ऑफिस कर्मचारी बेटी बन कर चुद गयी

(Porn Maid Fuck Kahani)

पोर्न मेड फक कहानी में मेरे ओफीस में एक महिला सफाई करने आने लगी. वह बहुत सुंदर थी. वह मेरे साथ दोस्तों सा व्यवहार करती और पिता समान सम्मान देती.

ईश्वर मुझ पर कुछ ज्यादा मेहरबान हो गया था.

मेरी उम्र उस वक़्त 65 साल की हो चुकी थी.
मैं उन दिनों एक ऑफिस में काम करता था.

ऑफिस में सफाई के लिए किसी लड़की या महिला की आवश्यकता थी.
मैंने बॉस से गुजारिश की थी.

उस वक़्त एक लड़की जो करीबन 35 साल की थी, विवाहिता थी और तीन ब/च्चों की मां थी. वह बॉस के घर का भी काम करती थी.
बॉस ने उसी को ही ऑफिस में झाड़ू पौंछा करने के लिए नियुक्त कर दिया.

वह देखने में काफ़ी खूबसूरत थी.
उसका पति अजीत एक फाइव स्टार होटल में सुपरवाइजर का काम करता था.

यह पोर्न मेड फक कहानी इसी कर्मचारी की है.

उसने पहले ही दिन ऑफिस में आकर कुछ भी बिना बताए झाड़ू पौंछा का काम कर शुरू कर दिया.

मैं उसके ऐसे व्यवहार से चकित रह गया.

दूसरे दिन आते ही उसने खुद का परिचय देते हुए कहा था ‘मैं आपको ढेर सारा प्यार करूंगी. आपकी दोस्त बनकर रहूंगी.’
उसकी बातों ने मेरा अचरज बढ़ा दिया था.

हम दोनों रोजाना मिलते थे.
इस रिश्ते की शुरुआत कथित बाप बेटी से हुई थी.

त्यौहार, जन्मदिन या शादी की सालगिरह पर लड़की, जिसका नाम संगीता था, वह मेरे चरण छूकर मेरा आशीर्वाद लेती थी और मैं बदले में कुछ नगद राशि उसके हाथों में थमा देता था.

कभी कभार जरूरत होने पर संगीता पैसों की मांग करती थी और मैं उसकी मदद भी करता था.

मेरे लिए संगीता ईश्वर का बहुमूल्य उपहार थी.
मैं उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था.

उसका पति अजीत सुबह 6 बजे घर से निकल जाता था और रात को नौ बजे घर लौटता था.

मैंने कभी उसके पति को कभी नहीं देखा था.
लेकिन संगीता के ब/च्चों को जानता था.
मैं उसके घर भी आता जाता रहता था.
वह ऑफिस के सामने वाली इमारत में रहती थी.

एक बार उसके पति से मिलने का मौका भी प्राप्त हुआ था.

एक बार मेरे कहने पर संगीता मेरे लिए अंडे की भुर्जी बनाकर लाई थी.
दूसरी बार मन हुआ तो मैंने उसके पति की मौजूदगी में ही उसे फरमाइश की थी ‘कल मेरे लिए भुर्जी बनाकर मेरे घर दे जाना.’

यह सुनकर उसके पति अजीत के तेवर बदल गए थे.
उसने कड़क शब्दों में कह दिया था- संगीता किसी के घर नहीं आएगी. आपको चाहिये तो यहां आ जाइए. मैं आपको 20 अंडों की भुर्जी बनाकर खिलाऊंगा.

उसकी बात सुनकर मैं भड़क गया था.
उसकी आंखों में शक की चिंगारी दहक रही थी.

मैंने फट से कह दिया था- क्या बाजार में नहीं मिलती?
यह कह कर मैं उसके घर से बाहर निकल गया था.

उसके पति ने मुझसे जो व्यवहार किया था, उसकी भनक संगीता को लग गई थी.
उसने इस बात को लेकर मुझसे माफ़ी भी मांगी थी.

हम दोनों के बीच प्लूटोनिक संबंध था.
मैं संगीता के गालों को सहलाता था. उसे चूमता था, गले लगाता था. उसके कंधे पीठ इत्यादि हिस्सों को भी सहलाता था.

