विलेज सेक्स: गाँव में आंटी ने मेरी सील तोड़ी

(Village Sex: Ganv Me Aunty Ne Meri Seal Todi)

विहान जाट 2018-10-15 Comments

दोस्तो, मेरा नाम विहान है. मेरी उम्र 22 साल, कद 5’11”, रंग अच्छा खासा गोरा है. मैं हरियाणा के सिरसा जिले के एक गाँव का रहने वाला हूँ.

यह पिछले साल की बात है. मेरी रिश्तेदारी में गंगानगर के पास गाँव में किसी की मृत्यु हो गयी थी और मुझे वहाँ जाना पड़ा. किसी की मौत होने पर गाँवों में कितना रोना धोना होता है, आपको पता ही हैं. शोर शराबे के बीच मैं छोटे मोटे कामों में लगा हुआ था.

दोपहर को जब थक गया तो आराम करने के लिए ऊपर के एक कमरे में चला गया. हमारे यहाँ की रीतियों के अनुसार जब किसी की मृत्यु हो जाती है, तो 12 दिनों तक बेड पर सो नहीं सकते. तो मैं कहीं से एक गद्दा की जुगाड़ कर लाया और फर्श पर बिछा कर आराम करने लगा.
थकान के चलते मुझे कब नींद आ गयी, पता ही नहीं चला.

एक घंटा भी नहीं हुआ था कि अचानक ऐसा लगा कि मेरे पास में कोई आया है. मैंने आंखें खोलकर देखा तो एक आंटी थीं. उन्होंने मुझे आँखें खोलते देखा तो बोलीं कि मुझे भी थोड़ी देर सोना है.
मैं खड़ा होकर जाने लगा, तो बोलीं कि जा क्यूं रहे हो.. बस थोड़ी सी जगह दे दो.
मैं ऐसे पहले कभी किसी लड़की.. या यूं कह लीजिए कि किसी औरत के साथ नहीं लेटा था, तो मुझे शर्म आ रही थी. मैंने बहुत मना किया कि मैं चला जाता हूं, पर आंटी ने जिद करके मुझे पास ही सुला लिया.

थोड़ी ही देर में उन्हें नींद आ गई, पर मुझे कहां से आती. मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था. आज से पहले सिर्फ अपनी गर्लफ्रेंड के इतने नजदीक आया था और वो भी सिर्फ किस और कभी-कभी जिद करने पर मम्मों को दबाने देती थी. और कभी-कभी रो-धोकर मम्मों को चूसने भी दे देती, पर उससे आगे हाथ भी नहीं लगाने देती.

मैं आंटी को ध्यान से देखने लगा, माल तो मस्त थीं. उनकी उम्र शायद 40 के आस पास की रही होगी. इस उम्र में आंटियां काफी मोटी हो जाती हैं, पर वो ठीक ठाक थीं, ना ज्यादा मोटी.. ना पतली. उनके चूचे भी बड़े ही थे, साईज का नहीं बता सकता क्योंकि अभी मैं इतना एक्सपर्ट नहीं हुआ था. गांड तो गाँव वाली आंटियों की भी बड़ी होती ही है.. शायद ज्यादा काम करने की वजह से हो जाती होगी.

उनको देखते देखते मुझे काफी टाईम हो गया था लेकिन मुझे नींद न आनी थी और न ही आई.

कुछ देर बाद आंटी उठ गईं, मुझे देखकर बोलीं- अरे सोये नहीं क्या?
मैं बोला- नींद नहीं आई.
तो आंटी हंसने लगीं और बोलीं- क्यूं?
मैं बोला- ऐसे ही.
आंटी मेरे बारे में पूछने लगीं कि कौन हूं, कहां से आया हूं, वगैरह वगैरह.
मैंने भी बता दिया.

फिर वे नीचे चली गईं. मैं भी अपने काम में लग गया. मुझे उन दिनों रोज शाम को खेत से चारा लाने का काम मिला था.. मैं इस काम से खुश था, इसलिए मैं मजे से चला गया.

अगले दिन वो फिर ऊपर आ गईं, उन्होंने मुझसे कुछ देर बात की और वो गद्दे पर पसर कर सो गईं.
कुछ देर आराम किया और फिर वो उठकर नीचे चली गईं.

