संयुक्त परिवार में बिंदास चुदाई का खेल- 7

(Mom Pussy For Son Dick)

मॅाम पुसी फॉर सन डिक रेडी फॉर फक. घर में सब लोग एक दूसरे को चोद चुके थे सिवाय एक माँ अपने बेटे से नहीं चुदी थी और दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाह रहे थे.

दोस्तो, मैं क्षत्रपति आपको फैमिली सेक्स की मस्त कहानी सुना रहा था.
कहानी के छठे भाग
बेटी ने बाप को चूत का रस पिलाया
में अब तक आपने पढ़ा था कि सोनाली ने अपने पापा को चूत चटवा के उनके साथ सेक्स किया और उनका लंड भी चूसा.

अब आगे मॅाम पुसी फॉर सन डिक रेडी फॉर फक:

देर रात बाप-बेटी की चुदाई के बाद पहले सोनाली वापस गई और उसके थोड़ी देर बाद प्रमोद वहां से निकला.

लेकिन रास्ते में जब वह सचिन के कमरे के सामने से गुजर रहा था तभी अचानक उनके कमरे का दरवाज़ा खुला और पंकज बाहर निकला.

प्रमोद वहीं एक गमले के बगल में छिपने का प्रयास करने लगा … लेकिन तभी रूपा नंगी बाहर आई और उसने पंकज को एक चुम्बन के साथ विदा किया.

पंकज की पीठ प्रमोद की ओर होने के कारण शायद उसने तो प्रमोद को नहीं देखा था लेकिन रूपा की नजर चुम्बन के बाद सीधे प्रमोद पर ही पड़ी.

पंकज के वहां से जाने के बाद रूपा आगे बढ़ी और प्रमोद का हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ ले गई.

सचिन सो चुका था इसलिए रूपा ने चुपचाप अपने ससुर के कपड़े उतारे और उनको अपने साथ बिस्तर में आने का इशारा किया.

रूपा अपने पति सचिन से चिपक कर लेट गई और उसके पीछे अपने ससुर को लेटा कर अपने कूल्हे उनकी तरफ कर दिए ताकि वह पीछे से उसे चोद सकें.

प्रमोद के लिए ये बहुत ही उत्तेजक परिस्थिति थी जिसमें न केवल वह अपनी नंगी बहू को चोद सकता था बल्कि वहीं चोद सकता था जिधर उसका पति बाजू में सो रहा था.

प्रमोद में अपना लंड रूपा की चूत में डाला और बहुत ही हौले हौले चोदने लगा.

अक्सर जैसे जैसे हम चरमसुख की ओर बढ़ते हैं, हमारी चुदाई की रफ़्तार तेज होती जाती है लेकिन अगर स्थिति कुछ ऐसी हो और रफ़्तार न बढ़ाई जाए तो चरमसुख भी धीरे धीरे बढ़ता है … और जब वह अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचता है तो एक तरह के नशे की फटकार लगती है और आदमी कुछ क्षणों के लिए होश खो देता है.

ऐसा ही कुछ प्रमोद के साथ हुआ और वह उस कुछ पल की बेहोशी से सीधे नींद में चला गया.

रूपा भी दो नंगे मर्दों के बीच काफी अच्छा अनुभव कर रही थी इसलिए उसे भी नींद आ गई.

उधर जब प्रमोद देर तक वापस नहीं आया तो शारदा और मोहन चुदाई से थक कर गलबहियां डाले बातें करने लगे.

शारदा को अहसास हुआ कि जो दोस्ती मोहन की प्रमोद से है, वैसी ही अब उससे भी होती जा रही है.
वह मोहन की सहेली बन चुकी है.

यूँ ही बातें करते करते एक दूसरे के आलिंगन में सो गए.

सुबह जब सचिन की आंख खुली तो जो नज़ारा उसने देखा, उसकी उम्मीद उसे सपने में भी कभी नहीं थी.
रूपा उससे चिपकी नंगी सो रही थी और उसी के बगल में उसके पापा भी नंगे पड़े थे.

रूपा की चूत और पापा के लंड पर वीर्य सूख चुका था, जिससे साफ़ समझ आ रहा था कि रात दोनों ने यहीं चुदाई की थी और बिना फ्रेश हुए वैसे ही सो गए थे.

इतना सोचते ही सचिन का लंड लोहे का मूसल बनकर खड़ा हो गया.

