सेठ की बीवी की चुत गांड की चुदाई- 2

(Boss Wife Sex Kahani)

बॉस वाइफ सेक्स कहानी मेरे सेठ की बीवी की गांड और चूत चुदाई की है. वो बहुत सेक्सी थी और मुझे लाइन देती थी. मैंने भाई को या भाभी ने मुझे कैसे टिकाया?

दोस्तो, कहानी के पहले भाग
सेठ जी की सेक्सी बीवी
में आपने पढ़ा कि मैं रोहित अपने सेठ अरविन्द की बीवी नीतू भाभी को सैट कर रहा था.
उनकी मदमस्त चूचियां मेरे सामने लयबद्ध तरीके से ऊपर नीचे उठ बैठ रही थीं.

अब आगे बॉस वाइफ सेक्स कहानी:

हम दोनों एक दूसरे की आंखों को पढ़ते रहे, हमारे दिलों में वासना भड़कने लगी थी.

अभी कुछ और होता कि तभी फोन की घंटी बजने लगी.
भाभी का ध्यान भंग हो गया और वो फोन उठाने के लिए चल दीं.

उसके बाद मैं भी अपने घर चला गया.
लेकिन मेरा बहुत बुरा हाल था, रह रह कर मेरा लंड भाभी के स्पर्श को याद करके खड़ा हो जाता था.
उस दिन मैंने एक बार फिर भाभी के नाम की मुठ मारी.

मुझे पता चल गया था कि भाभी भी मुझसे चुदना चाहती हैं लेकिन वो इशारों से मुझे समझा रही हैं, तो मैं क्या करूँ … क्या करूँ.
बस यही सोचते सोचते मुझे कब नींद आ गयी, मुझे पता ही नहीं चला.

अगले दिन मैं रोज़ की तरह सुबह भाभी से चाभी लेने गया तो उनके चेहरे पर बहुत कातिलाना मुस्कान थी.
मैंने सोच लिया था कि अब कुछ भी हो जाए, आज मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही है. आज कम से कम भाभी के दूध तो ज़रूर पकड़ूंगा … और भी वो भी भाभी की मर्ज़ी से.

दोपहर को भाभी ने मुझे फिर जूस लाने के लिए घर बुलाया.
तो मैंने सोचा कि रोहित बेटा यही मौका है, अगर कुछ नहीं किया, तो भाभी मुझे चूतिया समझेगी क्योंकि उसने तो खुला इशारा दे ही दिया था.

यही सोचते हुए मैं भाभी के घर पहुंचा.

भाभी ने आज फिर वही नाइटी पहनी थी.
उन्होंने दरवाजा खोलते वक़्त मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया.

मैं सिहर उठा, मेरे जिस्म में करेंट दौड़ गया.
आज भाभी बहुत ज़्यादा सेक्सी लग रही थीं. मेरे लंड महाराज पैंट में खड़े हो गए थे.

भाभी ने मुझे फ्रिज में से रसगुल्ले निकाल कर दिए और बोलीं- अब आ गया है तो अपने भैया का खाना लेकर ही जाना. नहीं तो, इतनी गर्मी में तुझे दोबारा आना पड़ेगा.
मैंने कहा- भाभी, अभी तो 12 बजे हैं और खाना बनाने में तो कम से कम एक घंटा लगेगा.

उन्होंने कहा- तू टेंशन मत ले, मैंने तेरे भैया को बोल दिया है कि रोहित अब खाना लेकर ही आएगा.
मैं भी खुश हो गया कि चलो अब आराम से भाभी के दूध देखूंगा और उनके मादक जिस्म को देखने का मौका भी मिलेगा.

ऐसे ही मैं उनके साथ किचन में आकर खड़ा हो गया और उनके खुले गले की नाइटी में से उनके बूब्स का दीदार करने लगा.
भाभी ने मुझे देखते हुए पकड़ लिया और बोलीं- क्या देख रहा है?

तो मैंने भाभी से खुल कर कहा- भाभी, आज आप बहुत सेक्सी लग रही हैं. आपका फिगर तो एकदम कमाल है. कोई भी आपको देख ले, तो पागल हो जाए!
मेरी बात सुनकर भाभी हंसने लगीं और बोलीं- तू भी तो बिल्कुल पागल हो गया है.

मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया और बोला- भाभी, आज मैं आपसे कुछ मांगना चाहता हूँ.
भाभी ने कहा- क्या?

मैंने कहा- पहले प्रॉमिस करो कि आप बुरा नहीं मानोगी और मना भी नहीं करोगी!
भाभी ने कहा- मैंने आज तक तेरी किसी बात को मना किया है या तेरी बात का बुरा माना है?

मैंने कहा कि भाभी, मैं.. मैं..
भाभी- अरे मैं … मैं … क्या कर रहा है, बकरी है क्या?
ये कह कर वो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगीं.

मैं- भाभी मैं आपसे … मैं आपसे … वो मैं.
भाभी- अरे फिर वही मैं.. मैं.. तू कुछ भी बोलेगा या नहीं?
मैं- भाभी मैं.. मैं.. भाभी मैं आपको किस करना चाहता हूँ.

मैंने जल्दी से कहा और घबरा कर किचन से बाहर चला गया. सामने बरामदे में आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ कर सोचने लगा कि पता नहीं अब क्या होगा.

भाभी किचन से ही कुछ देर तक मुझे देखती रहीं.
मैं बहुत घबरा गया कि अब सब खत्म हो गया.
मेरा पसीना छूट गया था.

तभी भाभी बहुत ज़ोर से हंसने लगीं और बोलीं- बस इतनी सी बात!
मैं चूतिए की तरह भाभी का मुँह देखने लगा और घबराहट की वजह से मेरे होंठ सूखने लगे.

मैं अपने होंठों पर अपनी जीभ फेरने लगा.
तभी भाभी इठलाती हुई बोलीं- ओके, सिर्फ़ किस ही मिलेगा और कुछ नहीं, समझे?

फिर क्या था, मैं झटके से उठा और किचन में जाकर भाभी को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया. मेरा लंड जो डर के मारे ढीला पड़ गया था, भाभी के चूतड़ों का स्पर्श पाते ही टाइट होने लगा.

भाभी ने भी मेरे लंड को महसूस किया और बनावटी गुस्से से बोलीं- ये क्या कर रहा है तू … मैंने सिर्फ़ किस करने की पर्मिशन दी थी और वो भी किचन में नहीं. थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा.

मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा- भाभी आज मत रोको, बहुत दिनों से इस घड़ी का इंतजार कर रहा था. हर रोज़ मैं आपके बारे में सोचते हुए मुठ मारता हूँ.
भाभी ने कहा- छी: गंदा.

मुझे भी हंसी आ गयी और मैंने कहा- आज तो मैं आपको बिल्कुल नहीं छोड़ूँगा मेरी प्यारी भाभी.
ये कहते हुए मैंने भाभी को और भी ज़ोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया और अपने लंड को उनके चूतड़ों के बीच में पूरा दबा दिया.

भाभी के मुँह से हल्की से सिसकारी निकल गयी ‘अह …’

ये देख कर मेरा जोश और बढ़ गया और मैंने उनका मुँह अपनी तरफ घुमा कर उनके होंठों पर अपने प्यासे होंठ रख दिए.
मैं ताबड़तोड़ उन्हें किस करने लगा.

अब मुझे ज़रा सा भी डर नहीं लग रहा था.
तभी भाभी ने कहा- अरे इतना उतावला क्यों हो रहा है, मुझे खाना तो बनाना दे. रोटी जल जाएगी. मुझे दस मिनट का टाइम दे, तब तक खाना बन जाएगा. थोड़ा सब्र रख!

पर मुझे सब्र कहां था … मैं तो पागल हो रहा था.

मैंने भाभी का मुँह छोड़ दिया पर मैं भाभी को पीछे से पकड़ कर उनसे चिपका रहा.
मैं बोला- भाभी, प्लीज़ मुझे अपने से अलग होने को मत कहना. मैं ऐसे ही आपके बदन को चिपक कर खड़ा होना चाहता हूँ और आपके बदन के हर अंग को महसूस करना चाहता हूँ.

