घर से भागी दो बहनों को चोद कर बीवी बनाया- 1
(Sexy Bangali Girl Chudai Kahani)
सेक्सी बंगाली गर्ल चुदाई कहानी में मैं रेलवे में TTE हूँ. एक बार 2 जवान बहनें बिना टिकेट मिली. वे मेरी खुशामद करने लगी. वे घर से भागी थी. मैं उन्हें अपने घर ले आया.
यह कहानी मेरे दोस्त गुरप्रीत की है जो मुझे पिछले साल एक ट्रिप के दौरान हिमाचल में मिला था।
उसने यात्रा के दौरान अपनी दोनों बीवियों से मेरा परिचय करवाया था।
एक शाम जब उन दोनों बैठ कर ड्रिंक कर रहे थे तब उन्होंने मुझे ये किस्सा सुनाया था।
मैं हुबहू वही सेक्सी बंगाली गर्ल चुदाई कहानी आपको लिख कर बता रहा हूँ गुरप्रीत के शब्दों में:
मेरा नाम गुरप्रीत है और मैं पंजाब के एक छोटे से शहर मोगा से हूँ।
मेरी उम्र बत्तीस साल है और पेशे से मैं ट्रेन में टिकट चेकर का काम करता हूँ।
मेरी शादी नहीं हुई थी और तब मैं पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में पोस्टेड था।
मालदा से कूचबिहार की तरफ जाने वाली पैसेंजर ट्रेन में मेरी ड्यूटी थी।
मेरा काम ठीक चल रहा था और मैं अपने काम में बेहद खुश था।
कॉलेज के दिनों में मेरी एक गर्लफ्रेंड थी जिसका नाम शीतल था और वो उत्तराखंड के चमोली की रहने वाली थी।
हम दोनों कॉलेज खत्म होने के बाद एक दूसरे में खोये रहते थे।
पहाड़न मुझे एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ती थी पर उसके घर वालों को मैं पसंद नहीं था और फिर एक दिन शीतल ने किसी और से शादी कर ली परिवार के दबाव में आके।
मेरे लिए वो किसी गहरे सदमे से कम नहीं था.
मैं बिल्कुल टूट गया था.
लेकिन मैंने फिर अपना सारा ध्यान पढ़ाई में लगाया और वाहे गुरु की कृपा से मेरा सिलेक्शन रेलवे में हो गया।
मेरी पहली पोस्टिंग आसाम के बोंगाईगांव में थी और फिर कुछ सालों में मेरा तबादला मालदा हो गया।
गर्लफ्रेंड की शादी के बाद मैंने खुद के अलावा कभी किसी को हाथ भी नहीं लगाया था और मैं लड़कियों के चक्करों से दूर ही रहने लगा था।
बात दिसंबर 1986 की है, ठंड का महीना था और ट्रेन में आम दिनों के मुकाबले आज बेहद कम भीड़ थी।
ट्रेन कूचबिहार से वापस मालदा लौट रही थी और मैं जनरल डब्बे में टिकट चेक करने के लिए अंतिम से दूसरी बोगी में घुसा।
चेक करते करते मेरी नज़र दो लड़कियों पर पड़ी।
जैसे ही मैंने उनसे टिकट मांगे तो वो सकपका गईं, “साहब हमारे पास टिकट नहीं है!”
बड़ी लड़की जिसकी उम्र कोई 21 – 22 साल की रही होगी उसने आधी हिंदी, आधी बंगाली में बोली।
“कहाँ से चढ़ी तुम लोग?” मैंने पूछा।
“जगह का नाम नहीं मालूम साहब!” बड़ी लड़की बोली।
“क्या नाम है तुम दोनों का और कहाँ घर है?” मैंने पूछा।
दोनों रोने लगीं और छोटी वाली लड़की बोली, “साहब मेरा अब्बू हम दोनों को बेचने के लिए हमारा मुल्क बांग्लादेश से इधर लाया लेकिन सिल्लीगुड़ी से हम दोनों बहनें भाग आईं इधर साहब!”
मैंने बोला, “ठीक है ठीक है रोना बंद करो तुम दोनों और मैं टिकट बना देता हूँ मालदा तक का वहां उतर के तुम लोग पुलिस के पास जाना, वो तुम्हारी मदद कर देंगे।”
“साहब मैं पैर पकड़ती हूँ आपकी प्लीज पुलिस को मत बुलाइये, वो हमको वापस बांग्लादेश भेज देगा हमारे पापा के पास, वो बहुत पीटता है हमको साहब! आप कोई काम दे दो साहेब, हम लोग कुछ भी करेगा सर, हमारे पास पैसा नहीं है साहब आप मदद कर दो!”
