मेघा आंटी की चूत तो चुदी ही नहीं थी-4

(Megha Aunty Ki Choot To Chudi Hi Nahi Thi- Part 4 )

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मैंने उनकी चूत के दोनों होंठों को खोला और उसमें जीभ डाल दी और उन्हें जैसे झटका लगा वो पीछे एकदम पीछे को हो गई।
मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ?

तो उन्होंने बताया- शादी की शुरुआत में मेरे पति वहाँ यानि मेरी चूत को चूसते थे और ऊँगली करके शांत किया करते थे, पर वो सिर्फ एक साल ही चला। आज 4 साल के बाद तुमने जीभ लगाई तो झटका सा लगा।

मुझे उनकी बात से उन पर और प्यार आ गया, मैंने उनके गाल पर एक चुम्बन किया और मैं फिर से उनकी चूत पर आ गया।

मैंने फिर से उनकी चूत पर चुम्बन किया और उसकी प्यारी सी चूत के होंठों को हटाया और उसकी गुलाबी चूत पर जीभ लगा दी, पर अब वो मजे लेने लगी।

‘उउफ्फ्फ लव यार.. तुम तो बहुत मस्त हो.. चूसो यार.. आह्हह..’ वो मेरा हौसला बढ़ा रही थी और साथ-साथ सिसकारियाँ लेते हुए मजे ले रही थी।

‘लव आह्हह.. तुम बहुत ही अच्छे से कर रहे हो यार.. आआह्ह करो… चूसो उउफ्फ सक मी.. आआअह्ह…’
और मैं भी ‘उम्म्म्मा आम्म्म्मा’ करते हुए मजे ले रहा था।

मैंने देखा उनका प्यारा सा दाना काफी उठ चुका था, जैसे ही मैंने देखा उनको अपने दोनों होंठों में दबा लिया। उन्होंने जोर से बालों को पकड़ लिया और जोर से ‘आआअह्ह उउफ्फ’ करने लगी, उसको बहुत मजा आ रहा था, उसकी सिसकारियों से पता चल रहा था।

फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उनके दाने पर रखी और उसको हिलाने लगा, वो सिसकार कर बोली- उउफ्फ्फ.. लव क्यों मुझे आज तुम पागल करना चाहते हो… क्यों आह्हह ऊऊहह.. ऐसे ही करते रहो आह्ह्ह कर दो.. आज पागल ऊह्ह।

फिर मैंने उनके दाने को ऊँगली से छेड़ना और अपने होंठों से उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया।

वो पूरे मजे में थी, केवल दो या तीन मिनट में ही उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर दबा लिया और जोर-जोर से- आआह्ह्ह करो.. लव.. आह्ह चूसो… चूसो..’ करने लगी।

मुझे पता लग गया कि उसका काम होने वाला है, मैंने जोर से अपना हाथ और जीभ चलानी शुरू की, तभी उनकी चूत में से पानी का गुबार निकला, सब मेरे मुँह के ऊपर ही गिरा और कुछ मेरे मुँह के अन्दर था।

वो बहुत ही गाढ़ा था और उनका नमकीन स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा।

मैं उसकी चूत के आगे से नहीं हटा और पूरी तरह सारा पानी अपनी जीभ से साफ़ करके पी गया।

अब वो बिस्तर पर चित्त लेटी हुई थी, मैं उनकी चूत को अच्छे से साफ़ करके उनके पास लेट गया।

उन्होंने मेरी ओऱ देखा और मुझे प्यार से मुझे अपनी बाँहों में भर लिया। वो बहुत कुछ खुश और संतुष्ट लग रही थी।

मुझे पता था कि फिर से मेघा और गर्म करना पड़ेगा क्योंकि वो अभी-अभी झड़ी थी और मेरा लंड पूरा तैयार था।

मैंने मेघा को और चुम्बन करना शुरू किया। पहले जम कर उनके होंठ चूसे फिर उनके दूध दबाने शुरू कर दिए और उनके चुचूकों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।

अब मेघा भी थोड़ा-थोड़ा साथ देने लगी।
मेरे बालों में उनके हाथ आ गए और वो हाथ फेरने लगी, उसके थोड़ी देर बाद वो सिसकारियाँ ले रही थी।

मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत पर रखा और बीच की ऊँगली को उसकी चूत की दरार में रगड़ने लगा।

वो ‘आहें’ भरने लगी- आअह्ह लव..

