रीटा की तड़पती जवानी-3

(Rita Ki Tadapti Jawani- Part 3)

रीटा रावत 2010-08-24 Comments

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उस दिन घर पर रीटा के इलावा कोई भी नहीं था, मम्मी-डैडी शहर से बाहर गए हुए थे. जैसे तैसे रीटा ने अपनी मम्मी को पटा कर राजू से कार चलाना सीखना शुरू कर दिया था.

रीटा बाथटब नहा कर पानी में आग लगाने में मग्न थी. मल-मल कर नहाती रीटा के दोनों बावले चुच्चे गुलाबी गुब्बारों की तरह पानी के ऊपर तैर रहे थे. राजू के बारे सोचते ही ठरक के मारे रीटा ने अपनी चूत में किंग साईज साबुन की टिकिया गपक ली. नौजवान राजू हैंडसम और स्मार्ट लड़का था. राजू का लम्बा कद, चौड़ा चकला सीना और मांसपेशियों से भरपूर बदन याद कर रीटा पानी में पनिया गई. तीर सी तीखे शॉवर की तेज धार चूत पर पड़ने से रीटा की चूत और भी गुदगुदा गई. बदन में तनाव व कसाव बढ़ने से जवानी की दुखन और टीस भी बढ़ गई.

आज ताजी़ ताजी नहाई रीटा ने राजू भईया को पटाने की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी. शरारती रीटा ने अपनी चार साल पुरानी स्कूल ड्रेस की काली शॉर्ट स्कर्ट और सफ़ेद शर्ट फंसा कर पैरों में ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन लिए.

रीटा ने अपनी मस्त जानलेवा कामुक जवानी को शीशे में निहारते हुए पन्जों के बल उचक कर गोरी-गोरी बाहें ऊपर उठा शीशे को तड़का देने वाली अंगड़ाई तोड़ी तो चटाक चटाक की आवाज से रीटा की तंग टैरालीन की शर्ट के टिच्च बटन खुलते चले गये.

उफ़्फ़! क्या नजारा था! रीटा की जवान ठोस गोलाइयाँ बगावत पर उतर आई और दोनों शरारती कुंवारे कबूतर शर्ट से दाएं-बाएं बाहर झांक कर गुटर-गूं गुटर-गूं करने लगे. चुच्चों ने रीटा की शर्ट को चौड़ा कर ‘वी’ गले को ‘यू’ बना दिया था.

चूचों के श्यमल शिखर ऐसा लगते थे जैसे संगमरमर के चबूतरों पर कचनार की कच्ची गुलाबी कली चिपकी हो.

ठरकी रीटा ने अपने बगावत पे उतर आये चूचों को बाहर खींच कर उसे बेरहमी से मसलने लगी. चूचे मस्ती में चीं चीं कर चिंघाड़ उठे.

हाय! माँ कित्ता मजा आ रहा है! रीटा ने अपनी गुलाबी-गुलाबी छोटी छोटी नीम सी नीमोलियों से निप्पलों को अपनी थूक से सनी उंगली और अंगूठे में घुमाने से कमसिन बदन झनझना उठा और चूत पिनपिना उठी.

मोनिका ने बताया था कि चूत और चुच्चों का चोली दामन का साथ होता है.

रीटा की सैक्सी सुडौल कैबरे डांसरों जैसी लम्बी व चिकनी टांगों ने तो हाय हाय कर रखी थी. हाई हील से रीटा की गोरी गुदाज कदली जांघें और सुडौल पिंडलियाँ और भी उभर आई और जैसे ‘नमश्कार! आइए और चोद डालिये!’ का आमन्त्रण देती लगती थी.

गदराहट से मांसल घुटनों पर मादक बल पड़े हुए थे, बेहद पतली और पिचकी हुई कमर के नीचे मस्त गोल गोल चूतड़ और चूतड़ों में दबी फंसी कुंवारी गाण्ड में चींटियाँ सी रेंग रहीं थी. बेचारी नाम मात्र की नन्ही स्कर्ट रीटा की उफनती व उबलती शोला जवानी को रोकने में नाकाम थी.

