टीचर के रूप में एक रण्डी- 2

(Labour Sex Kahani)

रोमन 2021-06-08 Comments

लेबर सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी जॉब लगी और मुझे चूत चुदवानी पड़ गयी। मैंने किराए का घर लिया और पहली रात को ही एक घटना घट गयी, मेरी चुदाई हो गयी.

दोस्तो, मैं सविता त्रिपाठी एक बार फिर से आप लोगों के सामने अपनी लेबर सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूं।
मेरी स्टोरी के पिछले भाग
पति से सेक्स का सुख ना मिला तो …
में आपने पढ़ा था कि मेरी शादी के बाद मेरे पति मेरी चूत की सील नहीं तोड़ पाये।

बाद में पता लगा कि मैं मां भी नहीं बन सकती तो मेरे पति ने मुझसे अलग होने का फैसला किया।
अब मैंने अपनी एक सहेली की मदद से एक स्कूल में टीचर की ज़ॉब पकड़ ली।

उसके लिए जब मैं मेडिकल बनवाने सीएमओ ऑफिस पहुंची तो अपना काम निकलवाने के लिए पहली बार मुझे एक आदमी का लंड चूसना पड़ा। उसने फिर मुझे सीएमओ से मिलने भेजा और वो आदमी भी फिर मेरे साथ काम के बदले चुदाई की बात करने लगा।

जॉब की खातिर मैं सीएमओ की बात भी मान गयी और उसने मेरी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। मैं भी बहुत दिनों से सेक्स की भूखी थी तो मैं जल्दी ही गर्म होने लगी।

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अब आगे लेबर सेक्स कहानी:

उस आदमी का दूसरा हाथ मेरी जांघ को सहलाते हुए मेरी लैग्गिंग के ऊपर से मेरी गर्म हो रही चूत को आकर मसलने लगा।
उसने खुद मेरे हाथ को अपने लंड पर रखवा दिया।

मैं धीरे धीरे से उसके लंड को सहलाने लगी और तब तक उसने मेरी कुर्ती उतार कर मुझे अधनंगी कर दिया।

अब उसने मुझे उस तख्ते से उठाया और वो खुद उस पर किनारे पर बैठ कर मेरे स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही चाटने लगा।

दोनों स्तनों की बीच की जगह में वो अपना मुंह घुसा कर मेरी दोनों चूचियों को दबाते हुए मज़ा लेने व देने लगा।

कुछ समय तक मेरी चूचियों से खेलने के बाद वो अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ पर ले गया।

फिर उसने मेरी ब्रा का हुक पीछे से खोल दिया और हुक खुलते ही ब्रा सरकती हुए नीचे चली गयी। मेरी बड़ी बड़ी चूचियां छलक कर उसके सामने आ गयीं।

वो उनको हवस भरी नजरों से देखकर बोला- बहुत ही मस्त चूचियां हैं जान तुम्हारी!
बस फिर वो उन दोनों चूचियों पर किसी भूखे जानवर की तरह टूट पड़ा और मेरे दोनों मम्मों को उसने खूब चूसा, चाटा और मसला।

तब उसने मुझे मेरे सारे कपड़े उतार कर नंगी होने को बोला और तब तक वो भी नंगा हो गया।

मेरे नंगी होते ही उसने मेरे पूरी शरीर पर हाथ फेरते हुए सब जगह चूमा और फिर मेरी चूचियों को पीने लगा।

मेरी चूचियां पीने के बाद उसने मुझे उसी तख्ते पर लिटा दिया और मेरी दोनों टांगों को चौड़ा फैला कर उसने एकदम से मेरी चूत पर मुंह लगा दिया।
जैसे ही मेरी चूत पर उसने अपना मुंह लगाया तो मेरी ज़ोर की उफ्फ … निकल गयी।

ये मेरी ज़िंदगी का पहला सुखद अनुभव था कि कोई मर्द मेरी बुर चाट रहा था। मैं जैसे किसी और ही दुनिया में खो गयी।

मुझे ध्यान नहीं रहा कि मैं यहां अपना मेडीकल बनवाने आयी हूं।
मैं तो बस अपनी चूत चटवाने का मजा ले रही थी और मस्त हो रही थी।

जल्दी ही मेरी चरम सीमा आ गयी और मेरी चूत झर झर करके झड़ गयी।
मैं मदहोश हो गयी।

मेरे झड़ने के बाद वो मेरे सामने आ खड़ा हुआ और उसने मेरा मुंह पकड़ कर अपने लंड पर घुसा लिया और मुझे अपना साढ़े छह इंच का लन्ड चुसवाने लगा।
उसका लन्ड मस्त था और साफ सुथरा भी था तो मुझे उसको चूसने में भी मज़ा आया।

