कुंवारी लड़की की कमसिन जवानी की शुरुआत
(New Girl Fresh Pussy Story)
न्यू गर्ल फ्रेश पुसी स्टोरी में मैं एक गदराये बदन वाली मस्त लौंडिया हूं. लेकिन संस्कारों के कारण मैं सेक्स के बारे में नहीं सोचती थी. मेरी एक सहेली बनी हॉस्टल में. एक दिन उसकी भाभी मिलने आई.
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दोस्तो, मेरा नाम ताराक्षी है। मैं 26 साल की लड़की हूं।
मैं यूपी की रहने वाली हूं।
मेरा कद 5 फीट 3 इंच है।
मेरा वजन 47 किलो है।
मेरा फिगर 34B 30 34 है यानी कि मैं एक गदराये बदन वाली मस्त लौंडिया हूं, जिसके आगे-पीछे ब.च्चे से लेकर बूढ़े लोग तक घूमते रहते हैं।
मेरे केश के बाल कंधे तक आते हैं और मेरा रंग गोरा है।
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि मैं एक मॉडल सी दिखती हूं।
मैंने पढ़ाई पूरी कर ली है। मैं अब घर पर ही रहती हूं।
मेरी अभी तक शादी नहीं हुई है।
मेरे पापा दुबई में नौकरी करते हैं, माँ टीचर हैं।
मेरी एक दीदी भी है जिनकी अब शादी हो चुकी है।
मैं अपनी जिंदगी की दास्तान इस न्यू गर्ल फ्रेश पुसी स्टोरी में बताने जा रही हूं।
मैं एक छोटे से गांव में पैदा हुई।
बचपन मेरा बहुत खुशी-खुशी बीता।
जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही मेरे बदन का विकास होने लगा।
स्कूल टाइम में ही मेरी चूचियां B-कप्स की हो गई थीं।
सौभाग्यवश मेरे दोनों निप्पल्स भी ज्यादा बड़े हैं जिन पर मुझे बहुत गर्व है।
मेरी चूत का भी विकास बहुत अच्छी तरह से हुआ।
मेरी बुर की फांकें एकदम सटी हुई थीं और मेरी क्लिट काफी बड़ी थी।
मैंने काफी बार ये नोटिस किया था कि जब मैं अपनी टांगें फैलाती थी, तो मेरी बुर की दोनों फांकें एकदम सटी हुई होती थीं जबकि मेरी दीदी और कजिन की बुर की फांकें अलग-अलग दिखती थीं।
बचपन में मेरी पक्की सहेली मेरी दीदी ही थी।
माँ का भी व्यवहार हम लोगों से दोस्ताना ही था परंतु दीदी मेरे एकदम करीब रहती।
हम दोनों साथ-साथ ही सोते, खाते-पीते, स्कूल जाते… वगैरह-वगैरह।
डैड तो साल में 1 या 2 बार ही घर आ पाते, वो भी कुछ दिनों के लिए।
मेरी माँ बहुत धार्मिक महिला थीं, उन्होंने हम दोनों बेटियों को बहुत प्यार से पाला।
हम दोनों बहनों को उन्होंने गर्ल्स स्कूल और कॉलेज में पढ़ाया।
जब मैं थोड़ी बड़ी हुई तो सही उम्र आने पर दीदी ने मुझे पैड्स यूज करना, फिंगरिंग करना आदि सिखाया।
दीदी का कोई बॉयफ्रेंड नहीं था परंतु वो काफी हॉट थी और हर रात को वो दो एक बार फिंगरिंग किया ही करती थी।
वो हमारी एक कजिन और अपनी एक सहेली से लेस्बियन भी किया करती थी।
जब भी वो कजिन/उनकी सहेली घर आती, मुझे दूसरे रूम में सोना पड़ता और वो सब रात भर लेस्बियन करके अपनी हवस शांत करती।
माँ को ये सब पता चल गया परंतु उन्होंने किसी से कुछ भी नहीं कहा।
BA में दीदी के फेल होने के बाद माँ ने दीदी की शादी एक इंजीनियर से कर दी।
अब दीदी, जीजा और अपने बच्चों के साथ विदेश में सेटल्ड है।
दीदी की शादी के बाद मैंने एक गर्ल्स कॉलेज से BA किया और पूरा ध्यान स्टडीज में लगाया, जिसकी वजह से मेरा एडमिशन दिल्ली में एक बहुत बढ़िया कॉलेज में MA में हो गया।