जब मैं खेत से वापिस आया तो मुझे अकेला देखकर बोलीं कि मेरे फोन का रिचार्ज करवा दो.
मैं बोला- ओके नम्बर दे दो.

वो ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थीं, तो उन्होंने मुझे अपना फोन दे दिया और बोलीं कि लो तुम ही मेरा नम्बर ले लो और अपना नम्बर भी इसमें सेव कर देना.

मैं नम्बर सेव करने लगा तो उन्होंने एक लड़की का नाम बताते हुए कहा कि इस नाम से सेव करना.

मैंने उनका नम्बर तो ले लिया परंतु अपना सेव नहीं किया, क्योंकि मेरे दिल में ऐसा कुछ था ही नहीं, मैं तो बस उन्हें सीधी साधी फ्रेंड की तरह ट्रीट कर रहा था.

बाजार जाकर रिचार्ज कराने के बाद आया.. तो छत पर अकेला देखकर बोलीं- अपना नम्बर किस नाम से सेव किया है?
मैं बोला- मैंने किया ही नहीं.
तो बोलीं- लो अब कर दो.. अगर मुझे कुछ काम हुआ तो बोल दूंगी.

मैं जैसे ही उनसे फोन लेकर अपना नम्बर सेव करने लगा तो सीढ़ीयों से आने की किसी के आने की आवाज सुनाई दी. उन्होंने मुझसे अपना फोन छीन लिया और मुझसे दूर जाकर खड़ी हो गईं.

कुछ देर बाद मैं नीचे चला गया. जब वापिस ऊपर गया तो उन्हें पता नहीं चला कि कोई आ रहा है, वो किसी से फोन पर बात कर रही थीं. उनकी बातें सुनकर लगा कि अपने पति से बात कर रही होंगी.

वे बोल रही थी- बड़ी याद आ रही है जानू, बहुत दिन हो गए मिले हुए.

मैं भी मजे लेकर उनकी बातें सुनता रहा. उनकी काफी रोमांटिक बातें चल रही थीं. अचानक मुझे नीचे से किसी ने आवाज लगाई, तो मैं नीचे दौड़ा. मेरे पैरों की पदचाप की आवाज से उन्हें पता चल गया कि मैं सब सुन रहा था.

उसके बाद मेरी उनके सामने जाने की हिम्मत नहीं हुई.

फिर मैंने अपने कजन से उनके बारे में पूछा तो वो बोला- तू क्यों पूछ रहा है?
मैं बोला- बस ऐसे ही. वो ना.. रोने की एक्टिंग कुछ ज्यादा ही करती हैं, डेथ पर रोते हैं तो कुछ लिमिट होती है, ये तो कुछ ज्यादा ही ओवर एक्टिंग कर रही थीं.

उसने मुझे उनके बारे में बता दिया कि वो कहां से हैं. उनका एक 16 साल का लड़का भी है. पर सबसे ज्यादा चौंकाने वाली न्यूज ये थी कि वो विधवा हैं. पांच साल पहले एक्सिडेंट में उनका पति मर गया था.
अब मेरी समझ में कुछ कुछ आने लगा था कि वे अपने किसी आशिक से बात कर रही थीं.

ये बात मैंने अपने उस गाँव के दोस्त को बताई तो बोला- अरे वाह.. इसका मतलब अच्छा मौका है.. चौका मार ले. साली आंटी तो पूरी चालू है, अपनी सील खुलवा ले.

उसकी बात सुनकर मुझे भी चुदास चढ़ने लगी और मैं भी अब आंटी में इंटरेस्ट दिखाने लगा. अब मौका मिलते ही मैं उनकी तरफ देखता, पर शायद वो मेरी छिप कर फोन सुन लेने की बात से कुछ नाराज सी हो गई थीं, इसलिए वो मुझे देख कर भी एक बार नहीं मुस्कुराई.

आज तो दोपहर को सोने के वक्त भी उनके साथ सोने के लिए दो और आंटियां और आ गई थीं. आज मैंने आंटी को हिम्मत करके आँख मार दी तो आंटी कुछ समझ सा गईं. फिर सोते वक्त मौका देखकर उन्होंने अपना फोन देते हुए कहा कि जल्दी से नम्बर सेव कर दो.

