बिजनेस के बहाने चुदाई का मजा- 4

(Rich Lady Sex Kahani)

सनी वर्मा 2025-05-21 Comments

रिच लेडी सेक्स कहानी विवाहेत्तर संबंधों की है. जब गैर मर्द से सेक्स का मजा लेने की सोच ली तो पत्नी ने सोचा कि चूत मरवानी ही है तो इसका फ़ायदा क्यों ना उठाया जाए. उसने एक दूसरे मर्द पर भी डोरे डालने शुरू किये.

कहानी के तीसरे भाग
शादी के बाद गैर मर्द का आकर्षण
में आपने पढ़ा कि सेक्स में रोमाँच भरने के लिए अपनी बीवी के मन में गैर मर्द से सेक्स का विचार उसके ही पति ने भर दिया. पत्नी इसे अनुचित मानती थी पर वह भी वासना की धारा में बहने लगी थी.

अब आगे रिच लेडी सेक्स कहानी:

पिंकी ने अमन को बिठाते हुए कहा, “मैं एक मिनट में चेंज करके आई!”

पिंकी जींस उतारकर एक स्कर्ट डालकर आई।

उसकी गोरी टाँगें अमन के दिल को छलनी करने के लिए काफी थीं।
कॉफी बनाते समय भी अमन पिंकी के आसपास ही मंडराता रहा।

पहला मौका था जब वो और पिंकी अकेले साथ-साथ थे।

कॉफी पीते समय भी अमन की निगाहें बार-बार पिंकी की चिकनी टाँगों पर से फिसल रही थीं।

पिंकी ने उससे कह दिया कि दीपक को उससे कुछ फाइनेंशियल सपोर्ट चाहिए।
अमन मुस्कुराते हुए बोला, “तुम्हारे लिए हर सपोर्ट दे दूँगा उसे, पर मुझे तुमसे दोस्ती चाहिए!”

पिंकी ने मुस्कुराते हुए कहा, “हम अच्छे दोस्त बन सकते हैं, बस इससे ज़्यादा और कुछ नहीं! वो तो बिल्कुल नहीं जो मिताषा ने मुझसे कहा था!”

अमन जोर से हँसा, बोला, “मिताषा इस अ बिच! उसे हर समय बस वही सब कुछ सूझता है! तुम मुझे बहुत पसंद हो। मुझे मालूम है तुम वैसी नहीं हो। अगर होतीं, तो मैं तुम्हारे पीछे नहीं, तुम मेरे पीछे घूमतीं! मेरा वादा है, हम दोनों अच्छे दोस्त बनेंगे! पर हाँ, मिताषा को इससे दूर ही रखना और मिताषा से दीपक को बचाकर रखना!”

दोनों मुस्कुरा दिए।
पिंकी ने अपना हाथ आगे किया.
तो अमन ने गर्मजोशी से उससे हाथ मिला।

दोनों एक साथ बोले, “फ्रेंड्स!”

अमन चलने को खड़ा हुआ।

वो फ्लैट के डोर तक पहुँचा और पिंकी से बोला, “तुम नीचे मत आओ, यहीं रुको, मैं निकलता हूँ! और हाँ, हमारी दोस्ती हमारे तक ही सीमित रहे, तो अच्छा है। कोई ज़रूरत नहीं है मिताषा और दीपक को कुछ ज़्यादा कहने की। तुम्हें जो कुछ मिताषा ने कहा, वो सिर्फ उसकी फंतासी है। हम किसी से स्वैपिंग नहीं करते। हाँ, मैं तुमसे नज़दीकी चाहता था, पर इसका मतलब केवल सेक्स नहीं था। मिताषा तो खाली है, हर समय पोर्न देख-देखकर उसके दिमाग में सिर्फ सेक्स भरा है। उसकी बातों में मत आया करो। मैं दीपक की मदद करूँगा, पर सिर्फ इसलिए कि अब तुम मेरी अच्छी दोस्त हो। दीपक को फोन कर दो कि वो मुझसे ऑफिस में मिल ले!”

