मेरा जिस्म चूसकर चोदने वाला कुत्ता देवर- 1

(Bhabhi XxxSex Kahani)

दिल्ली बॉय 2025-05-06 Comments

भाभी XxxSex कहानी में गाँव से मेरे पति का कोई रिश्तेदार हमारे पास काम की तलाश में आया तो हमने उसे अपने घरेलू काम के लिए रख लिया. एक दिन मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी.

प्रिय पाठको, आपने मेरी एक कहानी
शहर वाली अमीर भाभी की वासना
फ्री सेक्स कहानी साईट पर पढ़ी होगी.
अगर नहीं और आप इस कहनी को पढ़ना चाहते हो तो www.freesexkahani. com/hindi-sex-stories/antarvasna3-hot-bhabhi-story/ इस लिंक में com से पहले का स्पेस हटाकर लिंक ठीक करके पढ़ सकते हैं.

उसमें आपने पढ़ा कि गाँव का रहने वाला दीपू शहर आया और अपने पहचान के एक भाई के घर में नौकरी करने लगा.
भाभी की बीवी का दिल उस पर आ गया था.
वह कहानी गाँव के लड़की की जुबानी लिखी गयी थी.

वही कहानी अब भाभी की नजर से भाभी की जुबानी पढ़ें.

भाभी XxxSex कहानी:

मेरा नाम कोमल है. मेरी उम्र 32 साल थी, जब ये वाकिया हुआ था.
हम लोग दिल्ली में रहते हैं. मेरे पति बहुत हैंडसम और कामुक व्यक्ति हैं.

हम दोनों कॉलेज के दिनों से रिश्ते में थे, फिर लव मैरिज की.
हमारी आपस में खूब बनती है.

हमारी सेक्स लाइफ बहुत मस्त चल रही है.
मेरे पति हर दूसरे-तीसरे दिन मुझे रगड़-रगड़कर मस्त चोदते हैं.

दो ब/च्चे होने के बाद भी हमारी सेक्स लाइफ शानदार थी.

‘मस्त’ बोलने का कारण मैं आपको बताती हूँ.
ब/च्चों के जन्म के बाद मैंने नौकरी छोड़ दी थी.

सोसाइटी में कई शादीशुदा महिलाएं मेरी सहेलियां बन गई थीं.
जब मैं उनसे बात करती, तो पता चला कि उनकी जिंदगी कितनी नीरस हो गई है.

उनके पति बाहर की लड़कियों और औरतों से सेक्स करते हैं.
हां, मेरी कुछ सहेलियों ने अपनी सेक्स की जरूरतें पूरी करने के लिए जवान लड़कों से दोस्ती कर रखी थी.
लेकिन मुझे अपने पति से बहुत प्यार था और आज तक वह मेरा पूरा ख्याल रखते हैं, मेरी हर जरूरत को पूरा करते हैं.

शायद मेरी पूरी जिंदगी मेरे पति के लंड के सहारे निकल जाती, अगर उस दिन मेरा बेटा पार्क में आकर मुझे फोन पर बात करने के लिए न कहता.

फोन मेरे पति का था.
हमेशा की तरह मैंने शर्म और मर्यादा के साथ कहा- हां जी!

पति अपने सेक्सी अंदाज़ में बोले- पार्क में कितनी मेहनत करोगी मेरी जान, तुम तो पहले से ही सेक्स की देवी हो.
मैंने पार्क में सबके होने की बात कही.
तो पति बोले- हमारे गांव से एक लड़का नौकरी के लिए आया है. अगर तुम बोलो, तो इसे घर में रख लेते हैं. ब/च्चे को स्कूल छोड़ने और घर के कामों में तुम्हारी मदद करेगा!

वैसे तो मुझे कोई खास जरूरत नहीं थी. मैं कार ड्राइव कर सकती हूँ और खाना बनाना, बर्तन साफ करना मेरे लिए बड़ी बात नहीं है.

लेकिन मैंने कहा- जब आपके गांव से है, तो रख लो.
पति बोले- देखो, तुम्हें ठीक लगे तो बोलो, वरना मैं उसे कहीं और नौकरी दिलवा दूँगा.

उनकी बातों से लगा जैसे उस लड़के को नौकरी दिलवाना उनकी मजबूरी हो.
वह उनके रिश्ते में था, तो मैंने घर लाने के लिए हां कर दी.