लन्ड चुसवाने के बाद उसने मेरी बुर में अपना लन्ड फिट किया और एक दो झटके में मेरी बुर के पार कर दिया।
वो जैसे अब पागल कुत्ते की तरह हो गया था।
आंख बंद करके मेरे ऊपर चढ़ गया और पूरी उत्तेजना में चोदने लगा।

मैं भी उसका किसी बहुत बड़ी रांड की तरह उफ्फ्फ … अहह … अहह … ओह … की कामुकता भरी आवाज़ों में साथ देने लगी।

करीब आधे घंटे तक उसने मुझे अलग अलग तरीकों से चोद कर अपना सारा पानी मेरी चूत के मुंह पर गिरा दिया।

तब मैंने कपड़े पहनकर अपने आपको सही किया, तब तक उसने मेरे चिकित्सा प्रमाण पत्र पर लिख दिया और फिर मैं उसको लेकर सीधे अपने स्कूल पहुंची और अपनी जॉइनिंग करवा ली।

अब इस काम के बाद मैं वहां से थोड़ी दूर निकली रहने के लिए घर देखने।
मगर आज मुझे कुछ समझ नहीं आया तो आज रात के लिए बस स्टैंड के पास जाकर मैंने एक सस्ते से होटल में रूम लिया।

वहां चेक-इन करने के बाद मैंने अपना सारा सामान रखा और फिर नहा कर एक बड़ा सेक्सी सा सलवार सूट पहना लेकिन उस पर दुपट्टा नहीं लिया और बाहर आ गयी।
अब मुझे रात का खाना खाना था।

उस वक़्त रात के 9 बजे थे और खाना खाकर मैंने थोड़ी देर टहलने की सोची और इसी तरह कुछ देर घूमती रही।

घूमने के बाद मैं अपने होटल के कमरे में आ गयी और फिर सो गयी।

अगले दिन मैंने स्कूल से छुट्टी ले ली क्योंकि जॉइन करने के बाद कुछ दिन का समय मिलता है वापस नौकरी पर जाने तक।
आज मुझे अपने रहने के लिए एक अच्छा और सस्ता घर ढूंढना था जो कि मेरे स्कूल के पास में ही हो।

अब उस सुबह नहाकर मैंने फिर एक सलवार सूट ही पहना क्योंकि मेरे पास अभी बहुत ज़्यादा कपड़े थे नहीं और अपना सामान उसी होटल के कमरे में छोड़ कर मैं रूम देखने गयी।

स्कूल से कुछ दूरी पर बनी कॉलोनी में पूछते हुए मैंने चार पांच घर देखे मगर कोई समझ नहीं आया।

फिर एक घर के सामने बोर्ड लगा था कि किराये हेतु घर खाली है।
पूछने पर पता लगा कि वो घर किसी आर्मी के रिटायर कर्नल का था।

मैं उसमें अंदर गयी तो बाहर गार्डन में एक पचास पचपन साल की औरत बैठी थी और वो व्हील चेयर पर थी। मैंने उसको अपने बारे में बताया और उससे घर के लिए पूछा तो उसने बहुत ज़्यादा किराया बताया।

मगर तब तक उसका आदमी जो रिटायर कर्नल था वो ऊपर से उतर कर आया और मुझे ऊपर से नीचे तक देखने लगा।
फिर अपनी बीवी से कहने लगा- इनको पहले घर तो देख लेने दो, किराये की बात बाद में किया करो।

मकान मालिक मुझे अपने साथ अंदर घर दिखाने ले गये। वो घर बाहर से जितना सुंदर था उससे कहीं ज़्यादा अंदर से था।

अंदर जाते ही पहले एक कमरा था और उससे जुड़ा बाथरूम जिसका एक दरवाज़ा बाहर से भी खुलता था।
फिर अंदर एक और कमरा था।
उसके अंदर एक छोटा सा आंगन था जिसकी दूसरी तरफ किचन और उस आंगन के ऊपर जाली थी जो ढकी थी।
उसी की सीधी तरफ एक दरवाज़ा था जो बाहर सड़क पर निकलता था।

ये घर देखने के बाद मुझे पसंद तो बहुत आया मगर किराया ज्यादा था।

फिर मैंने मकान मालिक से किराया कम करने को बोला तो एक बीच का रेट तय हो गया।

अब हम दोनों बाहर आये और मैंने फिर कुछ एडवांस किराया उनको दिया।

उनका नाम महेंद्र त्यागी था।

मकान को फाइनल करने के बाद मैं अपने होटल के रूम में आयी और अपना सारा सामान वहां से अपने नये किराये के घर में रख लिया।

