सीनियर सर से कुंवारी चुत चुदवाई

(Desi Chut Fuck Story)

देसी चूत फक स्टोरी में एक लड़की अपनी सहेलियों से चुदाई की बातें सुनकर अपनी चूत चुदवाने को लालयित थी पर घरवालों से डरती थी. उसने अपने ऑफिस के बॉस को कैसे फंसाया?

हाय दोस्तो, नमस्कार … मैं शैलेश कुमार आपके सामने एक नई सेक्स कहानी लेकर आया हूं.

मेरी पिछली कहानी
वंश चलाने के लिए दो बहनें चुद गईं
के दोनों भागों को जिस तरह से आप सभी ने सराहा है, उसके लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.

मुझे उम्मीद है कि मेरी इस सेक्स कहानी से भी गर्ल्स अपनी चूत में उंगली करने और ब्वॉयज अपने लंड पकड़ कर मुट्ठ मारने पर मजबूर हों जाएंगे.

ये कहानी आज मैं और मेरी फ्रेंड हम दोनों साथ मिल कर लिखेंगे और अपना अपना अनुभव शेयर करेंगे.
देसी चूत फक स्टोरी में शुरुआत मेरी फ्रेंड श्रद्धा करेगी.

हैलो फ्रेंड्स, मैं श्रद्धा फैजाबाद की रहने वाली हूं. मेरी उम्र 21 साल है.

जब मैं ग्रेजुएशन कर रही थी, तब मेरी फिगर की साइज 30b-28-32 की थी.
मैं दिखने किसी हीरोइन से कम नहीं दिखती थी.

मेरे गोरे गाल, लंबे बाल और मेरी चाल देख कर अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाता था.

बहुत से लड़कों ने मुझे प्रपोज भी किया लेकिन मेरे घर वाले इतने सख्त स्वभाव के थे कि मैं कभी किसी लड़के को अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाने की हिम्मत ही नहीं कर पाई थी.

जबकि मेरी सहेलियां अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ की हुई मस्ती बताती थीं कि उसका ब्वॉयफ्रेंड उसको कैसे किस करता है, चूची मसलता है, चूत में उंगली करता है, चूत चाटता है और लंड डाल कर चुदाई करता है.
वे लोग मुझे यह सब बताकर मेरी जलती व चढ़ती जवानी की आग में घी डालने का काम करती थीं.

उनकी बातों से गर्म होकर मैं घर वापस आकर सीधे अपने रूम में आती और सबसे पहले अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाती.
फिर सबसे पहले शीशे के सामने खड़ी होकर अपने शरीर को निहारती थी.

मैं अपनी चूचियों और चूत को मसलती थी, फिर बाथरूम में जाकर अपनी सहेलियों की बातों को याद करके चूत में उंगली करती थी.

रात में अंतर्वासना की कहानियां पढ़कर फिर से अपनी चुत में उंगली करती थी.
मुझे जिन लेखकों की कहानियां पसंद आतीं, उन्हें मैं मैसेज भी कर देती थी.

वहीं से एक लेखक से मेरी बात शुरू हुई और कुछ ही समय में मैं उनसे अपनी हर तरह की बातें करने लगी.
यही मेरा रोज का नियम बन गया था.

तभी मैंने सोच लिया था कि अपनी जवानी को ऐसे ही बर्बाद नहीं करूँगी!

जैसे-तैसे मैंने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन करने लखनऊ आ गई.

मैं हॉस्टल में रहने लगी.
अपने खर्चे उठाने के लिए मैंने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में जॉब शुरू कर दी.

वहां मेरी मुलाकात प्रोजेक्ट मैनेजर शैलेश सर से हुई.
उनका बात करने का तरीका इतना अलग था कि कोई भी उनकी बातें सुनने को मजबूर हो जाता था.

उनके इसी अंदाज के कारण कंपनी की लगभग सारी लड़कियां उनके साथ काम करना चाहती थीं.

मुझे भी सर के साथ काम करना था.

मैं धीरे-धीरे उनके करीब जाने की कोशिश करने लगी और ज्यादा से ज्यादा वक्त उनके साथ बिताने लगी क्योंकि मैं उन्हें पसंद करने लगी थी.

मैं चाहती थी कि सर मेरे ब्वॉयफ्रेंड बन जाएं.
मैं रोज बन-ठन कर सर के सामने जाती थी.

कंपनी में काम करने वाली दूसरी लड़कियां मुझसे जलने लगी थीं.
लेकिन सर मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देते थे.