शाम को ब/च्चों को पार्क से लाने के बाद मैंने उन्हें नहलाया और रोज़ की तरह अपने पति के लिए सजने-संवरने लगी.

मेरी आदत है कि मैं हर शाम पति के आने से पहले तैयार होती हूँ, ताकि रात में वह मेरे साथ रोमांस करें और मेरे जिस्म के हर हिस्से को रगड़-रगड़कर अपनी थकान उतारें.

शाम 9 बजे पति घर आए, तो उनके साथ वह लड़का भी था.

आज मैंने देखा कि पति ने मेरी मर्यादा का ख्याल रखते हुए मुझे रोज़ की तरह चूतड़ों से पकड़कर गोद में नहीं उठाया.

अब मैं सोच में डूब गई कि ये लड़का घर में रहेगा तो हम दोनों की जिंदगी में दिक्कत होगी.

खाने के बाद रात में मैंने पति से ये सब कहा.
पति ने मस्ती में मेरे ऊपर चढ़कर मुझे चूमा और बोले- वह हमारे घर के काम में मदद करेगा. हमारी लाइफ में दिक्कत नहीं करेगा … और अगर तुम्हें ठीक नहीं लगे, तो मैं उसे नहीं रखूँगा.

फिर पति ने अपने 6 फुट लंबे शरीर से मेरे साढ़े पाँच फुट के कामुक शरीर को चूस-चूसकर, रगड़-रगड़कर चोदा.
मैं सारी बातें भूल गई.

अगली सुबह जब मैं उठी तो देखा कि उस लड़के ने घर में साफ-सफाई कर दी थी और किचन में रात के बर्तन भी धो दिए थे.

फिर मैंने उसका नाम पूछा तो उसने मुझे अपना नाम दीपू बताया.

उसके बाद मैं ब/च्चों के कमरे में गई.
तो देखा कि दोनों ब/च्चे दीपू के साथ घर के बाहर पार्किंग में खेल रहे थे.

पार्किंग में हमारी दोनों गाड़ियां साफ थीं और पूरी जगह को पानी से धोया गया था.

ब/च्चों और पूरे दिन घर के काम में मदद करने के बाद, दीपू 4-5 दिनों में ही हमारे परिवार का ऐसा हिस्सा सा बन गया जैसे वह सालों से इस घर को जानता हो.

मैं भी पूरा दिन उसके साथ बिताने की वजह से उसके साथ घुल-मिल गई.

दीपू से मैं मज़ाक-मस्ती करने लगी क्योंकि वह बिल्कुल मेरे पति की तरह बात करता था.

हालांकि देखने में वह उतना सुंदर नहीं था लेकिन उसकी बातें और मेरी इज़्ज़त करना उसे मेरे करीब ले आया.

एक दिन मेरे ब/च्चे दीपू के फोन में गेम खेल रहे थे.
मुझे अजीब लगा कि कहीं उसके फोन में सेक्स वीडियो या उसकी लवर की नंगी चूत और चूचियों की फोटो होंगी तो वह सब देखकर ब/च्चों पर गलत असर पड़ेगा?

मैंने ब/च्चों को डाँटा, मोबाइल लेकर दीपू को दे दिया और आगे से न देने के लिए गुस्सा दिखाया.

दीपू बोला- भाभी, ये तो छोटे ब/च्चे हैं. थोड़ी देर खेल लेंगे तो क्या होगा?
मैंने कहा- इसमें तुम्हारा पर्सनल डेटा होगा और ये अभी ब/च्चे हैं.
दीपू ने कहा- भाभी, मेरी जिंदगी में कुछ पर्सनल नहीं है. वैसे भी मिडिल क्लास लड़कों की जिंदगी या तो खराब होती है, या फिर संघर्ष करके खत्म हो जाती है.

ये सुनकर मैं चुप हो गई.
लेकिन शाम को हम सब पार्क में गए तो मैंने पति को कॉल करने का बहाना बनाकर दीपू का फोन लिया.

मैंने पूरा फोन चेक किया लेकिन कुछ भी गलत नहीं मिला.

अब दीपू के लिए मेरा नज़रिया बदल गया.
शायद उस दिन ही दीपू ने मेरे दिल में जगह बना ली.

