सहेली के बेटे ने मेरी चूत गांड फाड़ दी
(Porner Aunty Fuck Kahani)
पोर्नर आंटी फक कहानी में मेरे तलाक के बाद मैं चुदी नहीं थी 6 साल से. मेरी सहेली का बेटा मेरे घर रहने आया तो वह मेरे कामुक बदन को सेक्स की नजर से देखता था.
नमस्कार मित्रो! मेरा नाम लिजी है.
मेरी उम्र 41 वर्ष है और 2 वर्ष पहले मेरा तलाक हो गया था।
मेरा एक लड़का है, जिसे कोर्ट के आदेशानुसार 6 महीने मेरे साथ और 6 महीने उसके पापा के साथ रहना होता है।
मेरे ससुराल वाले मुझे ज़रा भी देखना नहीं चाहते।
मेरे पति भी आकर मेरे बेटे से बात करके उसे लेकर चले जाते हैं और 6 महीने बाद छोड़ने आते हैं।
कुछ दिनों में ही वह दिन आने वाला था जिसमें मेरा बेटा मुझसे 6 महीने के लिए अलग होने वाला था।
मैं इस बात से बहुत उदास थी।
मैं मेरी पोर्नर आंटी फक कहानी मैं आपको बताने जा रही हूँ।
मेरी एक सहेली है जो पड़ोस की सोसाइटी में रहती है।
वह मेरे घर आई।
उसका नाम अदीशा है।
वो कॉलेज से ही मेरी अच्छी सहेली है।
उसे मैं अपनी हर बात बता पाती हूँ और वह मुझे समझती भी है।
मुझे उदास देखकर उसने पूछा, “क्या हुआ? मुझे बता तो सही!”
मैंने उसे बताया, “क्या करूँ यार, 2 दिन में मेरा बेटा मुझसे अलग हो जाएगा, वो भी पूरे 6 महीने! इसलिए मन अभी से ही बेकार लग रहा है।”
उसने कहा, “यार, तू सचमुच बहुत परेशान है!”
मैं बोली, “हाँ यार!”
मेरी सहेली के 2 बच्चे हैं, एक लड़का और एक लड़की। दोनों बहुत होशियार हैं।
लड़के का नाम नितिन है, जो 18 वर्ष का है।
लड़की का नाम प्रिया है।
नितिन बैडमिंटन का स्टेट प्लेयर है और वो भी घर में कम ही रह पाता है।
मेरी सहेली बताती है कि उसका भी मन नहीं लगता बच्चों के बिना।
पर अभी उसका लड़का 2-4 महीने घर में ही रहेगा।
तो उसने कहा, “सुन, मैं कुछ दिन बीच-बीच में नितिन को तेरे घर भेज दूँगी। तेरा मन भी लग जाएगा और नितिन को भी थोड़ा बाहर का खाना मिल जाएगा। मैं घर पे कुछ बनाती नहीं और तू बनाती रहती है।”
मैंने सोचकर कहा, “हाँ, ठीक है। ऐसा कर दे। परसों शाम को भेज देना।”
दोस्तो, 2 दिन हवा जैसे निकल गए और मेरा बच्चा मुझसे अलग हो गया।
मेरा मन बहुत भारी हो गया था।
शाम होते-होते नितिन आया और उसने मुझसे थोड़ी देर बात की, जिससे मुझे थोड़ा ठीक लगने लगा।
वो बहुत मज़ाकिया और मिलनसार स्वभाव का है।
हमने बहुत बात की और वो मुझसे अच्छे से बात करता है।
रात तक हमने बात की।
मैंने खाना बनाया और वह बोला, “लिजी आंटी, क्या मैं रात को यहीं रुक सकता हूँ? मैंने इतना खा लिया है कि अब मुझसे कहीं नहीं जाया जाएगा! आंटी, आपका खाना लाजवाब है और आप भी!”
मैं बोली, “हाँ, हाँ, रुक जाओ!”
