60 साल के बुड्ढे ने फाड़ दी मेरी चूत और गांड
(Old Man Xxx Kahani)
ओल्ड मैन Xxx कहानी में शादी के बाद मुझे चुदाई की लत लग गयी. एक दिन एक 60 साल का आदमी चन्दा लेने आया. साला जाते जाते मेरी जवानी की तारीफ़ कर गया.
यह कहानी सुनें.
मेरी शादी को अभी दो ही साल हुए थे।
मैं अपने पति मोहन के साथ दिल्ली में रहने लगी थी।
मेरे पति एक बड़ी कंपनी में काम करते हैं और अच्छी खासी तनख्वाह पाते हैं।
वे दिन भर अपने काम में व्यस्त रहते हैं लेकिन रात में मुझे चोदते जरूर हैं।
उनके चोदने से मेरी चुदने की इच्छा दिन-ब-दिन बढ़ने लगी थी।
वो एक बार चोदते तो मन करता कि दो बार चोदें।
दो बार चोदते तो मन करता कि तीन बार चोदें।
तीन बार चोदते तो मन करता कि वो मुझे चोदते ही रहें!
पर ऐसा कैसे हो सकता है?
आखिरकार उन्हें भी हर दिन ऑफिस जाना होता है।
जब वो ऑफिस चला जाता तो मैं लण्ड की याद में तड़पने लगती थी।
मन करता था कि अभी कोई लण्ड मेरे सामने आ जाए और मुझे चोदे।
मैं हर बार चुदासी रह जाती थी।
सच्चाई यह है कि मैं ये सब बातें अपने पति से खुलकर कह भी नहीं सकती थी।
दिन भर काम भी करती थी और लण्ड की याद भी खूब करती थी।
यह ओल्ड मैन Xxx कहानी तब शुरू हुई जब एक दिन मेरी नज़र मोहल्ले के एक बुड्ढे आदमी पर पड़ी।
उसकी उम्र तो काफी थी मगर लगता वो बहुत स्मार्ट था।
बाल जरूर उसके सफ़ेद थे लेकिन बदन एकदम कसरती था।
मेरा मन हुआ कि मैं उससे बात करूँ, पर हिम्मत ही नहीं हो रही थी।
एक दिन रविवार को सुबह किसी ने डोर बेल बजा दी।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने वही आदमी खड़ा था।
उसने पहले मुझे जी भर के देखा, मेरी चूचियों पर निगाह रखी और बोला, “मैडम, मैं एडवर्ड हूँ। इसी मोहल्ले में रहता हूँ। हमारे मोहल्ले में एक वार्षिक फंक्शन होता है, उसी के लिए पांच सौ रुपये का चंदा लेने आया हूँ।”
मैंने कहा, “ठीक है अंकल, अंदर आइये।”
मैंने उसे बड़े सम्मान से बैठाया और एक कप चाय बनाकर दिया, साथ में पांच सौ रुपये का नोट भी।
वह बहुत खुश हुआ।
“बेटा, तुम बहुत अच्छी हो, खूबसूरत हो, जवान हो! ईश्वर तुम्हें हमेशा खुश रखे!” उसने कहा।
वह चाय पीकर चला तो गया पर उसने मुझे तीन बार मुड़कर देखा।
उसकी बातें मेरे कानों में गूंजने लगीं।
फिर मैंने किसी न किसी तरह से उसके घर का पता लगा लिया।
मेरे मन में आया कि मैं उससे खुलकर बातें करूँ … है तो वह साला बुड्ढा, क्या कर पाएगा?
यही सोचकर एक दिन मैं फौरन तैयार हो गई और सुबह-सुबह लगभग दस बजे उसकी डोर बेल बजा दी।
दरवाजा खोलते ही जब उसने मुझे देखा तो मुस्कराते हुए बोला, “अरे, तुम मिसेज सपना? आओ, अंदर आओ न, प्लीज!”