पिंकी मुस्कुराई और दोनों हाथ फैला दिए और बोली, “दोस्ती में हग तो बनता है!”
अमन मुस्कुराया और बाहें फैला दीं।
पिंकी उसके आगोश में समा गई।

पिंकी के मम्मों का दबाव अमन ने अच्छे से महसूस किया।
अमन ने पिंकी के माथे को चूमा और चला गया।

पिंकी बहुत खुश थी।
उसने दीपक को फोन किया और उससे कहा कि वो अमन से मिल ले और अमन उसकी जो भी मदद करता है, उस पैसे पर ब्याज ज़रूर दे।

अब पिंकी थक गई थी, तो कपड़े उतारकर बिना कपड़ों के ही सो गई।
उसे बिना कपड़ों के नींद बहुत अच्छी आती थी।

शाम को दीपक के फोन से उसकी आँख खुली।
दीपक गेट पर था।

पिंकी ने एक हल्की-सी फ्रॉक डाली।

दीपक ने अंदर आते ही उसे गोद में उठा लिया और ताबड़तोड़ चूमा, बोला, “तुमने तो कमाल कर दिया! अमन ने रमन को फोन करके कह दिया कि मैं दीपक का साइलेंट पार्टनर हूँ। इसे हर संभव मदद करो! अमन ने अपने खाते से पाँच लाख रुपये तुम्हारे खाते में ट्रांसफर कर दिए और कह दिया कि आगे जब भी चाहिए हों, बता दूँ! अब उम्मीद है कि बैंक से लिमिट भी बन जाएगी!”

असल में दीपक ने जो नई फर्म बनाई थी इस टेंडर के काम के लिए, उसकी प्रोप्राइटर पिंकी थी।

पिंकी मुस्कुराती हुई बोली, “क्यों न हम अमन को इस काम में अपना पार्टनर बना लें?”
दीपक बोला, “कोई बुराई नहीं है। इससे अमन का एहसान भी नहीं होगा और उसके जुड़ने से हमें पैसे की दिक्कत भी नहीं होगी!”

आज रात को दीपक बहुत खुश था।
उसने पिंकी को डिनर नहीं बनाने दिया।

वो और पिंकी बाइक पर लॉन्ग ड्राइव पर गए।
बाइक पर पिंकी जितना चूमाचाटी कर सकती थी दीपक से, उसने की।

एक जगह सुनसान-सी थी, वहाँ पिंकी बाइक पर आगे उलटी होकर बैठ गई और दीपक से चिपट गई।
दीपक हल्के-हल्के बाइक चलाता रहा।
दोनों के होठ मिले थे।

रात को बेड पर आज दीपक ने पिंकी की घमासान चुदाई की।
चुदाई करते समय उसने पिंकी से कह ही दिया कि अमन ने उसकी मदद सिर्फ पिंकी की वजह से की है।

दीपक ने मिताषा की बात पिंकी को याद दिला दी, “अगर कभी इस एहसान के बदले मिताषा ने स्वैपिंग की बात की, तो?”

पिंकी ने उसके ऊपर चढ़कर उसकी घुड़सवारी करते हुए कहा, “अमन बहुत अच्छा आदमी है, वो ऐसा कभी नहीं सोचेगा! पर हाँ, अगर उन दोनों ने कहा और तुम्हें एतराज़ नहीं हुआ, तो कर लेंगे, क्या बुराई है! तुम भी मज़े लेना, मैं भी मज़े लूँगी!”

दीपक के लंड पर और तनाव आ गया।
उसने पिंकी को नीचे पलटा और चुदाई की स्पीड बढ़ाते हुए कहा, “अगर पिंकी को कोई ऐतराज़ नहीं, तो उसे भी नहीं है!”

अगली सुबह पिंकी ने दीपक से राकेश और उसकी बीवी को रात को डिनर पर बुलाने को कहा।

दीपक ने तभी राकेश महेश्वरी को फोन किया और एक नामी होटल में डिनर के लिए इनवाइट किया।

उसने राकेश को इशारा दे दिया कि वो बिजनेस में उसके साथ जुड़ना चाहता है।

दिन में पिंकी ब्यूटी पार्लर गई और फेशियल के साथ अपने बाल सेट करवाकर लाई।

आज पिंकी का दूसरा निशाना राकेश था।

रात को होटल मेरीडियन में पिंकी और दीपक, राकेश महेश्वरी और उसकी बीवी सुलोचना का इंतज़ार कर रहे थे।

पिंकी ने झिलमिलाती काले रंग की मिडी पहनी थी।
काले शूज़ और गहरे लाल रंग की लिपस्टिक और नेल पेंट में वो कोई मॉडल ही लग रही थी।

राकेश और सुलोचना आ गए।
राकेश ज़रा दब्बू किस्म का व्यक्ति था और सुलोचना पढ़ी-लिखी, तेज़-तर्रार, साँवली पर सुंदर, ठेठ मारवाड़ी महिला थी।
हाँ, उसने सोने के भारी जेवर ज़रूर पहने थे।

