सेक्स गुलाम नौकर नौकरानी की चुदाई- 2
(Maid Xxx Kahani)
मेड Xxx कहानी में शादी के 20 साल बाद सेक्स में नयापन लाने के लिए हमने अपनी ग्फ्ह्रेलू नौकरानी को अपने सेक्स के गेम में शामिल किया. मेरी बीवी ने उसके साथ लेस्बियन सेक्स किया.
दोस्तो, मैं रतन दत्त आपको अपनी नई सेक्स कहानी सुना रहा था.
इस कहानी के पहले भाग
कुंवारी गर्लफ्रेंड को रिसोर्ट में चोदा
में आपने पढ़ा था कि विजय अपनी पत्नी सरोज के साथ बंगले में रहता था.
कॉलेज के जमाने में विजय अपने दोस्त की गांड मारता था, सरोज सहेली के साथ लेस्बियन से करती थी.
शादी के बाद उन्होंने समलैंगिक सेक्स नहीं किया था. अब उनकी उम्र 40 साल की हो गयी थी, जिस वजह से उन दोनों के सेक्स जीवन में नीरसता आ गयी थी.
इसी दरमियान विजय और सरोज ने एक नौकरानी अनीता और नौकर राहुल को अपने बंगले में बने सर्वेन्ट क्वार्टर्स में रख लिया.
अब आगे की मेड Xxx कहानी आप विजय की जुबानी सुनें.
तीन महीने बाद फिर जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि आरती को यौन बीमारी नहीं है
अगले दिन सरोज ने आरती से कहा- मेरी मालिश कर दो.
सरोज सिर्फ पैंटी पहन कर पलंग पर लेटी जबकि आरती मैक्सी पहने थी.
आरती ने सरोज से पूरे कपड़े उतारने के लिए कहा.
तो सरोज ने आरती से कहा- मैक्सी तेल से ख़राब हो जाएगी, तुम सिर्फ ब्रा पैंटी पहनकर मेरी मालिश करो.
अब आरती ब्रा पैंटी में सरोज की मालिश कर रही थी.
आरती का बदन गठा था. उसके 32 के चूचे, सपाट पेट था … पर आरती की कांख (आर्मपिट) में बाल थे.
वह बहुत अच्छी तरह से मेरी बीवी सरोज की मालिश कर रही थी.
सरोज ने उससे बात करना शुरू की- तुम्हें अपने पति के साथ बिताई रातों की याद आती है? और तुम कांख के बाल साफ़ क्यों नहीं करतीं?
फिर उसकी चूत की तरफ इशारा करके पूछा कि क्या उधर भी बाल हैं?
आरती- हां वहां भी बाल हैं. पति की याद हर रात आती है.
सरोज ने आरती को वीट क्रीम देकर उसे कैसे इस्तेमाल करना है … बताया.
रात को मैं और सरोज के बेडरूम में थे.
सरोज बोली- आरती को अपने पति की याद आती है, मतलब चुदाई की याद. तुम्हारी सेक्स की प्यास मुझसे बहुत ज्यादा है. मैं हफ्ते में एक दो बार से संतुष्ट हो जाती हूँ. तुम बाकी रात प्यासे रह जाते हो. तुम कहो तो मैं आरती से बात करूँ कि वह तुम्हारे साथ सम्भोग करे? आरती का बदन भी बहुत सेक्सी है. मैंने उसे ब्रा पैंटी में देखा है, वह बहुत मस्त माल है.
मैं हंस कर बोला- यदि तुम्हें बुरा नहीं लगे, तो मैं तैयार हूँ.
उस रात मैंने सरोज को आरती की कल्पना करके चोदा.
दूसरे दिन सरोज मालिश करवाने से पहले अपनी पूरी तरह नंगी होकर खड़ी थी.
जबकि आरती ब्रा पैंटी में थी.
आज उसने अपनी कांख के बाल साफ़ किये हुए थे.
सरोज ने आरती की चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा- वहां के बाल भी साफ़ किये न? देखूं तो जरा कैसी सफाई की है तुमने?
आरती ने पैंटी उतार कर अपनी बाल रहित चिकनी चूत दिखाई.
सरोज आरती के होंठों की कड़क चुम्मी लेकर और उसके चूचे दबाकर बोली- तुमने अच्छा साफ़ किया है!
ज्यों ही सरोज ने आरती के दूध दबाए, आरती ने हल्की सिसकारी ली.
‘अब अपनी ब्रा भी उतारो और मेरी मालिश करो!’
आरती नंगी होकर सरोज की मालिश करने लगी.
वह चुम्मा लेने और चूचे दबाने से जोश में आ गई थी.
