मेरी कमसिन दोस्त- 1

(Meri Sex Life Kahani)

मेरी सेक्स लाइफ कहानी में पढ़ें कि सेक्स करना मुझे बहुत पसंद है। पर मेरी बीवी ठंडी है तो कभी मैं उसे चोदने की कोशिश करता तो लाश की तरह लेती रहती वो!

आप सबकी दोस्त कोमल मिश्रा आपके सामने फिर से हाज़िर हूँ।

मेरी पिछली कहानी
मेरी दूसरी बीवी संग सुहागरात
को आप लोगों ने इतना ज्यादा पसंद किया उसके लिए आप सभी का दिल से धन्यवाद।

अन्तर्वासना के द्वारा ही मेरे कई अच्छे दोस्त बन गए हैं।
मेरी कहानियों को पढ़ कर कुछ लोगों को लगता है कि ये सब बनावटी कहानियां हैं तो उन सभी को मेरा एक ही जवाब है कि जिंदगी में सेक्स सबके लिए अहम भूमिका रखता है।

सेक्स एक ऐसी चीज है कि किसी को किसी के साथ भी मिल सकता है। सेक्स कभी उम्र नहीं देखता, एक छोटी उम्र की लड़की भी अपने से कही बड़े मर्द के साथ बिस्तर पर जा सकती है।

और एक बड़ी उम्र की महिला भी छोटे लड़के से सेक्स का मजा ले लेती हैं।

ऐसी कई सच्ची घटना है जिसके बारे में कभी सोचा भी नहीं जा सकता मगर दुनिया में ऐसा होता है।

जिसे वो सुख मिला वो ही इसको समझ सकता है।
मेरी भी कहानियां ऐसी ही सत्य घटनाओं के ऊपर ही होती है क्योंकि बनावटी कहानियों को लिखना और पढ़ना दोनों में कोई मतलब नहीं।

अगर आपको मजा लेना है और दूसरों को मजा देना है उसके लिए एक सच्ची कहानी ही काफी है।
मेरा भी यही प्रयास रहता है कि कहानी पढ़ कर आपको वो मजा मिले जो मजा लोग तलाश करते हैं।

तो दोस्तो चलते हैं आज की कहानी में!

यह कहानी मेरे अन्तर्वासना में मिले दोस्त चन्द्र कुमार की है।
उन्होंने ही मुझे अपनी ये कहानी भेजी है।

कहानी के सभी शब्द उनके द्वारा ही लिखे गए हैं बस कहानी को कामुक बनाने के लिए कुछ शब्दों को मैंने इसमें डाल दिया है।
वैसे कहानी में कोई छेड़छाड़ नहीं की है।
तो पढ़ते हैं उनकी कहानी!

दोस्तो, मेरा नाम चंद्रकुमार है और मैं इंदौर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 45 वर्ष है शरीर से भी काफी लंबा चौड़ा आदमी हूँ।

इंदौर में मेरी एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स है जिसमें से किराये की आमदनी से मेरा जीवन मस्त ऐश से चलता है।
साथ ही साथ मैं एक वकील भी हूँ।

अन्तर्वासना का नियमित पाठक होने के साथ साथ सेक्स करना मुझे बहुत पसंद है।

साथियो, मैं सेक्स बहुत ज्यादा पसंद करता हूँ जैसा कि सभी लोग करते हैं.

मगर कुछ सालों तक मेरी किस्मत ऐसी थी कि चूत के दर्शन किये मुझे कई महीने हो जाते थे।

मैं एक शादीशुदा आदमी हूँ मगर मेरी पत्नी एक ठंडी बोतल है जो कभी गर्म नहीं होती थी.
अगर मेरा मन चुदाई का करता भी तो मना कर देती और अगर बहुत बार बोलने पर तैयार भी होती तो बिस्तर पर किसी लाश की तरह बस लेटी रहती।
उसे चोदना किसी पुतले को चोदने के बराबर था।

मेरी सेक्स लाइफ बिलकुल ही बोरिंग सी थी। मेरी कोई महिला मित्र भी नहीं थी कि उसके साथ कुछ कर सकूं।
और जिंदगी के इस उम्र में अब कोई ऐसी दोस्त बनना भी मुश्किल ही था।