उसने रूपा को अपनी ओर खींचा और चोदना शुरू कर दिया.

जाहिर है इससे रूपा की नींद खुल गई और उसने झट से अपनी पोजीशन बदली.
अब वह सचिन के लंड पर उलट कर बैठ गई ताकि चुदाई के साथ साथ ससुर का लंड भी चूस सके.

जैसे ही उसने प्रमोद का लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, प्रमोद की भी नींद खुल गई.

उसकी नजर सीधे सचिन पर पड़ी और वह असमंजस में थोड़ा चोरों वाली शकल लिए पड़ा था लेकिन फिर सचिन ने मुस्कुरा कर ‘गुड मॉर्निंग पापा’ कहा तो प्रमोद की जान में जान आई.
अब वह भी अपनी लंड चुसाई का आनन्द लेने लगा.

उधर मोहन अपनी आदत के हिसाब से जल्दी उठ गया लेकिन शारदा अभी सो ही रही थी.

वह नहीं चाहता था कि शारदा की नींद में खलल हो इसलिए चुपचाप कपड़े पहन कर बाहर निकल गया.

उसे समझ नहीं आ रहा था कि प्रमोद रात को वापस क्यों नहीं आया.

ऐसा सोचते हुए वह अपने कमरे की तरफ जा ही रहा था कि उसकी नजर सचिन के कमरे के दरवाजे पर पड़ी जो थोड़ा सा खुला हुआ था और अन्दर से कुछ सेक्सी आवाजें आ रही थीं.

रात को शायद रूपा ने उम्मीद नहीं की थी कि पापा जी वहीं सो जाएंगे इसलिए दरवाज़ा बंद करने का ध्यान नहीं रहा.

लेकिन उसी खुले दरवाजे से जब मोहन ने अन्दर देखा तो उसे अपनी बेटी रूपा दिखाई दी, जो अपने पति और ससुर दोनों के साथ सामूहिक सम्भोग में व्यस्त थी.

मोहन ने कुछ सोचा और वापस प्रमोद के बेडरूम में जाकर शारदा को उठाया.

शारदा- क्या हुआ? और ये अभी तक आए नहीं वापस?
मोहन- वही तो दिखाने के लिए उठाया है. जल्दी चलो मेरे साथ.

शारदा- नंगी ही चलूँ क्या? कपड़े तो पहन लेने दो.
मोहन- हां पहन ले. वैसे तू नंगी अच्छी लगती है.

शारदा- धत!!

मोहन और शारदा अब समधी-समधन की तरह नहीं बल्कि दोस्त-सहेली की तरह बात करने लगे थे.
शारदा के तैयार होते ही मोहन उसे सचिन के कमरे की ओर ले गया और दरवाजे से अन्दर झांकने को कहा.

अन्दर शारदा ने जो देखा, उसकी कभी उम्मीद नहीं की थी.
प्रमोद लेटा हुआ था और उसके लंड को चूत में लिए रूपा घुड़सवारों की तरह उछल रही थी.

इतना तो शारदा पहले भी अपनी सामूहिक चुदाई में देख चुकी थी लेकिन इसके साथ ही सचिन वहां नंगा खड़ा रूपा से अपना लंड चुसवा रहा था.
शारदा ने आज पहली बार अपने जवान बेटे को नंगा देखा था. पीछे से उसके दोनों मांसल कूल्हे और बलिष्ठ नग्न शरीर साफ़ दिखाई दे रहा था.

वह थोड़ा तिरझा खड़ा था जिससे रूपा के मुँह में उसका लम्बा मोटा लंड भी शारदा को साफ़ दिखाई दिया.

ये दृश्य देख कर शारदा विचलित हो गई और मोहन को उसने अपनी बांहों में भर लिया.

शारदा- अब और नहीं देखा जाएगा. चलिए बेडरूम में चलते हैं.
मोहन- इनकी ऐसी पार्टी देखने के बाद अकेले मेरे साथ मज़ा आएगा?

शारदा- अगर आपका मतलब इनकी पार्टी में जाने से है तो मैं अपने बेटे के सामने ये सब नहीं करने वाली.
मोहन- कोई बात नहीं. अपने नहीं तो मेरे बेटे के साथ कर लो.

शारदा ने कुछ नहीं कहा बस शर्मा कर अपना सर नीचे कर लिया.

मोहन ने इसका मतलब हां ही समझा और उसे लेकर पंकज और सोनाली के कमरे की तरफ चला गया.