मैंने नम्बर सेव कर दिया. शाम को जब मैं चारा लाने के लिए खेत में गया था तो रास्ते में क्रिकेट का खेल चल रहा था, तो मैं खेल देखने लगा. मुझमें क्रिकेट का कीड़ा कुछ ज्यादा ही है. मैं वापिस आने लगा तो आंटी का फोन आया.
वो बोलीं- कहां रह गया?
मैंने पूछा- कोई काम था क्या?
आंटी बोलीं- नहीं बस ऐसे ही काफी देर से दिखा नहीं इसलिए पूछ रही थी.
तब पहली बार मुझे लगा कि इसके भी दिल में गड़बड़ है.
मैंने पूछा- क्यों मैं आपका क्या लगता हूं, जो मेरी इतनी चिंता हो रही है.

कुछ देर तो वो चुप रहीं, फिर बात बदलते हुए बोलीं- तू छुपकर मेरी बातें क्यूं सुन रहा था?
मैं बोला- छुपकर नहीं सुनी, मैं तो ऊपर अपने काम से आया था, मुझे क्या पता था कि आप अपने किसी दोस्त से बात कर रही हो.
वो बोलीं- तू शक्ल से भोला दिखता है, पर है नहीं..
यह कह कर उसने फोन काट दिया. घर आने के बाद जब भी उससे मेरी नजरें मिलतीं, तो वो एक कातिलाना स्माईल पास करतीं.

अगले दिन दोपहर को फिर वो दोनों आंटियां भी आ गईं. मैं मन ही मन उन दोनों को गालियां दे रहा था. इसके बाद सोते वक्त वो आंटी मेरे नजदीक वाले गद्दे पर ही सो रही थीं. बाकी आंटियों के सोने के बाद वो थोड़ा नजदीक आ गईं और उन्होंने मेरे ऊपर हाथ रख दिया.

मैं उनकी इस हरकत से जब नहीं हिला, तो धीरे से बोलीं- मुझे पता है कि तू जाग रहा है, एक्टिंग मत कर.

मैं आंखें खोल कर उन्हें देखने लगा. वो मेरे सीने पर हाथ घुमाने लगीं. मुझे कुछ-कुछ होने लगा. मेरा भी दिल कर रहा था कि आंटी के ऊपर हाथ फेर लूँ, पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.

आंटी मेरी झिझक समझ गईं और मेरा हाथ उठाकर अपने पेट पर रख लिया. मैं कुछ देर तो वहां अपना हाथ घुमाता रहा, फिर धीरे धीरे हाथ बढ़ा कर मम्मों पर हाथ फिराने लगा.

आंटी के मम्मे मेरी गर्लफ्रेंड से काफी मुलायम थे. वो भी अपने मम्मों पर मेरे हाथों के स्पर्श का मजा लेने लगीं. कुछ ही देर में आंटी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया, जो अब तक पूरा खड़ा हो चुका था.

पर इस वक्त इस कमरे में हम दोनों के अकेले ना होने की वजह से आंटी ने मेरे लंड को पैन्ट बाहर नहीं निकाला था. बस ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाती रहीं. मैं उनके मम्मों को दबाता दबाता, नीचे हाथ ले जाकर उनकी चूत को सहलाने लगा. वो भी काफी गर्म हो गयी थीं, पर दिखा नहीं रही थीं. आधे घंटे ये हाथ फेरने का खेल चला.

इसके बाद सब उठ कर नीचे जाने लगे, तो वो थोड़ा सा लेट होकर जल्दी से मुझे एक किस करके चली गईं.

उस दिन आंटी से खेलने का और मौका नहीं मिला. इसके बाद अब जब भी आंटी बस नजदीक से निकलतीं, तो आते जाते मैं उनके मम्मों को या गांड पर चुटकी काट लेता. वो हंसकर आगे को निकल जातीं.

अगले दिन वो 2 आंटियां तो आ गईं सोने.. पर मेरे वाली नहीं आईं.
मैं उनको देखने गया तो वे अभी भी नीचे कुछ काम कर रही थीं. मैंने इशारा किया कि आ जाओ, पर आंटी ने कोई जबाव नहीं दिया. मैं गुस्से से आकर सो गया.