मैं अपने दोस्तों से काफी जलता था क्योंकि मेरे सभी दोस्तों की पत्नी होने के बाद भी गर्लफ्रेंड थी।

मेरे पास पैसों की कमी नहीं थी मगर किश्मत ही ऐसी थी कि मेरे जीवन में चुदाई का सुख नहीं था।

रोज रात में अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ना और मुठ मार कर सो जाना … बस यही मेरी जिंदगी थी।

मगर दोस्तो, 2015 का साल मेरी जिंदगी का वो साल था जिसने मेरी उबाऊ भरी जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख दिया।

अब मैं अपनी जिंदगी का वो राज बताने जा रहा हूँ जिसको अभी तक मैंने किसी के सामने नहीं रखा था।
क्योंकि मैंने किसी से वादा किया था कि ये बात हमेशा राज रहेगी।

मगर अन्तर्वासना पर अपनी सेक्स लाइफ के राज को बताने से किसी तरह की परेशानी नहीं है। आप लोग भी मेरी जिंदगी के उस राज को जानिये और कोमल जी के जरिये ये जरूर बताइए कि मैंने कुछ गलत तो नहीं किया।

ये बात साल 2015 के जुलाई महीने की है, तब मैं 40 वर्ष का था।

मैं हमेशा की तरह महीने की एक तारीख को अपने कॉम्प्लेक्स की दुकानों से महीने का किराया वसूल करके अपने घर की तरफ वापस लौट रहा था।
मौसम बरसात का था और चारों तरफ घने बादल छाए हुए थे, कभी भी तेज बारिश शुरू हो सकती थी।

मैं अपनी कार को मध्यम गति से चलाते हुए चला जा रहा था।

उस वक्त मैं एक प्राइवेट कॉलेज के पास से गुजर रहा था, बाहर काफी भीड़ थी क्योंकि कॉलेज में दाखिला शुरू हो चुका था।

मैं कॉलेज से कुछ ही दूरी पर आया था कि मैंने देखा कि एक लड़की ने ऑटो को हाथ दिया जो कि मेरे बिलकुल आगे ही था मगर वो नहीं रुका।

पता नहीं क्यों … मगर मेरा मन कर गया कि इस बेचारी लड़की को लिफ्ट दे दिया जाए.
क्योंकि काफी तेज बारिश के आसार नजर आ रहे थे।

मैंने अपनी कार रोड से साइड में ली और उसके बगल में रोक दिया और पूछा- कहाँ जाओगी आप?
उसने कहा- नहीं अंकल, मैं ऑटो ले लूंगी.

मगर मैंने कहा- बारिश होने वाली है. अगर चलना है तो चल सकती हो।
उसने थोड़ा सोचा और बोली- मुझे वहाँ तक छोड़ दीजिए।

मैंने पीछे के दरवाजे के लॉक खोल दिया और वो दरवाजा खोल कर पीछे बैठ गई।

वो बहुत परेशान लग रही थी मैं अपने सामने लगे शीशे से उसको देख रहा था।
वो बार बार किसी को फोन लगा रही थी मगर शायद फोन उठ नहीं रहा था।

उसके कपड़ों से देखने पर पता चल रहा था कि वो किसी सामान्य या गरीब घर से थी। वह सलवार सूट पहने बार बार अपने दुपट्टे को सम्हाल रही थी।

मगर उसका चेहरा बहुत ही प्यारा था। बिना मेकअप के भी वो काफी सुंदर लग रही थी।
वो न तो पतली थी और न ही मोटी बिलकुल सही शरीर था उसका जिस उम्र की वो थी उस हिसाब से!

उसके पतले से होंठ बिना लिपस्टिक के भी बिलकुल गुलाबी रंग के थे।
गाल इतने गोरे थे कि छूने भर से खून आ जाये।

मगर वो काफी कम उम्र की थी 18 या 19 साल से ज्यादा की नहीं थी।
इसलिए उसके प्रति मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं आ रहे थे।
बस उसकी परेशानी की वजह जानना चाह रहा था।

मैंने उससे पूछा- कॉलेज आई थी क्या?
“जी!”
“दाखिला करवाने?”
“जी”
“हो गया?”

