मेरा जिस्म चूसकर चोदने वाला कुत्ता देवर- 2

(Devar Bhabhi Sexxx Kahani)

देवर भाभी Sexxx कहानी में अपने देवर का लंड देख कर मैं उससे चुदना छाती थी. मैंने उसे चुदाई के लिए तैयार भी कर लिया. मैं कार पार्किंग में कार में उससे खूब चुदी.

दोस्तो, मैं कोमल आपको अपने देवर के साथ हुई चुदाई की कहानी का मजा लिख रही थी.
कहानी के पिछले भाग
घरेलू नौकर का लंड लेने की लालसा
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मेरा मुँह बोला देवर दीपू मुझे कार में नंगी करने की कोशिश कर रहा था.
उसी दौरान कुछ ऐसा हुआ कि मैंने उसे डांट दिया.

अब आगे देवर भाभी Sexxx कहानी:

उसने न/शे में थरथराते हुए कहा- भाभी आप गिर न जाओ, इसलिए पकड़ा!
मैंने कहा- ऊं हूँ … अब कुछ बहाना नहीं चलेगा … अब तो रूल ब्रेक हो गया!

दीपू खामोश हो गया.
मुझे उसका चेहरा तो नहीं दिखा, पर उसकी बेबसी मैं अच्छे से समझ रही थी.

मेरी 38 साइज की आधी नंगी गांड उसके सामने करके मैं चुदासी कुतिया बनी हुई थी और वह कुछ नहीं कर रहा था.

मैंने कहा- तुम्हें रूल ब्रेक करने के लिए सजा मिलेगी!
दीपू तपाक से बोला- क्या सजा भाभी!
मैं बोली- अपने सारे कपड़े उतार दो, तो गेम कंटिन्यू कर सकते हैं.

दीपू शायद कुछ सोचने लगा.
फिर मुझे मेरी चुत के पास उसका लंड का दबाव महसूस हुआ.

दीपू पूरा नंगा होकर अपनी कुतिया के ऊपर कुत्ते की तरह चढ़ गया. उसने अपने हाथ आगे बढ़ाए और वह मेरे ब्लाउज को खींचने लगा.

पर ब्लाउज फटना उतना आसान नहीं था मैंने हाथ फ्री करके उसको ब्लाउज निकालने दिया.
ब्लाउज निकल गया.

अब दीपू का निशाना मेरी ब्रा का हुक था और मुझे डर था कि ब्रा की इलास्टिक को खींच कर छोड़ेगा, तो मेरी कमर पर कितना दर्द होगा.
मैं यह सोच रही थी कि तभी कुत्ते ने मेरी कमर को चूम कर हुक के पास वाला हिस्सा दांत से पकड़ लिया.

जैसे ही उसने ब्रा की इलास्टिक को ऊपर की तरफ खींचा, मैंने अपने आगे वाले हिस्से को ऊपर उठा दिया तो उसका सिर गाड़ी की छत में लगा और उसके मुँह से इलास्टिक निकल गई.
उसका नंगा टाइट लंड मेरी पैंटी पर रगड़ गया और मेरी आह निकल गई.

मुझे तो चोट या दर्द नहीं हुआ, पर दीपू गुस्से से बोला- भाभी, आप नीचे ही रहो न!
मैं सॉरी बोल कर फिर से सीट पर हाथ रख कर झुक गई.

दीपू ने फिर से मेरी कमर को चूमा, ब्रा की इलास्टिक को पकड़ कर झटका मारा दोनों हुक टूट गए और इलास्टिक मेरी कमर पर आ लगी.
मुझे बहुत दर्द हुआ और मेरे शरीर के हिलने से फिर से मेरे चूतड़ वाला हिस्सा उसके लंड और जांघों पर रगड़ गया.

मेरे 36 साइज के मोटे चूचे लटक गए और ब्रा मेरी उंगलियों के पास बैक सीट पर गिर गई.
मैं डॉगी स्टाइल वाली कुतिया बन चुकी थी.