मैं अंदर गई तो उसने मुझे बड़े प्यार से बैठाया।
मैंने देखा कि टेबल पर एक दारू की बोतल रखी थी और बगल में दारू से भरा हुआ आधा गिलास।
मैं समझ गई कि अंकल दारू पी रहे थे।
मैंने सोचा कि रविवार का दिन है, तो मस्ती से पी रहे होंगे।
मैंने चारों तरफ झाँका, लेकिन मुझे कोई दिखाई नहीं पड़ा।
मैंने पूछा, “अंकल, आंटी कहीं दिख नहीं रही हैं।”
वह हँसकर बोला, “अरे मैडम, आंटी हो तो दिखें! यहाँ कोई आंटी-वांटी नहीं हैं। मैं अकेला हूँ और कुँवारा हूँ!”
यह सुनकर मैं अंदर से गनगना उठी।
मैंने पूछा तो उसने बताया कि उसने शादी नहीं की।
“मैं एक डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर था। मुझे बहुत लड़कियाँ मिलती थीं, तो मुझे बीवी की कोई जरूरत महसूस नहीं हुई, इसलिए शादी नहीं की,” उसने कहा।
ऐसा कहकर उसने मेरे सामने एक दारू का गिलास रख दिया और बोला, “सपना, मेरा साथ दो न, प्लीज!”
मैं मना नहीं कर सकी और चियर्स कहकर उसके साथ दारू पीने लगी।
थोड़ा नशा चढ़ा तो मैंने हिम्मत करके पूछा, “अंकल, लड़कियों ने तुम्हें कभी बीवी की जरूरत महसूस नहीं होने दी, इसका मतलब क्या है?”
वह कुटिल मुस्कान से बोला, “सपना, इसका मतलब यह है कि लड़कियाँ मेरे साथ मेरे बिस्तर पर सोती थीं!”
मैंने कहा, “अच्छा, तो फिर नंगी-नंगी सोती होंगी?”
वह बोला, “हाँ, और मैं भी नंगा-नंगा सोता था!”
मैंने कहा, “अच्छा, अब मैं समझ गई! पर इस उम्र में भी आप ये सब करते थे?”
वह बोला, “हाँ, करता था और आज भी करता हूँ!”
इतने में उसका फोन आ गया और वह बोला, “सपना, मुझे अभी कहीं जाना है। ये अर्जेंट कॉल है। क्या तुम शाम को आ सकती हो?”
मैंने कहा, “अंकल, शाम को मैं नहीं, आप मेरे घर आइयेगा डिनर पर!”
वह हाँ कहकर चला गया और मैं अपने घर वापस आ गई।
मैं शाम का इंतजाम करने लगी।
मैंने ठान लिया कि आज मैं इस भोसड़ी वाले अंकल का लण्ड जरूर पकड़ लूँगी, नंगा कर दूँगी मादरचोद को और लौड़ा मुँह में भर लूँगी!
आज मैं घर अकेली हूँ, पूरी रात उसके लण्ड का बाजा बजाऊँगी मैं!
मैं देखना चाहती हूँ कि बुड्ढे का लण्ड कैसा होता है? वह कुछ कर पाता है कि नहीं? एडवर्ड की तो मैं माँ चोद दूँगी आज!
अगर मुझे उसका लण्ड पसंद आ गया तो आज मैं उसे अपनी चूत भी दूँगी और गांड भी! आज बड़ा सुनहरा मौका मिला है मुझे।
मन में ऐसे ही ख्याल आ रहे थे।
फिर मैं जल्दी-जल्दी बाथरूम गई और अपनी झाँटें साफ की, चूत को एकदम चिकनी कर दिया।
शराब की बोतल घर में थी ही।
स्नैक्स भी कुछ बना लिया।
कमरे और बिस्तर को बिल्कुल सुहागरात की तरह सजा दिया।
मेरे दिमाग में बस उसका अनदेखा लण्ड ही घूम रहा था।
मैं यही सोच रही थी कि कितना बड़ा होगा, कितना मोटा होगा उसका लण्ड? कितनी देर तक चोदता होगा बुर और गांड?