तभी मैंने ऊँगली उनकी चूत में डालने की कोशिश की लेकिन उनकी चूत बहुत कसी हुई थी।
मैंने ऊँगली को उनके मुँह में डाला, उन्होंने ऊँगली चूस ली जिससे मेरी ऊँगली गीली हो गई और फिर मैंने एक ऊँगली उनकी चूत में घुसा दी।

वो ‘आह्ह ऊऊओह्ह्ह..’ करने लगी।

मैंने धीरे से ऊँगली अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। अब वो मजे ले रही थी।

तभी अचानक बोली- यार प्लीज मुझे और मत तड़पाओ, मुझे तुम्हारा लंड अपनी चूत में चाहिए… जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में डाल दो।

मैं उनको जरा भी तड़फाना नहीं चाहता था इसलिए एकदम उसको बिस्तर के किनारे किया और मैं नीचे खड़ा हो गया।
इससे उनकी चूत मेरे लंड के निशाने पर थी।

अब मेरा लंड तैयार था, पर उससे पहले मैंने मेघा को बोला- तुमको बहुत दर्द होगा.. उतना जितना अभी तक नहीं हुआ होगा, पर तुमको बर्दाश्त करना होगा।

तो वो बोली- इतने समय से बिना चुदाई के बर्दाश्त कर रही हूँ.. आज इसके लिए सारा दर्द सहन करुँगी.. तुम चिंता मत करो.. बस इसे जल्दी से घुसेड़ दो।

मैंने इधर-उधर देखा, मुझे उनकी ड्रेसिंग टेबल पर एक तेल की शीशी दिखी। मैंने उसे उठाया, उसमें से तेल को लेकर ढेर सारा तेल उनकी चूत पर और फिर अपने लंड पर लगा लिया।

अब मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।
उन्होंने बोला- यार डालो ना..

तभी मैंने थोड़ा जोर लगाया, लेकिन चिकनाई बहुत ज्यादा हो गई थी और उनकी चूत कसी होने के कारण लंड फिसल गया।
मैंने फिर से लंड लगाया, फिर से वही हुआ।

वो बोली- यार प्लीज जल्दी करो न.. मैं तड़प रही हूँ।
मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था, मैंने उनकी चूत के दोनों होंठों को खोला और एक हाथ से लंड उसके छेद पर रखा और अब मेरी बन्दूक बिल्कुल निशाने पर थी।

मैंने मेघा की आँखों में देखा और एक झटका लगा दिया। मेघा अपनी चीख रोक न पाई और ‘आआआआअ मर गई… आआआह बहुत दर्द हो रहा है।’

तभी मैं रुक गया, उनके होंठों को चूमने और चूसने लग गया।

वो जैसे ही थोड़ा शान्त हुई, मैंने एक और झटका लगा दिया।

इस बार वो चिल्लाएँ, उससे पहले मैंने उनके होंठ अपने होंठों में दबा लिए।

मुझे उनकी चूत से कुछ गर्म-गर्म निकलता हुआ लगा, मैं समझ गया वो आंटी आज असल में औरत बन गईं, उनकी सील टूट गई… पर उनकी आँखों में आँसू थे।

उनको अभी नहीं पता था इसलिए वो दर्द से रो रही थी।

मैंने 5 मिनट तक उनके दूध को चूसा और उनको बहुत प्यार किया।
अब उनकी दर्द भरी चीखें कामुक सिसकारियों में बदलने लगी।

मेघा- आअह्हह.. लव तुम्हारा लंड बहुत ही जालिम है.. मुझे रुला कर रख दिया।

मैं- मेघा.. आपकी चूत भी बहुत मस्त और कसी हुई है.. बस दो इंच और बचा हुआ है वो भी अन्दर कर दूँ.. फिर आपको जन्नत में ले चलता हूँ।

मेघा- आअह्ह.. अभी और बाक़ी है… डाल दो।
मैं- थोड़ा और दर्द होगा।
मेघा- अब इससे ज्यादा दर्द क्या होगा… तुम पूरा डालो… मुझे पूरा लंड अन्दर लेना है.. आह्ह डालो ना..

इतना कह कर उन्होंने आँखें बंद कर ली और दोनों हाथों से मुट्ठियाँ सख्ती से बंद कर लीं।
उन्हें देख कर लगने लगा कि वो अगले झटके के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

तभी मैंने उनकी कमर पकड़ी, थोड़ा सा लंड को बाहर निकाला और एक जोरदार झटके के साथ लंड को अन्दर घुसा दिया।

अब मेरा पूरा लंड उनकी तंग चूत में था।
मेघा ने जोर से आँखें बंद कर ली थीं और मुँह को जोर से भींच कर बंद किया हुआ था, जैसे कि चीख को मुँह में दबा रखा हो।

कुछ देर तक वो वैसे ही रही, दर्द उनके चेहरे पर साफ़ नजर आ रहा था लेकिन वो कुछ नहीं बोली।

मैंने धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया था। अब वो भी धीरे से सामान्य होने लगी और मुँह से हल्की दर्द और मिठास से भरी सिसकारियाँ निकालने लगी।

वो ‘ऊओह्ह्ह्ह आआह्ह्ह..’ किए जा रही थी।
मैंने देखा कि कैसे वो दर्द को सहन कर रही थी।

तभी मैंने उसके गाल पर एक चुम्बन लिया, तभी उन्होंने भी मेरे गाल पर चुम्बन कर दिया।

दो मिनट तक हमारे बीच यही चलता रहा, तभी मैंने मेघा की चूत का खुद लंड पर उचकना महसूस किया।

मुझे पता लग गया कि मेघा अब बिल्कुल तैयार हो चुकी है।

अब मैं नीचे सीधा खड़ा हो गया और वो बिस्तर के बिल्कुल किनारे पर थी और मेरा लंड अभी अन्दर ही था।
कोई बस अब देर नहीं थी मैंने लंड ठीक से अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।

तभी मेघा बोली- आह्ह्ह्ह लव.. मेरी पहली चुदाई है यह… 33 साल के होने के बाद ये सुख मिल रहा है.. प्लीज बहुत अच्छे से करो.. मुझे पूरा तृप्त कर दो आज.. मुझे शांति मिल जाए.. आह्हह!