दीपू ने मेरी कमर से हाथ पीछे किए और पैंटी की इलास्टिक पकड़ कर नीचे की तरफ की, इससे उसके सख्त होंठ मेरे नंगे चूतड़ पर रगड़ गए.

उफ़ … ये दर्द और सनसनी का अहसास पाकर मैं तो समझो दीवानी बन गई अपने देवर की!

दीपू बोला- भाभी, अब सीट पर बैठ जाओ अपनी टांगें उठाओ, मुझे पैंटी को पूरा उतारना है.
मैं आज पहली बार अपने देवर के ऑर्डर को मानने वाली थी.

मैंने बैठ कर अपनी टांगें हवा में उठा कर उसके कंधों पर रखीं, तो उसने मुँह से पैंटी पकड़ कर खींच दी.
पैंटी मेरी पायल में फंस गई तो वह जोर जोर से खींचने लगा और पैंटी का मुँह वाला हिस्सा फट कर दीपू के मुँह में फंस गया.

दीपू ने फिर से पकड़ कर खींचा पर पैंटी नहीं निकली.
मुझे उस पर दया आ गई.

मैंने खुद ही पैर मोड़ कर पैंटी निकाल कर दीपू के ऊपर फेंक दी.
दीपू ने मेरी चूत वाले हिस्से को होंठों से किस किया.

मेरा पानी निकलने से वह हिस्सा थोड़ा गीला हो गया था.
दीपू पैंटी का चूत वाला हिस्सा चूस चूस कर मुझे बोल रहा था कि वह अब मेरी चूत को चूस चूस कर मजा देने वाला है.

दीपू बोला- भाभी लेट जाओ हम दोनों 69 करेंगे.

दीपू की जांघ मेरे मुँह के ऊपर थी.
उसका लंड पूरा डंडे की तरह कड़क था. उसका 6 या 7 इंच लम्बा लंड मेरे होंठों से थोड़ी ही दूर लटक कर मुझे हिल हिल कर चूसने के लिए बोल रहा था.

तभी मेरी नंगी चूत में दीपू ने होंठों से हमला कर दिया.
मेरी आह निकल जाती, अगर दीपू नीचे करके लंड मेरे मुँह में नहीं घुसेड़ देता.

मेरा मुँह भी जैसे उसको अन्दर लेने के लिए इंतज़ार कर रहा था.

वह चुत चाट चाट और मेरी चूत को रगड़ कर मेरी मस्ती को बढ़ा रहा था और मैं उसके लंड को गले तक भर कर अपनी आवाज कम कर रही थी.

दीपू ने चूत की खाल को दांत से काट लिया और मैं तड़प उठी, पर उसका लंड मेरे गले तक भरा था और उसके घुटने मेरे कंधों पर रखे थे, मैं कुछ नहीं कर सकती थी.

वह साला पागल बार बार मेरी चूत के होंठों को काट रहा था.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी जांघ को दबा कर ऊपर उठने के लिए इशारा किया, तो वह थोड़ा ऊपर हुआ और उसका लंड थोड़ा सा बाहर निकल गया.
मैंने लंड को उलटे हाथ में पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी जांघ को ऊपर उठने हेतु सहारा दिया.

दीपू मेरी चूत को फिर से होंठों में दबा कर चूसने लगा.
अब मेरी चूत में बाढ़ आ गई और मैंने दीपू के लंड को अपने होंठों में दबा लिया.

मेरे पानी छोड़ने पर मुझे तो मजा आया, पर दीपू तो अब रस को जीभ से चाटने लगा.
आह वह मेरी चूत के छेद में अन्दर तक जीभ घुसा घुसा कर पानी चाट रहा था.

मैं भी मदहोश होकर उसका लंड चूस रही थी.

वह कितनी देर तक मेरी गर्मी संभालता, उसके लंड की फुहार मेरे गले में फूट कर गिर गई.

मैं अब उसके लंड को क्रीम रोल की तरह खाने लगी और वह मेरी चूत में अपने होंठ और नाक की नोक रगड़ता हुआ रख कर लेट गया.
उसकी गर्म सांसें मेरी चूत की गर्मी से भी ज्यादा तेज थीं और मुझे चूत के छेद पर महसूस हो रही थीं.