मैंने उससे रात में भी काफी बातें की।
रात को मैंने कपड़े बदले और उसे नीचे का कमरा देकर खुद ऊपर कमरे में सोने चली गई।
लेकिन थोड़ी ही देर में वह मेरे कमरे में आया और बोला, “आंटी, नींद नहीं आ रही! कुछ गेम खेल लें?”
हमने सोचा चेस खेल लेते हैं।
उसने बोर्ड लगाया और हम खेलने लगे।
खेलते-खेलते, हँसते-हँसते वो मुझे बड़े गौर से देखता, मुझे छूता और पास आने की कोशिश करता।
लेकिन वो छोटा था, तो मैंने इसे हल्के में लिया।
गेम खत्म होने पर मुझे नींद आने लगी।
मैंने उसे भी सोने को बोल दिया।
वो बोला, “नहीं आंटी, एक गेम और प्लीज़!”
मैं बोली, “नहीं, देर तक नहीं जागते! चलो, जाओ, सो जाओ!”
वो मुँह फुलाकर उठकर चला गया।
वैसे तो ज़्यादा देर नहीं हुई थी, पर वह सोने चला गया।
मैंने भी लाइट ऑफ की और सोने लगी।
मुझे बुरा लगा कि पहले दिन मैंने उसे डाँट दिया।
थोड़ी देर में मुझे मेरी सहेली का फोन आया।
उसने पूछा, “नितिन ठीक से है? परेशान तो नहीं कर रहा?”
मैंने कहा, “नहीं, नहीं!”
तो वह बोली, “रात को वह दूध पीकर सोता है। अगर मुमकिन हो, तो एक गिलास दूध पिला दे!”
मैंने कहा, “हाँ, क्यों नहीं!”
तब मैंने रसोई में जाकर दूध गर्म किया और नितिन के कमरे को नॉक किया।
उसने कहा, “हाँ, आ जाइए!”
मैंने उसे बोला, “नितिन, दूध पी लो!”
वो मुझे बड़े गौर से देखने लगा।
उसने दूध का गिलास लिया और मैंने बोला, “सॉरी नितिन, मैं जल्दी सो जाती हूँ, इसलिए!”
वो बोला, “कोई बात नहीं! आपकी बात का बुरा नहीं लगता!”
उसने मुझे बोला, “आंटी, आप सो जाइए!”
मैंने उठकर उसे गुड नाइट बोला और सोने चली गई।
सुबह उठकर मैंने हाथ-मुँह धोकर चाय बनाई और नॉक करना भूलकर सीधे कमरे में आ गई।
मैंने जो देखा, उसके आगे मुझे यकीन नहीं हो रहा था!
नितिन मेरे अंडरगार्मेंट्स के साथ मास्टरबेट कर रहा था!
उसने मेरी एक पैंटी को अपनी नाक से सूँघने के लिए और एक पैंटी अपने लंड पर लगाकर हिलाने के लिए रखी थी।
आँखें बंद कर मेरा नाम लेकर तबियत से हिलाना शुरू कर रखा था।
मेरे आते ही वह हड़बड़ाहट में उठ गया।
उसने अंडरगार्मेंट्स बेड के नीचे फेंक दी और तकिए से अपने लंड को ढक लिया।
मैंने चिल्लाकर कहा, “ये क्या बेशर्मी कर रहे हो तुम!”
वो डर गया और कुछ बोल भी नहीं पाया।
मैंने कहा, “तुम्हें शर्म नहीं आती? तुम इतने छोटे होकर मेरे बारे में इतना गंदा सोचते हो!”