अब मैं दीपू का बहुत ख्याल रखने लगी.
वैसे भी मेरा पूरा दिन उसके साथ ही गुज़रता था.

दीपू रात को मेरे ब/च्चों के साथ सोता था और मैं और मेरे पति दूसरे कमरे में ब्लू फिल्मों वाले गंदे काम करके मज़े लेते थे.

मैं मन ही मन दीपू की जिंदगी के बारे में सोचने लगी.
कैसे वह 24 साल का जवान लड़का अपनी तन्हाई में भी खुश रहता है.

जिस उम्र में मैंने अपने पति के साथ फ्लैट के हर कोने में चुदाई के मज़े लूटे … पार्क में, कॉलेज की छत पर, थिएटर में, गाड़ी में खूब चुदी … और ये बेचारा कितनी रूखी जिंदगी जीता है.

अगली सुबह मैंने दीपू से पूछा- क्या तुम शादी नहीं करोगे?
दीपू बोला- भाभी, मैं 10 हज़ार रुपये की नौकरी करके अपने मम्मी-पापा की मदद करता हूँ. शादी कर ली, तो मेरी वाइफ का खर्चा कौन उठाएगा?

मेरे पति ने ये सुनकर कहा- कोमल, दीपू की सैलरी अभी से थोड़ा बढ़ाकर देना!

पति के ऑफिस जाने के बाद मैंने दीपू को 15 हज़ार रुपये दिए और बोली- तुम बाजार जाओ और ठीक से देख कर अपने लिए कुछ अच्छे कपड़े ले आओ. मैंने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है. शाम को उनके घर जाना है.

शाम को जब दीपू घर आया, तो मैं उसे देखने लगी.
उसने जो टाइट शर्ट पहनी थी, वह उसकी कामुक छाती की बनावट दिखा रही थी.

उसकी ब्लू जींस उसकी टांगों से चिपककर उसकी जांघों को उभार रही थी.
लंबे-लंबे बालों का स्टाइल और थोड़ी तीखी दाढ़ी … उफ्फ!

फिर मेरा ध्यान उसकी पैंट की ज़िप पर गया.
उसके लंड का उभार देखकर मेरी सांसें तेज़ हो गईं.
मेरी छाती में तूफान उठा, आंखें बंद हो गईं और मैंने अपनी पैंटी में पानी छोड़ दिया.

मैं खुद को संभाल नहीं सकी.
मैंने कमरे के दरवाज़े का सहारा लिया, वह अन्दर की तरफ खुल गया और मैं गेट के पास फर्श पर बैठ गई.

दीपू दौड़कर मेरे पास आया, उसने मुझे अपनी मजबूत बांहों में उठाया, बेड पर लिटाया और पानी पिलाया.

मुझे उसकी हर अदा याद है, लेकिन उस मदहोशी में मेरे साथ क्या हो गया, कुछ पता नहीं चला.
मैं उसी मदहोशी में सो गई. रात में जब मेरे पति आए, तो उन्होंने मुझे डॉक्टर के पास जाने को कहा.

मैंने थकान का बहाना बनाकर मना कर दिया.
दीपू हम दोनों का खाना बेड पर ले आया.

हमने खाना खाया और लेट गए.

लेकिन मेरे शरीर की सनसनाहट ने मुझे सोने नहीं दिया.

मेरे पति बार-बार रात में मुझसे पूछते रहे और मेरा ध्यान रखने के चक्कर में खुद भी नहीं सोए.
पर मैं कैसे बताती कि आज मेरे शरीर ने जो न/शा महसूस किया, वह आज से पहले कभी नहीं हुआ था.

अगले दिन मेरे पति काम पर नहीं गए और उन्होंने मुझे बार बार डॉक्टर के पास जाने की ज़िद की.

पर मैं अपने पति को कैसे समझाती कि मेरी दवाई किसी डॉक्टर के पास नहीं है. वह तो दीपू के पास है.

पूरा दिन ऐसे ही निकल गया और मैं बस अपने कमरे में ही लेटी रही.
मेरे पति भी मेरे पास ही रहे.

अब मैंने सोचा कि अगर मैं ऐसे ही रही तो पति मुझे अकेले छोड़ कर नहीं जाएंगे.

यह विचार आते ही मैं बेड से उठ गई और बाथरूम में जाकर अपनी दो दिन की गीली पैंटी को उतार कर साइड में रख दिया.

