रंडी सेक्रेटरी की नमकीन लौंडिया की पलंगतोड़ चुदाई- 1
(Desi X Kahani)
देसी X कहानी में एक सेठ अपनी सेक्रेटरी को रखैल बनाकर रखता था. एक दिन वह बीमार हो गयी तो उसके स्थान पर उसकी जवान बेटी काम पर आई.
नमस्कार दोस्तो, मैं आपका मित्र मानस फिर एक बार से आपके सामने एक नयी सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.
मुझे आशा है कि ये देसी X कहानी भी आप सभी को जरूर पसंद आएगी.
रतन आज बहुत ही व्यस्त थे क्योंकि कुछ बड़े व्यापारी अगले ही दिन उनके फैक्ट्री में बने उत्पादन की जांच करने आने वाले थे.
सुबह से ही उन्होंने अपने सारे कर्मचारियों को डांट लगा दी थी कि अगर कोई गड़बड़ी हुई तो उनको अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा.
बेचारी 50 साल की आयज़ा बदन में बुखार होते हुए भी सारे कागजात और उत्पादनों की सूची तैयार करने में लगी थी.
चूंकि वह अपने घर की इकलौती कमाने वाली थी इसलिए बिना किसी शिकायत के वह भी अपनी नौकरी बचाने में लगी थी.
वैसे कहने तो आयज़ा रतन की सेक्रेटरी थी, पर सच्चाई ये थी कि पति के देहांत के बाद रतन ने उसे अपनी रखैल बना कर रखा हुआ था.
दिन भर की भागदौड़ में आयज़ा का बदन बुरी तरह से तप रहा था, हाथ-पांव में बिल्कुल भी जान नहीं थी और आखिरकार वही हुआ जो होने वाला था.
थरथर कांपती हुई आयज़ा जमीन पर गिर पड़ी.
उसका बदन बिल्कुल आग की तरह जल रहा था और सांस तो लगभग रुक चुकी थी.
अचानक उत्पन्न हुई इस आपातकालीन परिस्थिति से रतन भी परेशान हो गया.
आयज़ा को सहारा देते हुए उसने और कुछ कर्मचारियों ने रतन के कमरे में एक सोफे पर लिटा दिया.
आयज़ा की हालत देख कर सब लोगों ने सलाह दी कि उसको अस्पताल में भर्ती किया जाए ताकि उसका सही तरीके से उपचार हो सके.
रतन ने भी बात को समझते हुए वाहन चालक को बुला लिया और बाकी कर्मचारी की मदद से आयज़ा को अपनी गाड़ी में लिटाया.
रतन खुद पीछे बैठा और उसने आयज़ा का सर अपने गोदी में ले लिया.
सर पर हाथ घुमाते हुए उसने आयज़ा के प्रति अपने प्यार की स्वीकृति दे दी.
भले आयज़ा उसकी रखैल थी, जो बस उसकी वासना की प्यास बुझाने वाली औरत थी, पर सच तो ये था कि रतन आयज़ा से सच्चा प्यार करता था.
आयज़ा की हालत देख कर उसे बड़ी चिंता हो रही थी और ये बात आयज़ा ने झट से पहचान ली.
रतन का हाथ अपने हाथ में लेकर वह बोली- अरे सर, आप मेरी चिंता मत करो, कल तक सब ठीक हो जाएगा … आप बस काम और दफ्तर संभालो, वहां आपकी ज्यादा जरूरत है!
रतन ने भी आयज़ा का माथा सहलाते हुए कहा- बात तो सही है आयज़ा जी, पर ये कागजात का काम आप से बेहतर कौन कर पाएगा? बाकी तो बस नाम के लिए डिग्री लेकर घूम रहे हैं, निकम्मे हैं सब साले!
यही सब बातें करते हुए अस्पताल आ गया.
आयज़ा को भर्ती करते हुए चिकित्सक ने कहा- आयज़ा को बुखार की वजह से भारी कमजोरी है और कुछ दिन वहीं रहना होगा.
ये सुनकर रतन चिंतित हो गया क्योंकि अगर कागजात का काम नहीं हुआ तो उसे भारी नुकसान हो सकता था.
