ट्रेन में देवरानी-जेठानी की चुदाई

प्रेषक : मयंक

यह सत्य घटना है चूँकि मैं सेल्स प्रोफेशन से हूँ, कई बार जल्दी में बिना रिजरवेशन के भी यात्रा करनी पड़ती है।

इसी तरह मुझे ठंड के दिनों में कटनी जाना था, मैं सारनाथ एक्सप्रेस ट्रेन के जनरल कोच में बैठ गया।
मेरे बाजू में दो औरतें बैठी थी।

ट्रेन चलने के थोड़ी ही देर बाद मुझे नींद आने लगी। नींद में मेरी कोहनी बगल में बैठी औरत की छाती से टकराने लगी।

कुछ देर बाद उसने मुझे अपने से दूर कर दिया जिससे मेरी नींद खुल गई पर मुझे समझ आ गया कि उसे कुछ मजा आ रहा है। मैं फिर नींद का बहाना कर जानबूझ कर उसकी छाती को अपनी कोहनी से दबाने लगा।

उसे धीरे-धीरे मजा आने लगा था और मेरी हिम्मत भी बढ़ने लगी थी।

चूँकि ठंड के दिन थे अतः वो शाल ओढ़े हुई थी। मैंने धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर उसके छाती को दबाया वो भी नींद का बहाना करने लगी थी पर मुझे समझ आ रहा था कि वो भी मजे लेना चाह रही है।

मैं अपने हाथ से धीरे धीरे उसके स्तनों को उसकी शाल के अंदर दबाने लगा था। उसकी हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी थी।

उसने मुझे इशारा किया कि लाइट जल रही है, कोई देख सकता है।
मैंने उसकी शाल से हाथ बाहर निकाल लिया।

थोड़ी देर बाद मैं पेशाब जाने के बहाने उठा वापिस आकर मैं बोला- लाइट बंद कर दो, नींद नहीं आ रही है।

तो लाइट बंद हो गई। चूँकि ठंड के दिन थे इसलिए खिड़कियाँ भी बंद थी इससे उधर अँधेरा हो गया और मुझे आजादी मिल गई।

मैंने तुरंत उसकी शाल में हाथ डालकर उसके स्तनों को जोर जोर से दबाना चालू कर दिया जिससे उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी। फिर मैंने उसके ब्लॉउज के हुक खोल दिए और उसकी ब्रा खोल दी।

वाह क्या मस्त स्तन थे! बिल्कुल सुडौल! कोई भी औरत ऐसे स्तन पाकर किसी भी मर्द को अपने वश में कर सकती है!

मैं उसके स्तनों को जोर जोर से चूसने लगा, वो बेकाबू होती जा रही थी, उसने मेरा लंड पकड़ लिया था और जोर जोर से उसे मसलने लगी थी।

फ़िर मैं उसकी साड़ी उठा कर उसकी पैंटी पर हाथ रगड़ने लगा। उसकी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी।
मैंने उसे उठा कर उसकी पैंटी को उतार दिया उसने मेरी पैंट की ज़िप खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और आगे पीछे करने लगी।

मेरी भी हालत खराब होने लगी थी। मैं उसका एक दूध पी रहा था और दूसरा स्तन मसल रहा था। मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत को मसल रहा था। मेरे दोनों हाथ में माल था और मुँह उसका दूध पीने में व्यस्त था।

उसकी सिसकारियाँ सुनकर और उसके इतने हिलने डुलने से दूसरी औरत जो उसकी जेठानी थी, अँधेरे में देखने की कोशिश करने लगी कि क्या हो रहा है।
उसने महसूस किया कि उसकी देवरानी मुझसे चुदने की कोशिश कर रही है।

उसने अपनी देवरानी को पकड़ा और धीमे से उससे पूछने लगी।

उसने धीमे से बता दिया कि मैं क्या कर रहा हूँ।
तो वो बीच में आकर मुझे पूछने लगी और कहने लगी कि वो शोर मचा कर सबको बता देगी।