यही सब सोचते-सोचते शाम हो गई।
करीब आठ बजे डोर बेल बज उठी।
मैंने दरवाजा खोला तो सामने अंकल खड़े थे।
मैंने उन्हें अंदर सोफे पर बैठाया।
मैं थोड़ा मेकअप में थी।
मैंने एक डीप नेक का गाउन पहना था, अंदर से एकदम नंगी थी।
वह मुझे देखकर बोला, “सपना, सच में बड़ी हॉट दिख रही हो!”
मैंने कहा, “तुम भी तो बड़े स्मार्ट दिख रहे हो, अंकल!”
मैंने उसे ड्रिंक्स ऑफर की तो वह बहुत खुश हो गया।
फिर क्या, हम दोनों शराब पीने लगे।
वह बराबर मुझे घूरे जा रहा था, मेरी चूचियाँ देखे जा रहा था।
मेरी क्लीवेज से उसकी नज़र हट ही नहीं रही थी।
मेरी भी नज़र उसकी टाँगों के बीच में थी।
मैं सोचने लगी, कब इस मादरचोद लण्ड के दर्शन होंगे?
मैंने पूछा, “अंकल, ये बताओ, तुम्हारे रिटायर होने के बाद तुम्हें लड़कियाँ मिलती हैं कि नहीं?”
वह हँसकर बोला, “अब तो लड़कियों के साथ-साथ लड़कियों की माँ भी मिलती हैं, सपना! लड़कियाँ खुद लाती हैं मेरे पास अपनी-अपनी माँ!”
यह सुनकर मेरे बदन में आग लग गई।
बात करते-करते दो-दो पैग शराब हो गई और नशा अपना काम करने लगा।
उसने मेरा हाथ पकड़कर चूमा तो मैंने भी उसकी जाँघ पर हाथ रख दिया।
हाथ आगे बढ़ाया तो उसने भी अपना हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया।
बूब्स दबाकर बोला, “सपना, बड़ी खूबसूरत हैं तेरे ये दूध!”
फिर उसने मेरे गाल चूमे, होठ चूमे, मेरी गर्दन चूमी तो मेरी मस्ती बढ़ने लगी।
वह मेरे गाउन के अंदर हाथ घुसाकर मेरे बूब्स दबाने लगा तो मैंने भी उसका लण्ड पैंट के ऊपर से ही दबा दिया।
मुझे महसूस हुआ कि लौड़ा दमदार है।
तब तक उसने मेरा गाउन उतार दिया और बोला, “सपना, तुम बहुत हॉट हो! मैंने जब तुम्हें पहली बार देखा था, तो मेरा दिल तुम पर आ गया था। मेरा लण्ड साला खड़ा हो गया था!”
मैंने कहा, “तो फिर इस साले मादरचोद लण्ड को अब तक छुपाकर क्यों रखा है? बाहर निकालो न इसे!”
ऐसा कहकर मैंने उसकी पैंट खोल दी।
पैंट के अंदर सीधा लौड़ा ही था और कुछ नहीं।
लौड़ा देखकर मेरी गांड फट गई।
मैंने लण्ड मुठ्ठी में लिया, उसे चूमा और आगे-पीछे करती हुई हिलाने लगी।
मेरे मुँह से निकला, “इस उम्र में इतना बड़ा, मोटा और सख्त लण्ड? क्या खिलाते हो इसे?”
वह मेरी चुम्मी लेते हुए बोला, “ये तो लड़कियों की चूत और उनकी माँ का भोसड़ा खाता है, सपना!”
मैं बड़ी हैरान थी कि इस उम्र में लौड़ा बहनचोद इतना सख्त कैसे हो सकता है?
