चुद्दाकड़ माँ को देख मेरी वासना भड़की- 1

(Nude Mom Antarvsna)

न्यूड मॅाम अन्तर्वसना कहानी में एक दिन मैंने अपनी माँ को हमारे नौकर के साथ नंगी बिस्तर पर देखा. नौकर मम्मी की चूचियां चूस रहा था. देख कर मेरी चूत में चींटियाँ चलने लगी.

यह कहानी सुनें.

दोस्तो, मेरा नाम पिंकी है और अब मैं 30 साल की हो गई हूँ.
मेरे पास एक बेटा भी है.

आज जो न्यूड मॅाम अन्तर्वसना कहानी मैं आपको सुनाने जा रही हूँ, वह मेरी जिंदगी की पहली चुदाई की कहानी है.

यह वह वक्त था, जब मैंने अपनी मम्मी को चुदवाते हुए देखा था.
वह मंजर देखते ही मेरे अन्दर वासना की आग भड़क उठी थी.

अपनी मां को इस तरह से बिंदास किसी भी गैर मर्द का लंड अपनी चुत में लेते हुए देख कर मैं शायद मन ही मन उनके नक्शे कदम पर चलने का मन बना चुकी थी.

नतीजा भी यही निकला.
मैं अपनी मम्मी की राह पर चलते हुए उनसे भी बड़ी रंडी बन गई.

मेरे घर में दो बड़े भाई और दो बड़ी बहनें हैं और मैं सबसे छोटी हूँ.

मेरे पापा के पास गांव में ढेर सारी जमीन है और वे एक बड़े किसान हैं.

इसके अलावा हमारे गांव से नजदीक पड़ने वाले एक बड़े शहर गोवा में उनका एक छोटा सा होटल भी है.

मतलब ये कि हमारा परिवार खासा अमीर तो नहीं लेकिन खाते-पीते घराना है.

हमारे घर पर दो नौकर थे.
एक का नाम मुन्ना चाचा और दूसरे का नाम चंदू चाचा.

मुन्ना चाचा ट्रैक्टर चलाते थे और चंदू चाचा खेती का बाकी काम देखते थे.

पापा ज्यादातर घर पर नहीं रहते थे क्योंकि उनका बिजनेस इधर-उधर चलता रहता था.

मेरी मम्मी की उम्र उस वक्त शायद 42 साल रही होगी.
वे दिखने में बहुत सुंदर थीं.

उनकी पतली सी कमर, एकदम टाइट 34 इंच की चूचियां और मदमस्त थिरकती हुई 36 इंच की गांड.
उस पर मम्मी का दूध सा गोरा बदन, उन्हें देखकर कोई भी पागल हो जाए.

उनकी चूचियां इतनी कसी हुई थीं कि लगता था जैसे अभी भी वे जवान लौंडिया हैं.

बात उस समय की है, जब मैं स्कूल में पढ़ती थी.
एक दिन दोपहर को स्कूल जल्दी छूट गया और मैं घर आ गई.
घर का मुख्य दरवाजा अन्दर से बंद था.

मैंने पीछे की खिड़की की तरफ देखा.
लेकिन वह भी बंद थी.

फिर मैंने सोचा कि छत के रास्ते अन्दर जाऊं.
घर के पीछे एक छज्जा था, जिस पर चढ़कर मैं छत पर पहुंच गई.
वहां से सीढ़ियों के रास्ते मैं आंगन में उतर आई.

लेकिन जैसे ही मैं नीचे आई, मुझे मम्मी के कमरे से कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं.

मेरे कदम अपने आप उनकी खिड़की की तरफ बढ़ गए.
खिड़की हल्की सी खुली थी और जो नजारा मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए.

मुन्ना चाचा मेरी मम्मी को बिस्तर पर लिटाए हुए थे.
मम्मी पूरी नंगी थीं, उनकी टाइट चूचियां हवा में तनी हुई थीं और मुन्ना चाचा उनकी चूचियों को मुँह में लेकर चूस रहे थे.