वह अपनी मालकिन सरोज के चूचों को दबाकर उसकी मालिश कर रही थी.
सरोज- तुम्हारे पति तुम्हारी चूत चूसते थे?
आरती- हां, बहुत मजा आता था.
सरोज हंसने लगी.
आरती- मालिक कितने अच्छे हैं, आपका कितना ख्याल रखते हैं!
सरोज- मालिक तुम्हें अच्छे लगते हैं तो मैं तुम्हारे बारे में उनसे बात करूँ? उनमें बहुत दम है और बहुत देर तक लगे रहते हैं … तुम राजी हो तो कहो?
आरती- आप मजाक कर रही हैं.
सरोज- नहीं मैं मजाक नहीं कर रही हूँ. मैंने उनसे तुम्हारी बात की थी, वे तुम्हारे साथ सेक्स करने के लिए राजी हैं.
आरती- यदि ऐसा है तो मुझे क्या आपत्ति हो सकती है. मैं तो आपकी गुलाम हो गयी हूँ … आपकी हर बात मानूँगी.
यह कह कर आरती ने सरोज की एक चूची मसल दी.
सरोज को उसी वक्त अपनी सहेली के साथ लेस्बियन सेक्स की याद आ गयी.
सरोज अब पैर फैलाकर चित लेट गई.
उसने आरती से कहा- आरती मेरी गुलाम हो गई हो … तो चलो मेरी चूत चूसो!
आरती तो मानो इस काम के लिए मरी जा रही थी.
उसने झट से अपनी जीभ सरोज की चूत में डाल दी और वह मस्ती से मालकिन की चुत चूसने लगी.
सरोज की चुत में तो मानो चीटियां रेंगने लगी थीं.
वह उत्तेजना से मचलती हुई और अपनी गांड उठा कर आरती के मुँह में अपनी चुत देती हुई मादक सिसकारी ले रही थी.
कुछ ही देर में सरोज की चूत से कामरस बह निकला और वह निढाल हो गयी.
अगली सुबह सरोज आरती को ब्यूटी पार्लर ले गयी. उधर उसके शरीर के अनचाहे बालों की फुल वैक्सिंग कराई, फेशियल कराया.
अगले कुछ दिनों तक सरोज ने आरती के साथ लेस्बियन सेक्स का आनन्द लिया.
दोनों ने एक दूसरे के चूचे दबाये, चूसे, एक दूसरे की चूत चूसी … चूत में उंगली की.
दोनों को मजा आया.
मैंने और मेरी पत्नी सरोज ने तय किया की कि मैं आरती के साथ यौन क्रीड़ा की शुरुआत रविवार की शाम करूँगा.
सोमवार को हमारा ऑफिस बंद रहता है
रविवार शाम सरोज ने आरती को दुल्हन की तरह सजाकर कहा- आज तुम्हारी दूसरी सुहागरात है.
आरती दुल्हन की तरह घूँघट निकाल कर कमरे में पलंग पर बैठी थी.
मैंने अन्दर जाकर आरती का घूँघट उठाया, तो आरती शर्मा रही थी.
वह काफी सुंदर लग रही थी.
मैंने उसकी सुंदरता की तारीफ की.
मैं आरती को लिटाकर चूमने लगा, उसके चूचे दबाने लगा.
इससे आरती की झिझक मिट गयी.
मैंने आरती का ब्लाउज और उसकी ब्रा उतार दी.
उसके 32 बी के तने हुए चूचों को मैंने देखा तो हैरान रह गया.
चित लेटने पर भी उसके चूचे एकदम पहाड़ी के जैसे तने हुए थे.
मैं उसके रसीले चूचे दबाने और चूसने लगा.
आरती मेरे बालों पर हाथ फेरने लगी.
मैंने आरती के बाकी के कपड़े उतार दिए और उसे नंगी देखते हुए अपने भी सारे कपड़े उतार दिए.
मैं आरती के गठे बदन पर हाथ फेर रहा था और मेरा लंड खड़ा हो गया था.
मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा, तो चूत गीली थी.
मैं आरती को मिसनरी पोजीशन में लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और लंड चुत में पेल कर उसे चोदने लगा.
आरती कमर उछाल उछाल कर साथ देने लगी.
उसके चूचे हर झटके के साथ मस्त हिल रहे थे.
हम दोनों करीब एक साथ झड़े.
मैंने आरती को बाथरूम ले जाकर कहा- अब मैं तुम्हें अपना मूत पिलाऊंगा और मूत से नहलाऊंगा!
आरती- मालिक आपकी ख़ुशी के लिए यह गुलाम हरदम तैयार है!
मैंने आरती को शॉवर कैप पहनाया.
आरती फर्श पर मुँह खोलकर बैठ गई.