छह साल तक हमने बाप बेटी का रिश्ता निभाया था.
लेकिन उस दौरान कुछ ऐसा हो गया था जिसकी वजह से मुझे संगीता के इरादों पर शक होने लगा था.

एक बार मेरे कहने पर संगीता ने मेरा सिर दबाया था.
बाद में उसने भी उसने भी सिर दर्द की शिकायत की तो मैंने भी उसका सिर दबाया था.

उसी वक़्त संगीता ने एक और शिकायत की थी- मेरी छाती में भी दर्द हो रहा है!

उस वक़्त मेरी आंखों के सामने एक कहानी की नायिका की छवि उभर आई थी.
जैसे उसने शायद अपने आशिक से ऐसी ही शिकायत की थी जो उसने तुरंत निभाई थी.

एक पल मेरे दिमाग़ में भी ख्याल आया था.
उससे पूछने का मन भी हुआ था कि मैं तुम्हारी छाती भी दबा दूँ क्या?
लेकिन मैं हिम्मत नहीं जुटा पाया था.

हालांकि मेरी दो उंगलियों ने अपना काम कर दिया था.

वे संगीता के ब्लाउज के भीतर घुसकर उसकी दोनों छातियों के बीच की कंदरा पर स्थित हो चुकी थीं.
उस पर संगीता ने कोई ऐतराज जाहिर नहीं किया था.

शायद यही बात हमारे बदलने वाले रिश्तों का संकेत दे गई थी.

फिर कुछ समय हम दोनों लंबे समय मिल नहीं पाये थे.

उसके बाद संगीता ने अपना घर बदल दिया था और मुझे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

फिर एक दिन अजीत मुझे गली के नुक्कड़ पर मिल गया था.
वह वड़ा पाव खा रहा था.
उसने मुझे भी वड़ा पाव खिलाया था.

उसके पैर पर बेल्ट बंधा हुआ था.
वह क्रेच पर चल रहा था. उसके साथ कोई अकस्मात हादसा हुआ था.

मैंने सच्चाई जानकर अफ़सोस भी जाहिर किया था.
वह पास में ही रहता था.
वह खुद मुझे संगीता से मिलवाने घर ले गया था.
उसका रवैया बिल्कुल बदल गया था.

उसके बाद हम लोग दोबारा मिलने लगे थे.
यह हमारी जिंदगी की दूसरी इनिंग थी जिसने रिश्तों को भी बदल लिया था.

हम लोग ब/च्चों की मौजूदगी में मिलते थे.
मैं उसको छूता था, गले लगाता था उसके गालों पर पप्पी भी लेता था और संगीता भी मजा लेती थी.

एक बार मैंने उसे करने को कहा, तो उसने मना कर दिया.

मैंने बेझिझक उसकी छाती पर रखा दिया इतना ही नहीं उसकी गांड को भी सहलाने लगा.

इस पर संगीता ने एतराज जताया था- क्या यह सब आपको अच्छा लगता है?
‘सॉरी … तुम्हें अच्छा लगा तो अच्छा … नहीं तो बुरा!’

उस वक़्त तो उसने कुछ नहीं कहा लेकिन दो दिन बाद फ़ोन पर सवाल दोहराया था- क्या वह सब आपको अच्छा लगा था?
जब मैंने अपना जवाब दोहराया तो उसने और झटका दिया था- मुझे भी अच्छा लगा था.

यह सुनते ही मैंने फोन पर ही उससे कहा था- मैं कल तुम्हारे घर आऊंगा!

फिर दूसरे दिन मैं उसके घर गया तो उसका छोटा लड़का कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था.

संगीता ने अन्दर से दरवाजा बंद कर दिया.
मैं जाकर कुर्सी पर बैठ गया.

संगीता उस वक़्त मेरी बगल में आकर खड़ी रह गई.

मैंने उसके कंधों पर हाथ रख दिया.

उसी घड़ी संगीता ने अपनी टी-शर्ट ऊपर करके अपने पुष्ट स्तनों का नजारा दिखाया.
अब ऐसे में कोई भला कैसे नियंत्रण रख पाता. उसकी खुली छाती ने मुझे आगे बढ़ने का साहस दे दिया था.

मैं बारी बारी उसके दूध को दबोचने उतारू हो गया. इतना ही नहीं उसकी दोनों चूचियों को भी बड़ी उग्रता से चूसने भी लगा था.