दोनों लड़कियां बारी बारी से मेरे पैर पकड़ के गिड़गिड़ाने लगीं।
मैंने दोनों को शांत कराया और उनके साथ ही बैठ गया।
कोच खाली था और ट्रेन भी मालदा पहुंचने वाली थी।
स्टेशन से उतर कर मैंने एक रिक्शा लिया और उन दोनों को लेकर अपने क्वार्टर पर आ गया।
घर पहुंच कर मैंने उनका नाम पूछा।
बड़ी वाली का नाम हिना था और छोटी का नाम नगमा था।
नगमा कोई 18-19 साल की होगी।
मैं केवल तब उम्र का अंदाजा ही लगा सकता था क्योंकि मैंने उनसे उनकी उम्र नहीं पूछी।
मैंने दोनों को खाना खिलाया और आराम करने को कहा।
मैं भी खा कर बिस्तर पर आ गया।
कमरा छोटा ही था और उसमें एक ही बेड था इसलिए मैंने उनके लिए एक बिस्तर लगा दिया।
मैंने टीवी चालू कर के पूछा, “तुम्हारे बांग्लादेश में हिंदी सिनेमा चलती है?”
“जी साहब!” नगमा बोली।
“हमलोग राज कपूर दा की पिक्चर खूब देखते थे साहब अब्बू से छिपा कर!” हिना ने बताया।
मेरे क्वार्टर के पास और कोई भी घर नहीं है दूर दूर तक इसलिए वहां रात को सन्नाटा रहता था।
पिक्चर चलने लगी तो मैंने कमरे की बत्ती बंद कर दी।
दोनों बहनें पिक्चर देख रही थीं।
मैंने हिना को देखा वो बेहद खूबसूरत लग रही थी।
बंगालिनें होती ही हैं सुन्दर।
दोनों बहनें सांवली थीं लेकिन नैन नक्श में दोनों किसी अप्सरा से कम नहीं थीं।
दोनों के बदन से आती जनाना खुशबू न जाने मेरे मन के अंदर कामोत्तेजित भावना लेकर आ रही थी।
मैं हिना को गौर से देख रहा था और वो टीवी को।
हिना को महसूस हो रहा था कि मैं उसे देख रहा हूँ।
नगमा थोड़ी देर में टीवी देखते देखते सो गई और मेरी भी आँख लग गई थी।
थोड़ी देर के बाद मेरे नाक तक आने वाली जनाना खुशबू तेज़ हो गई और मैंने महसूस किया जैसे कोई मेरे आगे लेटा हुआ हो।
मैंने हाथ घुमाया तो महसूस किया कि मेरे हाथ किसी के सलवार पर है जो उसके पेट से चिपका हुआ है।
मैं थोड़ा और आगे खिसक गया और उसे अपने बाँहों में दबोचते हुए बोला, “हिना?”
उसने कांपते हुए कहा, “जी साहब!”
मैंने उसके गर्दन के पास सूंघते हुए कहा, “तुम ऐसा क्यों कर रही हो?”
उसने रुआंसे होकर कहा, “साहब मैंने देखा आप कैसे मुझे घूर रहे थे तो मैंने सोचा अगर मैं आपकी हो जाउंगी तो आप मुझे पुलिस के हवाले नहीं करोगे न ही नगमा को। साहब मैं आपकी होने को तैयार हूँ। आप नौकरानी बना कर रख लो साहब लेकिन मुझे वापस मत भेजो!”
“क्या मतलब मेरी हो जाओगी?” मैंने कामुक स्वर में उससे पूछा।
“साहब मैंने देखा है मेरा अब्बू कैसे मेरी अम्मी के गुजर जाने के बाद मेरी खाला को निकाह कर लाया था और कैसे उसे प्यार करता था साहब। मेरी खाला को चार साल में तीन बच्चों की अम्मी बनाया उसने साहब। जब उससे हमारा और खुद का गुजरा नहीं हो पा रहा था तभी वो खाला के कहने पे हमें बेचने यहाँ लाया था।”
मैंने उसके स्तनों पर कपड़ों के ऊपर से ही उँगलियाँ घुमाते हुए बोला, “तुम सच में मेरी होना चाहती हो?”
वो पीछे पलटी और बोली, “तुम बनाओगे तो कुछ भी बन जाऊंगी साहब बस अपने घर में दोनों बहनों को जगह दे दो और कुछ काम दे दो!”
मैंने उसके पेट पर कमर के ऊपर हाथ फिराते हुए बोला, “तुम दोनों बहनें आज से इसे अपना घर समझो और तुम्हे काम करने की कोई जरूरत नहीं, खाना बनाओ खाओ और घर में आराम करो!”
