लण्ड की करतूत -1

(Lund Ki Kartoot-1)

This story is part of a series:

मेरा लण्ड अब 67 साल का है। मुझे अपना लण्ड बहुत प्यारा है इसीलिए वो अब तक मेरा साथ दे रहा है। मेरी कहानी मेरे रिटायरमेंट के बाद चालू होती है जब मैं 60 साल का था।

मेरी पत्नी काफी भारी भरकम है इसलिए उसके साथ चुदाई में मजा नहीं आता। मेरा ध्यान दूसरी स्त्रियों की ओर जाने लगा। वैसे मैं पहले भी कई स्त्रियों को चोद चुका हूँ।
हमारे घर में काम के लिए एक नौकरानी रेखा आती थी। वह करीब 27 साल की थी। तीन बच्चों की माँ होने के बावजूद वह गोरी, सुन्दर और स्लिम थी। रेखा की आँखें बहुत नशीली और सुन्दर थी। वह बहुत साफ़ सुफ़ रहती थी और बोल-चाल में अच्छी थी।

धीरे-धीरे हम उसके साथ अच्छी तरह घुल मिल गए। हमारे घर में दो कमरे ऊपर की मंजिल पर भी हैं। मेरी पत्नी सीढ़ी चढ़ने में दिक्कत होने के कारण ऊपर बहुत कम ही आती थी। मैं अक्सर ऊपर रहता हूँ। रेखा जब ऊपर आती तो मैं उससे बातें कर लेता था।

करीब चार महीने बाद एक दिन जब रेखा रोज की तरह ऊपर आई तब मैं कंप्यूटर पर तस्वीरें देख रहा था। मैंने उसे कुछ तस्वीरें दिखाई जिन्हें देख कर वह बहुत खुश हुई। मैंने उसे एक कामसूत्र पेंटिंग की तस्वीर दिखाई और पूछा कि क्या वह ऐसी और तस्वीरें देखना चाहेगी?
उसने शरमाते हुए हाँ कहा।

मैंने उसे कहा- कल आने पर दिखाऊंगा।

दूसरे दिन मैंने कामसूत्र की कुछ और तस्वीरें दिखाई। तस्वीरें देख कर उसे बहुत आश्चर्य हुआ उसने कहा-ऐसी भी तस्वीरें होती हैं?

मैंने सोचा अब तो मेरे लण्ड की तमन्ना पूरी हो जाएगी, मैंने रेखा से कहा- कल दोपहर को जब तू आयेगी तब मेरी पत्नी किट्टी पार्टी में जाने वाली है तब मैं तुझे और भी तस्वीरें दिखाऊँगा।
उसने आने का वादा किया।

अगले दिन जब वह आई तो मैंने उसे कंप्यूटर पर आलिंगन, चूमने, नंगी और चोदने की तस्वीरें दिखाई। लण्ड और चूत की तस्वीरें देख कर उसके मुँह से आह निकल गई।
मैंने मौका देख कर उसके गले में हाथ डाल दिया। वो मेरे और करीब आ गई। मैंने उसे चूम लिया तो उसके मुँह से एक और आह निकली। इस बीच हम दोनों तस्वीरें देखते रहे।

मेरा लण्ड ख़ुशी के मारे उछल रहा था और उसमें से चिकना रस निकल रहा था।
मैंने रेखा से कहा- रेखा, क्या मैं तेरे बोबे देख सकता हूँ?
उसने शरमा कर कहा- आंटी आ जाएगी !
मैंने कहा- वो अभी दो घंटे नहीं आएगी !

और उसके दोनों बोबे भींच लिए। हम दोनों तस्वीरें देखते गए और मैंने उसके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए। उसके सुडौल टेनिस बाल के आकार के उत्तेजित बोबों को देख कर मेरे होंश उड़ गए।

मैंने उससे कहा- रेखा, तेरे बोबे जैसे सुन्दर बोबे तो मैंने आज पहली बार देखे हैं।
मैं उसके बोबों को सहलाता रहा और उसे चूमता रहा। उसके मुँह से आह निकल रही थी।

जोश में आकर उसने मेरे अण्डरवीयर के अन्दर फड़फ़ड़ाते हुए लौड़े को पकड़ लिया।
मैंने कहा- रेखा, ऐसे नहीं ! उसे बाहर निकाल कर पकड़ !

उसने मेरा अण्डरवीयर निकाल दिया और लौड़े को सहलाने लगी।मेरा लण्ड देख कर रेखा ने पूछा- अंकल, साठ की उम्र में भी आप का लण्ड इतना कैसे तन जाता है?