वह एन्जॉय कर रही थी.
उसकी बॉडी लेंग्वेज उसका समर्थन कर रही थी.

फिर भी उसने झूठ-मूठ का गुस्सा जताकर सवाल किया था.
‘यह क्या कर रहे हो?’
‘एक छोटे बच्चे की तरह तुम्हारा दूध पी रहा हूं!’

उसे ऐसा करना अच्छा लग रहा था.
वह मजे ले रही थी.

उसके बाद मैंने उसके दोनों होंठों को कसकर चूम लिया था और उसके दूध को भी निचोड़ने लग गया था.
मुझे यह सब करना अच्छा लग रहा था.

मैंने उससे साफ साफ शब्दों में कहा था- मुझे दूध दबाना और पीना बेहद अच्छा लगता है.

यह सुनकर संगीता ने मुझसे वादा किया था- मैं हमेशा अपना दूध पिलाऊंगी.

जब कोई लड़की किसी को अपने होंठों का रस पीने देती है, तो उसका मतलब होता है कि वह उसे प्यार करती है.

हम दोनों आपस में प्यार करने लगे थे.
और संगीता रोजाना नये नये नुस्खों की आजमाइश करती रहती थी.

वह तो प्रति दिन कुछ न कुछ ऐसा करती थी, जिससे मेरे दिमाग़ में कई सवाल उठते थे.

एक तरफ उसका पति उसे बेहद प्यार करता था; उस बात के गीत गाती रहती थी.
कमाल की बात थी कि वह खुद भी अपने पति को प्यार करने का दावा करती थी … और दूसरे पुरुष के साथ ऐसे संबंध रखती थी.

दूसरी बार मिलने पर संगीता ने निर्लज्ज होकर मुझसे सवाल किया था- क्या मेरी चूत में उंगली डालोगे?

कोई भी मर्द भला कैसे इन्कार कर सकता है … मैंने हां में जवाब दिया.
तो उसने अपनी चड्डी निकाल दी.

मैंने उत्तेजित होकर बड़े जोश से एक एक करके सारी उंगलियां उसकी चूत में घुसेड़ दी थीं.

उसके बाद फिर उसने फोन पर सवाल किया था- अगली बार मेरे साथ क्या करोगे?
‘तुम्हें जमीन पर सुलाकर तुम्हारे ऊपर चढ़ जाऊंगा!’
‘क्या तुम अपना लौड़ा मेरी चूत में डालोगे?’

हालांकि उसने यह सांकेतिक भाषा में सवाल किया था.
‘क्या तुम अपना मेरे भीतर डालना चाहते हो?’

यहां भी इन्कार करने का कोई प्रश्न नहीं था.
मेरी खामोशी देखकर उसने एक और सवाल किया था.

‘क्या मेरे सारे कपड़े उतार कर यह करोगे?’
‘इरादा तो तुम्हें पूरी तरह नंगी करके तुम्हें चोदना है … यदि तुम नहीं मानी तो जबरन करूँगा.’

यह सुनकर उसका चेहरा खिल उठा था.
उसको मेरी हर कोई हरकत बेहद पसंद आती थी.

मैं बहुधा उसे किचन में ले जाकर अपनी मुरादें पूरी करता था.
उसे अपनी गांड मरवाना अपना दूध पिलाना बहुत ही भाता था.

हम दोनों एक दूसरे से काफ़ी सहमत हो गए थे.
एक दूसरों की सारी इच्छाएं पूरी करते थे.

संगीता मेरे लिए चाय का पानी गैस पर रखती थी और मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसके दोनों संतरों को बारी बारी से कुचलता था.
उसकी गांड में लौड़ा डालता था. उसकी चूत में उंगली डालता था उसे चूसता था, गांड को अपने थूक से गीली करता था.

चाय पीने के बाद असली खेल शुरू होता था.

संगीता एक गद्दी बिछाती थी, अपने कपड़े उतार कर लेट जाती थी और मुझे अपने पास बुलाकर अपने ऊपर लेटा लेती थी. वह अपने हाथ से मेरा लौड़ा अपनी चूत में डलवा लेती थी.

मेरा लौड़ा अपने मुँह में भी लेकर चूसती थी.
अपने सशक्त स्तनों को कभी लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, आमरस, टमाटर, दूध के अंडे … और न जाने क्या क्या नाम से बुलाती थी.