मैं उसके मुँह को निशाना बना कर मूत रहा था और आरती मूत्र पी रही थी.
कुछ मूत उसके शरीर पर गिर रहा था.
मूतने के बाद मैंने लंड धोया और बोला कि अब तुम नहा लो.
आरती नहाकर नंगी ही बाहर आ गयी.
मैं तौलिया लपेट कर पलंग पर लेटा था.
मैंने आरती को कहा मेरे पास लेट जाओ.
हम करवट में लेटे थे.
मैंने आरती के बालों पर हाथ फेरकर पूछा- तुम हमारे यहां खुश तो हो न?
आरती- आप दोनों ने मुसीबत के समय मुझे अपने यहां रखा, एक जो ख़ुशी बाकी थी … वह आपने मुझे आज दे दी. मैं आप दोनों की हर इच्छा पूरी करूंगी.
मैंने आरती की आंख, होंठ चूमे, उसे आलिंगन में ले लिया.
मैं उसकी गर्दन कान चूमने लगा.
तभी मेरा तौलिया खुल गया.
मेरा मुरझाया हुआ लंड आरती के पेट पर था.
उसके मांसल चूचे मेरी छाती में दबे थे.
मेरा लंड जागने लगा.
आरती- मालिक मैं आपका लंड चूस सकती हूँ … उससे आपको अच्छा लगेगा.
मैंने हां में सर हिलाया.
आरती ने लंड को चूमा, चाटा फिर मुँह में ले लिया.
वह मेरे लंड को कुल्फी की तरह चूसने लगी.
वह लंड चूसने की कला में माहिर लग रही थी.
मेरा लंड जल्दी ही पत्थर की तरह कड़क होकर खड़ा हो गया.
मैंने आरती को पलंग के पास खड़ी किया, सामने झुककर पलंग पर हाथ रखने को कहा.
आरती घोड़ी बनी खड़ी थी.
मैंने उसके कूल्हे पर हल्का चांटा मारकर पैर फैलाने कहा.
मैंने आरती की चूत में लंड डाल दिया और उसकी कमर पकड़ कर धीरे धीरे चोदने लगा.
आरती- मालिक आप चाहो तो मेरे बाल पकड़ कर कूल्हों पर चांटे मार कर चोदो.
मुझे याद आया कि आरती ने बताया था कि उसका पति उसे मारता था तो उसे मजा आता था.
इसका मतलब उसे जंगली चुदाई पसन्द है.
मेरी भी जंगली सेक्स करने की इच्छा थी, पर कभी पत्नी को कहा नहीं.
मैंने आरती का जूड़ा खोल दिया, उसके लम्बे बालों को घोड़े की लगाम की तरह पकड़ कर चोदने लगा और उसके कूल्हों पर चांटे मारने लगा.
आरती जोश में सिसकारी लेकर कमर हिलाकर लंड और अन्दर लेने लगी.
कुछ देर बाद मैंने चुदाई बंद कर दी.
फिर मैंने पलंग पर चित लेटकर आरती से कहा- तुम अब मेरे लंड की सवारी करो.
आरती समझ नहीं पायी.
मैंने कहा- मेरे ऊपर आओ, अपनी चूत में लंड डालकर उछलो.
आरती मेरे लंड की सवारी कर रही थी.
मैं उसके उछलते चूचों को देख रहा था.
आरती ने उछलना रोक कर झुक कर चूचे मेरे मुँह के पास किए.
वह मुझसे अपने दोनों चूचों को बारी बारी से चुसवाने लगी.
मैं एक चूचे को चूसने लगता था और दूसरा दबाने लगता था.
आरती फिर से सीधी हुई और कमर उछाल उछाल कर लंड की सवारी करने लगी.
ऐसा उसने कई बार किया.
काफी देर बाद हम दोनों झड़े.
आरती ने मेरा लंड चाटकर साफ़ कर दिया.
मैं- आरती अगली बार हम गुलाम का खेल खेलेंगे.
मैंने कुछ गुलाम सेक्स के वीडियो अपने मोबाइल पर डाउनलोड किये थे, उन्हें आरती के मोबाइल में भेजकर कहा कि तुम देख लेना.
रात के साढ़े नौ बजे थे, मैं सात बजे से आरती के साथ था.
हम दोनों कपड़े पहन कर बाहर आ गए.
आरती ने मुझे और सरोज को डिनर परोसा.
उस ने अपना खाना रसोई में राहुल के साथ खाया.
आरती के चेहरे पर ख़ुशी झलक रही थी.
हम सब सोने चले गए.
मैंने सोच रखा था कि आरती की ज्यादा तारीफ नहीं करूंगा. उससे हो सकता है कि सरोज को अच्छा नहीं लगे.
