वीर्यदान महादान-2

मैं अपने लण्ड की आग ज्यों ज्यों मैं दबाता तो फिर यह त्यों त्यों और भड़कती। मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं कैसे इस आग को बुझाऊँ। इसी तरह समय गुजरता गया।
फिर एक दिन मैं इन्टरनेट पर अपना ऑफ़िस का काम कर रहा था कि अचानक एक वेब साईट का क्लासीफाईड विज्ञापन दिखा:
एन अनसेटीस्फाईड हाउस वाईफ इज लुकिंग फार ऍ मेच्योरेड मेन फार सेक्स, एन एस ए’
(एक असंतुष्ट घरेलू महिला को सेक्स के लिये किसी अनुभवी मर्द की जरूरत है, कोई बन्धन नहीं !)
पहली एक नजर में तो मैंने उसे सरसरी तौर पर देखा व उस पेज को बंद कर दिया। पर फिर बाद में दिमाग की बत्ती जली तो हिस्ट्री में जाकर उस विज्ञापन को फिर से पढ़ा, तो समझ में आया कि वह एक ऐसी महिला ने दिया था जिसका पति उसे संतुष्ट नहीं कर पाता है और वह किसी ऐसे शख्स की तलाश में है जो उसकी कामाग्नि को शांत कर सके, उसे डिसेन्ट, सोबर, पढ़ा लिखा जवान व्यक्ति चाहिये था।
यानि कि उसे अपने पार्टनर में जो खूबियाँ चाहिये थी, वे सब मुझमें थीं। अब उस एड में एक बात और लिखी थी जो मुझे समझ में नहीं आई, ‘एन एस ए’ जब कुछ समझ में ना आया तो फिर गूगल देवता की शरण में जाकर उनसे इसका मतलब पूछा तो पता चला कि इसका मतलब है, नो स्ट्रिंग अटेच्ड… मतलब साफ था कि, चुदाई के बाद मैं अपना लण्ड झाड़-पौंछ कर फिर से अंडरवियर में रख लूंगा व वह भी अपनी चूत को पानी से धोकर साफ सुथरी कर देगी, व हम भविष्य में प्यार मोहब्बत की बातें नहीं करेंगे।
हालांकि मैं अपने परिवार को बहुत प्यार करता हूँ अतः मुझे लगा कि मुझे पत्नी के साथ बेवफाई नहीं करना चाहिये। पर मेरे दूसरे मन नें कहा कि भाड़ में जाये मेरा पत्निव्रता पति का खिताब, उससे क्या हासिल होगा मुझे। मेरा लण्ड तो हर वक्त खड़ा रहता है, व उसे सुलाने का कोई उपाय तो मुझे नहीं मिल रहा है।
फिर मैंने बड़े सोच विचारने के बाद तय किया कि मैं अब एक बार कोशिश करके देखता हूँ, क्योंकि इसमें कोई खतरा मुझे नहीं दिख रहा था।
मैंने सोच समझकर जवाब बनाया व उसे भेज दिया। हालांकि उस वक्त मुझे लग रहा था कि क्या पता कोई बेवकूफ बना रहा हो। पर मेरा लण्ड खड़ा था, व वह बैचेनी से किसी चूत को ढूंढ रहा था, तो मैंने सोचा कि एक बार कोशिश करने में क्या जाता है।
पर अगले दिन जब मैं अपना पर्सनल मेल-बाक्स चेक कर रहा था तो बड़ा आश्चर्य हुआ कि जवाब आ गया था।
बेहद नपा तुला जवाब, जिसमें कुछ बातें मेरे बारे में पूछी थीं व कुछ अपने बारे में बताई थी, और भेजने वाली ने अपना नाम कामना बताया था।
आगामी दिनों में हमने कुल मिलाकर तीन मेल का आदान प्रदान किया, व एक दूसरे के बारे में बहुत कुछ जान चुके थे। कामना जी, पु्णे की रहने वाली एक पढ़ी-लिखी व इज्जतदार 35 वर्षीया महिला थीं। उनका पति एक उद्योगपति था, जिसे उसके व घर के लिये जरा भी फुर्सत नहीं थी, क्योंकि वह अपने व्यापार में बेहद व्यस्त था। उन दोनों का भी मेरी ही तरह एक हंसता खेलता परिवार था। उनकी शादी को करीब 15 साल हो चुके थे। दो बेटे थे जो किसी बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहे थे।
