रेम ! करो और प्रेम ! हा मेरे प्रेम ! तुम जब यहाँ नहीं होते तो मैं बहुत मिस करती हूँ तुम्हें ! आज बहुत प्यार करो ! जी भर के करो प्रेम ! करो और और ”

“हाँ मेरी रानी ! मैं बहुत प्यार करता हूँ तुमसे ! अहह अह आहा लो लो और लो ! पिंकी अह अह आहा हआ !”

“प्रेम, बहुत अच्छे हो तुम ! बहुत प्यार करते हो न मुझसे?”

“हाँ पिंकू बहुत चाहता हूँ तुम्हें मैं ! चाहे दुनिया के लिए चाहे तुम मेरी मौसी हो पर तुम मेरी प्यारी दुल्हन हो ! अह्ह पिन्कय् !”

“हाँ प्रेम करो न प्रेम ! मैं तुमसे शादी करना चाहती थी, पर क्या करूँ ! चाहे कुछ भी हो, हम प्यार तो जरुर करेंगे !”

मैं बहुत देर तक ऐसे ही बोल बोल कर उसको चोदता रहा। फिर जब मेरा पानी आने वाला था तो मैंने कहा- मैं तो गया पिंकी !

वो बोली- बस मेरे अन्दर ही रहो न प्रेम ! मुझे मत छोड़ कर जाओ !

मैंने उसकी चूत में ही अपना लंड डाले हुए पूरा पानी छोड़ दिया, 6-7 पिचकारी में पूरा पानी उसकी चूत से बाहर आ रहा था। हम संतुष्ट हो गए थे, मैं उसके ऊपर लेटा रहा और उसके मम्मे चूसता रहा, और वो हांफती रही- ह्म्म्म ! प्रेम अच्छा लगा न जानू?

मैंने कहा- हाँ पिंकू !

वो बोली- पता है प्रेम, मुझे तुम बहुत पसंद हो, मैं बहुत प्यार करती हूँ तुमसे ! तुमसे इतना प्यार करना चाहती हूँ कि मेरा कभी दिल ही न भरे प्यार कर कर के ! और लो प्रेम ! सब तुम्हारा है ! कह कर उसने अपनी चूची मेरे मुँह में दी और अब वो नीचे से हिलने लगी। मैंने उसका मम्मा चूस चूस कर लाल कर दिया, वो फिर से गर्म हो गई, मैं भी तैयार हो गया, वो नीचे से गांड हिलाने लगी, मैं उसकी चूत में धक्के मारने लगा, मैंने कहा- जान, मैं बहुत प्यार करना चाहता हूँ तुम्हें।

वो बोली- हाँ प्रेम ! फिर मौका मिले न मिले, आज जितना चाहे प्यार कर लो मेरे जानू ! मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ ! अह अह अह अह प्रेम शैतान कहीं के ! धीरे न बाबा ! तुम्हारी ही तो हूँ !”

मैं जोर से चोदने लगा वो झड़ गई, मेरा भी काम होने को आया था पर मैंने निकाल लिया फट से लंड और उसकी गांड पर टिका दिया।

पिंकी- अह्ह प्रेम, यह क्या अह्ह्ह दुःख रहा है प्रेम ! कोई बात नहीं प्रेम, तुम्हारी हूँ, जो चाहे करो पर थोड़ा धीरे !

मैं- हाँ जानू, बस आज पूरा मजा लेने दो न ! आआ आह्ह्ह मेरी शोनी पिंकू !

पिंकी- हाँ प्रेम, मैं तुम्हें बहुत प्यार दूंगी। अह प्रेम, दुखता है !

मैं- अह पिंकू, तुम्हारी तो बहुत मुलायम है।

पिंकी- प्रेम मेरा पहली बार है, बस तुम्हारे लिए है, करो प्रेम, पूरा मज़ा लो और मुझसे प्यार करो।

मैं उसकी गांड मार रहा था, उसे भी मजा आने लगा था तो वो भी प्यार से मरवा रही थी।

मैं- ओह पिंकी, मैं बस आने वाला हूँ ! अह अह !

उसने अपने गले पर मेरा चेहरा थोड़ा दबाया और मैं उसके गले को चूसने-काटने लगा और गांड मारता रहा।

पिंकी- हाँ प्रेम आ जाओ न मेरा अन्दर !

और मैं थोड़ी देर बाद झड़ गया उसकी गांड में !

क्या सुकून वाला एहसास था पहली चुदाई ! गांड और चूत दोनों चोदने के बाद हमने बहुत लम्बा चुम्बन किया, उसने मेरे होंठों को बहुत चूसा और मैंने भी !

पिंकी- प्रेम, आज अच्छा तो लगा न मेरे जानू?

मैं- मेरी जानू, बहुत मज़ा आया ! तुम मेरा पहला प्यार हो पिंकी ! आई लव यू सो मच !

पिंकी- आई लव यू टू मेरे प्रेम ! बस लव यू जानू।

हमारे पास शब्द नहीं थे, बस एक दूसरे को चूमते हुए मस्त चुदाई की और प्यार से चूसते हुए एक दूसरे को जकड़े पड़े थे बेड पर।

कहानी जारी रहेगी।

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