मैंने तो सोचा था कि इसका लौड़ा एकदम लुंज-पुंज होगा, मगर लौड़ा तो लोहे की रॉड की तरह सख्त है।
और मजे की बात यह कि बुड्ढा भी बड़ा रंगीन है।
लगता है कि आज ये मेरी चूत फाड़ेगा जरूर।
फिर उसने मुझे गोद में उठा लिया।
मैं भी नंगी-नंगी उसकी गोदी में बैठकर चिपक गई।
उसका लौड़ा मेरे चूतड़ों पर और मेरी गांड में रगड़ खाने लगा।
तब तक मैं बुरी तरह गरम हो चुकी थी।
वह मुझे अंदर बेडरूम में ले गया, मुझे सोफे पर बैठा दिया और मेरे आगे नंगा खड़ा हो गया।
उसका लण्ड एकदम मेरे मुँह के सामने था।
बल्कि, लण्ड का टोपा मेरे होठों को छू रहा था।
फिर क्या था … मेरा मुँह अपने आप खुल गया और मैंने उसका लण्ड पूरा अपने मुँह के अंदर घुसा लिया।
मैं अपने दोनों होंठ बंद करके लौड़ा चूसने लगी।
मुझे मज़ा आने लगा।
जबान को मैंने टोपे पर घुमाने लगी, दूसरे हाथ से उसके पेल्हड़ सहलाने लगी।
मैं लण्ड चूसना बहुत पसंद करती हूँ।
कुछ देर में उसने मेरे बाल पकड़े और लौड़ा अंदर-बाहर बड़ी जल्दी-जल्दी करने लगा।
यानी वो मेरा मुँह चोदने लगा।
मैं तो मुँह चुदवाने में एक्सपर्ट हूँ।
मैंने मन में कहा, “चोदो मेरा मुँह जितना तुम चोद सकते हो!”
उसने खूब चोदा मुँह और फिर बिस्तर पर लिटा दिया।
मेरी टाँगें फैलाकर मेरी चूत पर बिना हाथ लगाए लण्ड सेट कर दिया।
फिर धीरे-धीरे लण्ड पेलने लगा।
पेलते-पेलते पूरा लण्ड पेल दिया।
लण्ड बड़ी दूर तक अंदर घुस गया।
मैंने पूरा लण्ड पेलवा लिया और कहा, “भोसड़ी के एडवर्ड, तू भी पूरा घुस जा मेरी चूत में! मैं तुझे भी लण्ड की तरह भून डालूँगी!”
फिर उसने बड़ी जल्दी-जल्दी चोदना शुरू किया।
मुझे उसका इस तरह चोदना अच्छा लगने लगा।
मैं भी गांड उठा-उठाकर चुदवाने लगी।
कुछ देर में वह बोला, “यार सपना, मुझे तुझे चोदने में ज्यादा मज़ा आ रहा है! लड़कियाँ साली मुझसे खुलकर नहीं, डर-डरकर चुदवाती हैं, तो पूरा मज़ा नहीं आता। तुम बिल्कुल मस्ती से निडर होकर चुदवा रही हो!”
मैंने पूछा, “तूने कभी लड़कियों की माँ चोदी है?”
वह बोला, “हाँ, जब कोई लड़की अपनी माँ अपने सामने चुदवाती है, तो फिर मुझे उसकी माँ चोदने में ज्यादा मज़ा आता है!”
ऐसा बोलकर उसने जोर-जोर से झटके मारना शुरू कर दिया।
मैं भी उसे जवाब देने लगी।
मेरे मुँह से निकलने लगा, “आआ आऊ ऊऊओ हहहह साला तू बड़ा मादरचोद है! मेरी चूत फटी जा रही है! आआआ हह हहए ऊऊऊओ तेरी बिटिया की बुर, साले कमीने, तेरा लौड़ा बड़ा बेरहम है! कुत्ते भोसड़ी के, अपनी बीवी की तरह चोद रहा है तू! ऊऊ ऊओ हहहह हह और चोदो न, चीर डालो मेरी चूत!”