जब सब उठने ही वाले थे, तब वो आईं और सबसे बोलीं- आज तो काम बहुत ही ज्यादा था, मैं तो अपने हिस्से का कर आई हूं, अब तुम जाओ नीचे काम करो. जब तक मैं कुछ देर आराम कर लेती हूं.

तब मुझे समझ में आया कि ये आंटी का प्लान था, मैं बहुत खुश हुआ, जिसे वो समझ गईं.

उन आंटियों के जाते ही मुझे दरवाजे के पास बुला लिया कि कोई आये तो यहां से पता चल जाएगा.. और तुम नीचे चले जाना और मैं सो जाऊंगी.
मैंने झपटकर आंटी को दीवार से लगाया और उनको किस करने लगा, क्या मस्त सीन था यार. आंटी किस करने में तो एकदम एक्सपर्ट थीं. फिर मैं उनका कुर्ता उठाकर उनका एक दूध दबा कर पीने लगा. आंटी के मम्मे थोड़े लटके हुए थे, लेकिन इस उम्र के लिहाज से काफी ठीक थे.

मैं आंटी के मम्मों को पूरे मजे से पी रहा था. जब मैं उनकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा, तो आंटी ने नाड़ा पकड़ लिया.
आंटी बोलीं- कोई आ जाएगा?
पर मैंने बोला कि आप जल्दी से कुर्ता नीचे करके सोने का नाटक करने लगना और मैं चला जाऊंगा. किसी को क्या पता चलेगा कि यहां क्या हो रहा था?

मेरी बात सुनकर आंटी ने नाड़ा छोड़ दिया और मैंने झटका देकर खोल दिया. अन्दर हाथ डाल कर उंगली से छुआ तो पानी की नदियां बह रही थीं. खुद की चूत पर मेरी उंगली का अहसास पाते ही आंटी जोर जोर से सांसें लेने लगीं.

मैंने भी पूरी उंगली अन्दर डाल दी और जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा. वो पूरे जोश में आ गईं और उंगली को और जोर जोर से करने को बोलने लगीं. मैं भी जोर जोर से उनकी चूत में उंगली करता रहा.

फिर आंटी ने मेरी जिप खोलकर लंड बाहर निकाल लिया और हिलाने लगीं. मैं खुद के हाथ से हिलाता हूं, तो 10-15 मिनट से पहले कभी नहीं निकलता.. पर उनके हाथ से तो साला 6-7 मिनट में ही निकल गया.

वो बोलीं- देखने में तो दमदार लग रहा है.. तेरा तो 6.5-7 इंच से थोड़ा ज्यादा ही है.. पर मेरे हाथ कि गर्मी भी नहीं झेल पाया.
मैं बोला- आंटी मैं अभी आपकी तरह एक्सपर्ट नहीं हूं ना.
तो बोलीं- कोई चिंता मत कर.. मैं किसलिए हूं, कर दूंगी एक्सपर्ट.. पर अब क्या करूँ.. मुझे तो आग लगी है.
मैं बोला- थोड़ी देर में फिर तैयार हो जाएगा.

आंटी बोलीं- मुझसे इतना वेट नहीं होगा, तू मेरी चुत को चाटकर रबड़ी निकाल दे.
मैं बोला- नहीं.. मैंने ऐसा कभी नहीं किया है और ना ही करूंगा.
वो थोड़ा गुस्से से बोलीं- बेटा तेरी मरजी नहीं चलेगी, चुत चाहिए तो चाटनी भी पड़ेगी.
मैं फिर भी नहीं माना तो बोलीं कि अब तो चटवा कर ही रहूंगी.. वरना शोर मचा दूंगी कि मुझे अकेली देखकर छेड़ रहा था.

उनकी इस बात से तो मेरी भी गांड फट गई. ये कौन सी आफत ले ली. मैंने जैसे तैसे नीचे बैठकर आंटी की चुत पर एक दो किस ही किए थे कि किसी के आने की आवाज हुई और मैं नीचे भाग गया.

साली की चुत का बहुत गंदा सा टेस्ट था, अगर कुछ देर और चाटता तो उल्टी आ जाती.

शाम को उसका फोन आया कि बच्चू एक बार तो बच गया.. पर अगर रात को नहीं चाटी.. तो तेरी जो मिस कॉल आई है ना, वो सबको दिखा दूंगी.