उसने अपना तकिया हटा दिया।
अब उसका बिल्कुल जवान, फनफनाता साँप मेरे सामने था।
उसका लंड काफी अच्छा था।
उसकी उम्र के हिसाब से उसका लंड काफी मोटा और अच्छा था।
वह मेरे पास आया और बोलने लगा, “आंटी, आप बहुत ज़्यादा हॉट हो! जबसे मुठ मारना सीखा हूँ, तबसे सिर्फ आपके नाम की ही मुठ मारी है! आप मुझे बहुत पसंद हो! आंटी, आपको चोदने की ख्वाहिश लंड उठा उस दिन से है!”
मैं उस बच्चे की बातें सुनकर हैरान थी।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलने लगा, “आंटी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ! आप मेरी जान हो! आपसे ज़्यादा खूबसूरत इस पूरी कायनात में कोई नहीं है!”
मैंने उसे दूर किया और बोला, “ये क्या बक रहे हो तुम? तुम्हें ज़रा भी शर्म नहीं आती? तुम्हारी मम्मी मेरी दोस्त है और तुम मेरे बारे में ये सब सोच रखते हो!”
उसने फिर से मेरा हाथ पकड़ा और बोला, “आंटी, आप औरत हैं और मैं पुरुष! आपकी सारी ज़रूरतें मैं पूरी कर सकता हूँ! आपकी चूत भी तो लंड चाहती होगी! सुनिए, आप अभी भी बहुत जवान हो, बहुत सुंदर हो!”
मैं समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या जवाब दूँ।
लेकिन उसकी बातें मुझे अब उसकी तरफ आकर्षित करने लगी।
उसने मुझे पूछा, “आप बताइए, क्या लंड और चूत उम्र देखते हैं? लंड किसी भी उम्र का हो, वो हर चूत के लिए सही होता है!”
उसकी इतनी गर्म बातें सुनकर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैं इतना गर्म कई सालों बाद महसूस कर रही थी।
वह मेरे पास आया और मुझसे चिपकने की कोशिश करने लगा।
मैंने जैसे-तैसे खुद को समझाया कि ये गलत है और उसे खुद से अलग किया।
मैं बोली, “नितिन, तुम प्लीज़ अपने घर निकल जाओ! मुझे तुम्हारी ये बकवास नहीं सुननी!”
उसने बड़ी आशा भरी निगाहों से मेरे सामने देखा।
उसने मेरे सामने कपड़े पहने और निकलने लगा।
मैंने मुँह फेर लिया।
वो भी आँखों में आँसू लिए निकल गया।
मैं अब फिर अकेली हो गई।
मैं बैठ गई।
मैंने देखा, उसने मेरी पैंटी पर अपने वीर्य को रात में भी निकाला था।
मैंने उसे सूँघा।
वो काफी भीगे अनाज सी खुशबू सा था।
उसने मेरी अंडरगार्मेंट्स मेरे बेडरूम से चुराई, कब? इसका मुझे पता ही नहीं लगा।
दिन भर मैं उसकी इस हरकत पर सोचती रही।
मैं उसके साथ सोने का सोचने लगी कि सही ही तो कह रहा है!
प्यार की उम्र थोड़ी होती है!
और मेरी भी तो चूत प्यासी है!
आखिर मुझे भी तो लंड चाहिए!
उसने मेरी चूत से बातों से ही पानी निकाल दिया है, तो जब वह मुझे चोदेगा, तब कैसा लगेगा?
मैं ये सोच-सोचकर उंगली करने लगी और एक बार फिर मेरी चूत से ढेर सारा पानी आ गया।
जैसे-तैसे मैंने दिन निकाला।
अब रात में मुझे उसके लंड को लेने की ज़रूरत और तेज़ महसूस होने लगी।
वो मुझे पसंद आ चुका था।
मैंने देर रात तक पोर्न देखी, जिसमें एक कम उम्र का लड़का बड़ी औरत से सेक्स करता है।
मुझे बहुत मुश्किल से नींद आई।
अगली सुबह मैंने नितिन को फोन किया और उसे घर आने को बोला।
वो बोला, “1 घंटे में आता हूँ, एक्सरसाइज़ पूरी करके!”