उसकी देवरानी की जान निकल गई, वो उसको बोलने लगी- जीजी! ये आपको भी चोद देंगे! इन्हें कुछ मत कहो! मुझे बहुत समय बाद इतना मजा आ रहा है, आपको मालूम है कि मेरे पति मेरी आग नहीं बुझा पाते हैं और इसका लंड भी बड़ा है।

तो वो मान गई।

मैंने कहा- मैं पहले इसको शांत कर लूँ, फिर तुम्हारी बारी आयेगी।
तो वो बोली- चोदोगे कैसे? यहाँ तो बहुत भीड़ है और जगह भी नहीं है?

मैंने कहा- मैं कर लूँगा … बस जैसा मैं कहूँ, वैसा करती जाओ!

तो वो तैयार हो गई।

अब चूँकि कोई दिक्कत नहीं थी अत: हमने थोड़ी स्थिति बदली, जेठानी कोने में आ गई और देवरानी उसकी गोद में लेट गई।
मैं खिड़की की तरफ आ गया और उसके ऊपर लेट कर उसके स्तन चूसने लगा।

धीरे धीरे मैं 69 अवस्था में आकर उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरा लंड चूसने लगी।
ऐसा लगता था कि उसको लंड चूसने में महारथ हासिल थी। उसके इतने जोर से चूसने से मैं एकदम से उसके मुँह में ही झड़ गया।
वो मेरा पूरा वीर्य पी गई।
लंड चुसवाने में मुझे इतना मजा कभी नहीं आया था!

वो एक बार पहले ही झड़ चुकी थी थोड़ी ही देर में वो दूसरी बार भी झड़ गई।
मेरा लंड बिल्कुल निढाल पड़ा हुआ था।
थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे।

कुछ देर बाद जब हम सामान्य हुए तो मैंने उसे बाथरूम चलने को कहा।
थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो मान गई।

मैंने उसे कहा- अपनी शाल लेकर चलना।

मुझे मालूम था कि बाथरूम पूरा सूखा है। मैंने बाथरूम बंद कर नीचे शाल बिछाई और उसको लेटा दिया और उसका ब्लाउज खोल दिया और उसके स्तनों को दबाने और चूसने लगा।
उसके मुँह से जोर-जोर से आवाज निकलने लगी- मुझे जोर से चोदो! मैं बरसों से प्यासी हूँ! मेरी प्यास मिटा दो!

थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड निकाला और उसकी चूत से लगा दिया।
उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड उसकी चूत में जड़ तक समा गया।

उसने जोर से सिसकारी भरी और मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया।
मैंने तेजी से धक्के मारना चालू कर दिया। हर धक्के पर उसकी सिसकारियाँ तेज होती जा रही थी।

करीब सौ-सवा सौ धक्कों के बाद एकदम से उसका बदन थरथराया और उसने मुझे तेजी से अपनी बांहों में समेट लिया।
वो झड़ चुकी थी, एकदम से मेरा भी वीर्य छूटा और उसकी चूत को सराबोर कर दिया।

हम दोनों पूर्णरूप से तृप्त हो चुके थे। उसने मुझे बाद में बताया उसकी शादी को दो साल हो चुके है पर उसके पति ने उसे कभी भी संतुष्ट नहीं किया है। आज पहली बार उसने सेक्स का पूरा आनंद लिया है। और वो मेरी बहुत आभारी है।

उसने मुझे अपना मोबाईल नंबर भी दिया और कहा कि जब भी मैं उसके शहर में आऊंगा, वो मुझसे मिलने जरूर आएगी।

यह मेरा ट्रेन में पहली बार सेक्स का अनुभव था जिसने मुझे बहुत आनंदित किया।

थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जेठानी के साथ भी सेक्स किया। उसकी जेठानी उससे भी बड़ी चुदक्कड़ निकली जिसने मेरे लंड को पूरा निचोड़ दिया। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं दो-तीन दिन तक किसी भी लड़की को नहीं चोद पाऊँगा।

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