तलाकशुदा फ़ुद्दी की प्यास बुझाई-1

Talakshuda Fuddi ki Pyas Bujhai-1
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को प्रेम का नमस्कार..

उम्मीद है आप सब अन्तर्वासना की कहानियों का पूरा मजा ले रहे होंगे और अपने लंड और चूत का पानी निकाल रहे होंगे।

मेरी पिछली कहानियों को आपने सराहा..
उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ..

कुछ लोगों ने कहानी की वास्तविकता पर सवाल खड़े किए…

जिस पर मेरी सोच यह है कि कहानियों को सच मानना न मानना आप पर निर्भर है।

दरअसल घटनाएँ सभी के जीवन में होती हैं और एक लेखक को पाठकों की संतुष्टि के लिए घटना को कहानी के रूप में ढालने के लिए उसमें कुछ संवाद आदि लिखने पड़ते हैं..
क्योंकि ये कहानियाँ आपके मनोरंजन के लिए हैं..
तो कहानियों को थोड़ा और मजेदार बनाने के लिए कुछ मसाला डालना कभी जरूरी हो जाता है, जो मैं स्वीकारता हूँ।

खैर.. अब हम मुद्दे की बात करते हुए कहानी पर आते हैं।

जब मेरी कहानियाँ प्रकाशित हुई तो मुझे कई ईमेल मिले.. कई लड़कियों और औरतों के मेल आए थे.. जिन्होंने मेरी कहानियों की तारीफ लिखी थी।
कई ने मुझसे चुदने की इच्छा प्रकट की.. पर उनमें से ज्यादातर दूसरे प्रदेश की थीं।

कुछ महीने पहले मुझे मैसेन्जर पर एक लड़की की ‘ऐड रिक्वेस्ट’ मिली उसका नाम सुमन था।

मैंने उसको अपने साथ जोड़ लिया.. पर वो मुझे कभी ऑनलाईन नहीं मिलती थी।O

एक दिन जब मैंने मैसेन्जर खोला तो वो पहले से ही ऑनलाईन थी..

मुझे उसके कई ऑफलाईन मैसेज मिले थे.. मैं उनको पढ़ने लगा।

तभी सुमन का मैसेज आया।

हम यहाँ-वहाँ की बातें करने लगे, उसने मेरे बारे में पूछा और कुछ अपने बारे में बताया।

वो बड़ोदरा के ही अकोटागाँव की थी।

उसने मेरी कहानी की तारीफ़ की और कुछ देर बात करने के बाद वो चली गई।

उसी रात मैं नेट-सर्फ़िग कर रहा था.. तभी सुमन फिर से ऑनलाईन आई.. और हमारी बातें चल पड़ीं।

चैट के दौरान उसने बताया की वो तेईस साल की है और तलाक़शुदा है।

उसने घरवालों की मरजी के खिलाफ़ घर से भाग कर शादी की थी, पर एक ही साल बाद दोनों में अनबन होने लगी..
रोजाना झगड़े होने लगे और शादी के डेढ़ साल बाद ही दोनों ने तलाक ले लिया।

वो अच्छी पढ़ी-लिखीं होने की वजह से खुद जॉब करके आत्मनिर्भर होकर अकेली रहने लगी।

अब हम लगभग रोज ही चैट करते थे…
वो ज्यादातर रात को ही ऑनलाईन आती।
हम देर रात तक चैट करते।

एक दिन उसने मेरी फ़ोटो मांगी और अपनी तस्वीरें मुझे भेजीं।

उसने जो फ़ोटो भेजी थी वो किसी मोबाईल से ली गई ‘सेल्फी’ थी..
उसने नीले रंग की सलवार-कमीज पहनी थी।

वो दिखने में एकदम सुन्दर थी.. भूरे रंग के घुँघराले बाल.. कानों में बड़े छल्ले।

हम दोनों ज्यादातर चुदाई की बातें ही किया करते थे।

एक दिन बातों-बातों में उसने कहा- प्रेम मेरे लिए अकेली रहना कोई बड़ी बात नहीं.. पर इस तलाकशुदा फ़ुद्दी की जरूरत का मैं क्या करूँ? प्लीज मेरी मदद करो, मेरी तड़पती जवानी को तुम्हारे लंड की जरूरत है.. मेरी प्यास बुझा दो।

मैंने कहा- जानेमन तुम जब बोलो.. मैं अपने खड़े लंड को लेकर हाजिर हो जाऊँगा।

उसने रविवार को मिलने का कहा..

हमने पहले किसी होटल में जाने का सोचा, पर फ़िर होटल की बजाए उसी के घर पर मिलने का तय किया।

फ़िर हमने फ़ोन नंबर साझा किए।

वो शुक्रवार का दिन था।

जैसे-तैसे शनिवार गुजरा और फिर मैं रविवार को दोपहर से पहले घर से निकला।

मैंने घर पर अहमदाबाद जाने का बहाना बनाया था..
तो बाईक नहीं ले पाया।

मैंने किराए का एक साधन चुना और अकोटागाँव पहुँच गया।

मुझे वहाँ कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.. तो मैंने सुमन को ही वहाँ बुला लिया और वहीं इन्तजार करने लगा।

कुछ देर में एक लड़की एक्टिवा लेकर मेरे सामने आकर खड़ी रही।

वो कुछ देर खड़ी यहाँ-वहाँ देख रही थी.. फ़िर उसने फ़ोन निकाला और किसी को किया।

मेरा फ़ोन बज उठा, वो मेरी तरफ़ मुड़ी- प्रेम?
‘हाँ जी.. सुमन?’

मैं मुस्कुराया।

वो भी जवाब में मुस्कुराई।

क्या कमाल लगती थी वो… उसने चुस्त जीन्स और हरा स्लीवलैस टॉप पहना था।

मैंने कहा- तुम तो तस्वीर से एकदम अलग लगती हो।

‘हाँ.. तुम भी..’

उसने एक्टिवा स्टार्ट की और मैं पीछे बैठ गया।
मैं उससे ज्यादा सट कर नहीं बैठा था।

दो मिनट में ही हम उसके घर पहुँच गए।

उसका घर मोहल्ले के आखिर में था।
वो किराए का एक कमरा और रसोई का मकान था।

उस छोटे से मकान को भी उसने अच्छे से से सजा कर रखा था।

घर में पहुँचकर उसने दरवाजा बंद कर लिया।

उसने मुझे पलंग पर बिठाया और मेरे लिए पानी ले आई।

पहली बार वो इस तरह किसी से मिल रही थी.. इसलिये वो बहुत शरमा रही थी।

मैंने उसे हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया।

एक हाथ से उसके हाथ को थामा और दूसरा उसके कंधे पर फ़िराते हुए उस की गर्दन पर ले आया और उसके रसीले होंठों को चूमने आगे झुका।

वो थोड़ा हिचकिचाई और पीछे होना चाहा.. पर मैंने अपने हाथ से उसके सर के पीछे से दबाव बना कर उसको अपनी ओर खींच लिया।

फ़िर जब हमारे होंठ मिल गए.. तो वो भी मेरा नीचे का होंठ चूसने लगी।

मैंने बारी-बारी से उसके ऊपर-नीचे दोनों होंठों चूसने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।

कुछ देर बाद हम अलग हुए।

उसने कहा- पहले लंच कर लें.. तो बेहतर रहेगा।

मैंने सर हिला कर सहमति दी.. और उसने खाना लगा दिया।

आपके विचारों का स्वागत है।

कहानी जारी रहेगी।

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