आयज़ा ने उसकी मनोदशा समझते हुए झट से अपना मोबाइल निकाला और अपनी बेटी इसरा को कॉल किया- हां बेटी, कहां हो?
इसरा- अरे कहां जाऊंगी अम्मी … घर पर ही हूं. आपने खाना खाया कि नहीं और दवाई?
आयज़ा- अरे नालायक कितने सवाल पूछेगी? सुन, जल्दी से मेरे दफ्तर आजा कुछ काम है … वह सब आज के आज ही पूरा करना है और इसकी जिम्मेदारी तेरी है.
इसरा- अरे अम्मी यार, मैं कैसे कर सकती हूं? और ये इतना काम क्यों करवाता है आपका खड़ूस बॉस?
आयज़ा गुस्से से दहाड़ी- खबरदार अगर तूने सर के खिलाफ एक शब्द भी कहा तो जबान काट दूंगी तेरी … जितना बोला है उतना कर … पढ़ी-लिखी होकर गंवार मत बनो, समझी?
जैसे ही आयज़ा ने फोन काटा तो उसका गुस्सा देख कर रतन भी कांप गया और उसे समझ आ गया कि अब आयज़ा के बदले उसकी बेटी काम पूरा करेगी.
सच मानो तो इसरा का नाम सुनकर रतन के लौड़े में चिंगारी लग चुकी थी.
वह तो कबसे मौका ढूंढ रहा था इसरा की जवानी का रस पीने के लिए.
इसरा भी कम नहीं थी.
एक तो उस कुतिया ने भाग कर शादी की थी और ऊपर से दो महीनों में ही अपने पति को छोड़ कर वापिस आ गई थी.
लोग तो ये भी बोलते थे कि पैसों के लिए इसरा किसी से भी चुदवा लेती थी और उसे शराब की आदत अलग से थी.
इसरा की असलियत रतन को पता थी पर उसे कौन सी उस रंडी से शादी करनी थी?
वह तो बस इसरा का गदराया बदन मसलने की सोच रहा था.
पिछले 15 साल से उसने आयज़ा का भरा हुआ बदन रगड़-रगड़ कर पिलपिला कर दिया था.
आयज़ा ने भी पति के बाद पैसे और बदन की आग बुझाने के लिए रतन का भरपूर उपयोग किया था.
रतन के काले लंबे लौड़े ने तो आयज़ा पर जादू कर दिया था.
फिर चाहे घर हो या दफ्तर, जहां मौका मिला … दोनों अपनी हवस मिटाने में कोई कसर नहीं छोड़ते.
आयज़ा को गुस्सा करते देख वह बोला- अरे क्यों उस बेचारी पर गुस्सा करती हो? कोई और देख लेगा … तुम चिंता मत करो और अब लेट जाओ, आराम करो!
आयज़ा ने बड़े प्यार से कहा- अरे सर, अब आप से क्या छुपाना? आप तो सब जानते ही हो? बड़ी बदचलन लड़की है. कोई काम-धाम तो है नहीं, दिन भर घर पर पड़ी रहती है. इतनी पढ़ी है, कोई नौकरी भी नहीं करती. अब आप ही बोलो, क्यों ना गुस्सा करूं?
आयज़ा को शांत करते हुए रतन बोला- चलो ठीक है … आने दो उसको. बाकी का मैं देख लूंगा. अरे पर तुमने बताया नहीं तुम यहां हो, तो उसको चिंता होगी तुम्हारी?
आयज़ा ने हंसकर कहा- तो आप बता देना मेरे बलमा … और वैसे भी मेरी ये हालत आपकी वजह से ही तो हुई है!
रतन ने चौंकते हुए पूछा- ये क्या बात हुई? मैं कितनी चिंता करता हूं तुम्हारी? बताओ, कभी किसी चीज की कमी हुई है तुम्हें?
आयज़ा फिर हंस पड़ी और उसने अपना एक हाथ रतन की पतलून के ऊपर से घुमाते हुए उसका लौड़ा पकड़ लिया- और नहीं तो क्या … पूरा एक हफ्ता हो गया एक बार भी आपके इसे लौड़े ने मेरे भोसड़े की खबर तक नहीं ली. आपको तो पता है ना, आपकी रंडी का भोसड़ा कितना प्यासा रहता है आपके लौड़े के लिए!