मैं दिल्ली आकर बहुत खुश थी।
एक तो इतना बढ़िया कॉलेज था और उस पर से दिल्ली का ओपन एटमॉस्फियर।
हॉस्टल आलॉट हो गया।
मेरी रूममेट साक्षी नाम की एक लड़की बनी।
वो भी UP के ही एक छोटे से शहर की थी और बहुत खूबसूरत थी, मेरे से भी ज्यादा सुंदर थी वो और उसका बदन मेरे से भी ज्यादा गदराया हुआ था।
कुछ ही दिनों में हम दोनों बहुत ही पक्की सहेलियां बन गईं।
कॉलेज स्टार्ट हो गए थे और हम दोनों ने अपना पूरा ध्यान अपनी स्टडीज में लगा दिया था।
कुछ महीने बाद साक्षी की भाभी हॉस्टल में साक्षी से मिलने आई।
साक्षी ने मेरे परिचय अपनी भाभी से करवाया, भाभी का नाम नीलू था, भाभी तो साक्षी से भी ज्यादा बला की खूबसूरत थी।
मैं तो भाभी को देखती रह गई।
फिर मैं भाभी को नमस्ते की और दिल्ली के कामों में व्यस्त हो गई।
शाम को भाभी के साथ चाय हुई, हमने ताश खेलने का प्लान बनाया।
मुझे ताश खेलना नहीं आता था इसलिए मैं मना करने लगी.
परंतु थोड़ी ही देर में भाभी और साक्षी के बार-बार कहने पर मैं मान गई।
भाभी और साक्षी ने मुझे थोड़ा-थोड़ा ताश खेलना सिखाया, फिर मैं उनके साथ खेलने लगी।
खेलते-खेलते भाभी ने हम लोगों से “स्ट्रिप पोकर” खेलने को कहा.
मुझे नहीं मालूम था कि इसमें क्या होता है.
तो साक्षी ने बताया कि इसमें जो हारता है, उसको एक-एक करके कपड़े उतारने पड़ते हैं।
मैं मना करने लगी क्योंकि मुझे ठीक से ये गेम खेलना नहीं आता था.
पर साक्षी और भाभी ने मुझे जिद करके मना लिया।
पता नहीं क्या कारण था कि मैं भाभी की बातों में आ गई।
मुझे साक्षी के सामने नंगी होने में कोई प्रॉब्लम नहीं थी क्योंकि मैं उसके सामने कई बार कपड़े बदलते हुए नंगी हो जाती थी और उसको भी मेरे सामने नंगी होने में कोई प्रॉब्लम नहीं थी।
धीरे-धीरे गेम शुरू हुआ।
मुझे गेम ठीक से आता नहीं था तो मैं 1st राउंड में हारी।
मुझे अपनी कमीज उतारनी पड़ी।
मुझे भाभी से शर्म आ रही थी।
2nd राउंड में साक्षी ने मेरी हेल्प की, भाभी ने उसको मेरी हेल्प करने दी।
इस बार साक्षी जानबूझकर हारी।
हारते ही उसने अपनी कमीज उतार के फेंक दी।
नेक्स्ट राउंड में फिर साक्षी ने मेरी हेल्प की और वो जानबूझकर हारी।
इस बार उसने अपनी शलवार उतार के साइड में रख दिया।
अब साक्षी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और मैं टॉपलेस थी।
नेक्स्ट राउंड्स में साक्षी ने मेरी हेल्प नहीं की और मैं क्रमशः नंगी होती चली गई।
कुछ ही राउंड्स के गेम में मैं पूरी नंगी हो चुकी थी और साक्षी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और भाभी की बॉडी से एक भी कपड़ा नहीं उतरा था, यानी वो एक भी राउंड नहीं हारी थी।
भाभी मेरे से बोली- चूंकि तुम दोनों मिलके भी मेरे को एक भी राउंड नहीं हरा पाई तो तुम दोनों को मेरी “स्लेव” बनके रात भर रहना पड़ेगा!
मैं मना करने वाली थी कि साक्षी ने भाभी को “हाँ” कर दी।
मैं आंखों से साक्षी को मना करने लगी.
तो वो बोली – डर गई?
आखिर मैं ये बात कैसे एक्सेप्ट कर सकती थी?
