प्राइवेट सेक्रेटरी की रसीली चूत का मजा- 3

(Hot Lady Train Fuck Story)

मानस यंग 2022-10-04 Comments

हॉट लेडी ट्रेन फक़ स्टोरी मेरी प्राइवेट सेक्रेटरी की चुदाई की है चलती गाड़ी में! मैंने उसे कूपे में पूरी नंगी करके अलग अलग आसनों में चोदा. आप पढ़ कर मजा लें.

दोस्तो, मैं विराज आपको सलमान की बीवी रेशमा की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के दूसरे भाग
प्राइवेट सेक्रेटरी के साथ ओरल सेक्स
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने रेशमा की संकरी सी चूत में अपना मूसल लौड़ा पूरा पेल दिया था.
रेशमा बेहोश सी हो गई थी.

अब आगे हॉट लेडी ट्रेन फक़ स्टोरी:

उसके होंठ चूसते हुए मैंने बर्थ के बाजू की टेबल पर रखी पानी की बोतल उठाई और उसके मुँह पर पानी छिड़का.
इससे रेशमा धीरे धोरे होश में आने लगी.

होश में आते ही उसने मुझे घूरते हुए गुस्से से देखा.
तो मैंने भी अपनी ग़लती मानते हुए आंखों से ही उसकी माफ़ी मांग ली और उसके मस्तक पर प्यार से हाथ फेरते हुए मैंने उसका माथा चूमा.

रेशमा को देख कर मैंने कहा- माफ कर दे जानेमन, पर क्या करूं तेरी फुद्दी मेरे लौड़े का कहा मान ही नहीं रही थी, साली को सबक सिखाने का मन कर रहा था. अब देख कैसे इस रंडी ने मेरे लौड़े को कसके गले से लगा लिया है.

मेरे ऐसे कामुक और नटखट बोलने से रेशमा दर्द में भी हल्के से मुस्कुरा दी.
मैं भी हल्के हल्के धक्के देते हुए उसकी चूत को मेरे लंड से परिचय करवाने लगा.

रेशमा की सिसकारियां फिर से कूपे में आने लगीं.
गीली चूत ने लौड़े की गर्मी से ख़ुश होकर खुद अपने आपको खोलना चालू कर दिया.

कुछ ही देर में लंड बिना किसी दिक्कत के रेशमा की तंग चूत में अन्दर बाहर होने लगा और मेरे हर धक्के की गति अब तेज होने लगी.
रेशमा की हिलती हुई चूचियां अपने हाथ में लेकर मैंने एक को चूसना चालू किया.

भूरे गुलाबी रंग के चूचुक मुँह में लेकर मैं उसको हल्के हल्के से काटने लगा और रेशमा अब फिर से तपने लगी.
उसकी ऊपर उठती गांड बता रही थी कि उसे भी मेरे लौड़े से चुदवाने में मजा आ रहा है.

मैंने भी उसको भड़काने और गर्माने के लिए कहा- क्या जानेमन, अब तो खुद अपनी तशरीफ ऊपर नीचे कर रही हो? कैसे लगा बता न रंडी?
आंखें बंद करके चुदवाने वाली रेशमा ने आंखें खोल मेरी तरफ देख कर कहा- अब ऐसे ही लगे रहो वीरू जी, आज ऐसे चोदो की सारी अकड़ निकल जाए मेरी कुतिया चूत की.

मैं भी अब पूरे जोर से उसकी चूत पर टूट पड़ा. मैं लौड़े को इतना अन्दर तक दबाता कि सुपारा उसकी बच्चेदानी को रगड़ कर बाहर आने लगा.

‘आआहह उहह वीरू जी …’ जैसे कामुक सीत्कार रेशमा के मुँह से बाहर आने लगे.
फुद्दी से निकलता रस मेरे लौड़े के ऊपर सफ़ेद रंग की परत जमा करने लगा.