दोस्तो आप ही बताओ, जब एक खूबसूरत लड़की सेक्सी ड्रेस पहनकर बन-ठन कर आए और लड़का उस पर ध्यान न दे, तो कैसा लगता है?

मेरा तो मन करता था कि उसकी जान ले लूँ! आप लोगों का मन क्या करता है, जरूर बताना!

फिर एक दिन मैंने शैलेश सर से अपने दिल की बात कह दी- सर, मैं आपको बहुत पसंद करती हूँ!

सर उस समय कुछ नहीं बोले और बाहर चले गए.

मुझे बहुत बुरा लगा कि कोई लड़का इतना एटिट्यूड कैसे दिखा सकता है!

मैंने ये सारी बातें लेखक को बताईं, तो उन्होंने कहा- प्यार पाने की कोशिश करो, लेकिन जबरदस्ती मत करो.

मैंने धीरे-धीरे सर से बात करना कम कर दिया.
यूँ ही दिन गुजरते जा रहे थे.

एक दिन शाम को कंपनी के बॉस ने मुझे और सर को दिल्ली जाने को कहा क्योंकि अधिकारी कंपनी की पेमेंट रिलीज नहीं कर रहे थे.

कंपनी ने हम दोनों की सुबह की फ्लाइट टिकट बुक कर दी.
हम सुबह की फ्लाइट पकड़ कर दिल्ली पहुंच गए और एयरपोर्ट से सीधे अधिकारी से मिलने चले गए.

वहां पता चला कि अधिकारी अभी आए नहीं हैं.
हमें उनका इंतजार करते-करते शाम हो गई लेकिन वह नहीं आए.

अगला दिन रविवार था और ऑफिस बंद रहता था.

सर ने ये बात बॉस को बताई, तो बॉस ने कहा- वहीं किसी अच्छे होटल में रुक जाओ … काम करवाकर ही आना!

सर ने ‘ओके’ बोलकर फोन काट दिया.
फिर सर ने पास के एक 5-स्टार होटल में दो कमरे बुक किए.

मैं बहुत थक गई थी इसलिए अपने कमरे में पहुंच कर सीधे सो गई.

थोड़ी देर बाद सर का फोन आया- श्रद्धा, मुझे बहुत भूख लगी है. तुम तैयार हो जाओ, नीचे रेस्टोरेंट चलते हैं खाना खाने!
मैं- सर मुझे भी बहुत भूख लगी है और मैं बहुत थक भी गई हूँ. मेरा मन नहीं कर रहा जाने का!

शैलेश- तो फिर एक काम करो. जो तुम्हारा मन हो, वह खाना अपने रूम में ही मंगवा लो … हम दोनों वहीं खा लेंगे!
मैं- ठीक है सर.

मैंने खाने का ऑर्डर दिया और नहाने चली गई क्योंकि खाना आने में कम से कम आधा घंटा तो लगना ही था.

थोड़ी देर बाद किसी ने मेरे रूम का दरवाजा खटखटाया.
मैंने सोचा कि वेटर खाना देने आया है.

मैंने अन्दर से ही कहा- दरवाजा खुला है, खाना रख दो और जाओ! मैं बाद में देख लूँगी!

थोड़ी देर बाद मैं सिर्फ पैंटी और तौलिया लपेट कर बाहर आ गई और देखा कि सर अन्दर खाने को टेबल पर सैट कर रहे थे.

उन्हें देखते ही मैं इतनी तेज़ी से बाथरूम की ओर भागी कि मेरा पैर पानी की वजह से फिसल गया और मैं सीधे बाथरूम के अन्दर जाकर दीवार से टकरा गई.

इससे मेरे बाएं हाथ, पैर और सिर में चोट लग गई.
सिर में चोट लगने की वजह से मेरी आंखों के सामने कुछ देर के लिए अंधेरा छा गया.

सर मेरे गिरने की आवाज़ सुनकर जल्दी से बाथरूम में आए, मेरे कपड़े ठीक किए क्योंकि मेरा तौलिया मेरे शरीर को ना के बराबर ढक रहा था.

फिर सर मुझे उठाकर बेड पर ले आए.
मेरी लेफ्ट साइड की बॉडी बहुत दर्द कर रही थी.

सर जल्दी से अपने रूम में गए और दर्द की टैबलेट और मूव स्प्रे ले आए.

शैलेश- कहां चोट लगी है?

मैं बिना कुछ बोले उंगली से इशारा करने लगी. सर उस जगह पर स्प्रे करते जा रहे थे और मैं मल रही थी.

शैलेश- तुम कैसे काम करती हो … इतनी लापरवाही! अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं बॉस को क्या बताता?
मैं सिर्फ सर की डाँट सुनती रही.