ये सब होते होते मुझे शाम के 6.30 बज गये। सारा सामाने रखने के बाद मैं मार्केट में चली गयी।
वहां जाकर मैंने पहले कुछ खाया और फिर अपने लिए खूब सारे सेक्सी कपड़े खरीदे।
फिर किचन का कुछ सामान लेकर घर आ गयी।

घर पहुंच कर मैंने महेंद्र जी से कुछ ज़रूरी और चीज़ें जैसे सोने के लिए बेड, एक सोफा सेट, कुर्सी आदि किराये पर ले लिया क्योंकि ये चीजें एक जगह से दूसरी पर ले जाना आसान नहीं होता।

सब कुछ सेट करते करते मुझे रात के ग्यारह बज गये थे और सब काम हो जाने के बाद मैं सबसे पहले नहाने गयी और फिर नहाकर मैंने खाना खाया जिसके बाद फिर मैंने अपनी मम्मी और सास से कुछ देर बातें की।

रात के करीब दो बज चुके थे लेकिन मेरे कमरे में बहुत ज़्यादा गर्मी हो रही थी जिसके कारण मैं सो नहीं पायी।
मैं बाहर जाने लगी। मैंने एक शॉर्ट पहना था जो घुटनों के काफी ऊपर था; कंधों पर बस एक पतली सी डोरी थी।

उसका गला मेरी मोटी मोटी चूचियों को छुपाने में असमर्थ था। उससे बस मेरे निप्पल ही छुप पा रहे थे। मैंने नीचे से ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी।

मैं बाहर जाने लगी तो बड़े वाले गेट पर अंदर से ताला लगा था। छोटे वाले गेट की कुंडी बंद थी।

मुझे याद आया कि कमरे के पीछे भी एक दरवाजा है। फिर मैं उसी से होकर सड़क पर आ गयी।

यहां बाहर का मौसम बहुत अच्छा था लेकिन मुझे कहीं बैठने की जगह नहीं दिख रही थी।
तो मैं अपने घर के सामने ही अंदर कॉलोनी में टहलने लगी।

कुछ दूर जाने के बाद मुझे एक गार्डन दिखा; उसमें झूले भी लगे थे।
मैं अंदर जाकर बीचों बीच एक बेंच पर बैठ गयी।

हवा अच्छी चल रही थी, ठंडी हवा ने मेरे पसीने से भीगे बदन पर असर दिखाना शुरू किया।

उस ठंडी हवा ने मेरे पसीने से भीगे बदन पर कुछ यूं असर किया कि मेरे पूरे तन बदन में एक अजीब सी सुरसुरी सी मचने लगी।
फिर अचानक से उस सीएमओ से हुई मदमस्त चुदाई मुझे याद आ गयी।

मेरी बुर नीचे से खुली ही थी तो जब उसमें ठंडी हवा के साथ मेरी उत्तेजना भरी सोच मिलने लगी तो उसमें भी एक अलग तरह की मचली होने लगी।
तभी मेरा हाथ न चाहते हुए भी मेरे पूरे बदन को सहलाते हुए मेरे स्तनों पर चला गया।

पहले तो उनको हाथों से मैंने अपनी नाइटी के ऊपर से खूब दबाया लेकिन अगले ही पल मेरा दूसरा हाथ मेरी बाहर से एकदम ठंडी और अंदर से एकदम भट्टी की तरह जलती हुई चूत पर चला गया।

मैं चूत को सहलाने लगी और फिर मैंने नाइटी को ऊपर करना शुरू कर दिया। अगले ही पल मैंने उसको उतार कर अलग रख दिया।

उस ठंडी हवा से मेरे शरीर का तापमान निरंतर बढ़ता ही जा रहा था। अब मेरी आंखें बंद हो गयीं और मेरा हाथ तेजी से मेरी चूत में उंगली करने लगा। दूसरे हाथ से मैं अपने निप्पलों को मसल रही थी।

मैं इतनी उत्तेजित हो गयी कि लगातार आह्ह … स्स … आह्ह … उम्म … आह्ह … करते हुए मैं झड़ने लगी।
जब मेरी आंखें खुलीं तो हैरान रह गयी।

मेरे सामने दो लंबे चौड़े मर्द लुंगी व बनियान पहने हुए खड़े थे; देखने में मजदूर जैसे लग रहे थे।

उन दोनों को देखते ही जैसे मेरी गांड फट गयी। मैं अपनी नाइटी लेकर वहां से जाने लगी.
तो उसी में से एक आदमी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोकते हुए पूछा- कौन हो तुम और कहां रहती हो?