बहुत दिन से संभोग सुख से वंचित रेशमा की चूत मेरे लौड़े पर अपना पानी बहा कर मुझे धन्यवाद दे रही थी.
कभी उसके चूचुक चूसते हुए, काटते हुए, तो कभी उसकी गर्दन और कान की लौ चूसते हुए मैंने रेशमा को जोर जोर से रगड़ना ज़ारी रखा.

मैंने रेशमा का गला पकड़ते हुए उससे कहा- आअह साली रंडी रेशमा मेरी रांड, क्या मस्त फुद्दी है तेरी, आज के बाद ऐसे ही तू मेरे लौड़े के नीचे लेटना, फिर देख कैसे मजे से चोदूंगा तुझे मेरी जान.

रेशमा के ऊपर से अब मैं थोड़ा खड़ा हो गया और घुटनों के बल बैठ कर उसकी चूत का भोसड़ा बनाना चालू रखा.
तेज धक्कों के साथ उसकी हिलती हुई चूचियां देख कर मैं उसको जोर जोर से थप्पड़ लगाने लगा, तो कभी उसके दूध जोर से मसल देता.

रेशमा भी ‘आआहह उह हम्म्म्म और जोर से … और जोर से वीरू जीईई …’ बोल बोल कर मेरा जोश बढ़ा रही थी.

उसकी रंडी चूत मेरे लौड़े से किसी बाजारू रंडी की तरह चुदवा रही थी.
मेरी तेज गति से रेशमा के चूत का पानी फिर से बहने लगा.

‘आआहहह अम्म्मीई ईई’ की पुकार देती हुई रेशमा ने मेरे हाथ को जोर से पकड़ लिया.

पूरी गांड ऊपर उठाते हुए उसने मुझे चुदाई रोकने का इशारा किया क्यूंकि उसे मेरे लौड़े से चुदवाते हुए झड़ने का असीम आनन्द जो लेना था.

शायद ये मजा, ये सुख उसे अपने खसम सलमान के लंड से कभी नहीं मिला था.

मैंने भी रेशमा के मन की बात समझते हुए बिना धक्के लगाए बस लंड को पूरा उसकी चूत में दबाकर रखा.
झड़ते हुए उसके शरीर की थरथराहट देख मुझे मजा आ रहा था.

उसके शरीर पर मैंने काटने के निशान बनाए थे, उससे उसका बदन और ख़ूबसूरत लग रहा था.
धीरे धीरे रेशमा शांत होती चली गयी और मैंने एक ही झटके में मेरा लौड़ा उसकी फुद्दी से बाहर खींच लिया.

मुझे हर बार ऐसे करने में मजा आता है क्यूंकि औरत की चीख सुनकर मुझे बड़ा मजा मिलता था.
रेशमा ने भी ‘आह अम्मी …’ चिल्लाती हुई अपने हाथ से चूत दबा दी और वो फिर से गुस्सैल रंडी की तरह मुझे घूरने लगी.

पर मैंने उसके बाल खींच कर उससे कहा- साली तू घूरती बहुत है रंडी, झुक जा अब मां की लौड़ी … अब तेरी गांड का नगाड़ा बजाता हूँ.
रेशमा को लगा कि मैं उसकी गांड का छेद भी आज ही खोलने जा रहा हूँ, इसलिए उसने दया के भाव अपनी आंखों में लाते हुए मेरी तरफ ऐसे देखा, जैसे गुजारिश कर रही हो कि गांड चुदवाने से उसको परहेज है.

मैंने भी उसके मन की बात समझ ली और बोला- गांड अभी नहीं मारूंगा जान, वो तो मुंबई में जाकर ही फटेगी. अब बस पीछे से चोदूंगा, बड़ी मस्त गदरायी गांड है तेरी.
रेशमा ने हल्के से मुस्कुराया और खुद पलट कर मेरे सामने झुक कर कुतिया बन गयी.

बर्थ को अपने हाथ से पकड़ती हुई वो मेरे सामने अपनी गांड के दीदार करवा रही थी.
गोरी गांड के दोनों चूतड़ों पर बारी बारी से जोर से चांटा मारते हुए मैं बोला- साला भोसड़ी का सलमान, क्या नसीब वाला है, जो ऐसी भरी हुई औरत मिली है … पर मादरचोद नामर्द ही निकला भोसड़ीवाला.