मैं भी भाभी को ‘हाँ’ कर दी।
भाभी हम दोनों को बोली कि हम दोनों को उनकी हर बात सुबह तक माननी पड़ेगी, अगर ये हमें मंजूर हो, तो वो गेम आगे बढ़ाएंगी, नहीं तो कार से वापस चली जाएंगी।
हम दोनों भाभी की मॉर्निंग तक स्लेव बनने रहने को स्वीकार कर लिया।
भाभी हम दोनों को “शॉर्ट स्कर्ट और टॉप” पहनने को बोली।
मैं ब्लू ब्रा, ब्लू पैंटीज और ब्लू जीन्स टॉप और जीन्स स्कर्ट पहनी, जो मेरी घुटनों तक की थी।
साक्षी ने भी वैसे ही कपड़े पहने।
भाभी बाथरूम गई और नहा के अपनी साड़ी चेंज करके ब्लू सलवार समीज में बाहर निकली।
फिर वो बाहर जाने को रेडी हुई और हम तीनों नीचे उतरे, और कार से रेस्टोरेंट की तरफ निकल पड़े।
हम तीनों एक अच्छे से रेस्टोरेंट पहुंचे, वहां हम तीनों ने भर पेट खाना खाया।
फिर भाभी ने आइसक्रीम का ऑर्डर किया।
इसी बीच, खाना खाने के बाद मुझे जोरों की पेशाब लगी।
मैं बाथरूम जाने के लिए खड़ी हुई तो भाभी ने पूछा- क्या हुआ?
मैं बोली- सुसु लगी है, जोरों की!
भाभी बोली- चलो ताराक्षी! तुमको सुसु करा दूं मैं अब, नहीं तो तुम यहां चेयर पर ही सुसु कर दोगी!
भाभी इतनी जोर के बोली कि रेस्टोरेंट के सभी लोग हमारी तरफ देखने लगे।
भाभी बगल में खाना खा रही महिला से बोली- बेचारी! इस लड़की को किडनी में पथरी (stones) हो गई है। ये ब्लैडर कंट्रोल नहीं कर पाती है। इसको जल्दी ले जाती हूं, नहीं तो ये यहीं सुसु करने लगेगी!
मैं तो शर्म से पानी-पानी हो गई थी इतने लोगों के बीच में खड़े होके, भाभी की बातों को सुन के।
इधर साक्षी भाभी की चाल समझ गई थी और वो मंद-मंद मुस्कुरा रही थी।
भाभी ने मेरे हाथ पकड़े और मुझे लेके बाथरूम में घुस गई।
इत्तफाक से बाथरूम में बस हम दोनों ही थे।
भाभी ने मेरे से मेरी चड्डी मांगी।
मैं मना करने लगी तो भाभी ने क्रोध भरी आंखें दिखाई।
मैं धीरे-धीरे अपनी चड्डी उतारते हुए भाभी को दे दी।
मुझे बहुत शर्म आ रही थी और मुझे उससे ज्यादा उतनी ही जोरों से पेशाब भी लगी थी।
मैं बाथरूम के स्टाल्स की तरफ जाने लगी तो भाभी ने मुझे रोक दिया और मुझे बोली- देखो ताराक्षी! अगर पेशाब करना है, तो यहीं स्टाल के बाहर कर लो, अंदर स्टाल्स में नहीं करने को मिलेगा!
मैं भाभी से रिक्वेस्ट करने लगी – भाभी जाने दो न! बहुत जोर की मूत लगी है! प्लीज!
परंतु भाभी नहीं मानी।
वो बोली- अगर पेशाब करना है तो यहीं बाहर करना पड़ेगा, नहीं तो चलो, अब तुमको हॉस्टल ले चलती हूं!
मुझे इतने जोरों की पेशाब लगी थी कि मैं झुंझला उठी और भाभी की आंखों में देखते हुए अपनी स्कर्ट अपने दोनों हाथों से पकड़ी और भाभी की आंखों में देखते हुए अपनी चड्डी को धीरे-धीरे नीचे सरकाया।
मेरी बुर अब मेरी झांटों के पीछे छुपी हुई एकदम भाभी की नजरों के सामने थी.