उन्होंने यह भी बताया कि वे घर में अकेली रहती हैं व बोर हो जाती हैं, पति को अपने काम से जरा भी फुर्सत नहीं, रात को भी काफी लेट थका-माँदा आता, इस कारण सेक्स भी कभी कभार करते थे, उसमें भी मात्र दो-पांच मिनट में ही वीर्य स्खलन हो जाता था व वह मुंह पलट कर सो जाता था और कामना प्यासी रह जाती।
उन्हें ऐसा लग रहा था कि बरसों से उनका तन भूखा है।
यही हालत मेरी भी थी। वे भी प्यासी व मैं भी प्यासा। हम दोनों नदिया के किनारे बैठ कर भी प्यासे। वैसे हम दोनों के प्यारे से जीवन साथी थे, जिन्हें हम प्यार करते थे। हम दोनों ही उनसे बेवफाई नहीं करना चाहते थे, किन्तु शरीर की भूख ने हमें एक दूसरे से मिला दिया।
लगभग एक सप्ताह तक मेल के आदान प्रदान के बाद, कामना जी ने मुझे मुझे विडियो चैटिंग के लिये निमन्त्रित किया।
मैं बड़ा बेकरार हो चला, ठीक उसी प्रकार जैसे कोई प्रेमी पहली बार अपनी प्रेमीका से मिलने के लिये होता है।
शाम आठ बजे का समय तय हुआ क्योंकि तब उनके पति फ़ैक्ट्री में ही होते थे, किन्तु मैं ऑफ़िस से घर आ जाता था।
उस दिन मैं ऑफ़िस से जल्दी घर आ गया, व सजधज कर आठ बजने का इन्तजार करने लगा। अब समस्या थी कि कहीं शालिनी हमारी बातचीत को सुन ना ले।
परन्तु उस दिन मेरे नसीब अच्छे थे कि पड़ोसी के यहाँ कथा का कार्यक्रम था, जहाँ हम दोनों को जाना था।
मैंने शालिनी को वहाँ भेज दिया, कहा- अभी ऑफ़िस का काम निपटाना है, अतः मैं थोड़ी देर से आ जाऊँगा।
रहे बच्चे जो सुबह का स्कूल होने के कारण शाम को जल्दी ही सो जाते थे, इस प्रकार मैं घर पर अकेला रह गया।
अगर बेचारी शालिनी को यह पता होता कि उसका पति उसके पीछे घर में रास-लीला करने वाला है, तो वह कभी नहीं जाती। पर ये औरतें भी कितनी भोली होती हैं, जो जानकर भी नादान बनती हैं कि जैसे उन्होंने अपने पति के गले में चमड़े का पट्टा बांधकर रख दिया है, वह हमें छोड़कर जिंदगी भर कहीं नहीं जायेगा। अब चाहें तो हम उसे चूत का प्रसाद बांटे या ना बाटें, वह तो बेचारा भूखे लण्ड को हाथ में पकड़ कर भी, जिंदगी भर हमारी गुलामी ही करेगा।
घर में एक छोटा सा स्टडीरूम था, जिसका उपयोग मैं अपने ऑफ़िस का काम व किताबें पढ़ने के लिये किया करता था। वैसे अगर शालिनी घर में भी होती तो मुझे कोई डर नहीं था, कारण शालिनी मुझे वहाँ डिस्टर्ब करने के लिये कभी नहीं आती थी।
उस दिन मैं आठ बजने से पहले ही मैं कम्प्यूटर पर आनलाईन होकर बैठ गया व घड़ी के एक-एक सेकंड को खिसकते देखने लगा।
उस दिन मुझे हर मिनट एक घंटे जैसा लगने लगा व आठ बजने तक तो ऐसा लगा जैसे पूरा एक दिन बीत गया हो..