बस मन किया कि इस पैंटी को धोना नहीं है.
इसको मैं हमेशा अपने पास रखूंगी, उस पल को याद रखने के लिए … जब मैंने वह मदहोशी महसूस की थी.

मैं नहा कर टॉवल में बाहर आई तो मेरे पति खुश हो गए.
मैंने भी मुस्कुराकर इशारे से जवाब दिया कि मैं अब ठीक हूँ.

फिर मैंने अपने पति को अपना नग्न शरीर दिखा कर अपनी चूची पर ब्रा को बांध दिया और अपनी चिकनी चूत को पैंटी में छुपा दिया.
ऊपर से साड़ी बांध कर बोली- आज बाहर चलते हैं, कुछ पार्टी करेंगे.

पति ने कहा- हां बहुत दिन हो गए. ब/च्चे होने के बाद बाहर जाने का टाइम ही नहीं मिलता है.
मैंने कहा- तो आज घर में ही पार्टी करते हैं.

पति को बाजार से दारू और बाकी सब सामान लाने का बोल कर मैं, दीपू और ब/च्चों के पास आ गई.

रात को मेरे पति खाने ओर पीने के सामान के साथ वापस आए.
हमने अपने कमरे में बैठ कर पीना शुरू किया.

दो पैग लेने के बाद पति बोले- आज तो तुम्हें मेरा लंड चूसना पड़ेगा. बहुत दिन हो गए.

तो मैंने आंख मार कर उनका मजाक बनाया.
तो मेरे पति ने मेरी साड़ी खींच दी और ब्लाउज के ऊपर से मेरी चूची दबा दी.
मैंने कराह कर मादक स्वर में कहा- तुम एक एक पैग और बनाओ, मैं ब/च्चों को देख कर आती हूँ.

मैं अपनी साड़ी के पल्लू से चूची को ढक कर ब/च्चों को देखने गई तो वे दोनों दीपू के पास लेट कर सोने की एक्टिंग कर रहे थे.

हां, रोज अपनी मां के कमरे से चुदाई की आह आह सुन कर उन बेचारों को नींद नहीं आती होगी न!

फिर मैंने दीपू से कहा- इनको सुला देना मैं थोड़ी देर बाद आउंगी.
मैं वापस गई तो मेरे पति एक दो पैग मार कर लेट गए थे.

मैंने भी सोचा कि इनको सोने दो, वैसे भी कल पूरी रात सोये नहीं थे.
मैं अपना तीसरा पैग उठा रही थी कि मुझे दीपू का ख्याल आया तो मैं वापस कमरे में गई.

दीपू लाइट बंद करके ब/च्चों को सुला रहा था.

मैं उसके पास गई और बोली- दीपू आओ, तुम भी एक दो पैग मार लो!
तो दीपू ने जवाब दिया- भाई को पता चल गया तो …?
मैं बोली- हम दोनों तो कॉलेज के टाइम से पीते हैं, कुछ नहीं होगा … तू आ जा!

वह मेरे पीछे पीछे कमरे में आ गया.
उसने अपने भाई की तरफ इशारा किया.
तो मैंने उसको बेड पर चुप से बैठने को बोला.
फिर हमने दो दो पैग लिए.
वह बोतल खत्म हो गई.

मैं बोली- और पीनी है क्या?
दीपू बोला- भाभी, अभी तो रात हो गई है?

मैं बोली- कोई बात नहीं, हम पब में चलेंगे.
उसने हामी भर दी और हम दोनों बाहर आ गए.

दीपू ने गाड़ी का लॉक ओपन किया, तो मैं डर गई कि कहीं मेरे पति उठ गए तो गड़बड़ हो जाएगी.
मैंने उससे चुपचाप से गाड़ी निकालने को बोला.

वह सफलता से गाड़ी दूर को ले गया और अब हम दोनों गाड़ी में बैठ कर जा रहे थे.
मैं थोड़ी मदहोश होकर बोली- दीपू तुमने कभी सेक्स किया है?

दीपू ने अचानक ब्रेक मार दिए और मेरी तरफ देखने लगा.
मैंने बोला- यार, तुम जवान हो और कोई लवर तो …

दीपू बोला- भाभी, मुझे कौन देगी? मैं तो ऐसे ही …
मैंने उसको अपने चूची के ऊपर खींच लिया और उसके सिर को मम्मों से दबा कर बोली- लो चूसो इन्हें!