अपनी स्कूल स्कर्ट ऊपर उठा कर सुर्ख लाल नाईलोन की कच्छी में अपने कसमसाते यौवन को निहारते ही रीटा की आँखों में लाल डोरे खिंच गये और गाल तमतमा उठे. पूरा बदन पप्पी फैट! तौबा तौबा! क्या हुस्न था, क्या शवाब था उस लौंडिया का, बिल्कुल ताजा ताजा खुली सोडे की बोतल के समान. अपने ज्वालामुखी से सुलगते और फट पड़ने को तैयार यौवन को देखते हुऐ अपने निचले होंट के कोने को दाँतों में दबा कर स्वयं को आँख मार दी और फिर अपनी ही बेशर्मी पर स्वयं ही लज्जा गई.

लीर सी नाम-मात्र कसी कच्छी रीटा की रोम-विहीन मलाई सी गोरी गदराई फुद्दी और गुदाज चूतड़ों में धंसी हुई थी और चलते समय रीटा को बुरी तरह गुदगुदा देती थी.

एकदम शीशे सी चिकनी और नादान चूत की गुलाबी फांकें कच्छी से बाहर झांक रही थी और चूत एकदम से पच्च-पच्च गीली थी.

ठरक के मारे रीटा की जवान फ़ुद्दी छोटी पाव रोटी की तरह फूल गई, पनीयाई हुई चूत का चीरा झिलमिला उठा और रीटा का लशलश करता बदमाश किशमिश सा दाना हौले हौले अकड़ता चला गया. अब रीटा का भगनासा किसी छोटे शरारती बच्चे की लुल्ली के समान चूत की बालकोनी से बाहर झांकने लगा.

अनजाने में ही रीटा की फूल सी गोरी गोरी ऊँगलियाँ अपनी शैतान नन्गी चूत से उलझ गई. गुस्से में बिफरी गीली चूत पिच्च पिच्च करके पानी छोड़ने लगी. दाने को छूते ही रीटा की चूत में फुलझड़ियाँ सी चल पड़ी और गाण्ड गुदगुदाने लगी. रीटा अपनी टांगों को चौड़ा किये, चूत को गिटार जैसे बजा़ने लगी.

रीटा ने अपनी मरमरी टांगों को भींच कर चूत को शाँत करने की नाकाम कोशिश की, पर अब पानी सर के ऊपर से निकल चुका था. रीटा अब बिल्कुल वनीला सॉफ़्टी सी पिंघल चुकी थी और उसकी हालत खराब होती जा रही थी.

आखिर तैश में आकर रीटा ने अपनी स्कूल स्कर्ट बिल्कुल ऊपर उठा कच्छी को घुटनों तक खींच कर अपनी नन्ही सी चूत में उंगली पिरो दी. रीटा ने उंगली ‘प्चक’ की गीली आवाजें करती सुराख मेंजड़ तक अंदर घुस गई. रीटा की चूत की दीवारें रीटा की उंगली पर बुरी तरह से कस गई और उंगली को चूसने लगी.

रीटा बुदबुदा उठी- आह मम्मी! सीऽऽऽ! साली तू मुझे बहुत सताती है ऽऽऽऽ! चूत की फांकें दायें बायें फ़ैल गई. इस हालत में रीटा की नाजुक चूत किसी गधे के बच्चे का लण्ड का कचूमर निकाल कर उसका गरूर तोड़ सकती थी. आज तो रीटा किसी भी पहलवान के लौड़े को अपनी चूत की नींबू नीचौड़नी में निचौड़ कर लौड़े का रस्सा बना सकती थी.

हौले हौले रीटा उंगली सुराख के अन्दर-बाहर कर फिच फ़िच की आवाज़ से अपने आप ही अपनी चूत चोदने लगी. शायद चूत भी ‘माँ चोद’ और ‘बहन चोद’ की गालियाँ निकालने लगी थी.