मैं फ्रेश होकर नहाने चली गई।
बाहर आई, तब तक वह आ गया।
मेरे बाल गीले थे।
मैंने जाकर दरवाज़ा खोला, तो वो मुझे देखता ही रह गया।
थोड़ी देर में वो बोला, “आंटी, आप तो कत्ल करके मानोगे!”
मैंने उसे अंदर लिया और बिठाकर चाय बनाने चली गई।
कुछ देर में वो मेरे पीछे आया और उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया।
उसका उफनता लंड मुझे कपड़ों के ऊपर से भी अपनी गांड पर महसूस हो रहा था।
उसने मुझे सीधा लिया और किस करने लगा।
मैं भी उसका भरपूर साथ देने लगी।
उसका लंड मेरी चूत से सटा हुआ था और मुझे अब कुछ भी महसूस होना बंद हो गया।
मैं अब चुदने को तैयार थी।
मैंने बोला, “अब थोड़ी देर रुक जाओ, पहले चाय पी लो!”
उसने बोला, “जब इतनी गर्म हसीन अदाओं का रस मुझे पीने मिलेगा, तो चाय कौन पीएगा!”
मैंने भी गैस बंद किया और उससे लिपट गई।
वो मुझे चूमता, चाटता रहा।
मैंने खुद को पूरी तरह उसे सौंप दिया था।
मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि मैं आज चुदने जा रही हूँ, वो भी सहेली के बेटे से!
पर क्या करूँ, ये जिस्म की आग होती ही कमबख्त ऐसी है!
उसने मुझे बेडरूम में चलने को बोला।
मैं भी उसके साथ बेडरूम में चल दी।
उसने मुझे बोला, “आप मेरा लौड़ा चूसो!”
मैंने अपने पति का बहुत चूसा था। इस काम में तो मैं एक्सपर्ट हूँ!
मैं नीचे बैठ गई और उसका बॉक्सर नीचे किया।
उसने बोला, “आंटी, आराम-आराम से मुँह में लेना! मुझे तेज़ अच्छा नहीं लगता!”
मैंने हँसकर बोला, “ठीक है! पर थोड़ी देर में तू खुद बोलेगा, तेज़-तेज़ चूसो!”
मैंने उसकी अंडरवियर नीचे की।
उसका लंड काला या साँवला नहीं था।
उसका लंड थोड़ा गोरा-गोरा था।
मैंने अपने बाल बाँधे और हल्के-हल्के होंठ लगाकर किस के साथ उसका लंड थोड़ा-थोड़ा मुँह में लेने लगी।
उसे अभी से मज़े आने लगे।
मैंने धीरे-धीरे पहले से ज़्यादा मुँह में लपकने लगी।
उसे बहुत मज़ा आने लगा और मुझे भी उसका लंड एकदम रोल की तरह बढ़िया लग रहा था।
मैं धीरे-धीरे उसका लंड गले तक ले रही थी।
फिर थोड़ा बाहर निकालकर जीभ घुमाकर वापस गले तक पहुँचा रही थी।
उसका लंड पूरा गले तक उतर जा रहा था।
उसने मुझे कहा, “आंटी, मस्त चूसते हो यार!” मैंने मुँह में हल्का दबा दिया लंड।
उसकी मदहोशी से आह निकल गई।
वो बोला, “आंटी, मज़ा आ रहा है! तेज़ से लो!”
मैं हँसी और स्पीड तेज़ की।
उसे पता था कि मैं भी मज़े ले रही हूँ।
तो उसने भी ऊपर-नीचे होकर लंड से मेरा मुँह चोदने की कोशिश की।
मैंने उसे रोका और उसके पेट पर हाथ मारकर बोला, “अरे, तू तो खिलाड़ी निकला! किसके साथ मिठू-मिठू कर चुका है?”
वो शरमा गया।
मैं बोली, “बता, बता!”