वह पागल की तरह मेरी क्लीवेज और गर्दन में चूसने लगा.
मैं उफ़ आह करके अंगड़ाई लेकर अपने पैर खोलने लगी.

दीपू ने मेरी कमर को पकड़ कर मुझे ऊपर खींचा और मेरे ब्लाउज के ऊपर से चूची को चूसने लगा.
पर मेरी ब्रा और ब्लाउज उसके रास्ते का रोड़ा बन गए.
उस पागल ने दांत से पकड़ कर ब्लाउज को फाड़ना चाहा.

पर उसके मुँह में मेरा चूची वाला हिस्सा आ गया और नशे में चूर मेरे मुँह बोले देवर दीपू ने अपने दांत से पकड़ कर ब्लाउज को खींच दिया. उसने अपने दांत से मेरी चूची की चमड़ी को भी खींच लिया और मेरे मुँह से चीख निकल गई.

‘आह्ह्ह मां … मर गई कुत्ते साले तूने मेरे दूध को काट दिया!’
मेरे हाथ से धकेलने के बाद वह थोड़ा होश में आया और अलग हो गया.

वह डर की वजह से चुप हो गया, तो मैंने बात शुरू की.
‘देखो हम सड़क के बीच में खड़े हैं, रात में कोई आ गया तो!’

दीपू बोला- भाभी ये हमारी सोसाइटी की सड़क है. यहां इतना ट्रैफिक नहीं है.
मैंने कहा- फिर भी कोई ना कोई आ ही जाता है.

मैं अपनी चूची को दबा कर अपने दर्द को सहन करने लगी और दीपू चुप होकर गाड़ी चलाने लगा.

हम पब की पार्किंग में गए तो वहां सिक्योरिटी गार्ड ने पर्किंग में खड़ी करने बोला.
मैं अपनी चूची के दर्द कम होने से फिर से मूड में आ गई थी.

मैंने सिक्योरिटी वाले को बोला- हमें आज यहीं गाड़ी में पीनी है. तुम्हें जितने पैसे चाहिए बोलो!
सिक्योरिटी वाले ने अपना फोन निकाल कर कहा- एक फोन करने दो मैडम!

ऐसे बोल कर वह दूर चला गया.
शायद उसको अपने कमीशन की बात करनी होगी.

फिर एक दूसरा लड़का आया और एक वोदका की बोतल व 2 गिलास और एक बॉक्स में खाने के लिए स्नेक्स ले आया.
उसने दीपू को सब सामान दिया तो मैंने पूछा- कितना हुआ!

वह लड़का बोला- मैडम पाँच हज़ार मुझे दे दो और पांच सौ मिश्रा को!
मैंने उसको 5 हज़ार दिए और मिश्रा को भेजने के लिए बोला.

वह सिक्योरिटी वाला मिश्रा आ गया.
मैंने उसको 2 हज़ार का नोट दिया और कहा- पूरी रात हमें गाड़ी में कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा!

मिश्रा ने एक कोने की तरफ हाथ करके कहा- मैडम वहां पर गाड़ी पार्क कर लो, सुबह 9 बजे तक आपको कोई परेशान नहीं करेगा.

हम दोनों ने कोने में गाड़ी पार्क की और पीना शुरू किया.
दीपू ने बड़ी मासूमियत से पूछा- भाभी, ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ.

मैंने आंख मार कर बोला- अब हरामी तू चूसने वाली चीज़ को चबा कर खाएगा तो दर्द होगा न!

दीपू ने सॉरी बोला और वह मेरे पैर छूने लगा.
मुझे उसकी मासूमियत पर बहुत प्यार आया.

मैंने उससे कहा- पैर मत छू तू तो प्यारा सा देवर है मेरा! तेरी जगह तो मेरी ब्रा के अन्दर है.
वह मेरी बात सुन कर मुस्कुराया और बोला- भाभी मुझे माफ़ कर दिया आपने!

मैंने कहा- माफ़ तो कर दूंगी, पर अब तुम्हें एक मेरे शरीर का एक एक कपड़ा फाड़ कर निकालना है!

