शादी में अनजान भाभी की चुदाई
(Xxx Hindi Bhabhi Chudai Kahani)
Xxx हिंदी भाभी चुदाई कहानी में मैं दूर की रिश्तेदारी में एक शादी में गया. वहां मेरा कोई नजदीकी नहीं मिला तो मैंने एक लड़के से दोस्ती कर ली. तब उसकी मम्मी से मिला.
सभी प्रिय पाठकों को नमस्कार.
उम्मीद है कि आप सब अच्छे होंगे और अपने लंड या चूत को आनंदित कर रहे होंगे.
सबसे पहले मैं अपने बारे में बता दूँ.
मेरा नाम रोहन है. मेरी उम्र 24 वर्ष है, रंग गोरा है और लंबाई 170 सेंटीमीटर है.
ईश्वर की ऐसी कृपा रही है कि मैंने जब भी किसी को आकर्षित करने की कोशिश की, तो मैंने उसे अपने प्रति आकर्षित कर ही लिया.
मैं उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से हूँ और एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता हूँ.
बचपन से मैं पढ़ाई में काफी अच्छा रहा और मैंने सबकी नजरों में एक सभ्य बालक की छवि बनाए रखी.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है.
Xxx हिंदी भाभी चुदाई कहानी में यदि कोई गलती हो जाए, तो कृपया माफ करना.
यह घटना वर्ष 2019 की है, जब मैंने एक सरकारी पद (नाम उजागर नहीं कर सकता) की परीक्षा उत्तीर्ण की थी लेकिन अभी तक जॉइन नहीं किया था.
इस कारण मैं घर पर खाली रहता था.
इसी बीच मेरे मौसा के भाई की बेटी की शादी थी, तो घर वालों ने मुझे वहां जाने को कहा.
चूँकि मैं रिश्तेदारी में बहुत कम जाता था इसलिए मेरा मन नहीं था.
लेकिन मजबूरीवश मुझे जाना पड़ा.
अनमने मन से मैंने बैग पैक किया, बाइक उठाई और 35 किमी की दूरी 1 घंटे में तय कर वहां पहुंच गया.
वहां लोगों से मिला और थोड़ी देर बाद खाना शुरू होना था, तो मैं एक लड़के के साथ खेतों की तरफ घूमने निकल गया … पर जल्दी ही वापस आ गया.
शादी अगले दिन थी.
इसलिए सभी लोग तैयारियों में व्यस्त थे.
मैं उस लड़के के साथ बैठा था.
तभी एक भाभी आईं और उस लड़के को बुलाकर बोलीं- चलो बस, बहुत घूम लिया. अब चल कर खाना खा लो.
मैं समझ गया कि यह औरत इस लड़के की मम्मी है.
फिर उस भाभी ने जाते-जाते मुझसे भी कहा- आप भी आकर खाना खा लो.
मैं तो खाना खाने के लिए रेडी ही बैठा था तो मुझे तेज भूख लग रही थी.
वे भाभी भी मुझे बड़ी जोरदार लगी थीं, तो मैं उन्हें ही देखने में खो गया.
सच में वे बवाल लग रही थीं और मैं बस उन्हें देखता ही रह गया.
भाभी का एकदम दूध सा गोरा रंग, लंबे बाल कमर तक लहरा रहे थे और उनके मम्मे ऐसे उठे हुए कि लग रहा था … बस पकड़ कर पीने लग जाऊं.
भाभी की उभरी हुई गांड भी बहुत सेक्सी थी.
एक शब्द में कहूँ तो भाभी अप्सरा लग रही थीं.
मैं उन्हें देखकर ख्यालों में खो गया.
वे दोबारा बोलीं- कहां खो गए? खाना खा लो!
मैं एकदम सकपका गया और उठकर उनके पीछे पीछे चला गया.
जब वे झुककर खाना परोस रही थीं, तो मेरी नजर उनके आधे दिखते मम्मों पर ही टिकी थी.
मेरी कामुक नजर को उन्होंने भांप लिया और अपने मम्मों को अपनी साड़ी से सही से ढक लिया.
खाना खाकर मैं सोने आ गया, लेकिन नींद नहीं आ रही थी.
मैं बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा.
