गर्लफ्रेंड की बहन की चुदाई का मजा
(Married Girl Gaon Sex Kahani)
मैरिड गर्ल गाँव सेक्स कहानी में मेरी गर्ल को मैं अक्सर चोदता था. एक बार मैं चोदने को बेचैन था. मैं उसके घर चला गया. पर वह कहीं गयी हुई थी. लेकिन फिर भी मुझे चूत मिल गयी.
मेरा नाम रौनक है, और मैं दिल्ली में बीटेक की पढ़ाई करता हूँ।
मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ, और मेरी जिंदगी कॉलेज, दोस्तों, और मेरी गर्लफ्रेंड श्वेता के इर्द-गिर्द घूमती है।
गर्मी की छुट्टियों में मैं अपने गाँव लौट आया था, जहाँ का माहौल शहर की भागदौड़ से बिल्कुल अलग था।
गाँव में हवा में मिट्टी की खुशबू, खेतों की हरियाली, और आस-पास के लोगों की सादगी थी।
लेकिन घर पर काम की कोई कमी नहीं थी।
सुबह से शाम तक खेतों में मदद, घर के छोटे-मोटे काम, और माँ-पापा की डाँट-फटकार — ये सब मेरी दिनचर्या का हिस्सा था।
फिर भी, मैं हर शाम को थोड़ा समय निकालकर अपने दोस्तों के साथ खेलने निकल जाता था।
क्रिकेट, कबड्डी, या बस गलियों में गपशप—ये मेरी गर्मी की छुट्टियों का रंग था।
मैरिड गर्ल गाँव सेक्स कहानी ऐसे शुरू होती है.
एक दिन की बात है, मेरा मन कुछ ज्यादा ही बेचैन था।
श्वेता, मेरी गर्लफ्रेंड, उस दिन गाँव में नहीं थी।
वो अपनी मौसी के यहाँ गई थी और मुझे उसकी कमी खल रही थी।
श्वेता और मेरी रिलेशनशिप दो साल पुरानी थी और हमारा रिश्ता सिर्फ प्यार तक सीमित नहीं था।
हम दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण भी गहरा था।
उस दिन मेरा मन चुदाई करने को बेकरार था।
मैंने सोचा, क्यों न श्वेता के घर जाकर देखूँ, शायद वो वापस आ गई हो।
बिना ज्यादा सोचे, मैंने अपनी साइकिल उठाई और उसके घर की ओर निकल पड़ा।
श्वेता का घर मेरे घर से कुछ ही गलियों की दूरी पर था।
गाँव की तंग गलियाँ, मिट्टी के रास्ते, और आस-पास से आती भैंसों की आवाजें—सब कुछ वैसा ही था जैसा हमेशा होता था।
मैंने साइकिल एक तरफ खड़ी की और धीरे से श्वेता के घर का गेट खोला।
मैं हमेशा ऐसे ही चुपके से आता था ताकि पड़ोसियों को शक न हो।
गेट को हल्के से बंद करके मैं अंदर दाखिल हुआ।
लेकिन जल्दबाजी में मैंने श्वेता को कॉल करना भूल गया।
मुझे लगा, शायद वो अपने कमरे में होगी।
जैसे ही मैं घर के आँगन में पहुँचा, मैंने देखा कि श्वेता का कमरा खाली था।
लेकिन तभी मेरी नजर अनुष्का दीदी के कमरे की ओर गई।
अनुष्का, श्वेता की बड़ी बहन, जो शादीशुदा थीं और अपने ससुराल से कुछ दिनों के लिए मायके आई थीं।
उनका कमरा हल्का सा खुला था और अंदर से टीवी की धीमी आवाज आ रही थी।
मैंने जिज्ञासा में दरवाजे की झिरी से झाँका, और जो देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए।
अनुष्का दीदी अपने बिस्तर पर बैठी थीं, एक ब्लू फिल्म देख रही थीं।
उनकी आँखें स्क्रीन पर टिकी थीं और उनके हाथ धीरे-धीरे उनकी चूत को सहला रहे थे।
मेरी साँसें थम सी गईं।
अनुष्का दीदी देखने में बेहद सेक्सी थीं।
उनकी शादी को दो साल हो चुके थे लेकिन उनकी खूबसूरती में कोई कमी नहीं आई थी।
गोरा रंग, भरे हुए स्तन, पतली कमर, और वो कातिलाना आँखें — मैं तो हमेशा से उनका दीवाना था।
कई बार रात में उनके बारे में सोचकर मैं मुठ मार लिया करता था।
लेकिन आज उनकी चूत को सामने देखकर मेरे शरीर में जैसे आग लग गई।
गुलाबी चूत पर हल्के काले बाल और वो धीमे-धीमे सहलाने की हरकत — मैं पागल सा हो गया।
मेरा मन कर रहा था कि बस किसी तरह उन्हें चोदने के लिए मना लूँ।
बिना कुछ सोचे, मैंने अपना लंड निकाला और वहीं खड़े-खड़े सहलाने लगा।
मेरी आँखें अनुष्का दीदी पर टिकी थीं.