हिना ने पीछे पलट कर मुझे गाल पर चूम लिया और बोली, “आज से मैं आपकी हुई साहब!”
मैंने उसे अपनी तरफ करके सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया।
नीचे नगमा बेसुध होकर सोई हुई थी और टीवी अब तक ऑन था जिस पर गाना आ रहा था जरा ज़रा बहकता है, महकता है, आज तो तन मेरा।
मैंने उसके बालों में उँगलियाँ फेरी और उसके मासूम से चेहरे को गौर से देखने लगा।
वो भी एक टक मुझे देखे जा रही थी।
उसके अंदर लज़्ज़त के साथ समर्पण भी दिख रहा था।
मैंने धीरे से उसके होटों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे वो भी साथ देने लगी।
वो मेरे जीभ से जीभ लड़ाने लगती तो कभी मैं उसके जीभ को चूसने लगता।
मेरा लंड अब अपना आकार बदल कर उसके चूत पर कपड़ों के ऊपर से ही रगड़ खा रहा था।
हम दोनों वासना में मदहोश थे।
मैंने उसे चूमते हुए ही ऊपर उठाया और उसकी कुर्ती उतार दी।
मैं तो पहले से ही बनियान और लुंगी में था।
मैंने उसे अब होंठ छोड़कर गले पर चूमना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उसके स्तनों के घाटी की तरफ आना शुरू कर दिया।
हिना काँप रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी सांस तिगुनी रफ़्तार से दौड़ रही थी और उसकी सिसकियाँ मुझे पागल किये जा रही थीं।
मैंने उसके ब्रा के कप उलटे कर दिए और उसके स्तनों को खींचकर बाहर निकाल लाया.
क्या चूचे थे उसके, रुई की तरह मुलायम।
हाथ लगाओ तो फिसलने लगे।
मैंने उसके चूचुक के दानों को उँगलियों में लेकर उसे मीचना शुरू कर दिया।
हिना सिसकने लगी और अपने पैरों को रगड़ने लगी.
तभी मैंने उसके चूची को मुँह में भर लिया.
और इतना करने की देर थी हिना ने मेरे बाल पकड़ कर अपने स्तनों पर मेरा मुँह रगड़ना शुरू कर दिया।
मैं जोर जोर से उसके दोनों स्तनों को बारी बारी से चूसते हुए मसल रहा था।
मैंने महसूस किया मेरे लंड के नीचे उसके कपड़ों पर कुछ गीलापन है।
मैंने तो शीतल को सैंकड़ो बार चोदा था, मुझे ये गीलापन अच्छे से मालूम था।
मैं अब चूचे चूसते चूसते उसके नाभि को चूमने चाटने लगा।
मैंने जैसे ही अपनी जीभ उसके नाभि में घुमाई वो उछलने लगी।
उसकी कमर धनुष की तरह टेढ़ी हो गई और उसने दोनों हाथों से चादर अपने मुठ्ठिओं में भींच लिया।
मैंने धीरे से उसकी पजामी नीचे खिसका दी।
उसकी पैंटी भी साथ में ही खिसक गई, मैंने हिना के आँखों में देखते हुए उसके पूरे पजामी को नीचे से निकाल दिया और फिर उसकी जाँघों के बीच में आ गया।
उसकी चूत मेरे सामने थी।
हल्के हल्के रोएं थे उसकी चूत पर जैसे वो अभी अभी जवान हुई हो।
उसकी बुर से आती हुई खुशबू मुझे पागल किये जा रही थी.
मैंने भी आव देखा न ताव … उसकी बुर पर अपने होंठ रख दिए।
हिना तो मानो पागल हो रही थी वो मुझे अपनी बुर के ऊपर से धकेलते हुए बोली, “ये मत कर साहब, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा!”
मैंने बोला, “थोड़ी देर पहले तो बोल रही थी तुम्हें मेरी होना है, अब बोल रही ये मत करो वो मत करो!”
अब हिना ने अपने दोनों घुटने मोड़ लिए और फिर उठ कर खड़ी होकर मेरे सर के बालों को मुट्ठियों में लेकर अपनी चूत के पास लेकर बोली, “तुम आज रात सुहागन बना दो साहब मुझे, चूस लो मेरी बुर और उतार दो मेरी नथ अपने लंड से!”