पिंकी ने सुलोचना को एक गिफ्ट हैम्पर दिया।
वो उसके लिए एक महँगा परफ्यूम लाई थी।

राकेश बार-बार उसे ही घूर रहा था।
पिंकी ने भी डिनर में राकेश को अपनी अदाओं से खूब लुभाया।

सुलोचना भी बहुत बोलती थी और राकेश उससे दबता था।
सुलोचना की अदाओं में सेक्सी रुझान था।

चलते समय दीपक ने राकेश से हाथ मिलाते हुए कहा कि वो उसके ऑफर के लिए तैयार है. कल ऑफिस में बैठकर बाक़ी बात कर लेंगे.
राकेश का चेहरा खिल उठा. दोनों ने हाथ मिलाये.
सुलोचना ने भी मुस्कुराते हुए दीपक को कान्ग्रेचुलेशंस कहा और हाथ मिलाया.
पिंकी ने भी सुलोचना को गले लगाया और फिर मिलने की बात कही.

राकेश मुस्कुराते हुए बोला- हमें गले क्यों नहीं लगाया?
सब हंस पड़े.

राकेश ने बताया कि उनकी कम्पनी के इस ऑफिस की सुलोचना सीईओ हैं. कम्पनी में सुलोचना के पिता की बड़ी हिस्सेदारी है.
अब पिंकी और दीपक समझे की राकेश क्यों सुलोचना से दब रहा है.

खैर पिंकी ने राकेश से मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया.

सुलोचना गाडी में बैठ गयी.
वो दीपक से बहुत हंस कर बात कर रही थी.

पिंकी ने सुलोचना से उसका नम्बर ले लिया.

राकेश ने साफ़ बता दिया कि यहाँ के सारे निर्णय सुलोचना ही फाइनल करती हैं.

पिंकी के फोन में अमन की कई मिस्स्ड काल थीं.
पिंकी ने उसे फोन कर ही लिया.

अमन ने बताया कि अचानक मिताषा की मम्मी की तबियत खराब हो गयी थी तो मिताषा एक हफ्ते के लिए शाम की फ्लाइट से दिल्ली चली गयी है.
पिंकी ने उससे धीरे से कहा- सुबह बात करती हूँ.

रात को बेड पर दीपक बहुत खुश था और उसने खुशी पिंकी की चूत का भोसड़ा बना कर पूरी की.
आज तो उसने पिंकी के मम्मे मसल मसल कर उसे परेशान कर दिया.

सुबह अमन से पैसे लेकर दीपक ने राकेश को फोन किया कि उसे डील क्लिक होने के कुछ सेक्युरिटी मनी देनी है, कहाँ दूं.
राकेश बोला- मैं तो अभी की फ्लाइट से हेड ऑफिस जा रहा हूँ, कल आ जाऊंगा. तुम रूपये घर पर सुलोचना को दे दो.

राकेश ने हँसते हुए कहा- इस तरह के पेमेंट सुलोचना ही डील करती है.

दीपक ने कल सुलोचना की निगाहों में मस्ती के डोरे देखे थे तो वो जाने से बचना चाह रहा था.
उसने सोचा कि पिंकी को साथ लेकर जाता हूँ.

पर पिंकी ने जाने से मना कर दिया.
रात को दीपक ने उसे थका दिया था तो वो सोना चाहती थी.

खैर दीपक एक बुके लेकर राकेश के घर पहुंचा.

राकेश ने सुलोचना को पहले ही बता दिया था.

घर पर सुलोचना ने ही गेट खोला.
टाइट लोअर और टॉप में उसने खिलखिलाते हुए दीपक का स्वागत किया.

कल और आज के पहनावे में जमीन आसमान का फर्क था.

दीपक ने उसे बुके और पैकेट देकर वापिस जाना चाहा.
पर सुलोचना ने जबरदस्ती उसे रोक लिया- मैंने कॉफ़ी बना रखी है, पीकर जाना.

कॉफ़ी पीते पीते सुलोचना दीपक से काफी खुल गयी.
उसने दीपक को बेबाकी से कह दिया कि वो तो यहाँ बोर हो जाती है क्योंकि राकेश तो हमेशा काम में बिजी रहता है.

सुलोचना ने बेबाकी से दीपक से पूछ लिया कि क्या वो उसे कभी कभी मार्किट जाने के लिए कंपनी दे सकता है.
दीपक ने हिचकते हुए हाँ तो कह दी.