मैंने भी अपने देवर के लंड को चूस चूस कर फिर से कड़क कर दिया.
उसके लंड में फिर से जोश आ गया था. उसने मेरे ऊपर से उठ कर मुझे किस करना शुरू कर दिया.

मेरे चूचों, गर्दन, कमर पर अपने होंठों और दांतों से काट काट कर चूम रहा था.
मैं भी फिर से गर्म हो गई और दीपू को उकसाने के लिए बोलने लगी- आह देवर जी … और जोर से करो न … आह.

मेरा प्यारा देवर भी चूची के निप्पल को दांतों से खींच कर मेरी आह निकाल कर मजा ले रहा था.
उसका अगला हमला मेरी जांघ पर हुआ.

दांत से हल्के हल्के से काटने की उसकी कला सच में अद्भुत थी.

वह हल्के से काट कर फिर होंठों से चूम चूम कर मुझे मजा दे रहा था.
अब वह पूरे पैरों को चूम कर मेरी कमर पर किस करने लगा.

उसने अपने मुँह से निकला पानी मेरी नाभि में भर दिया.
मैं ‘सीई सीई आह देवर जी …’ करके तड़प उठी.

उसने मेरी टांगों को उठा कर अपने कंधों पर रखा और मेरी चूत को फिर से अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.
मेरी आह आह वाली सिसकारियां तेज हो गईं.

और मैं उसके सिर को अपनी टांगों की जकड़न व हाथ की दाब से चूत में ऐसे दबा रही थी, जैसे देवर को पूरा अन्दर घुसा लूंगी.

वह शिकारी कुत्ता मेरी चूत को चूस चूस कर मेरा बुरा हाल कर रहा था.

फिर मैंने अपना पानी उसकी नाक और मुँह पर छोड़ दिया.
और मेरा सेक्सी देवर मेरा पानी चाट चाट कर ऐसे पीने लगा था जैसे वह चुत रस की एक बूंद भी बाहर नहीं गिरने देगा.

अब मैं बदहवास होकर सीट पर गिर गई और मेरी टांगें देवर जी के कंधों पर लटक सी गईं.
देवर जी ने फिर से मेरी टांगों को उठा कर हवा में किया और अपने मोटे लंड को मेरी चूत पर रख कर धक्का लगा दिया.

चूत तो पूरी गीली थी ही और पहले से फटी हुई थी तो देवर का लंड फिसलता हुआ अन्दर तक घुसता चला गया.
उसके मोटे लवड़े से मेरी आह निकलने का दौर फिर से शुरू हो गया.

देवर जी मुझे धक्के मार मार कर ऐसा अहसास करवाते रहे जैसे मैं उनकी पालतू कुतिया हूँ.
मैं कराह रही थी- आह आह जोर से देवर जी … आह मेरी चूत में … खुजली हो रही है … आह तुम्हारा लंड तो बहुत मस्त है देवर जी … आह्ह मेरी पुंगी बजा दो!

काफी देर तक चोदने के बाद मेरे प्यारे देवर ने अपना वीर्य रस मेरी चूत में भर दिया और मेरी मोटी चूची पर मुँह रख कर आराम करने लगा.
मैं भी उसके सिर को सहला कर अपने देवर को प्यार दे रही थी.

हमने कुछ देर आराम करने के बाद फिर से दारू पीना शुरू कर दिया.
फिर मैंने टाइम देखा तो सुबह के 3 बजने वाले थे.

देवर ने भी पूछा कि कितना बज गए भाभी?
मैंने कहा- कितना बज गया … वह छोड़ो सनम … पर तुमने आज मुझे बहुत अच्छे से बजाया.

वह मुस्कुरा कर बोला- अभी तो शुरू किया है भाभी … अभी तो बहुत कुछ करना है. मैं बहुत दिन से आपकी चुत के लिए तड़प रहा था. जब मेरी शादी होगी तो मैं अपनी वाइफ को चोद चोद कर उसकी फाड़ दूंगा.
मैं बोली- कोई बात नहीं देवर जी आज से मैं ही तुम्हारी वाइफ हूँ. तुम तो बस मेरी ही फ़ाड़ो!