उनकी इस बात पर मैं बोला- आंटी, आज आपको सच में बहुत मजा दूँगा.. पर शांत नहीं करूँगा बल्कि आपकी चूत को अपने लंड का भूखा बना दूँगा.. ऊह्ह लो आआह्ह्ह..

मेघा- आह्हह… तुम्हारे लंड की तो दीवानी हो चुकी हूँ.. पहला खड़ा हुआ लंड देखने को नसीब हुआ है।

मैं- आह्हह हाँ.. मेघा.. अब मेरा खड़ा लंड आपकी चूत को मस्त कर रहा है देखा आआह्ह्ह… कितनी मस्ती से अन्दर-बाहर हो रहा है।
मेघा- यार तुम मेरे लिए तो चुदाई के उस्ताद हो… बस चोदते रहो.. मुझे ये चुदाई पागल कर रही है.. आह्हह ऊओह्ह्ह्ह..

इसके बाद मेघा की सिसकारियाँ रुकी नहीं वो जोर-जोर से ‘आअह्हह आअह्हह लव…’ करती रही।

उनकी सिसकारियाँ मुझे और जोर से चोदने को न्यौता देती रहीं।

मेघा मुझे- आहहह मेरे जानू लव… तुमने मुझे आज चोद डाला… मुझे आज पता चला कि चुदाई का मजा क्या होता है… आआह्ह्ह चोदते रहो.. आज अपनी आंटी को.. आज तुम मेघा पर छाए हुए हो।

इसी तरह मेघा बोलती और सिसकारियाँ लेती रही।
पूरे 3 मिनट की चुदाई के बाद मेघा आंटी ने ‘आह्ह्ह्ह लव.. मैं गई…’ करते हुए झड़ गई।
उनकी चूत में से पानी निकलने लगा।

अब मैं भी थोड़ा थक गया था.. तो मैंने मेघा को बिस्तर के ऊपर किया और अब उनके ऊपर चढ़ कर चुदाई करने लगा।
उनकी आँखें बंद थीं वो चुदाई का मजा ले रही थी।

फिर मैंने इसी देसी तरीके से उसकी चुदाई शुरू कर दी, मेरा लंड अभी अन्दर ही था जिसके कारण मेघा फिर से तैयार हो गई।

अब उनकी चूत में चिकनाई भी आ गई थी तो अब मैं लंड को तेजी से अन्दर-बाहर करने लगा।
इसी कारण दोनों की सिसकारियाँ निकलने लगीं।

‘लव ऊह.. मुझे चोदो अच्छे से आह्ह्ह…’

मैं- आंटी.. आपने मुझे आज अपने पूरे जिस्म का दीवाना बना दिया.. आपकी चूत में मेरा लंड जाकर धन्य हो गया आहह…

करीब दस मिनट हम दोनों ऐसे ही सिसकारियाँ भरते रहे, फिर मुझे लगा कि मेरा भी झड़ने वाला है, तो मैंने आंटी से पूछा- आंटी, मेरा निकलने वाला है… कहाँ निकालूँ?

मेघा- मेरे अन्दर चूत में छोड़ो.. मैं महसूस करना चाहती हूँ।

तभी 10-12 झटकों के बाद मेरे लंड ने माल उगल दिया।

मैंने आंटी की ओर लंड दबाया और आंटी ने मेरी ओर चूत उठाई। अब आंटी भी मेरे साथ एक बार और झड़ गईं।

अब मैं हाँफता हुआ उनके नंगे बदन पर ढेर हो गया।
हम दस मिनट तक ऐसे ही रहे और तब तक मेरा लंड भी चूत से बाहर आ चुका था।

आंटी उठीं और मुझे गाल पर चुम्मी लेकर मुझे प्यार किया और बिस्तर से जैसे ही उठीं, तभी दर्द से ‘आअह्ह’ करके गिर गईं।

मैंने पूछा- बहुत दर्द हो रहा है क्या?

तो उन्होंने कहा- यह दर्द बहुत मीठा है।

मैंने मुस्कान दी और आंटी की पीठ पर चुम्बन किया, उनको सहारा दिया और गुसलखाने की तरफ चल दिए।

दोस्तो, तो यह थी मेरी और मेघा की कहानी।

मैं आपको यह बताऊँ कि उस दिन उसके बाद बहुत जल्दी और आगे क्या हुआ, उससे पहले आप बताओ कि मेरी और ऑटो वाली आंटी के बीच की चुदाई आपको कैसी लगी?
मुझे मेल जरूर करना।
[email protected]

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