मैं भी आंटी का नेचर देखकर थोड़ा संभल गया था. मैंने बोला- साली अब तू जो मरजी कर.. लेकिन जो तू ये बोल रही है ना.. वो मैं भी रिकॉर्ड कर रहा हूं.

ये बात अलग थी कि कोई रिकार्ड नहीं कर रहा था. तो वो डरते हुए बोलीं- अरे मैं तो मजाक कर रही थी, तेरी शक्ल देखकर ही पता चल गया था कि तूने कभी कुछ नहीं किया होगा और थोड़ा नर्वस भी लग रहा था. तुझे मैं धमकी न देती.. तो तू चाटता भी नहीं. अगर किसी को मैंने बताया तो मेरी भी तो बेइज्जती होगी.

तो मैं बोला- साली आंटी.. तेरे मजाक के चक्कर में मेरी तो गांड फट गई थी ना.. मैं तो अपने गांव भागने वाला था.
तो वो बोलीं- अब और बात नहीं कर सकती.. कोई आ रहा है.. चल रात को मिलते हैं.

मेरा भी कुछ हौसला बढ़ा और लंड फिर से खड़ा होने लगा. मैंने भी घर जाने से पहले 2 बीयर पी लीं.. रात को आंटी की चूत की ठुकाई जो करनी थी.
कंडोम तो मैं शर्म के मारे खरीद ही नहीं पाया.

रात को 12.30 के आस पास वो ऊपर आ गईं. मैं उन्हें लेकर बगल के टॉयलेट में घुस गया. क्योंकि ऊपर और भी लोग थे. मैं आंटी को पकड़ कर जोर जोर से सीधा किस करने लगा.
वो बोलीं- क्या हो गया है.. ऐसे जंगलियों की तरह क्यों कर रहे हो?
मैं थोड़ा नशे में बोला- चुप कर साली.. और जो कर रहा हूं, करने दे.
आंटी चुप हो गईं.

मैं आंटी को कभी किस करता, कभी गाल पर कट्टू करता.. तो कभी कान पर काटता. मैंने कहानियों में पढ़ जो रखा था कि औरत का सबसे सेन्सिटिव पार्ट ये ये होता है.
आंटी पूरी गर्म होने लगीं और उन्होंने मेरा लंड बाहर निकाल लिया.

फिर आंटी बोलीं- पहले लंड चुसाने का मजा ले.. फिर चुत चाटने को अपने आप तेरा दिल करेगा. बहुत सालों के बाद कोई जवान छोकरा हाथ आया है, वरना पांच सालों से पड़ोस के बुड्डे से ही काम चला रही हूं.
मैंने बोला- जल्दी से चूस साली.. पहले ऐसा कभी नहीं किया मैंने.

वो मेरा लंड चूसने लगीं, एकदम ब्लू फिल्मों की हीरोइन की तरह लंड चूसे जा रही थीं. आंटी ऐसे चूस रही थीं जैसे बचपन से ही लंड चूसती आई हों.

जब मैं झड़ने लगा तो मैंने लंड बाहर निकाल दिया. मैं बोला- रस भी पी लेतीं ना.. फिल्मों में तो लौंडियां लंड की रबड़ी पीती ही है ना.
आंटी लंड चाटते हुए बोलीं- मुझे पसंन्द नहीं है.. चल अब तेरी बारी है तू चाट जल्दी से.

उनकी चूत चूसने का मेरा मन तो नहीं था, पर नशे के कारण थोड़ी हिम्मत करके चाटने लगा. वो मेरे बाल पकड़ कर अपनी चुत में घुसाए ही जा रही थीं.

कुछ देर बाद मुझे भी आंटी की चुत चाटने में मजा आने लगा. अब तो मैं अपनी पूरी जीभ उनकी चुत में घुसाये जा रहा था. मेरी चुत चाटने से उनकी गर्मी उतनी ही बढ़ती जा रही थी.
मुझे तो पता ही नहीं था कि चुत चाटने भी इतना मजा आ सकता है क्या.

वो धीमे धीमे आहें भरती रहीं और ‘आआह.. उउउउउ..’ करती रहीं.

