सोनिया की मम्मी-1

(Soniya Ki Mammi- Part 1)

मैं राज एक बार फिर अपने दोस्तों के लिए एक दिलचस्प सच्चा किस्सा ले कर आया हूँ। हर बार की तरह इस बार भी मैंने इस किस्से को थोड़ा मसालेदार बनाने के लिए कुछ बाते इस में जोड़ दी है। पर इससे मूल कहानी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तो अब कहानी शुरू करता हूँ :

आप सब जानते है कि लण्ड बना ही चूत में घुसने के लिए है और चूत बनी ही लण्ड की पार्किग के लिए है। अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो चूत या वो लण्ड किसका है। लण्ड को जब चूत चाहिए तो वो यह नहीं देखता कि वो चूत किसकी है या चूत को जब लण्ड चाहिए तो वो यह नहीं देखती कि लण्ड किस का है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ।

मैं जब से शहर आया था चूत मुझे विरासत में मिली थी। पर आदमी कि यह फितरत है कि वो एक चीज से जल्दी ही ऊब जाता है। सो मैं भी उब गया था बुआ की चूत चोदते-चोदते।

बुआ हो तो ऐसी-1

बुआ हो तो ऐसी-2

वैसे भी अब बुआ गर्भवती हो गई थी, छठा महीना चल रहा था और डॉक्टर ने अब चुदाई से मना कर दिया था। मुझे भी चूत के दर्शन हुए दो हफ्ते से ज्यादा हो चुके थे।

बुआ बोली- मेरी चूत तो अब तुझे पाँच छह महीने से पहले नहीं मिलने वाली। तू एक काम कर- कोई सुन्दर सी लड़की देख ले अपने लिए। मेरी कोई सहायता अगर चाहिए तो मुझे बताना, मैं मदद कर दूंगी।

बुआ के ऐसा कहने से मेरी झिझक कम हुई और मैं बुआ से बोला- बुआ तुम्हारी ननद की बेटी है न सोनिया ! मुझे वो बहुत पसंद है। अगर तुम उसकी मुझे दिलवा दो तो सारी उम्र तुम्हारा अहसान मानूँगा।

बुआ हँस पड़ी और बोली- मुझे तो पहले से ही पता है कि तू सोनिया पर लट्टू है। कोई बात नहीं ! मैं सोनिया को बहाने से यहाँ बुला लेती हूँ फिर मौका देख कर तू भी चौका लगा देना।

बुआ ने अगले ही दिन सोनिया की मम्मी को फोन कर दिया कि अब मुझ से काम नहीं हो पाता है, तो अगर हो सके तो सोनिया को मेरे पास भेज दो, वैसे भी सोनिया आजकल खाली है।

मैं यहाँ बता दूँ कि सोनिया ने बारहवीं पास कर ली थी और घर की हालत ठीक न होने के कारण उसकी पढ़ाई बंद करवा दी थी। अब वो घर पर रह कर ही पढ़ाई कर रही थी। उम्र में मुझ से लगभग एक साल बड़ी थी।

सोनिया…… हाय क्या बयान करूँ सोनिया के बारे में। एकदम हूर ! खूबसूरत गोरा चेहरा, छाती पर दो बड़े बड़े संतरे जैसी दूधिया रंग की चूचियाँ, एकदम मस्त पीछे को निकली हुई गांड, पतली कमर…… हाय जो देखे बस देखता ही रह जाये। मैंने सोनिया को बस एक दो बार ही देखा था पर जबसे देखा था मैं तो दीवाना हो गया था सोनिया का।

जब बुआ ने फोन किया तो सोनिया की मम्मी ने हाँ कर दी और बोली- कोई छोड़ कर जाने वाला तो नहीं है, तुम एक काम करो, सोनिया के मामा को भेज दो ले जाने के लिए।

बुआ ने कहा- ये तो नहीं आ पायेंगे, मैं अपने भतीजे राज को भेज देती हूँ, वो कल आकर ले जायेगा सोनिया को।

सोनिया की मम्मी ने हाँ कर दी। मेरे तो पाँव जमींन पर नहीं पड़ रहे थे। मैं खुशी से झूमता हुआ कल का इन्तजार करने लगा।

अगले दिन मैं सुबह सुबह तैयार हो गया सोनिया को लेने जाने के लिए। बुआ ने एक बार फिर फोन करके सोनिया को तैयार होने के लिए कह दिया। मैं भी चल पड़ा सोनिया को लेने के लिए। सोनिया के शहर का रास्ता करीब दो घंटे का था।

मैं करीब बारह बजे सोनिया के घर पहुँच गया। पर मेरी जान सोनिया तो थी ही नहीं घर पर। उसकी मम्मी किरण ने दरवाजा खोला। मैं सोनिया की मम्मी से पहले कभी नहीं मिला था। जब उसे देखा तो देखता ही रह गया।

वाकई वो सोनिया की मम्मी थी ! क्या खूबसूरत औरत थी वो ! मैं तो बस देखता ही रह गया, मस्त पतली कमर जिस पर दो बड़े बड़े खरबूजे जैसी शानदार चूचियाँ, मोटी गांड। जब किरण यानि सोनिया की मम्मी ने दरवाजा खोला तो उसने दुपट्टा नहीं ले रखा था। बड़े गले वाले कमीज में उसके खरबूजे जैसी चूचियाँ जैसे बाहर निकलने को तड़प रही थी। चूचियों के बीच की घाटी देखकर ऐसा लगता था कि जैसे सारा संसार इस घाटी में समा सकता है। मैं पागलों की तरह किरण की तरफ देखता रहा।

वो बोली- अरे भाई, किस से मिलना है?