वह न/शे में चूर मेरी साड़ी को पकड़ कर खींचने लगा.
मैंने कंधे पर पिन नहीं लगाई थी तो मेरी साड़ी उतर गई और मेरे दोनों कन्धे नंगे हो गए.

मेरी चूची के उभार साफ दिखने लगे, जैसे ब्लाउज को फाड़ कर बाहर निकल जाएंगे.
मैंने थोड़ा गुस्सा दिखा कर बोला- हाथ से नहीं खींचना है.

तो दीपू ने मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखा.
मैंने कहा- तू अपने होंठों से पकड़ कर खींच सकता है, चाहे तो दांत से काट लेना … पर मुझे दर्द नहीं होना चाहिए.

दीपू ने अपने होंठों से पकड़ कर मेरे ब्लाउज को खींचा, पर मासूम ब/च्चे जैसी ताकत लगाने से मेरे टाइट ब्लाउज का कुछ नहीं हुआ.

मैं हंसने लगी.

तो उसने गुस्से में मेरे ब्लॉउज को दांत से पकड़ कर खींच दिया.
उससे मेरे ब्लाउज के हुक टूट गए.

मेरी ब्लैक ब्रा दिखने लगी.
पर 4 में से एक नीचे का हुक पूरी तरह से अलग नहीं हुआ था तो वह उस हुक को अपने दांत से पकड़ने लगा.

इधर मैं चूची के नीचे वाले हिस्से में महसूस कर रही थी कि उस हिस्से को बार बार उसके होंठ चूम रहे थे, जिससे मेरे शरीर में सिहरन उठ रही थी.

उसने जैसे ही अगली बार ब्लाउज के नीचे से पकड़ा, तो मेरी ब्रा की इलास्टिक भी उसके दांत में फंस गई और उसके खींचने से ब्रा व ब्लाउज आगे की तरफ खिंच गए.

ब्लाउज तो पूरा खुल गया, पर ब्रा पीछे से बंधी हुई थी और इलास्टिक होने से ब्रा मेरे बूब्स पर आ कर जोर से लगी.

मुझे फिर से दर्द हुआ और इस बार मेरे मुँह से गाली निकल गई- बहन के लौड़े … साले कुत्ते … आराम से फाड़ मादरचोद … तेरी भाभी हूँ मैं!

दीपू कामुकता से जीभ से मेरे जिस्म को चाटते हुए बोला- ऊंह … भाभी, आप बार बार हिल रही हो तो दांत में ठीक से पकड़ा नहीं जा रहा है.
मैंने कहा- तो चल ठीक से पकड़ने के लिए पीछे की सीट पर चल!

अब मैं जैसे ही फ्रंट सीट से पीछे जाने लगी, तो अचानक से दीपू ने मेरी कमर पर होंठ रखे और मेरे पेटीकोट के नाड़े को मुँह में पकड़ लिया.
मैं जब तक समझ पाती कि नाड़ा टूटने वाला है … उसने पीछे की तरफ खींचा और मैं सीट पर जाने के लिए आगे बढ़ गई थी.

इससे नतीजा यह निकला कि मेरा नाड़ा टूट गया और साड़ी व पेटीकोट नीचे मेरे पैरों के पंजों पर गिर गए.
अब मैं केवल एक थोंग पैंटी में थी.

दीपू को मेरे चूतड़ों का ज्यादातर हिस्सा नग्न दिख रहा था.
मैंने कोई जल्दी नहीं की और इसी पोजीशन में बैक सीट पर हाथ रख कर ऐसे झुक गई, जैसे मैं गिरने वाली हूँ.

दीपू ने मुझे गिरने से बचाने के लिए पकड़ लिया.
मैंने गुस्से में कहा- तुमने रूल तोड़ दिया, हाथ नहीं लगाना था!

दीपू पुनः ऐसे डर गया, जैसे अब उसको नंगी भाभी की चूत और चूचों का दर्शन नहीं मिलेगा, उसकी पूरी मेहनत खराब हो गई.
दोस्तो, इस सेक्स कहानी के अगले भाग के साथ मैं जल्द ही हाजिर होती हूँ.

आप मुझे मेल करके जरूर बताएं कि आपको भाभी XxxSex कहानी में कितना मजा आया.
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भाभी XxxSex कहानी का अगला भाग: मेरा जिस्म चूसकर चोदने वाला कुत्ता देवर- 2

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