भाभी मंद-मंद मुस्कुरा रही थी।
मैं भी भाभी की आंखों में देखते हुए, थोड़ी मुस्कुराई और अपनी आंखें बंद कर ली।
मेरी चड्डी अब मेरे घुटनों पर थी।
मैं अब अपनी स्कर्ट को अपने दोनों हाथों से कमर तक उठाए हुए, आंखें बंद किए हुए, मैं इंडियन स्टाइल में नीचे बैठते चली गई।
आह! धीरे-धीरे मेरी बुर भाभी के सामने आती गई।
जब मैं पूरा नीचे इंडियन स्टाइल में बैठ गई तो मेरी बुर की दोनों फांकी खुल के भाभी के सामने थी।
भाभी मंद-मंद मुस्कुराते हुए मेरी न्यू गर्ल फ्रेश पुसी और मेरे चेहरा को देख रही थी।
मैंने एक गहरी सांस ली और अपना मूत्र-द्वार खोल दिया।
मूत्र-द्वार खुलते ही, पेशाब बाहर निकलने लगा और आंखें बंद रखते हुए ही मैं पेशाब करने लगी।
मुझे ऐसा लगा कि मैं बस स्वर्ग में ही पहुंच गई हूं।
मुझे इस तरह पेशाब करते हुए बहुत ही मजा आ रहा था।
मुझे इस अवस्था में पेशाब करते हुए “निर्वाण” मिल चुका था।
मैं हवा में तैर रही थी।
इधर मैं स्वर्ग में थी, उधर बाथरूम का दरवाजा खुला, और 3 औरतें बाथरूम में दाखिल हुई।
मुझे इस तरह स्टाल्स के बाहर ही पेशाब करते हुए देख के वो तीनों आश्चर्यचकित रह गईं।
भाभी ने तीनों को धीमे से बताया- बेचारी की किडनी में प्रॉब्लम है! सुसु में बहुत दिक्कत होती है, बेचारी को, सुसु के बाद इसको बहुत आराम मिलता है!
तीनों औरतों ने मेरे से हमदर्दी जताई।
इधर धीरे-धीरे मेरे पेशाब खत्म होने लगा।
धीरे-धीरे मैं स्वर्ग से धरती पर आने लगी।
अपने सामने उन तीनों औरतों को देख के मैं पत्थर-की तरह वहीं बैठी रह गई।
मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं करूं क्या?
मेरी बुर से अभी भी हल्का-हल्का पेशाब निकल रहा था।
धीरे-धीरे पेशाब पूरा खत्म हो गया।
मैं अभी भी अपनी स्कर्ट कमर तक किए हुए इंडियन स्टाइल में अपनी झांटों भरी बुर खोल के भाभी और उन तीनों औरतों के सामने बैठी हुई थी।
2 मिनट्स तक जब मैं इसी तरह बैठी रही, तो भाभी आगे बढ़ी, और मेरी चड्डी निकलने लगी।
मैंने भी एक-एक पांव उठा के भाभी को अपनी चड्डी उतारने में मदद की।
भाभी ने मेरी चड्डी उतार के मेरी ही चड्डी से मेरी बुर को साफ किया और मुझे खड़ी किया।
फिर उन्होंने मेरी स्कर्ट नीचे की और फिर मुझे बाथरूम के बाहर लेके जाने लगी।
मैं एकदम मशीन की तरह हो गई थी, मेरे दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया था।
भाभी जैसा मेरे से करवा रही थी, मैं वैसा ही कर रही थी।
भाभी के साथ मैं आ के टेबल पर साक्षी के साथ बैठ गई।
मेरा दिमाग सुन्न पड़ चुका था।
तभी वेटर आइसक्रीम का ऑर्डर लेके आ गया।
जब वो आइसक्रीम टेबल पर रख चुका था तो भाभी ने उसकी प्लेट में मेरी पेशाब से भीगी नीली चड्डी डाल दी और उसको बाहर फेंकने को कहा।
वेटर मेरी गंदी चड्डी, मुझे और भाभी को देखता ही रह गया, फिर मेरी चड्डी सबको दिखाते हुए लेके चला गया।
मैं तो शर्म के दलदल में पूरी डूब चुकी थी।
मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे।
मैंने अपना चेहरा पूरा टेबल के नीचे तक झुका लिया था।
साक्षी ने मेरी जांघों पर हाथ रख के मुझे दिलासा दिया, धीरे-धीरे मैं खुद पर कंट्रोल पाने लगी।
थोड़ी देर में, मैं काफी हद तक नॉर्मल हो चुकी थी।
तब तक आइसक्रीम भी खत्म हो गई थी.