फिर ठीक आठ बजकर पांच मिनट पर कामना जी आनलाईन हुई। मेरे सामने एक बेहद आकर्षक महिला, कमर तक लहराते खुले हुए बाल, सलीके से पहनी हुई हल्के पीले रंग की फ़ूलों के प्रिंट वाली साड़ी, सांवला सा गोल चेहरा, इन्द्रधनुषी होंठ जिन पर लिपस्टिक लगी हुई थी, चेहरे पर एक ऐसी मुस्काहट जिसके आगे सब गहने फीके पड़ जायें।
कुल मिलाकर एक साधारण मगर आकर्षक व स्मार्ट चेहरा। मतलब उनमें वे सब खूबियाँ थीं जो किसी भी सुन्दर महिला को भी पीछे छोड़ दें।
दोनों की नजरें मिली, हाय हेलो हुई। उन्होंने मुझे पहले ही बता दिया था कि कोई वल्गर बातचीत नहीं होगी। हालांकि अगर वे चाहती तो भी मैं घटिया तरीके से बातचीत नहीं कर सकता था।
फिर हम धीरे धीरे एक दूसरे से खुलने लगे, दोनों ने एक दूसरे को करीब से जाना, पढ़ाई, घर, बच्चों, हॉबी इत्यादि के बारे में जाना। हमारे कुछ शौक जैसे अच्छा साहित्य पढ़ना, ट्रेवलिंग, म्यूजिक सुनना आपस में मिलते थे।
बात आगे बढ़ी तो कामना ने बताया कि पति के अत्यधिक व्यस्त रहने व उसकी सेक्स में अधिक रुचि नहीं होने के कारण उन्होंने अपने तन की आग को ठण्डा करने के लिये कई आप्शन पर विचार किया लेकिन सभी में कोई खतरा या बदनामी का डर लगा। फिर उन्होंने एक बार इन्टरनेट पर इसी प्रकार का विज्ञापन देखा। तो उन्होंने भी हिम्मत कर स्वयं के लिये उसी प्रकार का विज्ञापन दे दिया ताकि किसी अनजाने आदमी से सेक्स करने से सांप भी मर जायेगा व लाठी भी नहीं टूटेगी।
अनजाने आदमी से से सेक्स करने में कई तरह के खतरे कम हो जाते हैं। उनके इस एड के रिस्पांस में उनके पास कई मेल भी आये, जिनमें से उन्होंने दो ही पुरुष चुने व जिनसे मेल आदान प्रदान किये। किन्तु वीडियो चेटिंग के लिये मात्र मुझे बुलाया।
इस प्रकार मैं एक खुशनसीब बंदा था, जिसे गूगल देवता की बदौलत चूत का प्रसाद मिलने वाला था।
मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने अपने एड में एन.एस.ए क्यों लिखा था।
उनका जवाब बहुत स्पष्ट था कि वे अपने पति, बच्चों व घर को बहुत प्यार करती हैं, वे किसी भी कीमत पर उन्हें खोना नहीं चाहती हैं। उन्हें अपने तन की आग बुझाने के लिये पार्टनर चाहिये, ना कि कोई प्यार व्यार का लफड़ा। क्योंकि उनका विचार था कि अगर वे प्यार के झंझट में पड़ेंगी तो निश्चित रूप से भविष्य में किसी ना किसी समस्या में पड़ सकती हैं।
उन्होंने मुझे भी यही समझाया कि हमें अपने काम से मतलब रखना चाहिये, ना कि किसी प्यार के बारे में सोचना चाहिये।
मुझे भी उनकी बात पसंद आई।
फिर मिलने के बारे में बात हुई, तो तय रहा कि अगले सप्ताह उनका पति किसी बिजनेस के काम से सात दिन के लिये विदेश जा रहा है तो हम माथेरान में मिल लेते हैं। कारण वे नहीं चाहती थी कि मैं पुणे आऊँ, व हमारे मिलन के बारे में उनके शहर में किसी को पता चले।