इस वक्त मेरा ध्यान तो सिर्फ चुत चाटने पर ही था, दिल कर रहा था खा ही जाऊँ. कुछ देर बाद जब आंटी झड़ गईं तो थोड़ा सा रज मेरे मुँह में चला गया. मैं एकदम से पीछे हट गया तो उन्होंने मेरा सिर पकड़ कर फिर से चूत पर मुँह लगा दिया. उनकी चूत नमकीन सा टेस्ट था तो अच्छा था.. और कुछ नशे की वजह से भी अमृत सा लगने लगा था. मैंने आंटी की चूत को पूरा चाट चाटकर साफ कर दिया.

मेरा लंड भी तब तक खड़ा हो गया था. उन्होंने थोड़ी देर तक लंड चूसा और फिर आगे झुककर घोड़ी बन गईं. मैंने लंड डालने की कोशिश की.. पर अन्दर नहीं गया, मैं अनाड़ी जो ठहरा.
फिर आंटी ने अपने हाथ से लंड अन्दर डाला और बोलीं- अब मार झटके.
जैसे ही लंड अन्दर घुसा तो एक तेज जलन सी हुई.. पर चूत चुदाई के मोह में मैं भी ताबड़तोड़ झटके पर झटके मारने लगा. उधर जगह कम थी.. आंटी का सिर दीवार पर लग रहा था, पर जैसे तैसे मैंने एडजस्ट कर लिया.

वो भी अपनी गांड हिला हिला कर पूरा साथ दे रही थीं. साली आंटी की चुत तो काफी खुली हुई थी, पर मुझे मजा बहुत दे रही थी.
जैसे जैसे आंटी ‘आह उंह आ उहं..’ की आवाज करतीं, मेरा भी जोश बढ़ता जाता. मैं भी पूरे जोर से धक्के मारने लगता. आंटी जिस जोश से चुदवा रही थीं, उससे ऐसा लग रहा था कि इनके लिए तो दो-तीन लंड भी कम हैं.

कम जगह की वजह से पोजीशन तो चेंज नहीं कर पाए, पर आंटी ने मुझे जन्नत की सैर करवा दी थी.
लगभग 20-22 मिनट चोदने के बाद मैं झड़ने लगा तो बोलीं- अन्दर ही डाल दे, नसबंदी करवा रखी है.

मैंने भी अपने अमृत की एक एक बंद उनकी चुत में डाल दी और मेरा लंड अपने आप छोटा होकर धीरे धीरे बाहर आ गया.

इस दौरान आंटी भी दो बार झड़ चुकी थीं. उनका मन नहीं भरा था और ना ही मेरा भर सका था. उस रात मैंने आंटी को एक बार और चोदा.. लेकिन गम इस बात का रहा कि पोजीशन चेंज नहीं कर पाए. वहां सिर्फ आंटी को घोड़ी बना कर चोदने की ही जगह थी.

चुदाई के बाद लंड को देखा तो मेरा लंड छिल गया था.. आंटी से कहा तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा कि तेरी सील टूट गई. जरा सी बोरोलीन लगा ले.

इसके बाद वहीं पर दो रात आंटी को और चोदा, फिर वो अपने घर चली गईं और मैं अपने घर आ गया.

हम दोनों इसके बाद भी एक दूसरे के कान्टेक्ट में रहे और मैंने उनके घर जाकर भी उन्हें कई मर्तबा चोदा है. पिछले एक साल में मैंने आंटी को 8-9 बार चोदा है. वहां पर वो हर एक पोजीशन में ही चुत मराती हैं. आंटी बड़ी मस्ती से लंड चूसती हैं. मैंने उनकी गांड पर कई बार हाथ फेरा लेकिन वो मुझे अपनी गांड नहीं मारने देती हैं.

मेरा मेरी गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप हो चुका था, पर अब तो लगता है कि लड़की पर ट्राई मारने का कोई फायदा नहीं है, बस किसी आंटी या भाभी को पटाओ, क्योंकि जितना मजा वो देती हैं.. साली कोई सील बंद भी नहीं दे सकती.
अब तक तो मैं कई कॉलगर्ल को भी चोद चुका हूं. पर उतना मजा नहीं आता.

आपको मेरी इस चुदाई की कहानी पर क्या कहना है.. प्लीज़ मुझे मेल करें.
[email protected]
धन्यवाद.

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