मोहन ने जब दरवाजे पर दस्तक दी तो पंकज सोनाली को चोद रहा था.

उसके हिसाब से तो सोनाली रात भर सो ही रही थी इसलिए सुबह सुबह चुदाई का आनन्द वह खोना नहीं चाहता था.

लेकिन जब दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी तो उसने चुदाई करते करते ही जवाब दिया.

पंकज- कौन?
मोहन- मैं मोहन.

सोनाली- बुला लो बाबा को भी. कब से अपनी बहू नहीं चोदी हैं उन्होंने.
इस बात पर हंसते हंसते पंकज नंगा ही दरवाजा खोलने चला गया.

दरवाजा खोल कर अपने बाबा को अन्दर बुला कर दरवाज़ा बंद करना चाहता था लेकिन पता चला साथ में सासु मां भी अन्दर आ गईं.

पंकज के मुँह से निकला ‘अरे आप!’
और वह अपने दोनों हाथों से अपना लंड छिपाने का प्रयास करने लगा.
लेकिन शारदा की नजर अपनी बेटी सोनाली पर थी, जो वहां बिस्तर पर अब भी नंगी घोड़ी बनी पड़ी हुई थी.

पंकज के चौंकने से सोनाली का ध्यान भी दरवाजे की तरफ गया और वह उछल कर पलंग के दूसरी ओर कूद गई.
फिर जल्दी से एक गाउन पहन कर खड़ी हुई.
तब तक पंकज ने भी एक तौलिया उठा कर लपेट लिया था.

शारदा- सोनाली, तू जरा किचन में जा कर नाश्ते का इंतज़ाम कर मुझे दामाद जी और समधी से कुछ बात करनी है.
सोनाली- ठीक है.

सोनाली अधूरी चुदाई छोड़ कर बाहर आ तो गई थी लेकिन वह अपनी चुदाई पूरी करने के लिए बेताब थी.

इस झुँझलाहट में वह किचन की तरफ जा ही रही थी कि उसकी भी नजर सचिन के कमरे के दरवाजे पर पड़ी.
उसने झांकने की जहमत भी नहीं उठाई और सीधे अन्दर चली गई.

उसने सोचा था कि अन्दर जाकर सचिन से अपनी चुदाई पूरी करवा लेगी लेकिन यहां तो नज़ारा ही कुछ और था.

रूपा अपने ससुर को चोदते हुए सचिन का लंड चूस रही थी. इससे अच्छा मौका और क्या हो सकता था.

सोनाली ने सचिन को बिस्तर पर पटका और उसके ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगी.

सचिन- ये क्या कर रही हो दीदी … पापा …
सोनाली- बताया तो था न कि उनको पता है.

प्रमोद- तुम लोगों का तो मुझे पता था लेकिन क्या इन लोगों को हमारा पता है?
रूपा- दीदी … आपने कब चुदवा लिया पापा से?
सोनाली- कल रात को ही.

इतना कहकर सोनाली ने आंख मार दी और फिर दोनों हंसते हंसते चुदाई में व्यस्त हो गईं.

उधर मोहन ने पंकज को बताया कि सचिन के कमरे में अभी अभी वह क्या देख कर आ रहे हैं.
शारदा से अपने सम्बन्ध के बारे में भी बताया और कहा कि अभी शारदा को भी एक चुदाई तिकड़ी की जरूरत है इसलिए वह उसे वहां लाया है.

इतना सुनकर पंकज ने अपना तौलिया उतार फेंका और शारदा को गले लगा लिया.

पंकज- चिंता मत कीजिये सासू मां जैसी सेवा आपकी बेटी की करता हूँ उससे अच्छी आपकी करूँगा.

पंकज ने शारदा के ब्लाउज के हुक खोलने शुरू किये, तब तक मोहन नंगा हो चुका था.

फिर बाप-बेटे ने मिलकर धीरे धीरे शारदा को भी नंगी कर दिया और आगे-पीछे दोनों तरफ से उसे अपने आलिंगन में भर लिया.

पंकज ने अपने होंठ शारदा के होंठों से जोड़ दिए और दोनों एक गहरे चुम्बन में लीन हो गए.
काफी देर तक दोनों ने शारदा के बदन को सहलाया और उसके नंगे बदन पर चुम्मियों की बारिश कर दी.

शारदा को खुलने में थोड़ा समय लगा लेकिन देर से ही सही आखिर वह अपने दामाद के लंड पर सवार हो ही गई.