मोनिका ठीक कहती थी- अगर उंगली से चूत मारने में ईत्ता मजा आता है, तो सच्ची-मुच्ची का गर्म और मोटा लण्ड तो दिन में तारे दिखा देगा.

यह सोच कर वह जोर जोर से अपनी चूत फैंटने लगी. चूत ने अब मस्त मोरनी की माफ़िक अपनी मुलायम पंखुड़ियाँ फैला दीं. लुत्फ़ से रीटा की चूत के दोनों पत्ते कंपकंपा रहे थे. पिटाई से गोरी चूत गुलाबी से लाल हो चली थी.

रीटा ने अपनी ठोस गोलाइयों को बेरहमी से मसल और रगड़ कर लाल कर लिया. गीली चूत की फचर-पचर, रीटा की मधुर ईस्सऽऽऽऽऽ ईस्सऽऽऽ सिसकारियाँ और बहकी बहकी बेतरतीब साँसें कमरे के वातावरण को रंगीन बनाने लगी. प्यासी रीटा का मादक यौवन, वासना के समुन्दर में हिचकोले खाने लगा.

उत्तेजना के मारे रीटा की आँखें ऊपर को लुढ़क गई और पेट अंदर को पिचक गया. बगावत पर उतर आऐ चुच्चे उठक-बैठक लगाने लगे. हर एक झटके पर रीटा चूच्चे ऐसे थरथराते जैसे उनमें पारा भरा हो. अपने ही चुच्चों को फूलते पिचकते देख कर रीटा की काम पीपासा दावानल सी भड़क उठी. एक हाथ से अपना चुच्चे को ऊपर उठा और मुँह झुका कर होंटों में लेकर चुमला दिया.

बीच बीच में रूक रूक कर रीटा अपनी कीचड़ हुई चूत में से ऊँगलियाँ निकाल कर चूत का हल्का नमकीन पाईन-एपल जूस किसी भूखी बिल्ली की तरह चुसड़-चुसड़ की आवाज़ से चाट लेती थी. जुकाम लगने के कारण रीटा की जगमगाती चूत पानी छोड़ कर, अपनी पड़ोसन गाण्ड को तरबतर कर रही थी. जब रीटा ऊँगलियाँ उसकी नन्ही चूत के अंदर जाती तो चूत की कसावट की वजह से पानी की पिचकारियाँ सी निकल पड़ती. वाह, क्या कयामत नज़ारा था.

‘हायऽऽऽ पता नहीं कब चुदेगी यह निगौडी मां की लौड़ी मेरी चूत!’ बुदबुदा उठी रीटा- काश, आज कोई मादरचोद मेरी कमरतोड़ चुदाई कर दे और मेरी मखमल सी रेशमी गाण्ड फाड़ कर मेरी चकाचक जवानी के कस-बल निकाल दे. कोई मतवाला अपना मस्त फनफनाता हुआ लण्ड दोनों ट्टटों समेत मेरी अनचुदी चूत में पेल कर फाड़ डाले और भौंसडा बना दे. मुझे चौपाया बना कर मेरी पौनी-टेल को पकड़ कर सड़क छाप कामुक कुतिया की तरह सड़क के चौराहे पर चोद दे. मेरी न न करने के बावाजूद भी मुझे पकड़ कर पीट पीट कर बेरहमी से गाण्ड के चीथड़े उड़ा दे और चूत की चिन्दी चिन्दी कर दे, मेरा पोर-पोर चटका दे और मेरे कोमल बदन को रोडरोलर की तरह रौंद कर रख दे.

काश मेरे रसभरे होंठों में किसी बहनचोद का मोटा फौलादी लन हो गले तक सटक के, आँखों में आँखे डाल कर चुसड़ चुसड़ कर मैं उसके लण्ड की झड़न के साथ, चूस कर ट्टटे भी पी जाऊँ. लौड़े पर दंदियाँ मार मार कर लण्ड की ऐसी की तैसी कर दूँ. पर कोई आशिक मिले तो सही.

रीटा को अब एक मूसल सा लण्ड चाहिए, जो रीटा की सुलगती जवानी की ईंट से ईंट बजा दे और अपनी जवानी के झन्डे गाड़ के रख दे.