वह सेक्स के लिए तरसती रहती थी.
दूसरी ओर मेरा भी यही हाल था.

अजीत को शराब पीने की आदत लग गई थी.
वह रोज शराब पीकर आता और खाना खाकर चैन की नींद सो जाता था.
उसे अपनी बीवी की जरूरत की कोई चिंता या परवाह नहीं थी.

इसी वजह से शायद संगीता भटक गई थी जिसका उसे खुद भी इल्म नहीं था.

कभी कभी संगीता के व्यवहार में एक धंधेवाली की झलक नजर आती थी.

वह खुद मुझे हरदम गलत करने के लिए उकसाती थी- मेरे दूध में कुछ होता है! तुम्हारे छूने से बड़े हो जाते हैं! चूत में भी न जाने क्या हो जाता है! तुम अपने हाथों से उसे खुजलाओ, चूसो!

वह मुझे कहती- मुझे छोड़ना मत. मेरे दूध को लगातार दबाते रहो! मेरी छातियों के बीच में अपना लौड़ा लगा कर रगड़ो.

वह अपनी खुली छाती को दूध नाम से नवाजती थी.
उसे खुली छातियों का वीडियो देखने का बड़ा शौक था.

वह अक्सर मुझसे ऐसे वीडियो दिखाने की फरमाइश करती रहती थी.

उसने खुद कहा था कि लोगों की नजर में हम सदैव बाप बेटी बनकर ही रहेंगे.

‘हम दोनों के बीच उम्र में भी काफ़ी अंतर हैं. कहीं कोई शक की गुंजाइश नहीं है. अजीत को भी कोई शक नहीं होगा!’

मुझसे ज्यादा संगीता की सेक्स भूख तीव्र थी.
वह हमेशा डरती थी, फिर भी मुझे घर में बुलाती थी.
कभी नहीं जाता था तो वह फोन करती थी.

‘पांच मिनट में घर आ जाओ. मेरे दूध को दबाकर जाओ. ये मुझे बहुत तंग कर रहे हैं. मैंने खास तुम्हारे लिए फैंसी और महंगी ब्रा पहनी है. तुम उसे अपने हाथों निकाल कर अपनी सारी हसरत पूरी कर लो. तुम जो भी मेरे साथ करते हो, वह मुझे बेहद पसंद है!’

मैं अपने हाथों से उसकी ब्रा खोलता था, चड्डी भी निकालता था.

जब भी मैं उसके पास जाता था, वह मुझे अन्दर लेकर दरवाजा भीतर से बंद कर देती थी.

एक बार मैं दोपहर को उसके घर गया था. वह उस वक़्त बाथरूम में कपड़े धो रही थी.
मैंने घर में दाखिल होकर दरवाजा बंद कर दिया तो उसने सहज सवाल किया था.

‘दरवाजा क्यों बंद कर दिया? क्या सब कुछ करने का इरादा है?’

वह हाथ धोकर मेरे सामने आकर खड़ी हो गई.

मैं उस वक़्त कुर्सी में बैठ गया था.

वह मेरे पास आकर अपनी मैक्सी ऊपर उठाकर उल्टा मुँह करके अपनी गांड को मेरे लौड़े पर सैट करके बैठ गई.

मैंने पीछे से संगीता के दोनों दूध को पकड़ते हुए मसलते हुए उसकी नंगी पीठ पर चुम्बन करना शुरू कर दिया.

हमारे बीच मस्त सेक्स होने लगा और कुछ ही देर में हम दोनों झड़ कर संतुष्ट हो गए.

अब यह हमारा रोज का मेनू बन गया था.

जब कभी मिलना नहीं हो पाता था, तो हम लोग मोबाइल में सेक्स भरी बातें करके चुदाई जैसी मजा ले लेते थे.

हम लोग वास्तविक रूप से जो करते थे, मोबाइल में उसका एक्शन रिप्ले ही अपनी चैट में करते थे.

मुझे तो अपनी मां के दूध का स्वाद भी याद नहीं था इसलिए मैं उससे गुजारिश करता था कि स्वाद न सही अहसास ही दिला दो.