मगर इस बार उसने जवाब नहीं दिया।
मैं चुप रहा और उसका फोन लग गया.
वो फोन में अपनी किसी सहेली से बात करने लगी।

फोन में वो अपनी सहेली से पैसों के लिए निवेदन कर रही थी, मगर उसको पैसों की क्या आवश्यकता थी इसका खुलासा नहीं हो पाया था।
मैं बस उसकी बात सुनता जा रहा था।

अपनी सहेली से निवेदन करते करते उसकी आँखों में आँसू आ चुके थे।
फिर कुछ समय बाद उसने फ़ोन काट दिया और अपने रुमाल से अपने आँसू पौंछने लगी।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उससे क्या बोलूं. पता नहीं उसे कितने पैसों की जरूरत थी और क्यों!

मगर मैंने फिर भी पूछा- तुमको पैसों की आवश्यकता क्यों है? कोई परेशानी है क्या?
मगर उसने बस ‘नहीं’ शब्द ही कहा।

उसकी आँखों से आँसू लगातार बहे जा रहे थे।

अब मुझसे उसके आँसू देखे नहीं गए और मैंने कार सड़क के बगल में खड़ी कर दी.

अब मैं उसकी तरफ मुड़ा और प्यार से पूछा- बताओ क्या परेशानी है? जो भी बात हो तुम खुल कर बताओ; शायद तुम्हारी कोई मदद हो जाये।

उसने अपने आंसू पौंछते हुए जवाब दिया- अंकल, मैं यहाँ इंदौर में अपने चाचा के यहाँ रहती हूं. मेरे मम्मी पापा गांव में रहते हैं। उन्होंने मेरे दाखिले के लिए 12000 रुपये दिए थे। मैं आज सुबह जब आ रही थी तो पता नहीं कैसे पर सारे पैसे कही गिर गए या किसी ने चुरा लिये। मैं घर में ये नहीं बता सकती हूं क्योंकि अब मेरे मम्मी पापा पैसे नहीं दे पाएंगे और दाखिले की आखरी तारीख भी बस दो दिन बाद ही है। मेरी पढ़ाई तो गई। अब मुझे वापस गांव जाना पड़ेगा।

दोस्तो … उसकी बातों से मेरी अंतरात्मा हिल गई. मैंने तुरंत उससे कहा- तुम चिंता बिलकुल मत करो, तुम्हारी पढ़ाई नहीं रुकेगी।
और मैंने अपने जेब से 12 हजार रुपये निकाल कर उसे दिए।

मगर उसने लेने से मना कर दिया।

तब मैंने उसे समझाया- देखो ये पैसे मैं तुम्हे उधार के तौर पर दे रहा हूँ। तुम मेरा फोन नम्बर ले लो और धीरे धीरे करके मुझे लौटा देना।

उसके बाद भी हम दोनों के बीच काफी बात होती रही मैं उसे पैसे लेने के लिए मनाता रहा।

आखिरकार उसने पैसे ले लिये और मुझसे मेरा फोन नम्बर भी ले लिया।

उसने अपना नाम मोनिका बताया। उसकी उम्र अभी 19 साल थी।

उसके बाद मैंने कार चालू की और एक चाय की दुकान पर हम दोनों ने चाय पी।फिर मैंने उसको उसके घर तक छोड़ा उसका घर बाहर से ही काफी सामान्य लग रहा था।

इसके बाद मैं अपने घर आ गया।

कुछ दिन तक तो मैं उसके बारे में सोचता रहा।
कई बार उसके कॉलेज के सामने से गुजरते वक़्त कॉलेज की तरफ देखता मगर वो नहीं दिखती।

फिर करीब 20 दिन बाद एक रात मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था. घड़ी में 11 बज रहे थे और मैं फोन पर पुरानी फ़ोटो देख रहा था.
मेरी पत्नी सो चुकी थी।

तभी एक नए नंबर से मेरे व्हाटसअप पर एक संदेश आया।
मैंने उसका जवाब देते हुए संदेश भेजा ‘आप कौन?’