वह मेरी तरफ देख कर बोला- भाभी पूरी जिंदगी साथ देना पड़ेगा!
मैंने उसके हाथ को पकड़ कर अपने दोनों हाथों के बीच में रखा और बोली- अपने भाई को पता मत चलने देना, पूरी जिंदगी तेरी कुतिया बन कर रहूँगी.

दीपू बोला- भाभी तुम तो मेरी रानी हो, कुतिया तो बस चोदने के टाइम बनाऊंगा.
यह कह कर उसने मुझे फिर से सीट पर गिराया और मेरे ऊपर चढ़ गया.

उसने अपने एक ही हाथ में मेरी दोनों टांगें उठा कर मेरे कंधों की ओर मोड़ दीं और दूसरे हाथ से लंड को मेरी चूत के मुँह पर रख कर अन्दर डालने लगा.

मेरे दोनों पैर को मिला कर पकड़ने से मेरी चूत का छेद टाइट हो गया था.

देवर दीपू का लंड बिल्कुल रगड़ कर धीरे धीरे अन्दर आ जा रहा था.
कामुकता में मेरी उफ़ आह वाली आवाज निरंतर तेज हो रही थी.

फिर देवर जी ने दोनों हाथों से टांगों को पकड़ कर मेरे कंधों की तरफ मोड़ कर रखा और धक्के मार मार कर मेरी कमर में दर्द कर दिया.
मैं दर्द में कराह कर बोली- चूतड़ के नीचे कुछ सपोर्ट रखो यार … दर्द हो रहा है.

देवर जी ने टांगों को छोड़ा और मैंने अपनी टांग उसके कंधों पर रख कर खुद को आराम देने का सोचा.
पर दीपू अब भी मेरी चुत में लंड को रगड़ रगड़ कर चुदाई कर रहा था.

उफ़ क्या मर्द मिला है … आज शराब से ज्यादा न/शा देवर जी की अंतर्वासना का सामना करके हो रहा था.
दीपू अब रफ़्तार कम करके मेरी चूची चूस चूस कर धक्के लगा रहा था. एक औरत को क्या चाहिए … मुँह को कौरा और बुर को लौड़ा!

जब औरत की चूत में लंड घुसा हो और उसकी चूची को होंठों से मज़ा मिल रहा हो तो लज्जत … मजा मिलने लगता है.

मेरा प्यारा देवर जब लंड को चुत के अन्दर घुसाता तो वह मेरे दूध के निप्पल को अपने होंठों में पकड़ लेता और लंड को बाहर खींचने के लिए पीछे जाता तो निप्पल होंठ से खिंचता हुआ बाहर निकल जाता.

मेरे मुँह से एक मीठी सी आह निकलती कि तभी फिर से देवर का लंड अन्दर चुत की फाँकों को रगड़ता हुआ घुस जाता और वापस से अपने होंठों से मेरे दूसरे दूध के निप्पल को पकड़ लेता.

आह … क्या लजीज सुख मिल रहा था.
मैं तो स्वर्ग में थी और मुझे जन्नत का मजा किसे कहते है वह समझ में आ रहा था.

मैं बुदबुदाने लगी थी- आह्ह्ह देवर जी … ये ही जन्नत है … चोदो और चूसो आह आह!

शुक्र है दोस्तो … कि हमारी गाड़ी के शीशे बंद थे और जिधर गाड़ी खड़ी थी उधर से आवाज बाहर नहीं गई वरना एक दो लंड तो मेरी कामुक आवाज सुन कर झड़ जाते … उफ़ क्या मजा आ रहा था.

फिर देवर जी ने मुझे अपने ऊपर बिठा कर लंड की सवारी करवाई और मेरे चूचों को अपनी उंगलियों में फंसा कर खींचना शुरू कर दिया.
उसकी हरकतों से मेरी गर्म आह निकल रही थी.