भाभी ने कहा- अच्छा बाबा, तेरे से कौन जीत सकता है, तू बड़ा ज़िद्दी है.

दोस्तो, अब मेरा जोश और भी बढ़ गया था. अब मैं पीछे से चिपके चिपके ही भाभी के पेट पर हाथ फिराने लगा.

भाभी मदहोश होने लगीं. उनके मुँह से फिर सिसकारी निकल गयी- आआहह …

फिर मैं धीरे धीरे अपने हाथ ऊपर ले जाने लगा.
भाभी का पूरा बदन सिहरने लगा. पर उन्होंने मुझे रोकने या टोकने की कोशिश नहीं की.

मैं ऐसे ही उनके पेट और उनके बूब्स के नीचे तक हाथ फेरता रहा.
कुछ ही देर में सारा खाना बन गया और भाभी ने गैस को बंद कर दिया.

ये देखते ही मैंने भाभी के दोनों दूध पकड़ लिए और अपने हाथों को उन पर गोल गोल घुमाने लगा.
भाभी को भी अब मज़ा आने लगा और उन्होंने मेरे दोनों हाथों पर अपने हाथ रख दिए.
वो ज़ोर ज़ोर से अपने मम्मे दबवाने लगीं.

मैंने बेरहमी से उनके दूध मसल दिए.
उनकी मीठी सी कराह निकल गई.

फिर मैंने भाभी की नाइटी के गले में हाथ डाला, तो मुझे ज़ोर का करेंट लगा.
भाभी ने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी. इसका मतलब भाभी आज खुल कर मज़ा लेना चाहती थीं.

मैं ज़ोर ज़ोर से भाभी के दोनों मम्मों को बारी बारी से दबाने लगा … अपने हाथों से मसलने लगा.
मैंने उनके एक दूध को अपने मुँह में भर लिया और छोटे बच्चे के तरह चूसने लगा.

मैंने उनके दूसरे दूध के साथ भी वही किया.
भाभी के मुँह से वासना से लबरेज सिसकारियां निकलने लगीं- यस अहह … आह … रोहित बहुत मज़ा आ रहा है. प्लीज़ और ज़ोर से दबाओ मेरे मम्मों को.
उनकी सिसकारियां मुझे पागल बना रही थीं.

मैं अपने लंड को धीरे धीरे भाभी के चूतड़ों के बीच में रगड़ कर धक्के से लगाने लगा. मैं मदहोश होता जा रहा था.

फिर मैंने भाभी की नाइटी को नीचे से पकड़ा और उनकी कमर के ऊपर तक उठा दिया.

मैंने देखा कि भाभी ने नीचे पैंटी भी नहीं पहनी थी.
बॉस वाइफ सेक्स के लिए तैयार थी, ये देखते ही मेरा लंड मेरी पैंट के अन्दर ज़ोर मारने लगा.

मैंने भाभी के दोनों चूतड़ों के ऊपर अपने हाथ रख दिए और उन्हें ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
भाभी अब पूरी तरह से गर्म हो चुकी थीं.

मैंने भाभी की नाइटी को और ऊपर करके उनके गले से ऊपर खींच दिया और भाभी को पूरी नंगी कर दिया.

आआ आहह … क्या सेक्सी बदन था भाभी का … एकदम गोरा गोरा बदन … भारी भारी जांघें … गोल गोल दूध और मस्त चूतड़.
मैं भाभी को पूरी नंगी देख कर सब भूल गया और पागलों की तरह उनके चूचों को दबाते हुए उनके होंठ चूसने लगा.

भाभी भी पूरी तरह से जंगली हो चुकी थीं और वो मेरे होंठों को चूस रही थीं.
मैं पैंट पहने पहने ही ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था, पर इससे मेरे लंड में दर्द होने लगा.

शायद भाभी को इस तरह पूरा मज़ा नहीं आ रहा था, तो उन्होंने मुझे रोका.

अब भाभी ने अपने हाथों से पहले एक एक करके मेरी शर्ट के बटन खोले और उसे मेरे बदन से अलग कर दिया.
इस दौरान भी मैं और भाभी के दूसरे को खा रहे थे.