मेरे बात पर खिलखिलाकर हंसती हुई रेशमा बोली- वीरू जी, वो कहावत तो सुनी होगी आपने … लंगूर के हाथ में अंगूर?

मैंने भी उस बात पर हंसते हुए उसकी गांड को सहलाना चालू कर दिया.
मेरा लौड़ा उसकी चूत के पानी से अब भी गीला था.

एक हाथ से चूतड़ फैलाते हुए मैंने दूसरे हाथ से अपना गुर्राता लंड उसकी फुद्दी पर लगाया और हल्का धक्का देकर उसकी चूत में घुसा दिया.
‘आहहह वीरूजीईई …’ कहती हुई रेशमा अब खुद और आगे झुक गयी.

मैं अपने धक्कों की गति बढ़ाते हुए फिर से उसकी चूत चोदने लगा.
आगे झुकी होने के कारण रेशमा की चूचियां भी जोर जोर से हिल रही थीं.

मैंने अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और पेट की और से नीचे ले जाते हुए उसके एक दूध को जोर जोर से दबाने लगा.
दूसरे हाथ से मैंने रेशमा की गांड के ऊपर की चर्बी अपनी मुट्ठी में भर ली.

उस समय जोर जोर से मेरी जांघें उसकी गांड पर लग रही थीं. इससे थप थप की आवाज जोर पकड़ रही थी.

‘आअहह हह हम्म्म्म अम्म्मीईई …’
उसकी करहाने की आवाजें सुनकर मैं रेशमा से बोला- साली रंडी, इतना क्यों चिल्ला रही है कुतिया, कहीं बाहरवालों ने सुन लिया तो पूरी ट्रेन छोड़कर यहीं तेरा चुदाई का सिनेमा देखने आ जाएंगे.

इस बात पर रेशमा हंस कर बोली- ऐसे तगड़े धक्के दे रहे हो मेरे मालिक, तो चीख निकलेगी ही ना?

वो बात तो सही कर रही थी.
मैं किसी जंगली सांड की तरह रेशमा को चोदे जा रहा था.

अब मैं अपना दूसरा हाथ भी उसकी चूचों पर ले गया और उसकी चूचियों की मदद से उसके शरीर को अपनी गिरफ्त में ले लिया.
मेरे धक्के से आगे की ओर खिसकने वाली रेशमा को अब आगे जाने को मौका ही नहीं मिल रहा था.

रगड़ रगड़ कर मेरा लंड सलमान की बीवी की फुद्दी चोदे जा रहा था.
चूत से निकल कर रस फिर से बहने लगा था और मेरे लौड़े से होता हुआ अब उसकी मलाई मेरे गोटों पर जाने लगी थी.

मेरी छाती रेशमा की नंगी पीठ पर चिपक गयी थी और मैं उसके कान को तो कभी उसकी गर्दन को चूमते हुए जोर जोर से उसको चोद रहा था.
मेरे हाथों से उसके मम्मे किसी आटे की तरह गुंथे जा रहे थे.

‘आअह साली रंडी क्या मस्त भोसड़ा है तेरा कुतिया, आज से तेरे चूत का असली मालिक हूँ मैं रंडी, उस चूतिये को चोदने दिया तो मां चोद दूंगा तेरी …’
ये सब बोलते हुए मैंने उसके कान को हल्के से काट दिया.

‘इस्स हां मेरे मालिक, आज से मेरे बदन को आप ही चोदोगे, मेरे जैसी घरेलू औरत को आप रंडी ही बना देना … आह और जोर से वीरू जीईई … फाड़ दो मेरी चुत.’
उसने भी अब अपना मुँह मेरी तरफ कर दिया और मुझे चूमने लगी.

रेशमा के निप्पल अब तक मैं इतनी बार मरोड़ चुका था कि अब उनके ऊपर सूजन आ चुकी थी.
एक हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ाते हुए मैंने उसकी चूत का दाना उंगलियों से रगड़ना चालू कर दिया.