सुलोचना ने उसके नजदीक सरकते हुए उससे धीरे से कहा कि उसका काम वो ही देखेगी और राकेश से करवा देगी, बस दीपक को उसका ख्याल रखना होगा.

दीपक नहीं समझ पाया कि वो उससे क्या चाहती है.
राकेश जाने को खडा हुआ तो सुलोचना ने उसका हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा- अब कब मिलेंगे?
दीपक हिचकिचाते हुए बोला- जब आप कहें.

सुलोचना बोली- तुम्हारा वर्क आर्डर ये समझ लो मैं ही साईन करुँगी.
दीपक मुस्कुरा दिया.

सुलोचना बोली- मुझे अलग से पार्टी चाहिएगी. और तुम राकेश को पैसे देने की चिंता मत करना, वो सारे पैसे मेरे ऊपर खर्च करना.
दीपक हंस कर बोला- आप जब चाहें तब पार्टी ले लें.

सुलोचना बोली- तो फिर अभी कर लें पार्टी.
दीपक बोला- मैं समझा नहीं?

सुलोचना उससे लिपट गयी और बोली- यार तुम बहुत भोले हो. कल से लाइन मार रही हूँ और तुम समझ ही नहीं रहे.
दीपक अजीब पशोपश में आ गया.

सुलोचना ने उसे होठों पर चूमते हुए कहा- ज्यादा सोचते नहीं. मुझे प्यार करो. राकेश किसी काम का नहीं.

सुलोचना दीपक को बेड रूम में ले गयी.

रिच लेडी सेक्स में एक भूखी बिल्ली की तरह बिहेव कर रही थी.
निश्चित रूप से उसका जिस्म और अदाएं सेक्सी थीं.

दीपक अभी अपने को नहीं रोक पाया.
अब दोनों बेड पर थे.
कपड़े तो कब के उतर चुके थे.

सुलोचना दीपक के जिस्म को चूम चाट कर मानो खा ही जाना चाहती थी.

कुल मिलाकर सुलोचना का जिस्म एक धधकती आग का गोला था.
उसके भरे हुए मम्मे और चिकनी काया उसे ब्लैक ब्यूटी का खिताब दे रही थीं.

सुलोचना ने दीपक का लंड पकड़ कर मुख में ले लिया था.

वो ऐसे चूस रही थी कि दीपक को लगा कि वो उसके मुंह में ही छूट जाएगा.
उसने दम लगा कर अपने को छुड़ाया और सुलोचना से फुसफुसाते हुए कहा- आपने तो मुझे पागल बना दिया है.

ये सुनकर सुलोचना उसके ऊपर चढ़ गयी और अपने हाथ से उसका लंड अपनी चूत में कर लिया और लगी उछलने!

दीपक को लगा कि अब इस भूखी बिल्ली को काबू करना ही होगा.
उसने उसे कस के पकड़ा और नीचे पलट दिया और उसकी टांगें ऊपर करके चौड़ायीं और पूरे दम से अपना मूसल पेल दिया उसकी चूत में!

सुलोचना की चीख निकल गयी.
वो बोली- फाड़ दोगे तुम तो मेरी चूत को!

दीपक ने उसकी एक न सुनी और पेलमपेल शुरू कर दी.

सुलोचना अब उसका पूरा साथ दे रही थी.
वो उसे उकसा रही थी और जोर से चुदाई करने को!

दीपक ने भी पूरा दम लगा दिया.
वो हैरान था सुलोचना की कामाग्नि से … पता नहीं कबसे भूखी थी वो!

खुद सुलोचना हांफते हुए कह रही थी कि शादी के बाद पहली बार कोई मर्द मिला है चोदने को.

दीपक का होने को था.

उसने सुलोचना से कहा- मेरा होने को है, कहाँ निकलूं?
सुलोचना ने उसे कस के पकड़ते हुए कहा- अंदर ही निकलना. मैं गोली ले लूंगी. उस चूतिये राकेश का तो ढंग से अंदर भी नहीं जाता.

अब दीपक को सारी कहानी समझ में आई.

सुलोचना से विदा लेकर दीपक सीधा घर आया.

रिच लेडी सेक्स कहानी के हर भाग पर अपनी राय कमेंट्स और मेल में बताते रहें.
धन्यवाद.
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रिच लेडी सेक्स कहानी का अगला भाग: बिजनेस के बहाने चुदाई का मजा- 5

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