तो वहाँ से एक प्यारी सी फ़ोटो आई।
मैंने फ़ोटो देखा तो तुरंत ही पहचान गया।
वो मोनिका ही थी।

इस तरह हम दोनों ने एक दूसरे का हाल चाल जाना।
उसका दाखिला हो चुका था और उसने कॉलेज जाना भी शुरू कर दिया था।
उसने कई बार मुझे धन्यवाद कहा।

काफी देर तक हम दोनों ने चैटिंग की और एक दूसरे के घर के बारे में जानकारी ली।
उसके पिता एक किसान थे और वो काफी सामान्य परिवार से थी।

उसने अपनी बहुत सी फ़ोटो भी अपने माता पिता के साथ भेजी।

दोस्तो, वास्तव में मोनिका दिखने में काफी सुंदर थी और एक अच्छे दिल की लड़की थी।

उस दिन के बाद तो रोज रात में और दिन में जब भी समय मिलता हम दोनों फोन में चैट किया करते।

जब कभी भी मैं उसके कालेज समय में उधर से गुजरता तो उसको उसके घर तक छोड़ दिया करता।

मोनिका के रूप में मुझे एक बहुत ही अच्छी दोस्त मिल गई थी।

करीब 3 महीने बाद मोनिका ने मुझे मिलने के लिए बुलाया।

जब मैं उससे मिलने गया तो उसने 6 हजार रुपये मुझे देना चाहा मगर मैंने वो पैसे नहीं लिए।
बल्कि उसको एक अच्छे कोचिंग सेंटर में एडमिशन करवा दिया और वहाँ का पूरा खर्च मैं पूरा करने वाला था।

ऐसे ही हम दोनों की प्यारी सी दोस्ती आगे बढ़ती चली गई और उसने अपनी पढ़ाई का एक वर्ष पूरा कर लिया।

मार्च माह में उसकी परीक्षा हुई और अब जुलाई तक उसके कॉलेज की छुटियाँ हो गई।

वो पढ़ाई में काफी तेज थी और उस वर्ष प्रथम श्रेणी से पास हुई।
उसकी इस सफलता से मुझे काफी ज्यादा खुशी मिली।

बीते एक साल में वो काफी कुछ बदल गई थी मतलब अपने शरीर के हिसाब से।
अब वो 20 साल की हो चुकी थी और उसका शरीर पहले से कुछ भर गया था।

उसके सामने के दोनों उभार भी सामने की ओर बढ़ गए थे और उसका पिछवाड़ा भी पहले से काफी बड़ा और चौड़ा हो गया था।
अब वो और भी ज्यादा सुंदर दिखने लगी थी।

सबसे ज्यादा मुझे उसकी हँसी पसंद थी क्योंकि उसके हंसने से दोनों गालो पर गढ़े पड़ते थे।

वो मेरी इतनी अच्छी दोस्त बन गई थी कि हम दोनों आपस में एक दूसरे के घर की समस्याओं के बारे में खुल कर एक दूसरे से बात करते.
मगर कभी भी अपनी इस दोस्ती के बारे में किसी को नहीं बताया न उसने और न मैंने!

दोस्तो, मोनिका को मैं मोना कह कर पुकारता था और वो मुझे अंकल कहती थी।

मोनिका के मेरी जिंदगी में आने से मैं अपने पुराने दोस्तों से भी थोड़ा अलग हो गया था.
उनके द्वारा कई बार पूछने पर भी मैंने कभी मोनिका के बारे में किसी से जिक्र नहीं किया।

मोनिका दिखने में इतनी सुंदर जरूर थी मगर मेरे दिल में उसके लिए कभी कोई गलत ख्याल नहीं आये।
भले ही मैं इतना सेक्सी आदमी हूँ कि बिना मुठ मारे सोता ही नहीं था।

दोस्तो, कहानी कुछ ज्यादा ही लंबी हो चुकी है; मगर उम्मीद है कि आप लोगों को पसंद आ रही होगी।

मेरी मेरी सेक्स लाइफ कहानी के अगले भाग में आप मेरी और मोनिका की वो सब बातें पढ़ेगे और जानेंगे कि कैसे हमारी दोस्ती अचानक से बदल गई और मोनिका और मेरे बीच एक ऐसे रिश्ते की शुरुआत हुई जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
मोनिका ने मेरे सेक्स लाइफ को बिलकुल बदल कर रख दिया।
[email protected]

मेरी सेक्स लाइफ कहानी जारी रहेगी.

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