बेडरूम में मुझे पत्नी सरोज ने कुछ नहीं पूछा, वह आरती का चेहरा देखकर समझ गयी थी.
आरती के साथ दो बार सम्भोग से मैं थक गया था, इसलिए मुझे भी जल्द नींद आ गयी.
अगले दिन शाम को जब मैं घर आकर सरोज के साथ चाय नाश्ता कर रहा था तब सरोज बोली- आज जल्दी डिनर कर लेते हैं, आज मेरा मूड बन रहा है!
डिनर के बाद हम दोनों बेडरूम में चले गए.
हमने प्यार और इत्मीनान से यौन क्रीड़ा सम्भोग किया.
सरोज चुदाई के बाद तुरंत सो गयी.
मैं लेटे लेटे सोच रहा था कि पत्नी के साथ प्यार भरा सेक्स और आरती के साथ किया जंगली सेक्स, दोनों में अलग अलग मजा है.
फिर मुझे भी नींद आ गयी.
अगली शाम सरोज ने मुझसे कहा- आज आरती को खुश करो, वह कल तुम्हें आशा भरी नजरों से देख रही थी.
मैंने आरती को अलग ले जाकर उससे कहा कि मैं गेस्ट रूम में 7 बजे आऊंगा, तुम रेडी रहना.
उसे कैसे तैयार होना है, यह बता दिया.
ठीक 7 बजे मैं गेस्टरूम में मेड Xxx करने घुसा.
आरती ब्रा पैंटी पहने जमीन पर तकिया रखकर उस पर घुटनों के बल बैठी थी.
मैं कुर्सी पर बैठकर उसे देखने लगा.
आरती बेचैनी से इन्तजार कर रही थी.
जब मैं कुर्सी पर बैठ गया तो वह खड़ी होने लगी.
मैं बोला- गुलाम मैंने तुम्हें खड़ी होने को नहीं कहा, उसकी सजा मिलेगी!
मैंने अपनी पैंट से बेल्ट निकाला और आरती की पीठ पर हल्के से मारा.
आरती मुस्कुरा दी.
इसका मतलब उसे मजा आया.
मैंने लंड आरती के होंठों पर फेरने के बाद कहा- अब लंड चाटो!
आरती लंड चूसने लगी.
मैंने इस बार थोड़ी जोर से उसके कूल्हों पर बेल्ट मारकर कहा- मैंने सिर्फ चाटने को कहा था!
आरती लंड चाटने लगी.
मैं- अब चूसो!
आरती लंड गले तक लेकर चूस रही थी और मेरे चेहरे को देख रही थी.
मैंने आरती के बाल पकड़े और उसका मुँह चोदा.
फिर मैंने मुँह चोदना बंद किया.
आरती मुझे देखने लगी.
मैंने उससे कहा- बाकी के कपड़े उतार कर पलंग पर चित लेटकर आंख बंद करो.
आरती लेट गयी.
मैंने गुलाम का बनाने का सामान कमरे में रख दिया था.
मैंने आंख को ढकने का काला कपड़े का चश्मा आरती को पहना दिया, उसके हाथ पलंग के सिरहाने रस्सी से बांध दिए.
काफी देर तक मैं आरती के सुडौल नंगे बदन को निहारा … फिर उसके बदन पर हाथ फेरने लगा.
मैंने इंटरनेट पर पढ़ा था कि कैसे पुरुष सम्भोग के समय बहुत देर टिक सकता है.
मुझे एक बार सम्भोग करके आरती को संतुष्ट करना था.
दो बार सम्भोग में मुझे मजा नहीं आता है.
मैं आरती के निप्पल मरोड़ने लगा.
इससे आरती सिसकारी लेने लगी.
फिर मैंने चूचों को चूसकर उसकी कांख चूमी और नीचे जाने लगा; उसकी नाभि में जीभ डालकर नाभि को चाटा.
मैं उसकी मांसल जांघों को बेतहाशा चूमने लगा, चूत सहलाने लगा.
आरती मचलने लगी.
उसकी चूत से कामरस बह निकला. वह निढाल हो गयी.
मैंने उसकी चुत से निकला पानी पी लिया.
दोस्तो, इस सेक्स कहानी का अगला भाग आपको और अधिक मजा देगा, जब मैं आरती और राहुल के साथ सेक्स का एक नया प्रयोग करूंगा.
आप मेड Xxx कहानी में अपने कमेंट्स जरूर भेजें और प्लीज मेल लिखते समय कहानी का नाम अवश्य लिखें.
चूंकि मेरी बहुत सारी कहानियां प्रकाशित हुई हैं, तो मुझे जबाव देने में सुविधा रहेगी.
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