तो बताने लगा कि उसके बैडमिंटन अकादमी की इंचार्ज से शुरू हुआ था।
साल भर उसे चोदा।
फिर मैच के लिए जयपुर रहा।
वहाँ के एक दोस्त की मम्मी और चाची, दोनों को पेला है, महीने भर तक उनके घर रहा था।
मैं बोली, “वाह शेर! तू तो पक्का खिलाड़ी है यार!”
वो बोलने लगा, “पर आंटी, आपको चोदने की इच्छा लंड खड़ा होना शुरू हुआ तबसे है!”
मैं बोली, “हट! सब समझ आता है!”
वो बोला, “नहीं आंटी, सच में! आपकी कई पैंटी जो खो जाती हैं, असल में मैंने चुराई हैं!”
मैं बोली, “बदमाश! तूने मेरी कितनी सारी पैंटी ले रखी हैं? मैं तो परेशान हो गई थी कि कहाँ जाती हैं आखिर!”
फिर मैंने उसका टी-शर्ट निकाला और उसके नंगे जिस्म को देखा।
एकदम बढ़िया था।
उसके बाल पूरे नहीं थे, पर वह सही लग रहा था।
उसने मेरे भी एक-एक करके सारे कपड़े निकाल दिए।
फिर मैंने उसे धक्का दिया और बिस्तर पर गिरा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गई।
उसने मुझे बाहों में लिया और चूमने-चाटने लगा।
मैंने भी एक हाथ में उसका लंड लेकर सहलाना शुरू किया।
थोड़ी देर में उसने मुझे नीचे धकेला और लंड को सीधा करके मेरे मुँह में घुसाया।
उसने 5-7 बार अंदर-बाहर किया और कहा, “आंटी, बाहर निकलो! मैं झड़ने वाला हूँ!”
मैंने कस के उसका लंड मुँह में दबा दिया और उसने तेज़ धार से पूरा गाढ़ा माल मेरे मुँह में पिचकारी की तरह खाली किया।
कुछ वीर्य मेरे मुँह से बाहर आने लगा, तो मैंने तेज़ी से सारा खींच लिया और उसके लंड को चाट-चाटकर साफ किया।
वो पूरी तरह आनन्द में खो गया।
उसने कहा, “वाओ पोर्नर आंटी! मज़ा आ गया! आप तो वीर्य भी पी जाती हैं!”
मैं बोली, “क्यों? अब तक तुम्हारा किसी ने पिया नहीं था क्या?”
वह बोला, “कहाँ! सबको तो मुँह में लेने में भी अजीब लगता था!”
मैं हँस दी।
तो उसने मुझे ऊपर लिया और लिपटकर लेट गया।
उसकी धड़कन तेज़ थी।
मैं दुविधा में सोचने लगी कि क्या मैं इससे चुदकर सही कर रही हूँ।
थोड़ी देर में उसने मुझसे पूछा, “आंटी!”
मैंने उससे कहा, “आंटी नहीं, लिजी या डार्लिंग ही बोलो!”
तो वह बोला, “लिजी, आप और किसी से चुदे हो क्या तलाक के बाद?”
मैंने कहा, “नहीं!”
तो बोला, “तब तो लिजी, आपकी चूत टाइट हो गई होगी!”
मैं बोली, “खुद देख ले!”
उसने उसके लंड को मेरी चूत के पास लिया।
पर अभी तक उसके लंड में कोई हरकत नहीं थी।
मैं बोली, “थोड़ा रुक जा! थोड़ी देर बाद खड़ा होगा!”
वह मेरे जिस्म पर हाथ घुमा रहा था और बोला, “आंटी, आपकी गांड एक नंबर है! मैंने आपकी गांड की मुठ बहुत मारी है!”
मैंने कहा, “ऐसा क्यों? चूत की क्यों नहीं?”