रतन ने अस्पताल के कमरे का दरवाजा बंद देख कर बोला- साली रंडी, अब तो सुधर जा भोसड़ी की कुतिया … तुझे चोद-चोद कर तेरी चूत का भोसड़ा बनाया है मैंने … बहन की लवड़ी तेरे पति से ज्यादा तो तू मेरे लौड़े से चुदी है छिनाल!
अस्पताल में भर्ती होते ही आयज़ा को एक दवाई दी गई थी, जिस कारण उसका बुखार कुछ कम हुआ था.
पर शरीर की कमजोरी को ध्यान में रखते हुए उसने कहा- पता है मेरे पतिदेव, मेरे जैसी रंडी को बस आप ही ठंडी कर सकते हो … और जब ठीक हो जाऊंगी तो सबसे पहले ये रंडी आपके बिस्तर पर आपको नंगी मिलेगी … यह वादा रहा मेरी जान!
यहां आयज़ा तो चुदवाने के लिए तरस रही थी, पर रतन का लौड़ा अब आयज़ा को नहीं बल्कि उसकी जवान बेटी इसरा की चूत का प्यासा था.
कुछ देर आयज़ा से बात करके वह दफ्तर निकल गया, पर उसके मस्तिष्क में यही चल रहा था कि कैसे वह इसरा को अपने लौड़े के नीचे ला सके.
जैसे ही वह दफ्तर पहुंचा तो उसने सलवार-कमीज पहनकर खड़ी इसरा को देखा.
उसके उठे हुए दूध देख कर एक बार को तो रतन को लगा कि वह वहीं इसरा को नंगी करके चोद दे.
पर कल आने वाले व्यापारी और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसने अपनी भावनाओं को अपने अन्दर समेट लिया.
सीधे अपने कमरे में जाते हुए वह अन्दर से इसरा की जवानी आंखों से चोदने लगा.
इसरा की उभरी हुई गांड और उसकी मांसल ठोस चूचियां देख कर उसका लंड टनटना गया.
तभी उसे याद आया कि उसने अभी तक इसरा को आयज़ा के बारे में कुछ बताया ही नहीं.
चपरासी को आवाज लगाते हुए उसने इसरा को कमरे में बुलवा भेजा और एक हाथ से अपना फनफनाता लौड़ा कच्छे में दबा लिया.
इसरा अन्दर आती हुई बोली- नमस्ते सर … कैसे हैं आप? और अम्मी कहीं दिखाई नहीं दे रही हैं?
रतन की नजरें इसरा की जवानी से भरा हुआ शरीर नाप रही थीं.
पर इसरा के सवालों ने उसे होश दिलाया, वह बोला- देखो चिंता की कोई बात नहीं है … पर अभी आयज़ा जी अस्पताल में हैं क्योंकि सुबह उनको बुखार की वजह से चक्कर आ गया था. मैं अभी वहीं से आ रहा हूं. बस दो दिन की बात है और फिर उनको घर भेज देंगे!
इसरा अपनी अम्मी की तबीयत को लेकर चिंतित तो हुई पर उसने रतन के सामने कुछ ज्यादा सवाल-जवाब नहीं किए.
बातों-बातों में उसने सारा काम समझ लिया और रतन को आश्वस्त किया कि चाहे कितनी भी देर लग जाए, वह आज सारा काम करके ही घर जाएगी.
इसरा को रतन और अम्मी आयज़ा के बारे में सब पता था पर वह चुप थी क्योंकि उसे पता था कि उसका घर रतन की वजह से चल रहा है.
वैसे भी बाप के जाने के बाद रतन ने ही उनको सहारा दिया था और एक औरत होने के नाते वह जानती थी कि पैसों के अलावा भी कुछ जरूरतें ऐसी होती हैं, जिसे सिर्फ एक मर्द ही पूरा कर सकता है.
सारे दस्तावेज लेकर वह कमरे से बाहर जाने के लिए मुड़ी तो रतन की नजर इसरा की चौड़ी गांड पर ठहर गई.
इसरा जैसी खाई-खेली रंडी ने भी रतन की नजर पढ़ ली और मन ही मन खुश होकर वह गांड मटकाती हुई बाहर निकल गई.