पंकज से चुदवाते हुए शारदा ने मोहन का लंड मुठियाना शुरू ही किया था कि अचानक सोनाली नंगी उस कमरे में दाखिल हुई और मोहन से सामने घुटने के बल बैठ कर अपने ससुर का लंड चूसने लगी.
शारदा तो ये देख कर सकते में आ गई और जैसे ही उसकी नजरें सोनाली से मिली, उसने शर्म से नजरें नीची कर लीं.

नीचे नजरे करते ही शारदा को दिखाई दिया कि सोनाली की चूत से रस ऐसे टपक रहा है जैसे पुराने नल से पानी.
टप … टप … टप …

शारदा- पंकज जी बुरा मत मानिएगा, शायद मैंने इसको चुदाई के बीच से भगा दिया था इसलिए सनक चढ़ गई है.
सोनाली- मम्मी! आप भी न, कितनी भोली हो आप!

मोहन- आप चिंता न करो. पंकज के सामने बहू पहले भी मेरा चूस चुकी है.
पंकज- मम्मी जी, हम तो कई बार तीनों मिल कर चुदाई कर चुके हैं. आप निश्चिन्त रहो मैं बुरा नहीं मानूँगा.

शारदा- हां शायद मुझे ही आजकल की दुनियादारी के बारे में कोई होश नहीं है.

काफी देर तक चुदाई के बाद जब चारों झड़ गए तो सोनाली ने अपने सूटकेस से दो गाउन निकाले और एक खुद पहन कर दूसरा अपनी मां को दिया.

सोनाली- अब इतने कपड़े कहां पहनोगी. ये पहन लो. जल्दी से पहन सकते हो; जल्दी से निकाल भी सकते हो और आरामदायक भी है.
पंकज- सही है और इसमें थोड़ी सेक्सी भी लगोगी.

शारदा- पंकज जी आप भी न!
पंकज- अरे अब कहां ये ‘जी’ की औपचारिकता निभा रही हो आप. पंकज ही काफी है.
मोहन- हां मुझे भी आप मोहन ही कहा करो.

समय काफी हो गया था इसलिए पंकज और सचिन बाहर से नाश्ता पैक करवा कर ले आए और घर की तीनों महिलाएं सीधे खाना बनाने की तैयारी में जुट गईं.

नाश्ता करते समय जब सचिन ने शारदा को उस गाउन में देखा तो उस झीने गाउन से शारदा का पूरा फिगर साफ़ दिखाई दे रहा था.

सचिन- अरे वाह! आप तो मां से मॉम बन गईं.
पंकज- अरे, मॉम नहीं मिल्फ बन गई हैं सासु मां.

इस बात पर दोनों ठहाका लगाकर हंस पड़े.
शारदा को ये बात कुछ समझ नहीं आई लेकिन फिर भी वह मुस्कुराती हुई अपना नाश्ता खत्म करके किचन में चली गई, जहां सोनाली और रूपा काम कर रही थीं.

शारदा- ये मिल्फ क्या होता है?
सोनाली ने हंसते हुए पूछा- ये किसने बता दिया आपको?

शारदा- तू मतलब बता पहले.
सोनाली- मिल्फ मतलब M.. I.. L.. F.. Mother I’d Like to Fuck.

इस बात पर सोनाली और रूपा दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं.

शारदा- अरे लेकिन इसका मतलब क्या हुआ?
सोनाली- रूपा तू ही बता. मेरी तो हंसी नहीं रुक रही.

रूपा- मतलब वह मां जिसको चोदने का मन करे.
शारदा- हे भगवान्! ये अंग्रेज भी साले बड़े हरामी किस्म के होते हैं.

इतना कह कर शारदा वहां से भाग गई.
सोनाली और रूपा को लगा कि शायद वह शर्मा कर भागी थीं, लेकिन दरअसल इस बात ने उन्हें बहुत दुखी कर दिया था.

किचन के सबसे नजदीक सचिन का ही कमरा था और वहां इस समय कोई था भी नहीं … तो शारदा रोने के लिए वहीं चली गई. उसने दरवाज़ा अन्दर से बंद कर लिया.

शारदा तकिये में मुँह छिपा कर फूट-फूट कर रोने लगी.

वास्तव में जब से उसने सचिन को नंगा देखा था, उसका लंड शारदा की आंखों के आगे घूम रहा था.
बड़ी मुश्किल से वह अपने आप को रोक रही थी वरना उसकी चूत अपने बेटे के लंड के लिए मचल रही थी.

