प्रेम और पिंकी का प्यार-3

प्रेम 8 2010-09-30 Comments

प्रेषक : प्रेम

मैं- ओह पिंकी, मैं बस आने वाला हूँ ! अह अह !

उसने अपने गले पर मेरा चेहरा थोड़ा दबाया और मैं उसके गले को चूसने-काटने लगा और गांड मारता रहा।

पिंकी- हाँ प्रेम आ जाओ न मेरा अन्दर !

और मैं थोड़ी देर बाद झड़ गया उसकी गांड में !

क्या सुकून वाला एहसास था पहली चुदाई ! गांड और चूत दोनों चोदने के बाद हमने बहुत लम्बा चुम्बन किया, उसने मेरे होंठों को बहुत चूसा और मैंने भी !

पिंकी- प्रेम, आज अच्छा तो लगा न मेरे जानू?

मैं- मेरी जानू, बहुत मज़ा आया ! तुम मेरा पहला प्यार हो पिंकी ! आई लव यू सो मच !

पिंकी- आई लव यू टू मेरे प्रेम ! बस लव यू जानू।

हमारे पास शब्द नहीं थे, बस एक दूसरे को चूमते हुए मस्त चुदाई की और प्यार से चूसते हुए एक दूसरे को जकड़े पड़े थे बेड पर।

मैं- पिंकी, तुमने मुझे बहुत प्यार दिया। मुझे तुमसे और प्यार चाहिए, मुझे दोगी ना?

पिंकी- प्रेम में तो सिर्फ तुम्हारी हूँ अब जो चाहे कर लो और तुम जो बोलोगे, मैं करुँगी डार्लिंग !

मैं- पिंकी, मैं बहुत चाहता हूँ तुम्हें, बस मुझे यह डर है कि तुम कहीं नाराज न हो जाओ, तुम्हारे साथ मैं जबरदस्ती न करूँ।

पिंकी- अरे मेरे दिल में रहने वाले पगले राजा, बोलो न क्या बात है?

उम्म्मम्म्च ! मेरे माथे पे चूमा।

मैं- पिंकी, मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिंग पर वो करो जो मैं तुम्हारे दुदू पर करता हूँ।

पिंकी- मतलब मैं उसे मुँह में लेकर चूसूँ?

मैं- हाँ, क्या हुआ डार्लिंग? बुरा लगा?

पिंकी- नहीं जानू, बस पहली बार है तो थोड़ा गन्दा लगेगा ! पर कोई बात नहीं, बस मैं तुम्हें, मुझसे जितना हो सके, उससे भी ज्यादा प्यार दूंगी।

मैं तो खुश हो गया और बोला- तो लो न जल्दी !

हम बेड पर लेटे थे करवट लेकर, वो थोड़ा नीचे सरकी और उसने मेरा लण्ड अपनी ब्रा से पोंछा और जीभ से चाटा और चुम्मी ली।

पिंकी- प्रेम, आई लव यू, तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ मैं !

और उसने आँखें बंद की और पूरा मुँह में लेकर धीरे धीरे चूसने लगी।

मुझे बहुत जोश छाने लगा, मैंने कहा- अह अह अह पिंकी बेबी और चूसो ! और और और अह अह !

और मैं झटके मारने लगा- अह अह !

पिंकी भी मुझे देख कर खुश हो रही थी, उसे लग रहा था कि वो मुझे प्यार दे पा रही है, इस लिए फिर उसे भी मजा आने लगा और वो जोरों से चूसने लगी।

करीब दस मिनट बाद मैंने कहा- मैं आ रहा हूँ !

उसने चूसते हुए कहा- ह्म्म्मम्म ह्म्म्मम्म च हम्म्म्म्म

बहुत देर चूसाने के बाद मैंने पूरा वीर्य उसके मुँह में डाल दिया, उसे पता चला भी या नहीं, पता नहीं पर वो लार और थूक समझ कर शायद सब गटक गई और चूसती ही रही, मेरा पानी निकलने पर मैंने उसे अलग किया और बस मुझे उस पर इतना प्यार आया कि मैंने बहुत देर उसके होंठों का रसपान किया।

मैं उसका प्यार पहचान गया पर हम दोनों जानते थे कि हमारी शादी नहीं हो सकती।

बस उस दिन पहला और आखिरी मौका था तो कर लिया। फिर उसकी माँ के आने का वक्त हुआ। हमने लगभग ३ घंटे चुदाई-कार्यक्रम चलाया।

उसने फिर मेरे माथे पर, गाल, गला सब चूमा और चाटा और बोली- प्रेम, बस आज तक असा कभी नहीं लगा जो आज लग रहा है, आज अलग सी ख़ुशी हो रही है।

मैं- हाँ पिंकी, तुम हो ही इतनी सुन्दर, बस तुम परी हो।

पिंकी ने मुझे स्नेह से गले लगा लिया और आँखों में आँसू थे !

मैंने उसे फिर से चूम लिया।

चादर पर मैंने देखा तो खून और मेरा वीर्य पड़ा था, पिंकी अक्षतयौवना थी और मैं भी ! हमें पहली बार बहुत मज़ा आया और हमने अपने हाथों से एक दूसरे को कपड़े पहनाये। मैं बहुत देर उसकी गोद में सर रख कर बातें करता रहा। उसकी माँ के आने का समय हो गया, उसने जल्दी से चादर धो डाली और निचोड़ कर प्रेस करके सुखा दी और वही चादर बेड पर डाल दी ताकि किसी को शक न हो।

बस फिर उसकी माँ आ गई आँगन में,पिंकी जल्दी से आई मुझे गाल पर चुम्मी दी और अपनी जीभ से गीला करके चली गई। मैंने उसे आँख मारी और वो हंसने लगी।

फिर मैं उसके घर से उसकी माँ से थोड़ी बातचीत करके निकला।

दूसरे दिन मेरी अहमदाबाद की ट्रेन थी तो वो बहुत उदास थी। जाते जाते मैं उसके घर में घुस गया, उसकी माँ के पैर छूने के बहाने गया, माँ बाथरूम में थी, मैंने उसको लम्बा चुम्बन किया, बाहों में जकड़ा और कहा- जानू, जा रहा हूँ पर आई लव यू फोर एवर !

उसने भी कहा- हाँ प्रेम, मैं भी मरते दम तक यह प्यार नहीं भूलूंगी, आई लव यू टू !

बस फिर मैं चला आया, सारे रास्ते ट्रेन में उसके बारे में सोचता रहा और घर आकर आज तक उसे भुला नहीं पाया हूँ।

पिछले महीने में ही उसकी शादी हुई है, हमारा कोई सम्पर्क नहीं है। यहाँ इस दिवाली के बाद अहमदाबाद में एक रिश्तेदार की शादी है दुआ है कि वो ज़रूर आये !

बस यह थी मेरी सच्ची कहानी प्यार और सेक्स की।

मुझे मेल करें !

आपका प्रेम

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