ऐसे ही काफी देर तक चुत चुदवाने के बाद मैंने देवर जी का पानी अपनी चूत में भरवा लिया.
हमने एक एक पैग और पिया, उसके बाद टाइम देखा तो 4:20 हो गए थे.

देवर ने अपने कपड़े पहने और मैंने फटी हुई ब्रा ब्लाउज को ऐसे ही अपनी चूची को ढकने के लिए पहन लिया.
फटी हुई पैंटी भी मेरी चूत को ठीक से नहीं ढक सकी.

पर मेरे पास साड़ी थी तो मैंने फटी हुई साड़ी को लपेटने में देवर की मदद ली और साड़ी से पूरी बॉडी को अच्छे से कवर कर लिया.
मैं एक सिगरेट सुलगा कर धुआँ उड़ाती हुई गाड़ी में पसर कर बैठ गई.

देवर ने कहा- इस टाइम दूसरे कपड़े मिलना तो प्रॉब्लम है!
मैंने कहा- तुम घर चलो, मैं सब सैट कर लूंगी!

हम दोनों घर आ गए.
न/शे में हम भूल गए थे कि हमने जाते वक्त घर का मेन दरवाजा भी लॉक नहीं किया था.

दीपू चुपके से ब/च्चों के पास चला गया और मैं दबे पाँव अपने पति के कमरे में आ गई.

मेरे पति तो सोये हुए थे.
यह देख कर मैंने राहत की सांस ली और अपने कपड़े निकाल कर बाथरूम में जाने लगी.

उसी वक्त मेरा मोबाइल बज गया.
मैंने कपड़े फर्श पर फेंक कर जल्दी से मोबाइल उठाया और उसे साइलेंट किया.

स्क्रीन पर देखा कि यह तो दीपू का फोन है, मैंने कॉल उठा कर सुना.
दीपू- भाभी, सब ठीक है न?

मैं हां कह कर अपने कपड़े उठा कर बाथरूम में गई, अन्दर से लॉक करके बोली- हां सब ठीक है मेरी जान, थैंक्यू तुमने मुझे इतना ज्यादा मजा दिया!
दीपू बोला- भाभी, एक बार और करें क्या … प्लीज!

मैं थोड़ा सोच कर बोली- तुम बाहर गाड़ी में चलो, मैं आती हूँ.

मैंने अपने फटे हुए कपड़े उतार कर बाथरूम के कोने में रख दिए और मैक्सी पहन कर बाहर जाने लगी.

फिर मैंने सोचा दूसरी साड़ी ले लेती हूँ यदि पहनने का टाइम मिला तो काम आ जाएगी.
मैं दूसरी काली साड़ी और उसकी मैचिंग ब्लाउज पेटीकोट लेकर गाड़ी के पास आ गई.

देवर ने मैक्सी में देख कर मुझे गले से लगा लिया.

मैंने अन्दर ब्रा पैंटी नहीं पहनी थी.
शायद उसको अंदाजा हो गया था.

देवर मेरी चूची को अपनी छाती में दबा कर मेरी चूतड़ों की लकीर में उंगली करने लगा.
मैंने कहा- गाड़ी में अन्दर चलो.

फिर देवर जी ने मुझे नंगी करके अपनी रखैल की तरह बैक सीट पर गिरा दिया और गाड़ी बंद करके अन्दर ही अन्दर मेरी सिसकारियां निकाल कर चोदा.
सीट पर बैठा कर मुझे अपने ऊपर बिठा कर मेरी चूत मारी और मैं मजे से अपने देवर से चुदी.

काफी देर तक चुदाई करने के बाद हम दोनों थक गए, पर उसका पानी नहीं निकला.
दीपू बोला- भाभी पीछे से करूँ क्या?

मैंने आज से पहले गांड में लंड नहीं लिया था, पर आज मैं देवर की सब बात मानना चाहती थी.
मैंने हां बोल दिया.

उसने मुझे घोड़ी बना कर छेद में लंड घुसाया तो मुझे बहुत दर्द हुआ और मैं चिल्लाने लगी.
दीपू रुक गया.