तभी दरवाजे की घण्टी बजते ही रीटा के बदन में सिरहन दौड़ गई, चूत फड़फड़ा और गाण्ड गुदगुदा उठी. जरूर राजू कार चलाना सिखाने आया होगा, चूत मरवाने को बेताब रीटा के दिमाग में सारी योजना तैयार थी.

रीटा ने झटपट से अपनी कच्छी को घुटनों से कमर पर खींच लिया और छोटी सी स्कूल स्कर्ट नीचे कर और चूचों को शर्ट के वापिस अंदर ठोस कर छः में से चार बटन जैसे तैसे बंद कर दिये. जल्दी से चूत की फांकों को लैक्मे की सोलह नम्बर की लिपस्टिक से पोत लिआ. फिर कुछ सोच कर शरारती रीटा ने जाते जाते नेलपालिश की शीशी सोफे के आगे पड़े हुए मेज के नीचे फ़ेंक दी.

पिछले कुछ दिनों में रीटा मजाक करने में राजू से काफी खुल गई थी दरवाजा खोलते ही राजू को देखते, हरामज़ादी लौड़ै की भूखी रीटा की आँखों में चमक आ गई और बांछे खिल उठी.

राजू रीटा की पोशाक को देखते ही पहले तो सकपका गया. ताजी ताजी नहाई रीटा के गीले गीले बालों के बीच अति मासूम चेहरा. रीटा की तीन चौथाई गोल गोल गोलाइयाँ तंग शर्ट के खुले गले से बाहर उबल पड़ रही थी और राजू की तरफ तनी हुई थी. मिज़ाइलों से खड़े हुए निप्पल शर्ट को चीरफाड़ कर बाहर आने को बेताब लग रहे थे. काली स्कर्ट से बाहर झांकती नंगी संगमरमरी गोरी चिट्टी गदराई आपस में चिपकी रानें, खूबसूरत गुदाज पैरों में हाई हील. हाथ-पैरों पर लाल लाल नेलपालिश, प्यारे से नाक में नथ, कानों में सफ़ेद मैटल के टाप्स,पैरों में पाजेब और कलाइयों में सफ़ेद मैटल के कंगन.

बिजली गिराती मस्ताई हुई रीटा टेढ़ी दिलकश मुस्कान के साथ चहकती हुई सुरीली आवाज में बोली- हैल्लौ भईया! हाऊ आर यू?

रीटा ने राजू का हाथ पकड़ कर अंदर खींच लिया.

जैसे ही राजू अंदर घुसने लगा, शरारती रीटा ने अपनी अधनंगी व अकड़ी हुई छातियाँ राजू से भिड़ाती हुई बोली- आऊचऽऽऽ, आई एम सारी भईया.

इतने में ही राजू के लण्ड ने कच्छे की मां चोद के रख दी.

फिर शरारती रीटा ने घूम कर और उचक कर सिटकनी लगाने की असफल कोशिश करती बोली- भईया प्लीज़ हैल्प मी, मुझे थोड़ा ऊपर उठाआ नाऽऽऽ! मुझे ऊपर वाली सिटकनी लगानी है.

राजू अब थोडा सम्भल चुका था और झट से मौके का फायदा उठाते हुऐ रीटा को उठाते हुए उस की कमर में हाथ डाल कर अपने लण्ड से रीटा की प्यारी की गाण्ड को गुदगुदा दिया. जब रीटा को नीचे उतारा तो राजू ने रीटा के दो सूखे घस्से मार दिये. राजू की सख्ती महसूस कर बदमाश रीटा के होंटो पर छुपी छुपी मुस्कूराहट आ गई.

राजू रीटा के नंगपने को देख कर मजाक में फुसफुसा कर बोला- बेबी यह क्या? कहीं तुम मॉडलिंग वाडलिंग करने लगी हो?

घर के लोग रीटा को प्यार से बेबी कहा करते थे.