वो साला जितना हचक-हचक के चोद रहा था, मुझे उतना ही मज़ा आ रहा था।
फिर मेरी चूत साली ढीली हो गई।
सारी गर्मी निकल गई चूत की।
तब मैंने भी लण्ड का सड़का मारा और उसका झड़ता हुआ वीर्य चाट गई।
हम दोनों बाथरूम गए।
वहाँ से आकर नंगे-नंगे बिस्तर पर लेट गए।
बस पाँच मिनट में ही उसका लौड़ा फिर से टनटनाने लगा।
मैंने उसे पकड़ा तो बहनचोद आसमान ताकने लगा।
मैं समझ गई, ये भोसड़ी का फिर पेलेगा तो मैं भी मन से तैयार हो गई।
इस बार उसने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरी कमर दोनों हाथ से पकड़कर लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।
पीछे से चुदाई मुझे भी अच्छी लगती है, तो मैं मजे से चुदवाने लगी।
फिर उसने मेरी गांड में दो-तीन उंगली घुसा दीं।
मैं जान गई कि ये साला मेरी गांड भी लेगा।
मेरा ऐसा सोचना था कि उसने लण्ड चूत से निकालकर गांड में ठोक दिया।
लण्ड गांड में घुसते ही मेरी चीख निकल पड़ी।
मैं बोली, “साले हरामी, बिना बताए गांड में घुसा दिया लण्ड? मादरचोद एडवर्ड, तेरी बहन का भोसड़ा?”
उसने कुछ नहीं कहा, मगर गांड मारने की स्पीड बढ़ा दी।
वैसे गांड मैं पहले भी मरवा चुकी थी मगर इस बार मुझे कुछ ज्यादा ही मज़ा आने लगा था।
वो साला मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मार-मारकर मेरी गांड चोदने लगा, बोला, “सपना, तेरी गांड साली बड़ी टाइट है! ऐसी गांड मुझे पहली बार मारने को मिल रही है! मेरा मन है कि मैं तेरी गांड रोज मारा करूँ!”
वो साला मुझे इस तरह आधे घंटे तक बिना रुके चोदता रहा।
लण्ड कभी चूत में पेलता, तो कभी चूत से निकालकर गांड में घुसाड़ देता।
फिर गांड से निकालकर चूत में घुसा देता।
उसकी चोदने की स्टाइल मुझे मदहोश कर रही थी।
उसने मुझे रात भर चोदा।
फिर हम दोनों लगभग चार बजे नंगे-नंगे सो गए।
सुबह जब मेरी नींद खुली तो देखा कि उसका लण्ड साला मस्ती से सो रहा है, मगर लण्ड का टोपा थोड़ा दिख रहा था।
मैंने उसी पर जबान छुआ दी।
फिर आहिस्ते से लण्ड को जबान से उठाया और मुँह में भर लिया।
मैं लण्ड चूसने लगी, तब तक उसकी नींद खुल गई।
उसने मुझे अपने बदन से चिपका लिया और बोला, “सपना, तू साली बड़ी मस्त चीज है! तू जितनी मस्ती से चुदवाती है, उतनी मस्ती से किसी ने भी मुझसे आज तक नहीं चुदवाया!”
फिर वह मेरी फुद्दी चाटने लगा।
हम दोनों ने बड़ी देर तक 69 बनकर मज़ा लिया।
उसके बाद वो फिर मेरे ऊपर चढ़ बैठा। इस बार तो उसने हद ही कर दी।
सुबह की चुदाई सबसे अच्छी होती है।
उसका लण्ड साला मेरी बच्चेदानी तक घुस गया।
उसने मुझे चोद-चोदकर मेरी हालत खराब कर दी।
उस दिन मुझे मालूम हुआ कि बुड्ढे लोगों के लण्ड कितने दमदार होते हैं।
कितने ताकतवर और कितने जबरदस्त होते हैं।
मैं तो उसके लण्ड की मुरीद हो गई।
आज भी मैं उसके लण्ड का भरपूर मज़ा लेती हूँ; हफ्ते में दो-तीन बार तो चुदवा लेती हूँ।
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