सोनू से ननदोई तक-4

(Sonu Se Nanadoi Tak-4)

नन्दिनी 2008-04-06 Comments

This story is part of a series:

जैसे मैंने पिछले भाग में बताया कि :
एक दोपहर मैं काले के साथ नंगी गन्ने के खेत में चुद रही थी तभी वहां उसका दोस्त आ टपका, बोला- मुझे भी फ़ुद्दी दे, वरना भाण्डा फोड़ दूंगा।

काला बोला- साली, फ़ुद्दी ही देनी है ! दे दे ! तू कौन सी किसी एक से वफ़ा कर रही है !

काला मेरी फुद्दी ठोक रहा था। लग रहा था कि यह सब उसकी रजामंदी से हुआ था, उसने ही अपने दोस्त को बुलाया था।

उसका दोस्त मिन्टू अपना लौड़ा निकाल कर मेरे मुँह के पास लाया। मिन्टू का लौड़ा भी काफी मोटा था, उसने मेरे मुँह में डाल दिया।

काला बोला- चल आज घोड़ी बन !
और काले ने मेरी फुद्दी से गीला लौड़ा निकाला, थूक लगाया और मेरी गाण्ड में घुसा दिया।

मैं उससे बचना चाहती थी, उसके नीचे से निकलना चाहती थी, चीखना चाहती थी पर मुँह में लौड़ा था, शायद इसीलिए काले ने दोस्त को बुलाया था कि मुझे काबू करके मेरी गाण्ड मार सके !
दोनों ने मुझे दबा कर चोदा, बोले- आज तेरी सारी गर्मी निकालनी है, साली कहे तो दोनों तरफ से घुसा दें?
हट कमीना !

उस दिन जब घर गई तो माँ ने मेरी चाल-ढाल देखी और बोली- लगता है तेरी शादी करवानी होगी ! किसी-किसी के नीचे लेटती रहती है !
और बोली- कहाँ कहाँ ख़ाक छान कर आती है, किस-किस यार से मिलती है?
‘माँ बकवास बंद कर अपनी !’ मैंने जवाब दिया।
‘तेरे पैरों में जंजीरें डालने का बंदोबस्त कर रही हूँ !’

पहले अपना बंदोबस्त कर ले माँ ! कोई बचा-खुचा हो तो उसको भी पटा ले ! लड़की की शादी के बाद यह सब छोड़ देना !

कुछ दिनों बाद मेरे एक दूर के रिश्ते में लगते चाचा की बेटी की शादी थी, माँ ने वहीं किसी लड़के वालों को मुझे दिखाने की पूरी योजना बना ली थी।

लेकिन वो लड़का तो देखना सो देखना था, वहाँ मेरी आँखें सोहन से लड़ गईं ,सोहन मेरी चाची का रिश्तेदार था, एक नम्बर का हरामी था, था बहुत हैण्डसम वो ! लड़की टिकाने का पूरा पाठ उसे आता था।

सभी जब नाच-गा रहे थे, मेरी आँख सोहन पर थी, उसने मुझे आँख मारी तो मैंने अपने निचले होंठ दांतों से काट गीली जुबां अपने होंठों पर फेर उसको हवा दे दी। उसको सीधा संकेत मिल गया था कि मैं उससे चुदना चाहती हूँ।

वो भी नज़र बचा कर अपना लौड़ा पकड़ लेता, पैंट के ऊपर से ही सहला देता। मैंने भी नज़रें बचा कर छाती से चुन्नी गिरा दी, मेरी चड्डी गीली होने लगी, दिल चुदने को होने लगा।

मैं वहाँ से उठी और उसे इशारा करके पिछवाड़े चली गई।
वहाँ कोई नहीं था, एक सीढ़ी लगी हुई थी लकड़ी की !

सोहन मेरे पीछे आया और फिर मौका देख हम ऊपर चढ़ गए। उसने ऊपर चढ़ने के बाद सीढ़ी भी ऊपर खींच ली ताकि कोई आ ही न सके।

सीढ़ी रखते ही मैं उसकी बाँहों में कस गई। ऊपर माउंटी का छोटा कमरा था जिस पर पानी की टंकी बनी थी। वहाँ घुस कर हम गुथमगुत्था होने लगे। उसने मेरी कमीज़ उतारी, होंठ चूमे, बोला- बहुत सुंदर है साली तू ! कब से आग लगा रही थी !
तुम भी तो सहला कर दिखा रहे थे !

चल छोड़ ! उसने लौड़ा निकाल लिया।
हाय कितना मस्त लौड़ा है तेरा !
मैं झुकी, मुँह में लेकर कुछ चुप्पे मारे।

उसने जल्दी से मेरी सलवार का नाड़ा खोल लिया और वहाँ पड़ी एक पुरानी दरी बिछा मुझे लिटा कर मेरी टाँगें ऊपर उठवा ली और अपना लौड़ा घुसा दिया।
क्या मस्त चुदाई करता था वो !

कुछ देर बाद उसने मुझे उल्टा करके घोड़ी बना लौड़ा डाला।
अह अह ! और चोद ! चोद चोद मुझे ! मैं झड़ने लगी- हूँम्म दे धक्का !
यह ले ! ले ले ! बोला- माल कहाँ डालू अंदर या पिएगी?
गांड में घुसा कर निकाल दे !

उसने थूक लगाया और घुसा दिया गांड में !
तू पक्की हरामन है !
हाय घुसा घुसा ! निकाल दे अपना पानी !
सोहन पानी निकालते हुए लुढ़क गया।
चुदने के बाद पहले मैं उतरी, फिर वह उतरा।
मैं कपड़े ठीक करने के लिए वहीं रुक गई।

पिछवाड़े से अंदर जाते मुझे माँ ने देख लिया, अंदर मुझे अलग लेजाकर बोली- पिछवाड़े से कहाँ से आ रही है? यहाँ भी मुँह मारती फिरती है? क्या करूँ तेरा?
अगले दिन शादी में मुझे लड़के वालों को दिखाया।
लड़के ने मुझे देखा, पसंद आई।
आती कैसे ना !
मेरी झोली में पांच सौ एक रुपये डाल रोक दिया।

माँ को चैन की सांस आई, अब उन्हें लगा कि अब तो जल्दी इसकी शादी करवा दूंगी। बेफिक्र होकर वो शादी देखने लगी।

मैं पैलेस में सबसे अगली लाइन में बैठी स्टेज पर चल रहा कार्यक्रम देख रही थी, आगे डांस-फ्लोर लगी थी। उस लड़के के दोस्त शराब पीकर नाच-कूद रहे थे। उनमें से दो लड़के मुझे घूर-घूर कर देख रहे थे, मानो अभी मुझे पकड़ना चाहते हों।

उन्होंने एक नेपकिन पर अपने मोबाइल नंबर लिख मेरे पाँव में फेंक दिया। मौका देख मैंने उठा लिया।

आगे क्या हुआ वो अगले भाग में !
आपकी चुदक्कड़ नंदिनी
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top