उसने कहा, “पोर्नर आंटी, आपकी गांड एकदम गोल-मटोल, टाइट दिखती है! आप जब चलती हो, आपकी गांड उछलती कम, मचलती ज़्यादा है! पूरा मूड बना दे वो शेप है आपकी गांड का!”
मैं बोली, “क्या-क्या सोचता है तू मेरे बारे में!”
वो बोला, “ये तो कुछ भी नहीं! आपके फोटोज़ से मुठ मारे बिना नींद ही नहीं आती! कई बार तो!”
मैं बोली, “पागल है तू!”
वो भी चौड़ा होकर बोला, “आंटी, आज आप बहुत चुदोगी!”
मैं बोली, “चलो, तुम्हारा जितना मन हो, उतना चोद लेना!”
थोड़ी देर में उसका लंड बढ़ने लगा और उसने मुझे उठाकर सीधा किया और मेरे ऊपर आ गया।
मैं भी उसे देखने लगी।
उसने कहा, “आंटी, आपकी चूत में बहुत पानी है!”
मैं बोली, “तुझे मज़े आएँगे!”
उसने उसका लंड मेरी चूत पर सेट किया और धीरे-धीरे से घुसने लगा।
उसका लंड का सिर्फ़ टोपा गया और आगे रुक गया।
मुझे हल्का दर्द महसूस हुआ।
उसने थोड़ा ज़ोर लगाया पर नहीं गया।
उसने पूरा बाहर निकाला।
मैंने कहा, “रुको!” और मेरे एक तकिया लेकर मेरी कमर के नीचे डाला।
और उसके कमर से पकड़कर उसे ज़ोर लगाने को कहा।
मैंने होंठ भींच लिए और उसने धीरे-धीरे से पूरा लंड आराम-आराम से मेरी चूत में उतार दिया।
मुझे दर्द लगा, पर मेरी चूत बड़े दिनों बाद लंड को अपने अंदर देखकर रो पड़ी।
एक साथ बहुत सारा पानी निकला, जिससे मुझे नीचे से बहुत गीला लगने लगा।
मैंने उसे बोला, “चल, चोद न अब!”
वो बोला, “हाँ!”
और उसने धक्के लगाने शुरू किए।
अब मुझे दर्द महसूस हुआ।
उसका लंड मेरी चूत के अंदर तक घुसे जा रहा था।
वह पूरी मस्ती में आकर मुझे चोदने लगा।
मेरी बुरी तरह हालत पतली होने लगी।
वो वाकई बड़ी अच्छी तरह चोद रहा था।
उसने मुझे हल्का-हल्का साँस लेने को बोला।
पर मैं दर्द में आह-उह ही कर रही थी।
उसने मुझे बोला, “आंटी, आपको मज़ा आ रहा है क्या?”
मैंने कहा, “साले, तू अपना काम शुरू रख! मुझे मज़े लेने दे!”
मैं भी बेशर्मी की हदों को पार करके उसे चूम-चाट रही थी।
वह भी पूरे जोश से मेरी चूत ले रहा था।
उसका स्टैमिना बहुत ही बढ़िया था।
वह बिना रुके मुझे अंदर तो घुसा-घुसा के चोद रहा था।
मैंने उसे किस किया तो बोलने लगा, “रुक जा! मुझे चूत पर ध्यान लगाने दे!”
मुझे अब महसूस हो रहा था कि उसकी बातों का तरीका बदल रहा था।
पर चुदते वक़्त ज़लील होना भी तो मज़ा देता है!
उसने मुझे बोला, “सचमुच एक नंबर माल हो! जैसा सोचा था, उससे बढ़िया मज़े हैं तेरे में!”
मैंने उसे किस किया और बोला, “अब चाहे तो रोज़ चोद लेना मुझे!”
वो बोला, “इसमें कहने की क्या बात है! तेरी लेने में मेरा लंड किसी भी वक़्त तैयार हो जाएगा!”