इस पर वह मेरा सर अपनी गोद में रखकर लिटा लेती थी, फिर अपनी मैक्सी को ऊपर करके अपने एक स्तन को हाथ में पकड़ कर उसके निप्पल को को मेरे मुँह में देकर स्तनपान करवाती थी.

उसी दौरान जब मैं उसकी चूत में हाथ डालता था तो मेरी उंगलियां उसकी पनियाई हुई चुत के रस से गीली हो जाती थीं.

उस वक्त वह तुरंत ही मुझे हाथ धोने को कहती थी.
जब मैं मना करता तो वह अपनी ब्रा या चड्डी से मेरे हाथ साफ कर देती थी.

घर से निकलते समय भी वह अपना मैक्सी ऊपर करके मुझे अपना दूध चुसाती थी.
दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी रह कर अपनी गांड मरवाती थी.
चूत में उंगली डालने देती थी.
अपने होंठों का अमृत पिलाती थी.

मैंने उसके दूध का विवादस्पद फोटो लिया था.
मेरे कहने पर संगीता अपने खुले स्तनों का टॉपलेस फोटो खिचवाने तैयार हो गई थी.
उसके कई विवादास्पद वीडियो मेरे मोबाइल में कैद थे.
हम दोनों जीवंत सेक्स करते थे, फिर भी मोबाइल सेक्स भी करते थे.

रात को मैं संगीता से सपनों में संबंध बनाता था.

उस वक्त मैं कल्पना करता था कि मानो वह कह रही है कि:

अंकल मेरे दूध दबाओ न! ‘मेरे स्तन चूसो न!
‘मेरे होंठों का अमृत पिओ.’
‘मेरी पीठ को चुंबन स्नान करवाओ.’
‘मेरे पूरे कपड़े उतार दो.’
‘मेरी चूत में लौड़ा डालो.’
‘चुत को बेरहमी से चूसो.’
‘मेरी गांड चूसो.’
‘उसमें लौड़ा डालो.’

मैं उस वक़्त अपना लौड़ा पकड़ते हुए कहता था:
‘मुझे दूध पिलाओ.’
‘मेरे लौड़े से खेलो.’
‘उसे मुँह में लेकर चूसो.
‘अपनी चूचियों में फंसा कर रगड़ो.’

यह सब मुझे जीवंत चुदाई से भी बेहद ज्यादा आनन्द देता था.

उसके खुले दूध के फोटो ने हमारे बारह साल पुराने रिश्तों का खून कर दिया था.

सारे मुआमले में एक बात उभर कर सामने आई थी कि संगीता और उसके पति के बीच कोई गंभीर समस्या थी जिसने उसको मेरे पास भेजा था.

लेकिन अफ़सोस की बात थी कि कोई भी यह सच्चाई मानने या समझने को तैयार नहीं था?
क्या संगीता की जरूरत एक पुरुष से संतुष्ट नहीं होती थी?

क्या मेरे और अपने पति के अलावा उसके किसी ओर के साथ अवैध संबंध थे, जिसे उसका पति जानता था और इसी लिए वह अपनी बीवी पर शक करता था.

पति ने बिना कुछ जाने समझे मुझे अपराधी ठहराया था, मुझसे गाली गलौच भी की थी. मुझे मारने की धमकी भी दी थी.

इसी वजह से मुझे उल्टा वार करना पड़ा था.
मैंने अजीत के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात की तो उसकी अकल ठिकाने आ गई थी.

वह उसको दिए हुए पैसे भी लौटाने तैयार हो गया था.

लेकिन दोनों में से कोई भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं था.
उन्होंने आपसी लड़ाई में मुझे बेकार में मुजरिम बना दिया था.

अब आप लोग ही बताइए कि इस पूरी सेक्स कहानी में सही अपराधी कौन है.
मेरे हिसाब से तो मैं, संगीता और उसका पति अजीत तीनों ही अपराधी हैं.

सही मायनों में मेरी उंगलियां ऊपर वाले पर उठ रही हैं.
उन्होंने क्यों हमें मिलाया.
शायद उसके पीछे हम दोनों की जरूरत निभाना उसका आशय रहा होगा.
इस बात को कौन समझेगा!

इतना सब कुछ होने के बाद मैं संगीता को निर्दोष मानता हूं और उसकी सलामती की दुआ करता हूं.

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लेखक की पिछली कहानी थी: जवानी में चुदाई का शुरूआती अनुभव

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