ऐसे में उसके बेटे-दामाद की इस तरह की बातें आग में घी का काम कर रही थीं.
उसके लिए खुद को रोके रखना और भी मुश्किल हो रहा था.

आखिर जैसे तैसे शारदा अपने अंतर्द्वंद्व से बाहर आई और उठ कर बैठ गई.
उसने अपने आंसू पौंछे और तय किया कि वह अपने दामाद को ही अपना बेटा मान कर उसी से चुदवाती रहेगी.
वैसे भी इस घर की हर बहू अपने ससुर से चुदवा रही है तो वह भी अपने दामाद से चुदवा ही सकती है.
तभी उसकी नजर जमीन पर पड़े सोनाली के गाउन पर गई और वह सोच में पड़ गई.

शारदा अपने मन में बुदबुदाने लगी कि ये तो वही गाउन है, जिसे पहन कर सोनाली सुबह बाहर गई थी और बाद में नंगी वापस आई थी. अगर उसने ये गाउन यहां उतारा मतलब अपने भाई और बाप के सामने नंगी हुई थी. मगर क्यों?

तभी शारदा को याद आया कि सोनाली की चूत से कितना सारा रस टपक रहा था.

शारदा सोचने लगी कि सच कह रही थी सोनाली. मैं भी कितनी भोली हूँ. वह चूत का रस नहीं बल्कि किसी का गन्ना निचुड़वा कर लाई थी अपनी चूत में. लेकिन किसका? भाई का या पापा का? क्या फर्क पड़ता है. मैं यहां बेटे के नाम रो रही हूँ और मेरी बहू-बेटी अपने बाप-भाई से चुदवाती फिर रही हैं.

शारदा को लगने लगा कि अगर हर कोई यही कर रहा है तो वह क्यों अपराधबोध से ग्रसित रहे. उसने भी बना किसी नियम-कायदे के जीने का फैसला कर लिया.

तब तक खाना तैयार हो चुका था.
सबने खाना खाया और फिर सारे पुरुष लिविंग रूम में टीवी देखने बैठ गए जबकि महिलाएं किचन में सफाई और सामान व्यवस्थित करने लगीं.

तभी शारदा ने हिम्मत करके कहा- मैं ईमानदारी से अपने मन की बात कह रही हूँ और उम्मीद करती हूँ कि तुम दोनों भी ईमानदारी से जवाब दोगी. इस घर में अभी जितने भी पुरुष हैं, उनमें से अपने बेटे को छोड़कर मैं सबसे चुदवा चुकी हूँ.

रूपा- भैया से भी?
सोनाली- हां सुबह हमारे कमरे में वही तो चल रहा था. इसीलिए मुझे भगा दिया था.
शारदा- हां और तू भाग कर सीधे इनके कमरे में चली गई थी. जहां ये अपने पति और ससुर से एक साथ चुद रही थी. तो बता फिर तूने किस किस से चुदवाया है?

सोनाली थोड़ा सोचने के बाद- आप गुस्सा तो नहीं करोगी?
शारदा- मैंने अपना सच पहले ही बता दिया अब किस बात का गुस्सा?

सोनाली- सभी से.
रूपा- पापा जी से कब चुदवाया?

सोनाली- कल रात को.
शारदा- और भाई से सुबह, है न? और रूपा तुम अपने पापा और ससुर से तो मेरे सामने ही चुदा चुकी हो.

रूपा- हां मैं भी सभी से चुदवा चुकी हूँ.
शारदा- अपने भाई से कब चुदवाया तुमने?

इस बात पर दोनों हंस पड़ीं.
फिर दोनों ने शारदा को सारा किस्सा सुनाया कि कैसे सोनाली ने रूपा को उसके भाई से चुदवाया था और फिर वहीं से सारी पारिवारिक चुदाई की गाथा कैसे बनी.

शारदा का तो माथा ही घूम गया कि इस सब की सूत्रधार उसकी अपनी बेटी ही थी.

शारदा- मतलब मेरे और सचिन के अलावा, सब एक दूसरे को चोद चुके हैं और वह भी मुझे मिल्फ बोल रहा है. तुमको क्या लगता है? क्या है उसके मन में?

सोनाली- मिल्फ ही है मन में भी. और क्या!
शारदा- मतलब चोदने को बोलूँगी तो चोद देगा?