जब पसीने में लथपथ होकर बाहर निकला तो सामने वही भाभी खड़ी थीं.
मुझे पसीने में देखकर वे मुस्कुराईं और अन्दर चली गईं.
मैं भी मुस्कुराते हुए जाकर सो गया.
सुबह मैं फिर से उसी लड़के के साथ घूमने निकला और उससे उसकी मम्मी का नाम पूछा.
उसने बताया- जानवी.
यह बदला हुआ नाम है.
उसके पापा के बारे में पूछने पर उसने बताया कि उसके पापा टीचर हैं और हम सब लोग बाहर रहते हैं. इधर शादी में वह और उसकी मम्मी ही यहां आई हैं.
जब हम दोनों घूम कर वापस आए तो भाभी जी ने खाने के बारे में पूछा और खाना लगा दिया.
मैं और रिशु (लड़के का नाम) दोनों एक थाली में खाने लगे.
वे मुस्कुराकर बोलीं- अच्छे दोस्त बन गए हो!
मैंने मौका देखकर बोल दिया- बड़े मौका देते नहीं, तो छोटे से ही दोस्ती कर ली.
इस पर वे हंसकर बाहर चली गईं.
उनकी मटकती गांड देखकर मेरा लंड मचलने लगा.
मैंने खाना खाया और बाहर शादी की तैयारियां देखने लगा.
शाम को सभी लोग शादी के लिए तैयार हो रहे थे.
घर में बहुत भीड़ थी.
मैं सबसे ऊपर छत पर बने कमरे में गया तो देखा कि वही भाभी कपड़े बदल रही थीं.
उन्होंने काले रंग की ब्रा और काला पेटीकोट पहना था.
उनके दूध एकदम गोरे थे और ब्रा से बाहर निकलने को बेताब थे.
मैं उन्हें इस हालत में देखकर सकपका गया और रुक गया.
जैसे ही भाभी ने मेरी तरफ देखा, वे साड़ी उठाकर बाथरूम में भाग गईं.
मैं बाहर बैठा रहा.
जब वे तैयार होकर निकलीं, तो मैं देखता रह गया.
भाभी एकदम कयामत लग रही थीं.
वे इठला कर बोलीं- थोड़ा ध्यान रखा करो! ऐसे एकदम कमरे में नहीं घुसा करते.
मैंने सॉरी कहा और बोला- ऊपर कोई रहता नहीं और सब व्यस्त हैं, तो मैं चला आया. वैसे मैंने कुछ देखा नहीं है!
यह कह कर मैं मुस्कुरा दिया.
वे हंसती हुई बोलीं- बिना देखे ही ये हालत हो गई, तो देखकर क्या होता!
वे भी हंस कर सीढ़ियों से नीचे जाने लगीं … और जाते-जाते बोलीं- किसी को बताना मत यह सब!
मैं झटपट से बाथरूम में अन्दर गया और अपना लंड हिलाया, फिर नहाया और तैयार हुआ और बाहर आ गया.
अब शादी की रात में सब अपने अपने ढंग से सजे हुए थे.
लड़कियों में एक दूसरे से ज्यादा खूबसूरत दिखने की होड़ मची हुई थी.
मैं जब वहां गया तो बस यूं ही खड़ा हो गया.
उधर मैं शायद सबसे ज्यादा आकर्षक पुरुषों में एक था, तो वहां कुछ लड़कियां मुझे लाइन दे रही थीं.
लेकिन मेरी नज़र सिर्फ़ भाभी को ढूँढ रही थी.
पंडाल में काफी लोग खाना खा रहे थे और दरवाजे पर बारात के स्वागत की तैयारी हो रही थी.
मैं वहां अपने कुछ रिश्तेदारों से मिला, लेकिन बायीं ओर उनके साथ बैठकर उनकी बकवास सुनने से बेहतर मुझे आराम करना लगा.
इसलिए मैं वहीं ऊपर बने कमरे में आकर लेट गया क्योंकि सब लोग शादी में व्यस्त थे, तो ऊपर कोई नहीं था.
थोड़ी देर बाद वही भाभी आयीं और उन्होंने अपने लड़के को वहीं लिटा दिया जो शायद नीचे ही सो चुका था.
वे उसे लिटाकर जाने लगीं, तभी वह जाग गया.