उसने मुझे खड़ा किया, बिस्तर से उतारा और झुका कर पीछे खड़ा हो गया।
मुझे पता चल गया, अब ये कमीना मेरी गांड फाड़ने के मूड में है!
मैंने उसे रोका, “प्लीज़, तेल लगा लो! चूत तो गीली थी, यहाँ बहुत दर्द होगा!”
उसने बोला, “ठीक है!”
उसने पास टेबल से तेल उठाया।
थोड़ा लंड पर मसला और थोड़ा मेरी गांड पर।
उसने मुझे कसकर पकड़ा और धीरे-धीरे से लंड मेरी गांड में उतारा।
मेरी गांड पूरी चौड़ी हो गई।
मुझे दर्द हुआ.
पर मेरे पति ने भी मेरी गांड बहुत ले रखी थी तो मुझे ज़्यादा दर्द नहीं लगा।
मैंने उसे देखकर धक्के लगाने के लिए बोला।
उसने भी मेरी कमर पकड़ी और शुरू हुआ।
उसने स्पीड तेज़ कर चोदना जारी रखा।
वो बोला, “लिजी, आपकी गांड का तो मैं फैन हूँ यार! आप जब मेरे घर आती हैं, तब से जाने तक मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी गांड मारने का सोचता रहता हूँ! और आज जाकर मुझे आपकी गांड मिली है!”
वह तेज तेज गांड चोदने से अब धीरे-धीरे करने लग गया।
मैंने बोला, “मुन्ना, अभी भी तुम्हें बहुत कुछ सीखना है!”
वो बोला, “चुप कर कुतिया! तेरी गांड फाड़ दी है मैंने और तू होशियारी कर रही है!”
मैं हैरान थी उसके मुँह से ये सब सुनकर!
उसने मुझे आगे आकर चूम लिया और मुझे लंड पर चढ़ने का बोला।
मैंने भी अपने बाल खोले और उसके लंड पर चढ़ गई।
उसने मुझे झुकाया और बोला, “क्या गर्म नरम भोसड़ा है आपका!”
मैंने उसे हल्के से चाँटा मारा और बोली, “अच्छा बेटा, तूने नहीं चोदा, तब तक ये चूत दिख रही थी तुझे? अब भोसड़ा लग रहा है?”
उसने कहा, “और क्या!”
मैंने कहा, “चल बदतमीज़!”
उसने मेरे मुँह को पकड़कर मेरे गाल भींचे और तेज़ी से मेरी चूत में लंड अंदर-बाहर करते हुए उसने पूरा वीर्य मेरी चूत में उतार दिया और मुझे किस करता रहा।
उसके लंड से एकदम गर्म माल मेरी पूरी चूत में फैल गया।
वो तेज़-तेज़ साँसें ले रहा था और मैं भी झड़ रही थी।
उसका लौड़ा धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा।
मैंने भी साँस लेते हुए उठकर उसे अलग किया।
वो थक गया था।
उसने मुझे बोला, “लिजी, अपने बच.पन की तमन्ना पूरी कर दी!”
मैंने उसे बोला, “तूने भी आंटी को खुश कर दिया बेटा!”
वो बोला, “बेटा मत बोलो! अब आपकी चूत फोड़ी है मैंने तो!”
मैंने बोला, “अच्छा, तो क्या बोलूँ तुझे फिर?”
वह बोला, “स्वीटहार्ट!”
मैं बोली, “ठीक है!”
फिर मैं उठकर बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया।
वह भी कपड़े बदलकर घर चला गया।
दोपहर को मैं हॉस्पिटल चली गई और गर्भनिरोधक कॉपर T लगवा लिया।
जिससे अब मैं नितिन से कितना ही चुद लूँ, मैं प्रेगनेंट नहीं हो सकती।
शाम को नितिन आया और हमने देर रात मूवी देखते-देखते खूब चुदाई की।
पोर्नर आंटी फक कहानी पढ़ कर आपको खूब मजा आया होगा?
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