और मैं अपने आप में इतना खो गया कि मुझे होश ही नहीं रहा।
तभी अचानक एक तेज आवाज ने मुझे चौंका दिया।
“ये क्या कर रहे हो!” अनुष्का दीदी की आवाज थी।
मैंने पलटकर देखा, वो मेरे सामने खड़ी थीं, उनकी आँखों में गुस्सा और हैरानी थी।
मेरी तो गांड फट गई।
डर के मारे मेरी साँस अटक रही थी और मैं कुछ बोल ही नहीं पा रहा था।
मेरे हाथ में मेरा लंड अभी भी था, और मैं उसे छिपाने की कोशिश में नाकाम रहा।
मैंने हकलाते हुए कहा, “दीदी, मैं… मैं आपसे प्यार करता हूँ! मैं बस आपका होना चाहता हूँ!”
मेरी बात सुनते ही अनुष्का दीदी का चेहरा और लाल हो गया।
तभी एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ा।
“तमीज से बात कर, रौनक!” उन्होंने चिल्लाकर कहा।
लेकिन मैंने सोच लिया था कि ये मौका मैं नहीं छोड़ने वाला।
मैंने हिम्मत जुटाई और कहा, “दीदी, आप जितना मारना चाहें मार लें! लेकिन मैं सच कह रहा हूँ, मैं आपको बहुत चाहता हूँ!”
उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की, “रौनक, ये गलत है! मैं शादीशुदा हूँ, और तुम श्वेता के बॉयफ्रेंड हो! ये सब भूल जाओ!”
लेकिन मेरा दिमाग तो जैसे बंद हो चुका था।
मैंने उनकी बात अनसुनी की और धीरे से उनके करीब गया।
उनकी आँखों में गुस्सा नहीं था लेकिन कहीं न कहीं एक हल्की सी झिझक भी दिख रही थी।
मैंने मौका देखकर उन्हें जोर से किस कर लिया और धीरे से कहा, “दीदी, ये बात सिर्फ हमारे और आपके बीच रहेगी! किसी को कुछ नहीं पता चलेगा!”
उनके चेहरे पर एक पल के लिए हिचकिचाहट दिखी, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि माहौल बदल गया।
मैंने उन्हें अपनी बाहों में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।
उनके कपड़े उतारते वक्त मेरे हाथ काँप रहे थे।
उनकी काली ब्रा में वो किसी हुस्न की परी जैसी लग रही थीं।
मैंने उनके स्तनों को अपने हाथों से सहलाया और फिर उन्हें चूसने लगा।
उनका शरीर गर्म हो चुका था और उनकी साँसें तेज चल रही थीं।
मैंने धीरे-धीरे उनकी पैंटी उतारी।
उनकी चूत पर हल्के काले बाल थे जो उनकी गुलाबी चूत को और आकर्षक बना रहे थे।
मैंने बिना रुके उनकी चूत को चाटना शुरू किया।
मैं एकदम पागल कुत्ते की तरह चाट रहा था और अनुष्का दीदी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
उनकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
तभी उन्होंने मुझे खींचा और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
वो उसे इतने जोर से चूस रही थीं कि मुझे लगा मैं अभी झड़ जाऊँगा।
फिर उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया और मेरे ऊपर चढ़ गईं।
वो जोर-जोर से कूदने लगीं और मैं उनके स्तनों को मसलने लगा।
उनके मुँह से सिसकारियाँ और गालियाँ दोनों निकल रही थीं।
“चोद मुझे, रौनक! और जोर से!” वो चिल्ला रही थीं।
करीब बीस मिनट तक चोदने के बाद वो थककर मेरे सामने अपनी गांड करके लेट गईं।
मैंने उनकी गांड पर किस किया और फिर अपना लंड धीरे से अंदर डाला।
वो जोर से चिल्लाईं, “आह! धीरे, रौनक!”
लेकिन मैं रुका नहीं।
पाँच मिनट की ताबड़तोड़ मैरिड गर्ल गाँव सेक्स के बाद वो फिर से मेरे ऊपर आ गईं।
इस बार वो और जोर से गालियाँ दे रही थीं, “साले, रंडी बना दे मुझे!”
आखिरकार उन्होंने अपना सारा माल मेरे लंड पर निकाल दिया.
और मैंने भी अपना माल उनके मुँह में छोड़ दिया।
मैंने उनके निप्पलों को फिर से चूसा और वो मेरी बाहों में लेट गईं।
हम दोनों की साँसें अभी भी तेज थीं।
उस दिन के बाद हमारा रिश्ता बदल गया।
हम दोनों अब जब भी मौका मिलता, सेक्स चैट करते।
अनुष्का दीदी मुझे अपनी चूत की नंगी फोटो भेजतीं और मैं हर बार उनके दीवानेपन में डूब जाता।
उनकी चूत का मैं ऐसा दीवाना हो गया कि श्वेता के साथ भी मेरा मन पूरी तरह नहीं लगता था।
अनुष्का दीदी और मेरे बीच का ये रिश्ता अब हमारा राज बन चुका था, जो हम दोनों को एक अजीब सी खुशी देता था।
मैरिड गर्ल गाँव सेक्स कहानी कैसी लगी?
कमेंट्स में बताएं.
लेखक के आग्रह पर मेल आइडी नहीं दिया जा रहा है।
What did you think of this story
Comments