भाभी उसे सुलाने के लिए उसके साथ लेट गयीं.
उनके लेटते ही मेरी धड़कन बढ़ गयी.
थोड़ी देर बाद रिशु ने लाइट बंद करने को कहा.
तो भाभी ने लाइट बंद कर दी और वे फिर से लेट गयीं.
मैं एक कोने पर था, बीच में भाभी थीं और दूसरी तरफ़ रिशु था.
भाभी मेरी तरफ़ पीठ की हुई थीं, तो मेरी नज़र उनकी कमर और उनकी उभरी हुई गांड पर जा रही थी.
मस्त पहाड़ी सी गांड को देखकर मेरा लंड तन चुका था.
भाभी को लग रहा था कि मैं सो चुका हूँ.
थोड़ी देर ऐसे ही लेटे-लेटे शायद भाभी भी सो गयीं क्योंकि दो दिन से भाभी बहुत थकी हुई थीं.
मैंने सोने का नाटक करके उनकी कमर के ऊपर अपना एक हाथ रख दिया.
उनके मखमली स्पर्श ने मुझे मदहोश कर दिया.
मैं धीरे-धीरे अपना हाथ ऊपर उनके वक्षस्थल की ओर ले जाने लगा.
तभी भाभी की कुछ हलचल हुई तो मैंने झट से हाथ हटा लिया और आंखें बंद कर लीं.
भाभी उठीं, तो मेरी गांड फट गयी.
लेकिन भाभी ने मेरी तरफ़ देखा और साड़ी ठीक करके नीचे चली गयीं.
मैं मन मसोस कर रह गया और सो गया.
करीब तीन बजे मेरी आंख कमरे में गेट लगाने की आवाज़ से खुली.
मैंने देखा कि जानवी भाभी अन्दर आयीं और अपनी साड़ी में से कुछ पिन वगैरह निकाल रही थीं.
फिर वे बाथरूम में जाकर मुँह धोकर आकर वहीं लेट गयीं.
अब मेरी नींद उड़ चुकी थी.
भाभी के लेटने के बाद मैं थोड़ी देर बाद अपनी हरकत में आ गया और मैंने अपना हाथ उनकी कमर पर रख दिया.
क्योंकि भाभी मेरी तरफ़ पीठ करके लेटी थीं, तो मैं उनके थोड़ा और नज़दीक चला गया और उनकी खुली पीठ के पास जाकर ख़ुशबू लेने लगा.
मैंने अपने हाथ को धीरे-धीरे उनके दूध की तरफ़ ले जाना शुरू किया.
उनके दूध पर हाथ रखते ही ऐसा लगा कि वे कितने सॉफ्ट दूध हैं.
मैं ख़ुद को रोक न सका और धीरे-धीरे उनके दूध को दबाने लगा.
फिर मैंने अपने हाथ को नीचे उनकी गांड पर ले जाकर रखा और हल्के-हल्के सहलाने लगा.
तभी भाभी ने थोड़ी हलचल की तो मैं रुक गया लेकिन अपना हाथ नहीं हटाया.
अचानक भाभी मेरी तरफ़ पलटीं, जैसे गहरी नींद में हों.
अब उनका चेहरा मेरी तरफ़ था, साड़ी आधी अलग हो गयी थी.
उनके गहरे गले के ब्लाउज़ से मम्मों का दिलकश क्लीवेज दिख रहा था.
मैंने थोड़ी हिम्मत दिखाई और उनके और नज़दीक चला गया.
हम लगभग एक-दूसरे से चिपके ही थे, बस ज़रा सा गैप था.
मैंने पीछे हाथ ले जाकर उनकी गांड को सहलाना शुरू किया और उनकी गर्दन पर अपनी सांसें छोड़ने लगा.
अब मेरा लंड तनकर पैंट से बाहर निकलने को बेताब था और दर्द करने लगा था.
मैंने पैंट का बटन खोलकर उसे बाहर निकाल लिया.
इधर मेरा मन भाभी की चूत और गांड देखने को कर रहा था.
मैंने धीरे-धीरे भाभी की साड़ी ऊपर करना शुरू किया.
भाभी के पैर बिल्कुल चिकने थे, मैंने उन्हें धीरे से सहलाया और साड़ी को और ऊपर करने की कोशिश की लेकिन साड़ी भाभी के नीचे दबी थी.