मैं कहती भी क्या कि सर, आपकी वजह से गिरी हूँ! ऐसा तो नहीं बोल सकती थी.

मैं- सॉरी सर!
शैलेश- ठीक है कोई बात नहीं! ज्यादा चोट नहीं लगी, उठो और खाना खा लो.

मुझे उठने में दिक्कत हो रही थी, तो सर खाना बिस्तर पर ही ले आए.
हम दोनों खाने लगे.
मैं अभी भी तौलिये में थी.

खाना खाते-खाते मेरा तौलिया गिर गया और मेरे बूब्स बाहर आ गए.
मैं दाहिने हाथ से खाना खा रही थी और बाएं हाथ में दर्द की वजह से वह उठ नहीं रहा था.

सर ने ये देख लिया.
वे उठे और मेरे पीछे आ गए.
उन्होंने तौलिये को ऊपर करके उसमें गाँठ मार दी.

फिर सर वापस जाकर खाना खाने लगे.
सर के हाथ की गर्मी से मेरे पूरे शरीर में एक अलग ही न/शा चढ़ने लगा.

मैं पैर आगे करके धीरे-धीरे अपने पैर खोलने लगी, जिससे मेरी पैंटी दिखने लगी.

सर की नज़र बार-बार मेरी पैंटी की तरफ जा रही थी लेकिन मेरे देखने से पहले वह नज़र हटाने की कोशिश करते थे.

मेरी नज़र बार-बार सर के उफान मार रहे लंड पर जा रही थी.
फिर हम दोनों का खाना खत्म हो गया. सर उठकर प्लेट बाहर रख आए.

मैं उठकर हाथ धोकर वापस बेड पर आ गई.
तभी मैं अपनी 32C-28-34 की जवानी में मदहोश होकर पूछ बैठी.

मैं- सर क्या मैं आपको अच्छी नहीं लगती?
शैलेश- ऐसा कुछ नहीं है! तुम बहुत खूबसूरत हो … अब तुम आराम करो.

इतना बोलकर सर चले गए और मैं अपने मोबाइल लेकर गूगल चैट पर लेखक को मैसेज करने लगी.

थोड़ी देर में लेखक ऑनलाइन आ गया.
मैं उनसे पूरी बात बताने लगी.

मैं- मैं आज चुदना चाहती हूँ. आज तुम मेरी प्यास बुझा दो!

मैं उनसे अपनी चूत में उंगली करती हुई लिख रही थी.

लेखक- चोदना तो मैं भी चाहता हूँ!
मैं- तो आ जाओ मेरे पास!

लेखक- आ तो जाऊं, लेकिन कैसे?
मैं- वीडियो कॉल पर अपना लंड दिखाओ!

लेखक- ठीक है आओ और तुम भी मुझे अपनी चूत, बूब्स दिखाओ और मैं अपना लंड दिखाता हूँ.

कॉल करते ही लेखक अपना तगड़ा, मोटा लंड मसलते हुए दिखा रहा था.
मैं अपनी चूत में उंगली करती हुई उसे दिखा रही थी.

फिर धीरे-धीरे मैं उसे अपने बूब्स मसलती हुई दिखाने लगी.

मैं- अब चेहरा भी दिखाओ!
लेखक- ओके … तुम भी दिखाओ!

जैसे ही हम दोनों कैमरे के सामने आए, हम दोनों हैरान हो गए.
क्योंकि इतने साल से मैं जिससे बात कर रही थी, वे कोई और नहीं … शैलेश सर थे!

मैं- सर आप?
शैलेश- तुम?

हम दोनों ने फोन काट दिया.

मैं तौलिया फिर से लपेट ही रही थी कि सर मेरे रूम में आ गए और बेड पर बैठ गए.

मैं- सर आप ही वह लेखक हैं, जो अंतर्वासना में कहानियां लिखते हैं?
शैलेश- हां … लेकिन तुम! मैंने कभी नहीं सोचा था कि जिससे मैं इतने समय से बात कर रहा हूँ … वह लड़की तुम ही हो जो मेरे साथ काम करती है!

मैं- मैं भी नहीं जानती थी कि आप इतनी सारी लड़कियों और औरतों को खुशी देने वाले हैं! लेकिन आपको मुझसे क्या दिक्कत है? मैं आपको पसंद करती हूँ! मैंने प्रपोज भी किया है!
शैलेश- मैं गर्लफ्रेंड नहीं बनाना चाहता … और नहीं चाहता कि मैं किसी ऐसी लड़की के साथ सेक्स कैसे करूँ जो मेरे साथ काम करती है!