फिलहाल मेरी जॉब भी मुम्बई ही है अतः हम दोनों के लिये माथेरान पहुँचना ही सुविधाजनक था।
मैंने शालिनी को बताया कि ऑफ़िस के काम से मुझे पुणे जाना है व तकरीबन दो दिन वहाँ रुकना पड़ेगा। हालांकि इस बार मैं शालिनी से विदा लेते समय खुद को अपराधी महसूस कर रहा था किन्तु क्या करूँ, आज तन के आगे मेरा मन मजबूर हो चला था।
फिर मैं नियत दिन अपने ऑफ़िस का एक काम निकाल कर पुणे चला गया, फिर दोपहर को माथेरान पहुँच गया। उधर कामना ने भी मेरे आधे घंटे के बाद पुणे छोड़ा, व हम दोनों एक निर्धारित जगह पर मिल गये फिर एक होटल में पति पत्नी के रूप में एन्ट्री ली।
मैंने वीडियो चेट के समय कामना जो को रूप देखा था, वे आज उससे भी आकर्षक लग रही थीं, वे गुलाबी रंग के सलवार सूट व धूप का चश्मा लगाये एक माडल की तरह स्मार्ट लग रही थीं।
किन्तु अगर मैं शालिनी से तुलना करूँ तो वो शालिनी के मुकाबले में कहीं भी नहीं ठहरती थीं। पर मैं शालिनी की खूबसूरती को क्या चाटूं, जिसका रसास्वादन मैं नहीं कर पाता था।
हम जैसे ही होटल के कमरे में पहुँचे, तो मन में यह ख्याल आया कि प्रवेश करते ही उन्हें उठाकर बिस्तर पर पटक कर चुदाई शुरु कर दूँ। किन्तु मैंने अपने बावरे मन से कहा, ठण्ड रख जरा ठण्ड रख, जब कामना यहाँ तक आ गई हैं तो चुदवाएँगी भी।
वैसे भी अगले तीन दिनों तक चुदाई के सिवाए करना ही क्या है। अब अगर मैं जल्दबाजी दिखलाऊँगा तो, मेरा पहला इम्प्रेशन खराब हो जायेगा।
कमरे में हमने अपने बैग रखे व सोफे पर आमने सामने बैठ गये।
फिर मैंने नाश्ता व ड्रिंक मंगाया। मेरी इच्छा तो बहुत हुई की सामने वाले सोफे पर जाकर कामना के नजदीक बैठ जाऊँ, उन्हें अपनी गोद में बिठा लूँ।
इधर मेरा कई दिनों से भूखा लण्ड बेकरार होकर मेरी पैंट को फाड़कर बाहर आने को बेताब हो रहा था जिसके कारण मुझे बैठने में भी दिक्कत हो रही थी। मुझे यहाँ तक भी डर लग रहा था कि कहीं यहीं बैठे बैठे ही मेरा पप्पू पानी नहीं छोड़ दे।
उधर सामने बैठी कामना ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि वो पहल करेंगी।
वे बातें करने में बहुत एक्स्पर्ट थी, मेरे साथ दुनिया भर की बातें करती रहीं, पर वह बात शुरु नहीं करी जिसके लिये मैं आया था। हालांकि बातचीत में पता ही नहीं चला और आधा घंटा निकल गया। फिर जब वेटर खाली प्लेटें लेकर गया, तो मैं उठा व रूम को लॉक कर दिया।
फिर कामना भी खड़ी हो गई व मेरी ओर बढ़ीं, तो मेरी बाहें स्वमेव फैल गईं, व हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सिमट गये।
कहानी जारी रहेगी।

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