मैंने कहा- रेखा। मैं इस उम्र में भी हफ्ते में कम से कम दो बार चुदाई करता हूँ और अपने लण्ड को रोज कसरत भी करवाता हूँ।
रेखा ने कहा- मेरा मर्द तो आठ-दस दिन में रात को दो मिनट में चोद कर चला जाता है।

अब मैं भी उसके पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा। मैंने उससे कहा- मुझे अपनी चूत दिखा।
उसने कहा- आप ही खोल कर देख लो ! मुझे शर्म आती है !

और वह उठकर बाथरूम में चली गई। वापस आने पर मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट को निकाल दिया। अब वह बिल्कुल नंगी थी। उसकी झांट के कटे हुए बालों के झरोखे से उसकी चूत नजर आ रही थी।

मैंने उसकी चूत के पर्दों को उँगलियों से फैला के अलग किया और योनि के दर्शन किये। रेखा की चूत को देख कर मुझे स्वर्ग का आनंद हुआ। मैंने उसके दाने को मसलना शुरू किया तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।

मैंने रेखा से पूछा- क्या तूने पति के अलावा और किसी से चुदाई कराई है?
उसने कहा- हाँ ! दो और लोगों से चुदाई की है।

मुझे बहुपुरुषगामी औरतें बहुत पसंद हैं। उसकी बात सुन कर मेरा लण्ड लोहे जैसा गरम हो कर फड़फ़ड़ाने लगा। वो मेरे लण्ड को पकड़कर मुठ मार रही थी। मैं भी उसकी चूत के दाने को रगड़ रहा था।

फिर मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से चटाने लगा। उसकी चूत एकदम चिकनी और गीली हो गई थी। उसमे से एक भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी जो मुझे मदहोश किये जा रही थी।

मैंने उसकी चूत को जोर-जोर से चूसना शुरू किया। उसने अपने दोनों पैर चौड़े करके फैलाये और मेरे मुँह को जोर से दबाया जिससे मेरी जीभ उसकी चूत में चली गई। फिर उसने दोनों पैर मेरे मुँह पर जकड़ दिए। मैं चूत को और जोर से चूसने लगा।

वह ख़ुशी के मारे पागल हो गई और बोली- अंकल, आज तक मेरी चूत इस तरह किसी ने नहीं चूसी।

कुछ देर बाद हम दोनों 69 के आसन में आ गये। अब उसने भी मेरा लण्ड चूसना चालू किया। मेरा लण्ड ख़ुशी के मारे पागल हुआ जा रहा था। बहुत दिन बाद लण्ड को ऐसा आनंद मिल रहा था।
अब मैं रेखा के ऊपर लेट गया और उसके सर से चूत तक सब अंगों को चूमने लगा।

जब मैं अपना लण्ड उसकी चूत में डालने लगा तो उसने कहा- पानी अन्दर मत छोड़ना।
मैंने उसे कहा- डरो मत मैं अपना नसबंदी का आपरेशन करा चुका हूँ, कोई खतरा नहीं है !

तब उसने लण्ड को अन्दर जाने दिया। मैंने धीरे-धीरे लण्ड को अन्दर डाला वो सिसकारियाँ भरती रही और बोली- मेरा आदमी तो बिना कुछ किये लण्ड जोर से अन्दर डाल देता है और तुरंत झड़ जाता है। आप के साथ मजा आ रहा है। पूरा लण्ड अन्दर जाने के बाद अन्दर ही रहिये।

मैं अपना 7 इंच का लण्ड उसकी चूत में डाल कर उसे चूमता रहा और उसके बोबे सहलाता रहा। करीब दस मिनट हम इस तरह पड़े रहे। उसके बाद मैंने अपना लण्ड चूत में अन्दर-बाहर करना चालू किया।

पाँच मिनट बाद रेखा के मुँह से आह निकली और हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैंने फिर उसकी चूत को चूसा।
उसने कहा- आंटी के आने का समय हो रहा है ! बस करो !

मैंने रेखा से पूछा- तू चार-पांच लौड़ों से चुदवा चुकी है तो एक बात बता, तुम औरतों को लम्बे लौड़े पसंद हैं या मोटे?

उसने कहा- मोटे लौड़े अच्छे होते हैं, मोटे लौड़े चूत में कस कर फिट हो जाते हैं और आगे पीछे धक्के लगते समय चूत की दीवार अच्छी पकड़ बनाये रखती है जिससे औरत को बहुत मजा आता है। लम्बे लौड़े चूत में ढीले रहते हैं और ज्यादा अन्दर जाने से दर्द होता है। लौड़े पतले होने से चूत में घर्षण ठीक से नहीं होता और अन्दर हवा चली जाने से लौड़े पर चूत की पकड़ कम होती है इसलिए मजा कम आता है।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

कहानी का अगला भाग: लंड की करतूत-2

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top