मेरी सहमी सी आवाज़ निकली जिसमें मैंने उनको बोला कि यहीं पास में रहती हूं।
उनमें से एक आदमी बोला- तो इतनी रात में इधर क्या कर रही हो?
मैं- वो गर्मी लग रही थी … इसीलिए हवा खाने आयी थी इधर।

वो दोनों आपस में बोले कि लगता है इसके अंदर ज्यादा गर्मी है।
फिर वो बोले- शादी कर ले, सारी गर्मी निकल जायेगी।
मैंने कहा- शादीशुदा ही हूं मैं लेकिन अभी मेरे पति मेरे साथ नहीं हैं।

मैं वहां से निकलने लगी तो उसमें से एक आदमी ने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोका और बोला- सुनिये मैडम … आपकी गर्मी अगर हम दोनों शांत कर दें तो कैसा रहेगा?

मुझे मन ही मन बहुत प्रसन्नता हुई लेकिन झूठा दिखावा करते हुए बोली- मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हूं और कृपया करके आप लोग मुझे जाने दीजिए।

तभी एक आदमी बोला- देखो, अब तुमने हम दोनों को तो गर्म कर दिया है और वैसे भी हम दोनों ने अपनी बीवियों को चोदा नहीं है क्योंकि वो बहुत दूर रहती हैं। आज पहली बार किसी बाहर की औरत पर नियत खराब हुई है। अब बिना चुदे आप यहां से जा नहीं सकती। हम दोनों को मालूम चल रहा है कि आपके आदमी आपको ठंडी नहीं कर पाते हैं इसीलिए एक बार हम दोनों को मौका दीजिये। अगर फिर भी आप नहीं तैयार होती हैं तो कल सुबह तक हम आपका घर पता करके आपके घर और इस पूरी कॉलोनी में ये बात सबको बता देंगे कि इतनी रात को आप यहां नंगी होकर रंडियों वाली हरकतें कर रही थीं।

मैं चुपचाप उन दोनों की किसी भी बात का जवाब दिये बिना खड़ी थी।

तब उसमें से एक आदमी मेरे पास आया और उसने मेरी नाइटी हाथ से लेकर अलग कर दी।

उसकी नजर मेरे दूधों पर गयी और वो एक बोबे को मुंह में लेकर पीने लगा।
जब तक मैं कुछ सोच पाती दूसरा भी मुझसे चिपट गया और मेरे दूसरे बोबे को पीने लगा।

मैं वहां भरी काली रात में बीच पार्क में नंगी खड़ी हुई दो मजदूरों को अपने चूचे पिला रही थी। वो दोनों मेरी चूचियों को दबा दबा कर मज़ा ले रहे थे।

इतना हसीन अनुभव मुझे भी पहली बार हो रहा था जिसका मैं भी जी खोल कर मज़ा लेने लगी।

मेरे चूचों को पीते हुए वो मेरे नितम्बों को भी भींच रहे थे।
कुछ देर वो दोनों मेरे नितम्बों से खेलने के बाद मेरे पूरे शरीर को चूमने लगे।

अब एक ने मेरी चूत पर मुंह लगा लिया और दूसरे ने पीछे जाकर मेरी गांड को फैलाकर मेरे छेद को चाटना शुरू कर दिया।

उन दोनों की जीभ मेरे दोनों छेदों को चरमसुख दे रही थी और मैं एकदम मस्ती में लीन होकर इस सुखद पल का आनंद ले रही थी।

करीब दस मिनट तक वो मेरे दोनों छेदों को एकदम गीला करते रहे।

फिर उनमें से एक वहीं ज़मीन पर नंगा होकर लेट गया।
मैं वहीं कुतिया बनकर उसके 8 इंच लम्बे और तीन इंच मोटे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।
मेरी इस पोजीशन के चलते पीछे वाले आदमी ने मेरी गांड के छेद पर अपना लन्ड का टोपा रगड़ना शुरू कर दिया।

शुरू में मुझे अहसास नहीं हुआ कि पीछे खड़े हुए आदमी का लंड भी पहले वाले आदमी के जितना मोटा है।
मैं मस्ती में उसका लौड़ा चूसने में मग्न थी कि मुझे एकदम से झटका लगा।