वे धीरे-धीरे उनकी चूचियों को काट रहे थे और मम्मी आहें भर रही थीं ‘आह … मेरे राजा, धीरे से काटो … मैं कहीं भागी नहीं जा रही … मैं तो तुम्हारी रंडी हूँ!’
न्यूड मम्मी की आवाज में अन्तर्वसना की एक मस्ती थी.

तभी मुन्ना चाचा ने मम्मी के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारा और बोले- साली रंडी, झूठ क्यों बोलती है? मैंने तुझे चंदू के साथ भी चुदवाते देखा है!
मम्मी चुप हो गईं, लेकिन उनकी आहें जारी रहीं.

वे पापा को गालियां देने लगीं- वह हिजड़ा है, बस बिजनेस के चक्कर में इधर-उधर घूमता रहता है. तुम दोनों ही तो मेरी चूत की आग बुझाते हो. मेरी चूत में आग लगी है, मैं क्या करूँ?
मुन्ना चाचा ने फिर एक थप्पड़ मारा और बोले- साली, मैं तो कहता हूँ मेरे दोस्तों से भी चुदवा ले, लेकिन तू सती-सावित्री बनने की कोशिश करती है. मैं जानता हूँ, तू सैकड़ों लंड खा चुकी है.

इस बार मम्मी ने गुस्से में कहा- साले, नौकर की तरह रह, नहीं तो तुझे काम से निकाल दूँगी. मैं सब जानती हूँ कि तू किस किस काम वाली को चोदता है. मालिक के पास उन सबकी शिकायतें भेज कर तेरी गांड पर लात लगवा दूँगी और तुझे हवालात में बंद भी करवा दूँगी.

मम्मी की सख्त धमकी सुनकर मुन्ना चाचा थोड़ा शांत हुए और बोले- मालकिन, गलती हो गई.

तब मम्मी बोली- चल चुत चाट … भोसड़ी का चुदुर चुदुर करता रहता है!

मैं खिड़की के पास चुपके से सब देख रही थी.

मम्मी नंगी लेटी थीं, उनकी चूचियां चमक रही थीं और मुन्ना चाचा उनकी चूत की तरफ मुँह ले गए.

वे मम्मी की चूत को चाटने लगे, अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करने लगे.
मम्मी मस्ती में चिल्ला रही थीं- आह … मेरे राजा और जोर से चूसो … मेरी चूत को खा जाओ!’

मैं ये सब देखकर हैरान थी लेकिन मेरे पैर वहां से हट नहीं रहे थे.

मेरी छोटी सी चूत में भी कुछ होने लगा था, जैसे कोई गुदगुदी सी हो रही हो.
तभी मुन्ना चाचा की नजर मुझ पर पड़ी.

वे एक पल को तो चौंक गए लेकिन उन्होंने मुझे इशारा किया कि चुप रहूँ.

फिर उन्होंने मम्मी को खड़ा कर दिया और मेरी तरफ उनकी पीठ करवा कर अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया.

मम्मी उनके मोटे, काले लंड को चूसने लगीं, जैसे कोई लॉलीपॉप हो.

मुन्ना चाचा ने मम्मी के बाल पकड़कर उनके मुँह में लंड को और अन्दर-बाहर करने लगे.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मम्मी को फिर लिटाया, उनके पैर अपने कंधों पर रखे और एक ही झटके में अपना लंड मम्मी की चूत में पेल दिया.

मम्मी की चीख निकल गई- आह … धीरे मेरे राजा … मेरी चूत फट जाएगी!’

लेकिन मुन्ना चाचा रुके नहीं … वे जोर-जोर से धक्के मारने लगे और मम्मी भी मजे लेते हुए चुदवाने लगीं.

उनकी चूचियां हर धक्के के साथ उछल रही थीं.
मैं ये सब देख रही थी और मेरी चूत में गीलापन होने लगा था. मुझे अजीब सा मजा आ रहा था.