फिर उस दिन उसने मुझे चूत में ही लंड पेल कर चोदा.
अगली सुबह देवर जी मेरे लिए नाश्ता बना कर लाए तो पता चला मेरे हस्बैंड और ब/च्चे चले गए थे.

दीपू ने मेरे साथ नाश्ता किया और बोला- जल्दी से फ्रेश हो जाओ भाभी. एक राउंड और करते हैं.
मैं वाशरूम में जाकर रात का सब माल बाहर निकालने लगी और फिर गांड धो कर शॉवर लेने लगी.

देवर क्रीम लेकर अन्दर आ गया.
दीपू बिल्कुल नंगा था और अपने लंड की मालिश कर रहा था.

फिर उसने मुझे झुका कर मेरी गांड के छेद में क्रीम भर दी और उंगली से फैला कर छेद को चिकना किया.
उसने मेरी कमर पर हाथ रख कर अपना लंड सैट किया और पेलने की कोशिश करने लगा.

मैं डरती हुई बोल रही थी- धीरे से पेलना … दर्द मत देना आह जोर से मत डालना आह मेरी फट जाएगी देवर जी प्लीज प्यार से करना!
मगर मादरचोद देवर ने जोर का धक्का मार कर पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया.

‘आह मां मर गई … फट गई मेरी आह्ह्ह.’
मैं आगे को भागना चाहती थी, पर दीपू ने मेरी कमर को पकड़ कर मुझे हिलने नहीं दिया और उसने बचा हुआ लंड मेरी गांड में ठांस दिया.

मैं क्या करती … औरत तो मर्द की कुतिया होती है. उसको तो दर्द भी सहने में मजा आता है.
मैं अपने मन को समझा कर अपने मुँह को भींच कर चुप हो गई क्योंकि यही ज़ुल्मी मर्द, कुत्ते की तरह मेरी चूत को चाट चाट कर मजा भी तो देता है!

थोड़ी देर बाद दीपू ने गांड में लंड रगड़ना शुरू कर दिया और मैं बस इंतज़ार करने लगी कि कब ये दर्द खत्म होगा.
कुछ देर बाद मुझे भी लगा जैसे मेरी चूत के पास कुछ अच्छा सा मजा आ रहा है और मेरा हाथ खुद ब खुद मेरी चूत पर चला गया.

देवर जी के साथ साथ मैं भी चूत को रगड़ने लगी- आह्ह देवर जी, जोर से करो … आह मजा आ गया! बस मेरी चूत का पानी निकल गया. आह … मैं थक गई छोड़ो प्लीज!

दीपू ने भी मेरी कमर छोड़ दी.

अब मैं सीधी खड़ी हुई तो मुझे मेरी कमर और गांड में दर्द महसूस हुआ.
मैं दीपू के सीने पर सिर रख कर बोली- बहुत दर्द हो रहा है!

दीपू ने मुझे गोद में उठाया और बेड पर ले जाकर मेरी चूत को चूसा.
मैं गर्म हो गई तो फिर से मेरी चूत को चोद चोद कर मुझे थका दिया.

देवर भाभी Sexxx का मजा लेकर मैं और देवर जी नंगे ही सो गए.
ब/च्चों के स्कूल के समय रोज की तरह पति का फोन आया तो मैं इस सपने से जागी और हम दोनों नहा कर स्कूल गए.

पिछले दो साल से हवशी देवर मेरे दिन वाला पति बन कर मेरी चुदाई करता है और मेरे सेक्सी पति मेरी रात वाली चुदाई करते हैं.
बस अब देवर की शादी करवानी है. क्योंकि देवर जी ने मुझे प्रेग्नेंट कर दिया है और वह ब/च्चे को पैदा करने के लिए जिद कर रहा है.

वैसे तो मेरा भी मन है कि यह ब/च्चा हम दोनों के प्यार की निशानी है.
इसे संसार में आने का हक मिलना ही चाहिए.
यह पूरी जिंदगी हमारे प्यार को ज़िंदा रखेगा.

आपको यह देवर भाभी Sexxx कहानी कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.
[email protected]

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