चूत में लंड और चूत के दाने पर मेरी उंगली का खेल करते हुए मैं रेशमा को ट्रेन के कूपे में पूरी नंगी करके कुतिया बनाकर ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था.
बड़ी देर से मेरे गोटों में उबलता हुआ मेरा वीर्य भी अब धीरे धीरे सुपारे की तरफ बढ़ने लगा था.

लंड को पूरा अन्दर तक दबाते हुए मैंने रेशमा की चूत का दाना अपनी दो उंगलियों में पकड़ा और जोर से बाहर की तरफ खींचते हुए बोला- साली छिनाल रंडी रेशमा … तेरी मां की चूत साली तेरे जैसी घरेलू औरतें ही लंड को ज्यादा मजा देती हैं बहन की लौड़ी … आह ले चुद मेरे लौड़े से हरामन कुतिया.

चूत का दाना बड़ा ही संवेदनशील होता है और औरत को झाड़ने के लिए इस दाने को रगड़ना और सहलाना ज़रूरी होता है.

पर यहां तो मैंने उस कोमल दाने को ऐसे मरोड़ कर बाहर खींचा की रेशमा उस ट्रेन के कूपे में ही मूतने लगी.
आज तक की जिंदगी का उसके लिए ये सबसे बेहतरीन स्खलन था.

उसका शरीर उस स्खलन से बेजान होने लगा और रेशमा बर्थ पर आगे की ओर सरकने लगी.

मेरा एक हाथ अब भी उसके छाती पर था, रेशमा को गिरने से बचाने के लिए मैंने अपना हाथ, जो उसके फुद्दी पर था उसे भी उसके सीने पर ले आया और धीरे से बर्थ पर सुलाते हुए पूरे जोर जोर से चोदने लगा.

उसकी चूत के अन्दर की दीवारें शायद अब जलने लगी थीं.
थरथराता बदन शांत होने का नाम नहीं ले रहा था, पर मेरे सर पर जैसे खून सवार था. मुझे रेशमा की हालत पर जरा भी तरस नहीं आया.

लौड़े से बाहर आने को तड़पने वाला मेरा वीर्य मुझे कैसे भी करके जल्दी ही रेशमा की बंजर बच्चेदानी पर गिराकर उसे हरी भरी करना था.
इसी आवेश में मैं रेशमा के ऊपर अपने बदन का पूरा भार देते हुए पूरी ताकत से आखिरी धक्के लगाने लगा.

बेहोश और बेजान रेशमा के मुँह से उस हालत में भी धीमी धीमी सिसकारियां निकल रही थीं, पर मैं उसकी चिंता किए बिना ही आगे बढ़ता चला गया.
कुछ देर तक उसकी फुद्दी की खाल खींचने के कारण मुझे भी मेरे सुपारे में गुदगुदी होती हुई महसूस हुई.

आखिरी के पांच सात धक्के मैंने ऐसे लगाए कि बर्थ भी खड़खड़ाने लगी और ‘आअहह रेशमा आआ रंडी …’ चिल्लाते हुए मैंने लंड को जितना हो सकता था, उतना अन्दर घुसा कर रखा.
शायद इस बार सुपारा रेशमा की बच्चेदानी चीरता हुआ, उसके अन्दर हो गया था और इसका दर्द रेशमा से बर्दाश्त नहीं हो सका. वो बेहोशी की हालत में भी चिल्लाने लगी.

उसके मुँह पर हाथ रख कर मैंने उसका मुँह बंद किया और मेरे टट्टों में जमा किया हुआ सारा वीर्य सलमान की बीवी रेशमा की चूत में ख़ाली कर दिया.

जब तक लौड़े से आखिरी बूंद नहीं निकल गई, तब तक मैं रेशमा के ऊपर लदा रहा.

उस बेचारी को दर्द पीड़ा का एक नया अहसास दे रहा था. उसे कामसुख की परिभाषा समझाते हुए मैंने मेरा सारा वीर्य उसकी कोख़ में रिक्त कर दिया था.