मैंने उसकी कामुक बातें सुनी तो जोश के मारे पागल हो गया।
सुना था कि बंगालने बेहद कामुक स्वाभाव की होती हैं पर महसूस आज हो रहा था।
मैंने उसकी बुर को पूरी तरह मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा।
हिना तो हिनहिना रही थी।
मैंने उसके चीरे पर जीभ चलाना शुरू कर दिया।
मैं उसके चीरे पर ऊपर से नीचे जीभ चलता और उसके छेद में जीभ डाल देता और जैसे ही चौकन्नी होती मैं वापस से चीरे पर जीभ चलने लगता।
मन तो हो रहा था कि जीभ से ही इसकी छम्मक-छल्लो को चोद दूँ और कौमार्य भांग कर दूँ.
लेकिन मैंने इंतज़ार करना मुनासिब समझा।
मैंने उसकी मदनमाणि के दाने पर अपनी जीभ जैसे ही चलानी शुरू की, वैसे ही हिना अपनी जांघों के बीच मेरी मुंडी दबाने लगी और मेरे बाल पकड़ कर अपने बुर का रस मेरे मुँह में उड़ेलने लगी।
मेरा लंड किसी नाग की तरह फुफकारने लगा, मैंने उठकर अपनी लुंगी निकाल फेंकी और अपने बनियान को निकाल कर किनारे रख दिए।
हम दोनों नंगे एक दूसरे के बाहों में थे।
मैं उसके चूचों को पीते हुए अपने लंड को उसकी बुर पर रगड़ने लगा।
हिना मेरे कान में बोली, “साहब मैंने बहुत से लंड देखे बच.पन से अब तक लेकिन आपके जैसा नहीं देखा। मेरे अब्बू का तो आपसे आधा था तब वो मेरी खाला का नस ढीला कर देते थे, मैं तो मर जाऊंगी साहब!”
मैंने उसके ऊपर चढ़ते हुए कहा, “तुम संभाल लोगी, टेंशन मत लो, मैंने तुमसे भी कम उम्र की एक बेवफा को चोदा है!”
कहकर मैंने आँख मारी और उसके होटों को चूसते हुए जोर जोर से उसके चूचे मसलने लगा।
उसकी बुर में काफी गीलापन था इसलिए मैंने एक ही झटके में उसके अंदर अपना लंड उतार दिया।
वो कसमसाने लगी और मुझे धकेलने लगी।
अगर उसके होंठ मेरे होंठों में फंसे न होते तो तीन कोस दूर तक उसके चिल्लाने की आवाज़ जाती।
मैंने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकला और वापस से उसकी बुर में जोर से ठेल दिया और मेरे इस काण्ड के बाद उसने जोर से मेरे होंठों को काट लिया जिसके वजह से मेरा जोश दुगुना हो गया.
मैंने एक बार फिर अपना लंड बाहर निकाला और इस बार अपने लौड़े को उसके बच्चेदानी तक धकेल दिया।
वो मेरी पीठ को नोचने लगी।
वो मुझे जितना धकेलती मैं उसे उतनी जोर से बुर के अंदर धक्का देता।
सेक्सी बंगाली गर्ल की कुवांरी बुर अब हचक कर लौड़े को लीलने लगी।
हिना अब गांड उठा उठा कर नीचे से धक्के लगाने लगी तो मैंने उसके होंठ आज़ाद कर दिए और उसके निप्पल को चूसते हुए धक्के लगाने लगा।
वो हौले हौले से बोलने लगी, “मुझे बहुत मज़ा आ रहा है साहब इसी तरह मुझे चोदते रहो!”
मैं भी सारी ताक़त लगाकर उसे चोदता रहा।
मैंने करीब बीस मिनट के बाद उसके बुर को अपने माल से भर दिया और हम दोनों एक साथ झड़ गए।
दरअसल उसकी बुर के फुहारों के गर्मी ने मुझे अपना माल उगलने पर विवश कर दिया था।
वो एक तरह होकर लेट गई और मेरे हाथों को अपने सर के नीचे रख लिया।
वह मेरे कान में बोली, “आमी तोमार के भालो बाशी साहब, आप एक सच्चे मर्द हो। आज से मैँ आपकी हूँ!”
वो अपने हाथों से मेरे लंड से खेलने लगी और मैं उसके बुर को सहलाने लगा।
मैंने टॉर्च जलाकर देखा तो नीचे चादर उसके खू.न, रज और मेरे वीर्य से भीगी हुई थी।
मैंने उसे पीछे घुमाया और अपने लंड को उसके बुर के बीच फंसा कर सो गया।
यह सेक्सी बंगाली गर्ल चुदाई कहानी 3 भागों में है.
हर एक भाग पर आप अपनी राय बताएं.
लेखक के आग्रह पर मेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
सेक्सी बंगाली गर्ल चुदाई कहानी का अगला भाग:
What did you think of this story
Comments