इतने में मैंने अपना तौलिया निकाल दिया और अपनी चूत और बूब्स सर को दिखाने लगी.

मैं- मैं तो उस लेखक को चूत दिखा रही हूँ, जो कुछ देर पहले मुझे चोदने वाला था!

सर ने अपने हाथ को धीरे से बढ़ा कर मेरी चूत पर रख दिया और एक उंगली मेरी चूत में डाल दी.

शैलेश- तुम्हारी चूत बिल्कुल कुंवारी लगती है … कभी चुदाई नहीं की क्या?
मैं- नहीं … आह्ह … सिवाय चूत में उंगली के कुछ नहीं डाला … मैं बिल्कुल कुंवारी हूँ … आह आह्ह …
मैं गर्म सिसकारियां भरने लगी.

सर ने मुझे अपनी तरफ खींचकर अपनी गर्म-गर्म जीभ मेरी चूत में डाल दी.
मैं सर का सिर अपनी चूत में दबाने लगी.

थोड़ी देर में मुझे इतना मज़ा आने लगा कि मेरा खुद पर काबू न रहा. मेरी बॉडी अकड़ने लगी.
मैं- आहह … आहह … आहह …

मेरी सांसें फूलने लगीं.
मैं झड़ गई.

सर का मुँह मेरे पानी से पूरा गीला हो गया.

सर ने लोअर उतार कर अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया.
मैं उसे मसलते हुए मुट्ठी मारने लगी.

तभी सर ने मेरा मुँह दबा दिया.
शैलेश- मुँह में लो इसे आह जोर-जोर से चूसो!

जिस तरह पॉर्न में लड़की लंड चूसती है, उसी तरह मैं भी जोर-जोर से लंड चूस रही थी.
सर का लंड पूरा मेरे मुँह के अन्दर नहीं जा रहा था.

शैलेश- चूस मेरी रानी …. आह जोर जोर से चूस … आज तुझे स्वर्ग दिखाऊंगा आह्ह्ह … उह्ह … ओह्ह्ह … श्श्श्श्श्ह!
मैं- ओह्ह … यह् … उह्ह्ह!

मेरे मुँह में लंड होने की वजह से कुछ साफ आवाज नहीं निकल पा रही थी.

सर ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और मेरी गीली चूत में रगड़ने लगे.

मैं अपनी कमर उठा-उठाकर लंड लेने की कोशिश करने लगी, लेकिन सर लंड चूत में नहीं डाल रहे थे.

मैं- प्लीज, अब मत तड़पाओ न … डाल दो मेरी कुंवारी चूत में अपना लंड … आह बना दो मुझे कली से फूल!
मैं गिड़गिड़ाती हुई सर से निवेदन कर रही थी.

शैलेश- हां मेरी जान, आज इस फूल को पूरा निचोड़ दूँगा!
सर ने नीचे तौलिया बिछाया और मुझे उस पर लिटाया.

जैसे ही उन्होंने अपना लंड मेरी टाइट चूत पर रखकर झटका मारा, शायद 2 इंच ही गया होगा कि मेरी आवाज फट पड़ी.
मैं- आई मर गई आह!

मैं जोर से चिल्लाई.
मेरी कुंवारी चूत की सील आज टूट गई.

मेरी चूत में ऐसा लगा जैसे किसी ने मिर्च डाल दी हो, वह जलने लगी.

मैं सर को बाहर धक्का देने की कोशिश करने लगी और सर ने मेरा मुँह दबाकर मेरी आवाज को दबाने की कोशिश की.

सर ने अपना लंड मेरी चूत में डाले हुए ही मुझे जकड़ लिया और बिना कुछ किए मेरे ऊपर लेट गए.

मैं जोर-जोर से हाथ-पैर पटकने लगी. मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरी जान निकल गई.

थोड़ी देर बाद जब दर्द कम हुआ, तो सर ने वापस एक जोरदार झटका मारा.

मैं- आईईई … श्श्श्श्श्ह्ह!

मुझे लगा जैसे कोई गर्म पैनी तलवार मेरी चूत को चीरती हुई मेरे गर्भाशय तक पहुंच गई.

कसम से इतना दर्द मैंने कभी नहीं झेला था.
शैलेश- बस्स्स हो गया!

सर अब चूत में धीरे-धीरे झटके मार रहे थे.
टप्प-टप्प … टप्प-टप्प की आवाज से पूरा कमरा गूंज उठा.

सर के लंड का टोपा मेरी चूत से रगड़-रगड़ कर अन्दर-बाहर हो रहा था, जिससे बहुत मजा आ रहा था.