अब मैं साड़ी के ऊपर से ही भाभी की गांड दबाने लगा.
तभी भाभी ने हलचल की और सीधी होकर लेट गयीं.
इससे मेरी हिम्मत और बढ़ चुकी थी.
मैंने धीरे से भाभी के दूध दबाना शुरू किया और फिर उनके ब्लाउज़ के बटन खोलने लगा.
धीरे-धीरे भाभी के सभी बटन खुल गए और उनकी काली ब्रा में कैद कबूतर देखकर मैं पागल हो गया.
मैं ब्रा के ऊपर से ही उन्हें चूमने लगा. भाभी अब तिलमिलाने लगीं और अचानक उनके मुँह से ‘आह… आह …’ की आवाज़ आने लगी.
मैं समझ गया कि भाभी मज़े ले रही हैं लेकिन शर्म की वजह से वे आंखें नहीं खोल रही थीं.
मैंने उनका हाथ अपने लंड पर रख दिया तो वे उसे सहलाने लगीं.
मैंने भाभी की ब्रा को ऊपर करके उनके एक दूध को पीना शुरू कर दिया.
भाभी एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थीं और दूसरे हाथ से चादर भींच रही थीं.
मैं भाभी के ऊपर आ गया और उनके होंठ पीने लगा.
अब भाभी भी मेरा साथ देने लगीं और उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया.
मैं धीरे-धीरे नीचे आने लगा, फिर भाभी की साड़ी निकालने लगा.
तो उन्होंने मेरे हाथ पकड़ लिए और बिना कुछ बोले अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर करने का इशारा किया.
मैं समझ गया कि उन्हें किसी के आने का डर है.
मैंने उनकी साड़ी ऊपर की और उनके पैरों से चूमते हुए ऊपर जाने लगा.
भाभी तड़पती हुई इधर-उधर मचलने लगीं.
मैंने उनकी गीली पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को चूमा, तो भाभी ने जोर से मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया.
मैं भी भाभी की चूत से निकले पानी की ख़ुशबू से मदहोश हो गया और पैंटी के ऊपर से ही जीभ से चाटने लगा.
फिर मैंने भाभी को पलटने का इशारा किया, तो वे बिना कुछ कहे पलट गयीं.
भाभी की उस भरी हुई गांड को देखकर मैं पागल हो गया था.
मुझे ऐसी मोटी गांड को दबाने और काटने में बहुत मज़ा आता है.
अब उसी गांड को मैं पकड़ कर दबा रहा था, चूम रहा था और धीरे-धीरे भाभी की मोटी गांड को काट भी लेता था, जिससे भाभी की कामुक सिसकारियां निकल रही थीं.
भाभी की मीठे दर्द भरी आह मुझे और मदहोश कर रही थी.
मैं धीरे-धीरे चूमते हुए भाभी की काली पैंटी उतारने लगा और भाभी की चिकनी, मोटी गांड मेरे सामने आ गई.
मैंने भाभी के पैर उठा कर उनकी पैंटी निकाल कर फेंक दी और उनके पैर फैला दिए.
भाभी की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी. मैंने धीरे से भाभी की गांड की दरार से अपना हाथ उनकी गीली चूत तक आहिस्ता से ले गया.
भाभी ने कसकर चादर पकड़ ली और आहें भरने लगीं.
मैंने एक उंगली से उनकी चूत को रगड़ना शुरू किया.
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और सीधी हो गईं. अब उन्होंने मेरे लंड को पकड़कर खींचना शुरू कर दिया.
मैं उनके इशारे को समझ गया और अपने लंड को उनके मुँह के पास ले जाकर 69 की पोजीशन में आ गया.
अब भाभी की चूत मेरे सामने थी और मेरा लंड उनके होंठों के पास.
मैंने अपनी जीभ का काम शुरू किया और उनकी पूरी तरह क्लीन शेव चिकनी चूत के आस पास चूमना शुरू कर दिया.
भाभी कसमसा उठीं और उन्होंने मेरे 6 इंच लंबे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
हम दोनों करीब 10 मिनट तक एक-दूसरे को सुख देते रहे.