भाभी ने मुझे अपने से अलग किया और घुटनों के बल नीचे बैठ कर मेरी पैंट का हुक खोल दिया, फिर धीरे धीरे उसे नीचा सरका दिया.

मैंने बारी बारी से अपने दोनों पैर उठा दिए जिससे भाभी को मेरी पैंट उतारने में आसानी हो.
भाभी ने मेरी पैंट को मेरे बदन से अलग कर दिया.

अब मैं सिर्फ़ कच्छे में खड़ा था और मेरा लंड बुरी तरह से झटके खा रहा था.
मैंने कहा- भाभी इससे भी उतारो, ये कब से आपके मुँह में जाने के लिए तड़प रहा है.

भाभी ने मेरे कच्छे के ऊपर लगी इलास्टिक में अपने दोनों हाथों की उंगलियां डालीं.
उनकी उंगलियों का स्पर्श अपनी कमर पर पाकर मैं सिहर उठा.

फिर भाभी ने मेरे कच्छे को नीचे खींचना शुरू कर दिया.
मेरा लंड झटके पर झटके मारने लगा.

जब कच्छे की इलास्टिक लंड पर आई, तो लंड खड़ा होने के वजह से मेरा कच्छा वहां फंस गया.
भाभी ने मेरे कच्छे के अन्दर हाथ डाला और अपने एक हाथ से लंड को पकड़ कर उसे थोड़ा साइड में करके मेरे कच्छे को पूरा नीचे खींच दिया.

मैंने अपने पैर बारी बारी से उठा कर अपने कच्छे को उतरवा दिया.
मेरे लंड को देख कह भाभी की आंखें खुली की खुली रह गईं.

वो बोली- हाय रब्बा, कितना बड़ा है तेरा ये डंडा! तेरी हाइट तो इतनी छोटी है, फिर ये इतना बड़ा कैसा हो गया?
मैंने कहा- कहां भाभी, ये इतना छोटा सा तो है. आप ज़रूर मज़ाक कर रही हो!

भाभी ने कहा- तेरी कसम, मैं सच बोल रही हूँ. तेरे भैया को तो इससे आधा ही है, जबकि उनकी हाइट तेरे से भाई ज़्यादा है.
ये सुन कर मुझे अपने ऊपर गर्व होने लगा.

भाभी के नर्म नर्म हाथों का स्पर्श अपने लंड पर पाकर मेरा लंड और भी फूलने लगा.
तब भाभी ने वहीं नीचे बैठे बैठे ही मेरे लंड के टोपे को 2-3 बार अपनी जीभ से चाटा.

आआहह्ह क्या अहसास था वो!
भाभी की जीभ बहुत गर्म थी और मुझे झनझनाहट का मज़ा मिल रहा था.

उन्होंने धीरे धीरे मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और अपने मुँह को आगे पीछे करने लगीं.
मैं खड़े खड़े ही भाभी के बालों में अपनी उंगलियां फिराने लगा जिससे भाभी को और भी मज़ा आने लगा.

उन्होंने ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को ऐसे चूसना शुरू कर दिया जैसे कोई बच्चा कुल्फी को चूसता है.
उनके मुँह से चपर चपर की आवाजें आने लगीं.

मैं भी भाभी के मुँह में धक्के लगाने लगा.
ऐसे ही 5 मिनट तक लंड चुसवाने के बाद मैंने भाभी को खड़ा किया और उनको पीछे की तरफ मोड़ दिया.

अब भाभी का मुँह किचन प्लेटफॉर्म (जहां पर गैस चूल्हा रखा होता है) की तरफ हो गया और उनके चूतड़ मेरी तरफ हो गए.
मैंने भाभी से कहा- आप किचन प्लेटफॉर्म पर अपने दोनों हाथ टिका लो.

भाभी ने ऐसे ही किया और वो प्लेटफार्म का सहारा लेकर खड़ी हो गईं.
मैंने पीछे से आकर अपने लंड को उनके पीछे वाले छेद पर रखा और उनके दोनों मम्मों को अपने दोनों हाथों से दबाते हुए अपने लंड का दबाव उनके पीछे वाले छेद पर बढ़ाना शुरू कर दिया.