जब मैं कुछ देर कुछ नहीं बोला तो उसने मेरा कंधा पकड़ कर हिलाया तो मैं जैसे सपने से जगा, वो बोली- अरे कहाँ गुम हो? मैंने पूछा कि किस से मिलना है?

मैं बोला- मैं सोनिया को लेने के लिया आया हूँ ! मुझे बबिता बुआ ने भेजा है !

तो वो बोली- क्या तुम राज हो?

मैंने हाँ में सर हिलाया। वो मुझे घर के अंदर ले कर गई। दिल तो उस समय ऐसा कर रहा था कि छोड़ सोनिया को बस अभी सोनिया की माँ किरण को पकड़ कर चोद दूँ। क्या मस्त माल थी यार यह औरत।

मुझे बैठा कर वो अंदर चली गई। कुछ देर बाद वो शरबत का गिलास लेकर फिर से मेरे सामने थी। उसने दुपट्टा अब भी नहीं लिया था। अधनंगी चूचियों का नजारा अब भी मेरे सामने था। जब वो झुक कर मुझे शरबत देने लगी तो मेरी तो साँसें ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई।

क्या मस्त चूचियाँ थी यार ………..। मैं तो बेहोश होते होते बचा था।

मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी। उसकी मुस्कराहट में एक अलग सी बात थी। ना जाने क्यूँ उसकी मुस्कराहट मुझे निमंत्रण सा देती लग रही थी, जैसे कह रही हो- दबोच लो मुझे और चोद डालो।

मैं डर भी रहा था पर सामने का नजारा ही कुछ और था। वो मेरे बिल्कुल सामने बैठ गई। मेरे माथे पर पसीना बह निकला था उस औरत का हुस्न देख कर। मैंने एक सांस में पूरा गिलास खाली कर दिया। वो मेरी तरफ ही देख रही थी। कातिल मुस्कान अब भी उसके होंठों पर थी। खैर उसने बातचीत शुरू की, बुआ-फूफा का हालचाल पूछा।

मैंने भी थोड़ा सामान्य होते हुए जवाब दे दिया। कुछ देर बातें करने के बाद मैंने पूछा- सोनिया कहाँ है?

तो वो बोली- उसकी एक सहेली की आज सगाई है तो सोनिया वहाँ गई है, शाम तक आ जायेगी।

मैंने कहा- पर मुझे तो वापिस जाना था।

वो बोली- फिकर मत करो, मैंने तुम्हारी बुआ को फोन करके कह दिया है कि तुम कल आओगे।

मैं कुछ नहीं बोला।

किरण आकर मेरे पास बैठ गई बोली- क्या हुआ? कुछ बेचैन से हो !

मैंने कुछ हकलाते हुए कहा- नहीं जी ! ऐसी तो कोई बात नहीं है।

पर वो पूरी खेली खाई औरत थी, बोली- मैं देख रही हूँ, जब से तुम आये हो मुझे ही घूरे जा रहे हो, क्या देख रहे हो?

मैं बुरी तरह से हकला गया जैसे मेरी चोरी पकड़ी गई हो- कुछ नहीं जी ! ऐसा कुछ नहीं है जी।

मैंने किरण के चेहरे पर देखा तो कातिल मुस्कान अब भी उसके होंठों पर थी। अचानक उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रखा, मेरी कंपकपी छूट गई। वो मेरे बिल्कुल नजदीक आ गई थी। उसकी बाईं चूची मेरे दायें कंधे से टकराने लगी थी। मेरे शरीर से जैसे पसीने का दरिया बह निकला था।

वो बोली- अरे ! तुम्हें तो बहुत पसीने आ रहे हैं। एक काम करो, अंदर आ जाओ, कूलर चला देती हूँ ! कुछ ठंडक मिलेगी।

और मेरा हाथ पकड़ कर अंदर ले जाने लगी। क्या कोमल हाथ थे उस जालिम औरत के। मेरे पूरे बदन को जला रही थी वो औरत। अंदर एक बिस्तर बिछा हुआ था। उसने मुझे बिस्तर पर बिठा दिया और खुद कूलर चलाने लगी। जब वो कूलर चला रही थी तो उसके चूतड़ (गांड) मेरी तरफ थे। कितनी बड़ी गांड थी उस जालिम की। वो कूलर में पानी देखने के लिए झुकी तो दिल किया इसी अवस्था में उसकी मस्त मटकती गांड मार लूँ। पर मैं ना जाने कैसे आपने आप पर कण्ट्रोल कर रहा था। चोदने में तो मैं पूरा उस्ताद हो चुका था बुआ को चोद चोद कर।

कूलर चला कर वो फिर मेरे पास बैठ गई और इधर उधर की बातें करने लगी। मैं धीरे धीरे सामान्य हो गया।

कुछ देर बातें करने के बाद वो बोली- राज एक बात पूछूँ ? तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है ?

मैंने ना में गर्दन हिला दी।

तो वो बोली- तुम झूठ बोल रहे हो ! तुम्हारे जैसे हैंडसम लड़के पर तो ना जाने कितनी लड़कियाँ मरती होंगी।

मैंने पूछा- क्यों ?

तो उसने जो जवाब दिया उसे सुन कर तो मैं अंदर तक हिल गया, वो बोली- जब तुम्हें देख कर मेरा हाल खराब हो रहा है तो लड़कियों का क्या होता होगा।

मैंने कहा- मैं कुछ समझा नहीं?

वो मेरे थोड़ा और नजदीक आई और बोली- रुको, मैं समझाती हूँ।

कहकर उसने एकदम से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।

मैं सकपका गया। मैं तो बेटी को पटाने के चक्कर में था पर यहाँ तो माँ बिना कुछ करे ही झोली में आ रही थी।

क्रमशः

आपका राज शर्मा [email protected]

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