इसके बाद हम सीधे होकर एक-दूसरे को चूमने लगे.
भाभी ने नीचे हाथ बढ़ाकर मेरा लंड पकड़ लिया और अपने पैर फैलाकर उसे चूत में डालने की कोशिश करने लगीं.
मैं समझ गया कि भाभी अब रुक नहीं सकतीं.
मैंने भाभी के दोनों पैर ऊपर उठाए और अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
भाभी बोलीं- अब तो डाल दे, रुका नहीं जाता.
मैंने भी जोश में आकर एक झटके में पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया.
भाभी के मुँह से तेज़ चीख निकल गई.
अच्छा हुआ कि नीचे डीजे वाला गाना बजा रहा था, जिससे उनकी आवाज़ दब गई.
मैंने भाभी को चोदना शुरू किया तो भाभी नीचे से गांड उठाकर मेरा साथ देने लगीं.
मैं उनके दूध भी दबा रहा था और चूमते-चूमते चोद भी रहा था.
भाभी मस्ती से बोल रही थीं- आह … आह … मज़ा आ रहा है रोहन … तुमने मेरी चूत की प्यास बुझा दी … आह और तेज़ चोदो आह मुझे ऐसे ही चोदते रहो!
उनके ये शब्द मुझे और जोश दिला रहे थे.
मैं भाभी को तेज़ी से चोद रहा था और हमारे शरीर के टकराने से ठप-ठप की आवाज़ निकल रही थी.
करीब 15 मिनट चोदने के बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा.
वे तुरंत घोड़ी बन गईं.
मैंने पीछे से उनकी चूत में लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया.
भाभी आह आह करती हुई मज़े लेने लगीं.
मैं उनके बाल पकड़ कर उन्हें एक बाजारू रंडी की तरह चोद रहा था और वे भी मस्त होकर चुदवा रही थीं.
करीब 10 मिनट चोदने के बाद मैं नीचे लेट गया और उन्हें अपने ऊपर आने को कहा.
भाभी झट से मान गईं और अपनी कमर में लटकी साड़ी और पेटीकोट निकाल कर एक तरफ रख दिया.
फिर वे मेरे ऊपर आ गईं और अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में लगाकर बैठ गईं.
उस वक्त जो मज़ा आया, उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता.
इसके बाद उन्होंने उछलना शुरू किया, तो मैं मदहोश होकर उनके दूध तेज़ी से दबाने लगा.
करीब 5 मिनट बाद वे तेज़ तेज़ उछल कर लंड अन्दर बाहर लेने लगीं.
मैं समझ गया कि भाभी अब झड़ने वाली हैं.
मैंने तुरंत भाभी को नीचे लिया और तेज़-तेज़ चोदने लगा.
भाभी चिल्लाने लगीं- और तेज़ … और तेज़ चोदो आह आह मैं आ रही हूँ.
मैंने भी Xxx हिंदी भाभी चुदाई स्पीड बढ़ा दी और उसी के साथ भाभी झड़ गईं.
मैंने मौका देखकर उनकी चूत में ही छोड़ दिया.
हम दोनों 10 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे.
फिर भाभी मुझे चूम कर अलग हुईं और अपने कपड़े पहनने लगीं.
मैंने भी अपने कपड़े पहने और उन्हें चूमने लगा.
तभी वे बोलीं- नीचे शादी चल रही है, मैं जा रही हूँ.
यह कह कर भाभी नीचे चली गईं.
मैं भी उनके बेटे के पास जाकर लेट गया.
सुबह क्या हुआ, वह मैं इस Xxx हिंदी भाभी चुदाई कहानी के अगले भाग में बताऊंगा.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी थी.
मुझे लिखने का कोई अनुभव नहीं है, मैंने बस अपनी सच्ची सेक्स कहानी आप लोगों के सामने रखी है क्योंकि दूसरों की कहानियां पढ़कर मुझे भी मन करता था कि मैं अपनी सेक्स कहानी आप सब के सामने रखूँ.
आप सभी पाठिकाएं और पाठक मेरी ईमेल पर मेल करके अवश्य बताएं कि मेरी Xxx हिंदी भाभी चुदाई कहानी कैसी लगी.
धन्यवाद.
[email protected]
What did you think of this story
Comments