भाभी का पीछे वाला छेद बहुत टाइट था.
उन्हें बहुत दर्द हुआ.

मैंने दो तीन बार कोशिश की पर लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था.

भाभी ने वहां रखे देसी घी के डब्बे में से थोड़ा घी लिया और अपने हाथ से मेरे लंड की अच्छी तरह से मालिश कर दी.
अब मेरा लंड एकदम चिकना हो गया.

मैंने भी थोड़ा सा देसी घी अपनी उंगली पर लगाया और उनके पीछे वाले छेद में डाल कर अच्छी तरह से उसे चिकना कर दिया.

फिर मैंने अपने लंड को एक झटके से उनके पीछे वाले छेद में पेल दिया.
इस बार लंड आसानी से अन्दर चला गया.

लंड अन्दर जाते ही भाभी के मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकल गयी ‘ऊऊऊईईइ माँआ … अहह … मर गईई.’

मैंने भाभी के दोनों मम्मों को दबाते हुए ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
भाभी को बहुत मज़ा आ रहा था- आआहह रोहित … यस बेबी … आह ऐसे ही … ऐसे ही … आह और ज़ोर से करो … और ज़ोर से … मुझे चोद दो राजा … आआहह बहुत मज़ा आ रहा है.

उनकी आवाजों से मेरा जोश बढ़ गया और मैं घमासान चुदाई करने लगा.

भाभी भी अपनी गांड पीछे धकेल कर मेरे लंड को अन्दर लेने लगी थीं.
दस मिनट तक इसी तरह चोदने के बाद मैंने भाभी को अपनी तरफ घुमाया और उनकी चुत में अपना लंड पेल दिया.

मैं पागलों की तरह भाभी को चोदने लगा था.
भाभी ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी.

इधर मेरे धक्कों की रफ़्तार और बढ़ने लगी.
उधर भाभी ने अपने दोनों हाथ मेरे चूतड़ों पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगीं.

इसका सीधा असर मेरे लंड पर होने लगा और मेरा लंड भाभी की चुत में और भी ज़्यादा फूलने लगा.
मुझे लगा कि जैसे ये अभी फट जाएगा.
ऐसे ही चुदाई करते करते थोड़ी देर में भाभी की चुत ने अपना रस छोड़ दिया. इससे मेरा लंड और भी गीला और चिकना हो गया और वो बहुत आसानी से अन्दर होने लगा.

चिकना और गीला होने की वजह से अब फ़च … फ़च … की आवाजें आने लगीं.
ये मादक आवाजें हम दोनों को मदहोश कर रही थीं.

मैंने अपने धक्कों की स्पीड और बढ़ाई और फुल मस्ती में आकर भाभी को चोदने लगा.
मेरे मुँह से मस्ती भरी आवाजें आने लगीं- आह आआह्ह … भाभी मेरी जान!

वो भी मुझे उत्साहित कर रही थीं.

फिर मुझे लगा कि मेरे लंड से रस निकलने वाला है.
मेरी स्पीड और भी तेज हो गयी.

मैंने भाभी से कहा- आआहह भाभी … मेरा काम होने वाला है आह भाभी!
उन्होंने कहा- रोहित मेरे अन्दर ही छोड़ देना.
मैंने कहा- ओके भाभी.

बस 10-15 धक्कों के बाद मेरे लंड से पिचकारी छूट गयी.
अब मैंने धक्के लगाने बंद कर दिए और निढाल होकर भाभी के ऊपर ही लेट गया.

मेरा बदन रह रह कर झटके खा रहा था.
भाभी बड़े प्यार से मेरी पीठ को सहलाती रहीं और मेरे होंठों को चूसती रहीं.

मेरे लंड का पूरा रस निकल जाने के बाद मैं और भाभी बाथरूम में गए और एक दूसरे को पूरी तरह से साफ़ किया.
फिर बाहर आकर कपड़े पहन लिए.

तब तक दुकान पर जाने का वक़्त हो गया था.

मैंने फाइनली भाभी को पकड़ा और उनके होंठों पर किस किया. एक बार फिर उनके नितंबों को सहलाया और भाभी को बाय कह कर दुकान पर चला गया.

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