रूपा- आप बोल कर तो देखो. चाँद लेकर आने की शर्त रखोगी तो वह भी ले आएगा आपको चोदने के लिए.
शारदा- ठीक है फिर बहुत हुआ छुप-छुप कर चुदाई का खेल, अब सब मिल कर करते हैं.

शारदा ने सोनाली और रूपा दोनों को अपने साथ लिया और पहुंच गई बाहर हॉल में, जहां सब टीवी देख रहे थे.

उसने टीवी बंद किया और उसके सामने खड़े होकर किसी नेता के भाषण की तरह कहने लगी- पता नहीं कितने सालों से मैं कोशिश करती रही कि समाज के नियम-कायदे इस घर में बने रहें. इसके लिए कई बार मैंने अपनी खुशियां कुर्बान कीं और कई बार दूसरों की ख़ुशी पर भी बट्टे लगाए. इतना सब करने के बाद भी आज मुझे पता चलता है कि इन दोनों परिवारों में हर कोई एक दूसरे को चोद चुका है. बस अब लिहाज का आखिरी पर्दा हम मां-बेटे के बीच ही खड़ा हुआ है. वह भी आज मुझे मिल्फ समझ रहा है मतलब चोदना चाहता है. इसलिए मैं आप सबसे पूछना चाहती हूँ कि क्या ये पर्दा भी गिरा दिया जाए?

सभी एक स्वर में- हांऽऽ…

शारदा- बेटा! चोदेगा अपनी मां को?
सचिन- बिल्कुल!
शारदा- तो फिर आ जा मादरचोद और घुस जा जन्नत के उस दरवाजे में जहां से पच्चीस साल पहले तू बाहर आया था.

इतना कहकर शारदा ने अपनी बांहें फैला दीं और सचिन भाग कर अपनी मां के गले जा लगा.
जल्दी ही दोनों के होंठों से होंठ जुड़ गए जैसे दोनों एक दूसरे को चूस रहे हों.

सब दोनों को घेर कर मिल्फ-मिल्फ के नारे लगाने लगे.
धीरे-धीरे मां-बेटे ने एक दूसरे को नंगा किया और एक दूसरे के बदन को महसूस करने लगे.

बेटे ने मां के स्तनों से दूध पीने का प्रयास किया और मां ने बेटे के लिंग से मलाई चूसने का.
आखिर सचिन ने अपना ध्यान अपने जन्मस्थान पर केंद्रित किया.

शारदा की चुत पहले से ही गीली थी फिर भी सचिन ने इधर उधर छलक गया चूत का रस चाट कर साफ़ किया और फिर अपना लंड अपनी मां की चुत पर रख कर एक झटके में अन्दर डाल दिया.

सभी लोग अब उत्तेजित हो चुके थे और सबने अपने अपने कपड़ों से मुक्ति पा ली थी.
सब नंगे होकर एक दूसरे के साथ मस्ती करने में व्यस्त थे लेकिन साथ ही साथ पूरी चुदाई के दौरान मां-बेटे का मॅाम पुसी फॉर सन डिक फक के लिए प्रोत्साहन करते रहे.

उसके बाद देर रात तक सब सामूहिक चुदाई में व्यस्त रहे, जब तक सबका भूख से बुरा हाल नहीं हो गया.

इतनी रात को न तो बाहर से आर्डर कर सकते थे और न किसी का खाना बनाने का मन था इसलिए सबके लिए मैगी बनाई गई.
सबने नंगे ही साथ बैठ का मैगी खाई और उसके बाद फिर सामूहिक चुदाई में लग गए.

मॅाम पुसी फॉर सन डिक फक के बाद जब जिसका जिसे चोदने का मन करता, वह वहीं चोद लिया करता.
कपड़े केवल बाहर जाने के लिए ही पहने जाते और घर पर सब नंगे ही रहते.

कुछ दिनों बाद पंकज अपने परिवार के साथ अपने घर चला गया लेकिन उन्होंने तय किया कि अब से सभी त्यौहार आदि वे सब साथ मिलकर ऐसे ही मनाया करेंगे.

अब वे सभी सुख से रहने लगे.

आपको ये पारिवारिक चुदाई की कहानी कैसी लगी, यह मुझे जरूर बताएं.
आप मुझे एक दोस्त की तरह भी ईमेल कर सकते हैं.
आपका क्षत्रपति
[email protected]

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