जब मुन्ना चाचा झड़ने वाले थे, उन्होंने कहा- मालकिन, मेरा माल निकलने वाला है, कहां छोड़ूँ?
मम्मी ने मस्ती में कहा- मेरी चूत में ही छोड़ दे, मेरे पीरियड्स बंद हो चुके हैं.

मुन्ना चाचा ने और जोर से धक्के मारे और फिर मम्मी के ऊपर गिर पड़े.

मम्मी ने उन्हें कसकर पकड़ लिया, उनके नाखून मुन्ना चाचा की पीठ में धँस गए.
जब चाचा मम्मी के ऊपर से उठे, तो उन्होंने मुझे इशारा करके बाहर जाने को कहा.

मैं चुपके से बाहर चली गई.

करीब दस मिनट बाद मुन्ना चाचा बाहर आए और मुझे ढूँढने लगे.

वे मुझे बाजार ले गए, चॉकलेट्स दिलवाईं और बोले- बेटी, ये बात किसी से मत कहना. जो माँगोगी, वह दूँगा.
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन मुझे चॉकलेट्स और खाने की चीजें चाहिए … और जब आप मम्मी के साथ ऐसा करोगे, तो मुझे दिखाना.

वे हँसकर बोले- जरूर बेटी, लेकिन यह तो बताओ कि तुम्हें वह सब देखकर कैसा लगा?
मैंने शर्माते हुए कहा- अच्छा लगा!

चाचा मुझे बाजार में घुमाते रहे और उन्होंने जानबूझ कर इतनी देर कर दी कि अंधेरा हो गया.

लौटते वक्त रास्ते में एक अरहर का खेत था.
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वहां ले गए.

वे बोले- बेटी, किसी से कुछ मत कहना.
फिर उन्होंने मेरा टॉप ऊपर किया. मेरी चूचियां अभी छोटी थीं, मैं बस एक पट्टी पहनती थी.

उन्होंने मेरे छोटे-छोटे निप्पल्स को छुआ, चुटकी से दबाया.
उससे मुझे गुदगुदी हो रही थी.
फिर उन्होंने मेरी कच्छी उतारी. मेरी चूत पर अभी बाल भी नहीं थे.

उन्होंने मेरी चूत को सहलाया और बोले- बेटी, अभी तुम तैयार नहीं हो. लेकिन मैं तुम्हें सब सिखाऊंगा. बस ये बात किसी से मत कहना!

उस दिन के बाद से मेरी जिंदगी बदल गई.
मैं हर बार मम्मी और मुन्ना चाचा को चुदाई करते देखने लगी.

धीरे-धीरे मेरे अन्दर भी वही आग भड़कने लगी.
मैंने मुन्ना चाचा से कहा कि मुझे भी चुदाई का मजा लेना है.

उन्होंने कहा- अभी तुम कमसिन हो … मेरा लंड तुम्हारी मम्मी की भोसड़ी ही मुश्किल से झेल पाती है. तुम्हारी बुर तो फट ही जाएगी. पहले इसे ढीला करना पड़ेगा तब इसमें मेरा लंड घुस पाएगा.

मैंने कहा- तो करो न मेरी बुर ढीली?
मुन्ना चाचा हंस दिए और बोले- बिटिया रानी जरा तसल्ली रखो … तुमको मैं तुम्हारी मम्मी से भी बड़ी रांड बना दूंगा.

इसके बाद मुन्ना चाचा ने एक दिन अकेला पाकर मुझे अपनी गोदी में बिठाया और मेरी कच्छी भी नीचे सरका दी.
मुझे उनकी इस बात से कोई विरोध नहीं था तो मैंने भी आराम से अपनी कच्छी उतरवा ली.

मुन्ना चाचा के सामने मेरी बिना रोएं वाली चुत आ गई थी.
उन्होंने अपना सर मेरी चुत पर किया और उसको हल्के हल्के से किस करने लगे और जीभ से सहलाने लगे.

मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी.
फिर अचानक से मेरी पेशाब निकल गई, जो उनके मुँह पर गिरी.

मैंने तनिक लज्जित सी होकर अपनी बात कहना शुरू की- मैं पहले ही मना कर रही थी कि मत कीजिए चाचा, मुझे कुछ अजीब लग रहा है लेकिन आप माने ही नहीं और देखो मेरा पेशाब आपके मुँह पर निकल गया.
चाचा हंसने लगे और बोले- तुमने कुछ नहीं कहा था बेटा. पर कोई बात नहीं.

मैंने देखा भी कि जब मेरी सुसू उनके गिरा तो कुछ सीधे उनके मुँह में गई और बाकी की नीचे गिर गई.

मैं भी कुछ नहीं बोली.

फिर जब उन्होंने मेरी कच्छी ऊपर कर दी तो मैं उनके साथ बाहर चली गई.

अब मुन्ना चाचा की आदत हो गई थी.
वे जब भी मुझे अकेले देखते तो कभी चॉकलेट कभी टॉफी के बहाने से इशारे करते और मैं भी मौका देखकर किसी ना किसी बहाने से उनके पास आ जाती.

जब भी मैं उनके पास जाती तो वह पहले मेरी चूचियों को बढ़िया से सहलाते और हल्के हल्के दबा कर मजा देते.
साथ ही वे अपनी एक उंगली को मेरी चूत के अन्दर डाल कर चुत को सहलाते.

मुझे मीठी मीठी सी चुभन सी होती और लगता कि चुत में से कुछ निकल जाना चाहिए!

यह प्रक्रिया लगभग सात आठ महीने तक चली.
इन सात आठ महीनों में अंकल की मेहरबानी से मेरी चूचियां अच्छी खासी बड़ी हो गई थीं.
मेरी गांड भी मोटी होने लग गई थी.

अब जब भी मैं लड़कों के आस-पास से गुजरती थी तो वे आहें भरते थे, मुझ पर फब्तियां कसते थे.

मुझे भी लड़कों का यूं तरसना अच्छा लगता था.
इधर मैं अपनी मम्मी की चुदाई को अक्सर छुप कर देखा करती थी.

मुन्ना चाचा तो अब जानबूझ कर मेरी मम्मी को और भी जोर जोर से आवाज करके चोदते थे कि अगर मैं इधर उधर कहीं भी रहूँ तो देखने के लिए वहां पहुंच जाऊं.

मुन्ना चाचा ने बताया था कि मम्मी केवल उनके साथ ही नहीं बल्कि कई लोगों के साथ चुदाई करवाती थीं.

मैंने बाबू भाई व अन्य कई लोगों के साथ उनकी चुदाई होती देखने की कोशिश की, जिसमें अक्सर चंदू चाचा भी उनको चोदते हुए मिल गए.

एक बार तो मेरे फूफा जी भी उनको चोद रहे थे.

इसी तरह से मैं अपनी मां की चुदाई देखती हुई मैं अपनी क्लास में सबसे बड़ी चूची वाली लड़की हो गई थी क्योंकि मुन्ना चाचा मेरी चूचियों को लगभग रोज ही किसी ना किसी बहाने से मसलते रहते थे.

अब बस मेरी यही तमन्ना थी कि कैसे भी करके मुन्ना चाचा मुझे चोद दें.

उनको कोई मौका भी नहीं मिल रहा था क्योंकि वे डरते थे कि उनका लंड बहुत मोटा था.
लेकिन मेरी लंड लेने की तलब बढ़ती जा रही थी.

दोस्तो, इस न्यूड मॅाम अन्तर्वसना कहानी के अगले भाग में आपको मेरी कमसिन बुर की सील टूटने वाली सेक्स कहानी का मजा मिलेगा.
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न्यूड मॅाम अन्तर्वसना कहानी का अगला भाग: चुद्दाकड़ माँ को देख मेरी वासना भड़की- 2

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