मैं- आह्ह … आह … आह्ह … आह्ह!

इतना मजा मुझे पॉर्न देखने में कभी नहीं आया था.
थोड़ी देर की चुदाई में मेरी चूत पानी-पानी हो गई.
‘आ आहह …’

सर ने अपना लंड निकाल कर मुझे डॉगी पोज में आने को कहा.
मैं जैसे ही कुतिया बनी, सर ने पीछे से लंड चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगे.

मैं- आहह … आहह!
शैलेश- ओहह … ओहह … आहह … उहह … श्श्श्श्श्ह्ह!

मुझे इस तरह कुछ देर चोदने के बाद सर नीचे आ गए.

शैलेश- मेरे ऊपर चढ़कर लंड को चूत में डालकर बैठो!
मैं- ओके … आह आपने मेरी जान निकाल दी मेरे दिलवर आह!

मैंने वैसा ही किया.
लंड पर उछलने के साथ ही मेरे दूध हवा में उछलने लगे.

मेरे 34 साइज के बूब्स को सर जोर-जोर से मसल रहे थे.
कभी मेरी गांड पकड़कर मुझे उछाल रहे थे.

शैलेश- गांड उछालो लंड पे … आह!
मैं- आह्ह … आहह … आह!

शैलेश- ओहह … आहह … उह्ह! जोर-जोर से उछलो! मजा आ रहा है न?
‘हआह हां आह मजा आ रहा है!’

देसी चूत फक करने में अब पूरा कमरा चुत लंड की पट पट और मेरे कंठ से निकलती अआह्ह ओह्ह की आवाजों से गूंज रहा था.

मैं- बहुत ज्यादा मजा आ रहा है सर आह … चोदो और तेज चोदो मुझे आह आह!
शैलेश- उछलती रहो मेरी रंडी आह आह.
मैं- आहह … आहह … आहह … आह्ह् … आह्ह्ह्!

बहुत देर तक चुदने से मेरी चूत में जलन होने लगी थी.
मैं लंड पर उछलती हुई बस यही सोच रही थी कि कब सर का लंड पानी निकालेगा.

हमारी चुदाई को लगभग 40 मिनट से ऊपर हो गए थे.
शैलेश- मेरा निकलने वाला है ओहह … ओहह … श्श्श्श्श्ह्ह!

सर अपना लंड चूत से निकालने ही वाले थे कि मेरे मुँह से निकल गया.

मैं- मुझे आपके लंड के वीर्य की गर्मी अपनी चूत में महसूस करनी है! मेरे अन्दर ही निकाल दो! मैं आई-पिल ले लूँगी!
शैलेश- ठीक है ओहह … ओहह … श्श्श्श्श … ओहह … श्श्श्श्श्ह!

सर के लंड की पिचकारी मेरी जख्मी चूत में मलहम की तरह काम कर रही थी. इतनी देर की चुदाई के बाद मैं बहुत थक गई थी.

मैं बिस्तर पर पड़े तौलिये को देखा, वह पूरा खून से सना हुआ था.

मुझमें उठने की हिम्मत नहीं थी.
मैं सर से लिपट कर सो गई.

करीब एक घंटे बाद सर मेरी गांड में उंगली डालने लगे.
मुझे दर्द हुआ तो मैं उठ गई.

मैं सर को मना करने लगी.
शैलेश- तुम्हारी गांड बहुत मस्त है! इसे देखकर ही लंड खड़ा हो जाता है!

मैं- सर आज ही तो आपने मेरी चूत तो चोदी है. किसी और दिन गांड मार लेना. मुझे बहुत दर्द हो रहा है!

शैलेश- मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया है!
मैं- मेरी चूत में डालकर फिर से मुझे चोद दो!
शैलेश- ठीक है!

सर ने मुझे फिर से चोदना शुरू कर दिया.
उस रात सर ने मुझे तीन बार चोदा.

अगले दिन सुबह मैं चल भी नहीं पा रही थी.

सच कहूँ तो उस रात की चुदाई आज भी याद आती है तो मन तड़प उठता है.

उसके बाद हम दोनों कई बार मिले.
आज मैं शादीशुदा हूँ.
लेकिन जो शारीरिक सुख सर से मिला, वह मुझे अपने पति से नहीं मिला.

शायद इसी वजह से इतनी सारी लड़कियां और औरतें शैलेश सर से सेक्स करना चाहती हैं.

देसी चूत फक स्टोरी पर आप अपनी राय जरूर बताएं.
गूगल चैट और ईमेल आईडी नीचे लिखी है.
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