इसरा के मन में भी ये बात चल पड़ी कि तो क्या हुआ कि रतन उसकी बाप की उम्र का है … और उसकी अम्मी आयज़ा उसकी रखैल है?
इसरा को बस चुदाई और पैसा ही दिख रहा था.
कुछ देर के बाद वह फिर से रतन के कमरे में आ गई और बोली- सर, क्या मैं यहीं आपके कमरे में काम कर लूं? बाहर बहुत ही शोर-शराबा है और ठीक से काम में ध्यान ही नहीं लग रहा है.
रतन की तो मानो दिन में दिवाली हो गई … उसने खुशी से इसरा को अपने कमरे में काम करने की अनुमति दे दी.
इसरा ने भी कमरे में बने मेज पर अपना सारा सामान रखा.
फिर जान-बूझकर उसने अपना दुपट्टा निकाल दिया.
दुपट्टा हटते ही उसकी मादक ठोस चूचियां देख रतन का खून और लौड़ा दोनों गर्म होने लगे.
इसरा जैसी रंडी को अच्छे से पता था कि कैसे मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करना है और उसका ये दांव काम कर गया.
रतन जान-बूझकर उसके पास आकर खड़ा हुआ, अपना शरीर इसरा से बिल्कुल सटाते हुए वह उसके आधे नंगे चूचों को घूरने लगा.
इसरा ने भी रतन के मन की बात समझ ली और चोर निगाहों से उसने रतन की पतलून के उभरे हुए हिस्से को देखा.
उस 50 साल के आदमी का फूला हुआ हिस्सा देख इसरा सिहर गई.
अपनी कुर्सी उसने अब इसरा की कुर्सी से सटा दी और काम समझाने के बहाने उसकी चूचियों पर अपनी कोहनी रगड़ने लगा.
इसरा कहां पीछे हटने वाली थी.
उसने भी अपने चूचे खुल कर बॉस की कोहनी पर रगड़ना चालू कर दिए.
इसी के साथ साथ उसका एक हाथ रतन की जांघ पर भी घूमने लगा.
दोनों ने बिना कुछ बोले एक-दूसरे के मन की बात जान ली.
देर ना करते हुए रतन ने दरवाजा बंद किया और बाकी कर्मचारियों को उनका काम करने की ताकीद दी.
इसरा के पास आते ही उसने झुक कर इसरा का मुँह हाथों से पकड़ा और बेतहाशा उसे चूमने लगा.
पर जगह और परिस्थिति का ध्यान रखते हुए इसरा ने उसको रोका.
मादक अंगड़ाई लेती हुई वह बोली- सर, जरा आराम से … यहां सब लोग हैं और काम भी ज्यादा है … पर आज रात को मैं पक्का आपके आगोश में आ जाऊंगी!
रतन ने भी समय को देखते हुए कहा- यार, पर इस खड़े लौड़े का क्या करूं? साला तेरे जैसी रंडी दिखी नहीं कि खड़ा हो जाता है?
इसरा शर्माती हुई बोली- अगर मेरी जगह आपकी छम्मक-छल्लो आयज़ा होती तो वह क्या करती?
इसरा के मुँह से आयज़ा का नाम सुनकर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ.
तो इसरा बोली- मुझे सब पता है सर … मैंने तो कई बार आपको देखा है, रात भर आप अम्मी को पटक-पटक कर पेलते रहते हो!
अब जब सब भेद खुल ही चुके थे तो रतन भी बिना किसी लज्जा से बोला- वह होती तो दरवाजा बंद करके आती और मेरा लंड चूस-चूस कर इसका सारा रस पी जाती … बड़ी गर्म औरत है तेरी अम्मी और तू कितनी गर्म है, ये तो तुझे ही दिखाना पड़ेगा!
इसरा को ऐसे लगा जैसे रतन उसकी जवानी को चुनौती दे रहा है.
अब उसे दिखाना ही पड़ेगा कि वह अपनी अम्मी से भी ज्यादा गर्म रंडी है.
दोस्तो, आपको मेरी इस सेक्स कहानी में मजा आ रहा होगा, ऐसी उम्मीद है.
देसी X कहानी पर आप मुझे अपने विचारों से जरूर अवगत कराएं.
[email protected]
देसी X कहानी का अगला भाग:
What did you think of this story
Comments