रेस्टोरेंट से निकलते ही भाभी ने कार की पिछली सीट पर हमें बिठाया।
साक्षी और मैं चुपचाप बैठी रहीं जबकि भाभी ड्राइव कर रही थीं।
रात हो चुकी थी, दिल्ली की सड़कें जगमगा रही थीं।
भाभी ने रेडियो ऑन किया और कुछ सेक्सी गाने बजने लगे।
“अब असली मजा शुरू होगा, मेरी स्लेव्स!” भाभी ने आईने से हमें देखते हुए कहा।
हम हॉस्टल की बजाय भाभी के फ्लैट पर पहुंचे।
ये एक लग्जरी अपार्टमेंट था, जहां भाभी अकेली रहती थीं क्योंकि उनके हसबैंड विदेश में थे।
अंदर घुसते ही भाभी ने लाइट्स डिम कीं और हमें सोफे पर बिठाया।
“अब स्ट्रिप करो, दोनों! पूरी तरह!” भाभी ने ऑर्डर दिया।
साक्षी ने बिना हिचके अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी।
मैं हिचकिचाई, लेकिन भाभी की सख्त नजरों से डरकर मैंने भी अपनी स्कर्ट और टॉप उतार दिया।
हम दोनों अब पूरी नंगी थीं।
भाभी ने अपनी सलवार-कमीज उतारी और सिर्फ एक सेक्सी लेस वाली ब्रा-पैंटी में आ गईं।
उनका बदन और भी ज्यादा गदराया लग रहा था।
भाभी ने वाइन की बोतल निकाली और तीन ग्लास भरे, “पीयो, और रिलैक्स हो जाओ!”
हमने पी।
वाइन का नशा चढ़ते ही माहौल गर्म होने लगा।
भाभी ने साक्षी को अपने पास बुलाया और उसे किस करना शुरू कर दिया।
साक्षी ने भी उनके चुम्बन का जवाब वैसे ही दिया।
मैं देखती रह गई।
फिर भाभी ने मुझे बुलाया, “आओ ताराक्षी, अपनी मालकिन को खुश करो!”
मैं उनके पास गई।
भाभी ने मेरे निप्पल्स को चुटकी काटी और फिर मेरी न्यू गर्ल फ्रेश पुसी पर हाथ फेरा, “कितनी टाइट है तेरी चूत! आज रात मैं इसे खोलूंगी!”
साक्षी ने मेरे पीछे से आकर मेरी चूचियां दबाईं।
हम तीनों बेड पर लुढ़क गई।
भाभी ने एक वाइब्रेटर निकाला और पहले साक्षी की चूत में डाला।
साक्षी चीखने लगी, “आह भाभी! और जोर से!”
फिर मेरी बारी आई।
भाभी ने वाइब्रेटर मेरी क्लिट पर रखा और स्विच ऑन किया।
मैं तड़प उठी, “ओह गॉड! भाभी, मैं मर जाऊंगी!”
रात भर हमने लेस्बियन गेम्स खेले।
भाभी ने हमें एक-दूसरे की चूत चटवाई, फिंगरिंग करवाई और खुद हम दोनों की बुर में जीभ डाली।
मैंने पहली बार किसी की चूत चाटी – साक्षी की, और फिर भाभी की।
उनका रस मीठा लग रहा था।
सुबह तक हम थककर सो गई।
भाभी ने कहा, “ये सिर्फ शुरुआत है, ताराक्षी। अब तुम मेरी परमानेंट स्लेव हो!”
अगले दिन हॉस्टल लौटकर मैं बदल गई थी।
साक्षी और मैं अब हर रात एक-दूसरे को छूतीं, फिंगरिंग करतीं।
भाभी वीकेंड पर आतीं और हमें नई-नई चीजें सिखातीं जैसे बॉन्डेज, स्पैंकिंग, और पब्लिक में एक्सपोजर।
MA पूरा करने के बाद मैं घर लौटी, लेकिन ये अनुभव मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गए।
अब मैं घर पर रहकर अपनी हवस को कंट्रोल करती हूं लेकिन कभी-कभी भाभी या साक्षी से मिलने दिल्ली जाती हूं।
शादी?
शायद कभी, लेकिन अब मैं अपनी बॉडी और डिजायर्स को पूरी तरह एक्सेप्ट कर चुकी हूं।
यह न्यू गर्ल फ्रेश पुसी स्टोरी आपको कैसी लगी?
आप अपने सकारात्मक सुझाव ई-मेल पर भेज सकते हैं।
धन्यवाद.
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