रीटा बहुत ही मासूमियत से मुँह फुला अपने चुच्चों को उचकाती हुई बोली- ओह नो भईया, मैं तो अपने पुराने कपड़े ट्राई कर रही थी. पर भईया देखो ना! ये कपड़े ईत्ते टाईट और छोटे हो गये हैं!

राजू रीटा की कमर सहला कर और चूतड़ को मसल कर, चूचों को देख कर अथर्पूण स्वर में बोला- बेबी कपड़े छोटे नहीं हुए, तुम्हारे ये बड़े हो गये हैं.

‘धत्त भईया, मैं बहुत मारूँगी!’ रीटा ने झेंपते हुए बनावटी गुस्सा करते हुए राजू का हाथ झटक दिया.

‘बट भईया आई लाईक दि स्टफ वैरी मच!’ गुन्ड़ी रीटा शर्ट के कपड़े की तरफ इशारा कर अपने चुच्चे हवा में राजू की तरफ उछालती बोली- भईया, फील करके देखो, बहुत ही मजेदार और साफ्ट साफ्ट है.

‘देखूँ तो!’ यह कह कर राजू ने रीटा के शर्ट के कपड़े को फील करके उसके गिरेबान में हाथ डाल कर चुच्चा टटोल सा दिया और मुस्कुरा कर बोला- सचमुच बहुत साफ्ट साफ्ट है.
रीटा किलकारी मार कर छिटक कर पीछे हट कर बोली- आऊचऽऽऽ! ऊईऽऽ! गुदगुदी मत करो नाऽऽऽऽ, हटो भईया, आप तो बहुत ही बेशरम हो!

राजू रीटा की हर बात के पीछे नाऽऽऽ लगाने की अदा पर फिदा था.

‘भईया बस पाँच मिनट रूको, मैं नेलपालिश लगा लूँ, फिर कार चलाने चलतें हैं!’ यह कह कर रीटा अपने सिल्की बालों को अदा से पीछे झटकती हुई घूमी और चूतड़ों को जोर जोर से दायें बायें मटकाती चल दी.

रीटा की इठलाती बल खाती भरी भरी मटकती गाण्ड देख कर राजू को लगा के उसका लौड़ा पानी छोड़ देगा. ऐसा लग रहा था जैसे बड़े-बड़े पानी से भरे गुब्बारे थरथरा रहे हों.

हाई हील के कारण रीटा की कुछ ज्यादा ही उचकी हुई बुण्ड बहुत ही मस्त लग रही थी.

राजू को सोफे पर बैठा कर नेलपालिश की शीशी ढूंढती हुई बोली- कहाँ मर गई मेरी नेलपालिश की शीशी? मंमऽऽऽ वो रही!

यह कह कर रीटा सहारा लेकर झुकने के बहाने लापरवाही से राजू के अकड़े लण्ड को पकड़ लिया और बिना घुटने मोड़े ही नेलपालिश की शीशी उठाने को झुक गई.

पीछे से काली स्कर्ट रीटा की लम्बी टांगों से ऊपर उठती चली गई और लाल कच्छी में फंसे संगमरमरी सफेद चूतड़ राजू के सीने पर बिजली से गिरे.

बेरहम बेहया रीटा ने अपनी गाण्ड और भी पीछे को उचका दी तो चिकने चूतड़ों के बीच से भिंची भिंची चूत भी नुमाया हो आई. साथ ही झुकने से रीटा के चुच्चे कुछ पलों के लिये निप्पलों समेत शर्ट से बाहर आकर राजू को जीभ दिखा कर छका गये.

रीटा ने राजू के अकड़े लण्ड को जोर से दबा कर छोड़ दिया राजू के लण्ड की सख्ती भांप कर रीटा की सांसें भी तेज़ हो बेतरतीब हो गई.

राजू के सामने बैठकर छिनाल रीटा ने अपनी तिरछी निगाहों से देखकर टेढ़ी सी सैक्सी स्माईल उछाल दी और आखिरी तीर चला दिया.

क्या था वो आखिरी तीर?

जानने के लिए इस देसी कहानी के अगले भाग की प्रतीक्षा करें!
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