उस झटके से मेरी आँखें जैसे बाहर आ गयीं और मेरी आंखों के सामने जैसे अंधेरा सा छा गया। जब तक मैं उसका कोई विरोध कर पाती तब पहले वाले ने मेरे बालों को पकड़ कर जोर से अपना लंड मेरे मुंह में ठूंस दिया।

मेरा दम घुटने लगा और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। मगर इतने में उस पीछे वाले हरामी ने मेरी गांड में धक्का मारा और अबकी बार उसका आधा लंड मेरी गांड में घुस गया।

अब मेरी आँखों से दर्द के मारे आंसू निकलने लगे और मैं एकदम अधमरी सी हो गयी।
उन दोनों ने फिर भी कोई रहम नहीं किया और मेरी गांड में वो पीछे से लंड को धकेलता चला गया।
आगे वाले ने मेरे मुंह को चोदना जारी रखा।

15 मिनट तक वो मेरी गांड चोदता रहा और मैं नाक से सांस लेती हुई किसी तरह दो दो लंड को मुंह और गांड में बर्दाश्त करती रही।

जब उसने मेरी गांड में से लंड निकाला तो उसके लंड पर खून लग गया था।
वो कहने लगा कि साली की गांड की सील नहीं टूटी थी।

फिर मैंने मुंह से लंड निकाल दिया और जोर जोर से हांफते हुए सांस लेने लगी।
अब दोनों लंड बाहर थे।

जब मुझे थोड़ी राहत मिली तो मैंने फिर से सामने वाले के लंड को मुंह में भर लिया और हलक तक ले जाती हुई चूसने लगी। पीछे वाले ने फिर से मेरी गांड में लौड़ा पेल दिया और एक बार फिर मुझे चोदने लगा।

फिर पांच मिनट बाद गांड मारने वाला नीचे आ लेटा और मुझे अपने लंड पर बिठाकर मेरी गांड में फिर से चोदने लगा। मेरे चूतड़ उसके मुंह की ओर थे।

अब जो आदमी लंड चुसवा रहा था वो आगे की ओर आया और अपने घुटनों पर बैठकर मेरी चूत में लंड को ठेल दिया। अब नीचे से मेरी गांड चुदाई हो रही थी और आगे से चूत चुदाई की जा रही थी।

वो चूत चोदते हुए कहने लगा कि तेरी चूत तो अभी कुंवारी जैसी ही लग रही है। लगता है कि तेरा मर्द कुछ कर नहीं पाता। लंड भी उसका 3-4 इंच से ज्यादा नहीं होगा। तू तो एकदम संभोग की देवी है। तुझे हम जैसे राक्षस लोग ही संतुष्ट कर सकते हैं।

इतना बोल कर उसने मेरी चूत में अपने लौड़े से किसी ड्रिल मशीन की तरह छेद करना शुरू किया.
इस बार भी मुझे दर्द हुआ मगर गांड की सील टूटने जितना नहीं था दर्द।

गांड के दर्द के आगे मुझे चूत की सील टूटने का ज़्यादा अहसास नहीं हुआ।

इसी तरह एक राउंड में पहले गांड मारने वाले ने मेरी गांड में पिचकारी छोड़ी और फिर कुछ देर बाद अब उस एक आदमी ने मेरी टांगों को उठा कर पूरी रफ्तार में मेरी चूत चोद कर मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया।

उन दोनों से चुदने के बाद जब मैं खड़ी हुई तो मेरी चूत और गांड से दोनों मर्दों का वीर्य टपक रहा था। गांड और चूत फड़वाने के बाद अब तो मैं ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा ही थी।

मेरी हालत देख उन दोनों ने मुझे सहारा देकर गार्डन से बाहर तक छोड़ा और जाते हुए कह गये कि अगर फिर कभी इतनी जबरदस्त चुदाई करवाने का मन हो तो यहीं आ जाना उस गार्डन के किनारे ही, हम दोनों रात में यहीं रहते हैं।

मैं बड़ी मुश्किल से चलती हुई जाने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे मैं लौड़ों से जंग लड़कर आई हूं।
सारे रास्ते मेरी चूत और गांड से उन दोनों मर्दों का वीर्य बहता हुआ मेरी जांघ से होकर नीचे टपका जा रहा था।

किसी तरह खुद को संभालते हुए लड़खड़ाती चाल से मैं अपने घर पहुंची।

बहुत ही अजीब लग रहा था। मेरा यहां पहला दिन था और इतनी रात को मैं गैर मर्दों से चूत और गांड फड़वाकर आयी थी।

आपको मेरी लेबर सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना।
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लेबर सेक्स कहानी का अगला भाग: टीचर के रूप में एक रण्डी- 3

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