काफी देर उसके बदन पर पड़े रहने के बाद मेरी सांसें अब काबू में आ चुकी थीं.

मैंने आंखें खोलकर रेशमा की तरफ देखा, तो वो निश्चल होकर सो रही थी और उसकी सांसें आवाज दे रही थीं.
मेरा लंड अब धीरे धीरे मलूल होते हुए उसकी चूत से बाहर की तरफ आने लगा.

मैंने भी खुद अपना लंड बाहर खींचते हुए उसकी चूत को लंड की गिरफ्त से रिहा कर दिया.
जैसे ही सुपारा बाहर आया तो उसके साथ साथ मेरा गाढ़ा चिपचिपा सफ़ेद वीर्य भी उस चूत से नीचे टपकने लगा.

कूपे का नीचे वाला भाग उसकी चूत के पानी से और मेरे वीर्य से गंदा हो चुका था.
मैंने जल्दी से उसे साफ करने के लिए रेशमा को उठा कर बर्थ पर लिटा दिया.

रेशमा का बुरका उठाकर मैंने नीचे के फर्श पर पड़ा माल साफ किया, तब तक रेशमा ऐसे ही नंगी सो रही थी.
हालात से बेख़बर अपनी वासना की आग को ठंडी करके किसी मासूम बच्ची की तरह वो सपनों की दुनिया में खो चुकी थी.

मैंने भी फटाफट सब साफ करके अपने कपड़े पहन लिए.
नंगी सो रही रेशमा को जगाते हुए और उसको होश में लाने के लिए मैंने उसके मुँह पर पानी फेंका.

घमासान चुदाई की सारी निशानियां उसके बदन पर स्पष्ट दिखाई दे रही थीं.
होश में आते ही खुद को नंगी देख कर वो शर्मा गयी और वैसे ही मुझसे लिपट गई.

मौके की नजाकत समझते हुए मैंने भी उसको अपने आगोश में ले लिया और उसको कपड़े पहनकर बाहर ले आया.

एक दूसरे की बांहों में हम कुछ देर ऐसे ही पड़े थे कि तभी कुछ खाने का सामान लेकर पैंट्री के कर्मचारी की आवाज सुनाई दी.

चूत और लौड़े की भूख मिटाने के बाद अब फिर से हमारे पेट में चूहे दौड़ रहे थे और ठीक उसी समय पर आए उस कर्मचारी से सामान लेकर उसे पैसे देकर दफ़ा कर दिया.

अब मैंने रेशमा को हर निवाला अपने हाथों से खिलाया. मेरे दोनों रूप देख रेशमा भावविभोर होकर ख़ुशी के आंसू बहाने लगी.

जैसे तैसे मैंने उसको शांत करते हुए पूरा खाना खत्म किया और उसको ऐसे ही अपनी बांहों में लेकर सो गया.

सुबह मेरी नींद खुली तो रेशमा के जगाने से- चलिए मेरे मालिक, मैं आख़िरकार मुंबई आ गयी, अब तो मैं खूब मजे करूंगी.
उसको अपनी बांहों में खींचते हुए मैंने कहा- सिर्फ तुम ही मजे करोगी या हमें भी मजा दोगी?

मेरे होंठों पर चुम्बन देते हुए रेशमा ने मेरा चेहरा अपने हाथ में लिया और बोली- ये खुशियां आप ही की वजह से मिली हैं वीरू जी, अब तो जान भी मांग लो, दे दूंगी.

हम करीब चार दिन मुंबई में रहे.
रेशमा अपनी जिंदगी की खुशियां लेती हुई मुझे भी अपनी जवानी का मजा दे रही थी.

चार दिन उसने ना तो सलमान से बात की और उसका नाम लिया.
इन चार दिनों में क्या क्या हुआ ये जरूर लिखूंगा, पर मेरी अगले सेक्स कहानी में … वो भी रेशमा की जुबानी में.

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तब तक के लिए नमस्कार.
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