जीना इसी का नाम है-2

(Jeena Isi Ka Naam Hai-2)

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अनीता के घर से लग रहा था कि वो अपर मिडल क्लास को बिलोंग करती है, अनीता का कमरा ऊपर था, वो सीढ़ियाँ चढ़ने के लायक नहीं थी, मैंने उसे सहारा दिया, उसको खड़ा करके उसका एक हाथ अपने गले में डाला और अपना एक हाथ उसकी कमर में डाला, फिर उसको लेकर सीढ़ियाँ चढ़ने लगा।
उसका नरम बदन मेरे शरीर से रगड़ रहा था, उसकी जांघों तक नंगी टांगें मेरी टांगों से रगड़ रही थी, उसके गाल मेरे गालों को टच कर रहे थे और उसके आधे खुले बूब्ज़ मेरी छाती से दब रहे थे, मेरा एक हाथ आलरेडी उसकी खुली पीठ लपेटे था और मेरे पंजा उसके चिकने गोरे पेट पर था, बहुत मजा आ रहा था, लंड टाईट हो गया था, मैं सोच भी नहीं सकता था कि अनीता को इस तरह टच करूँगा।
चलते वक्त मैं उसको थोड़ा जोर से भींच लेता था, वो मदहोश थी। मुझे इतना मजा आ रहा था कि लग रहा था कि पैंट में ही छुट हो जाएगी।

घर आकर सबसे पहले सारे कपड़े उतार क़र पलंग पर बैठा, लंड को जैसे ही हाथ में लिया मजा आ गया, मैं अनीता का नाम लेकर जोर जोर से मुठ मारने लगा- अनीता… मेरी जान हाय… एक बार चुद जाओ… एक बार चुद जाओ…हाय…हाय… अह.. अह..अह.. अह… अह… एक बार मेरा लंड अपनी चूत में डलवा लो प्लीजज…
लंड ने जोर से पिचकारी छोड़ी और थोड़ी देर तक झटके मारता रहा, इससे पहले मुझे मुठ मारने में इतना मजा कभी नहीं आया था।

दूसरे रोज अनीता का फ़ोन आया, उसने कहा- कल मेरे कारण तुम्हें जो तकलीफ उठानी पड़ी, उसके लिए सॉरी…

इस घटना के 14-15 दिन बाद मेरे बॉस ने दोपहर 1.00 बजे मुझे बुलाया, बोले- अपने यहाँ जो USA से गवर्नमेंट ऑफिसर आये हैं, आज वीकेंड मनाने खामला हिल पर गए हैं, कल सन्डे है, वो वहीं पर रहेंगे, पर वो अपना लैपटॉप मीटिंग रूम में ही भूल गए हैं, संतोष कार का काम कराने ले गया है, तुम बस से निकल जाओ, खामला यहाँ से 150 Km है 4-5 घंटे में पहुँच जाओगे, वहाँ जाकर सरकारी गेस्ट हाउस में उन्हें लैपटॉप दे देना और शाम की बस वहाँ से 8 बजे निकलती है, उससे वापस आ जान! कल सन्डे है, रात में देर भी हो गई तो कल छुट्टी ही है।

मैंने हामी भर दी।
बाहर आकर मैंने सोचा बस से तो बहुत देर हो जाएगी, क्यों न मैं बाइक से निकल जाऊँ, खामला हिल स्टेशन है, रास्ते में पहाड़ी टर्न पर बाइक चलाने में मजा आएगा और खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलेंगे, उधर जंगल का भी मजा आएगा।
यह सोच मैंने लैपटॉप का बैग पीठ पर बांधा और अपनी रेसिंग बाइक चालू की। थोड़ी देर बाद मेरी बाइक हवा से बातें करने लगी।
रास्ते का मजा लेते हुए मैं खमाला रेस्ट हाउस पहुँचा, वहाँ मेरी मुलाकात फिर अनीता से हो गई जो गेस्ट लोगों के साथ में ही थी और उनका वीक एन्ड पर साथ देने आई थी।

अनीता ने मुझे बताया- मैं इन लोगों के साथ दिन भर से पक रही हूँ अब मैं भी वापस जा रही हूँ पर कल मुझे यहाँ फिर आना पड़ेगा। साले मुझे छोड़ नहीं रहे थे, पिताजी की बीमारी का बहाना बना कर जा रही हूँ।

यह कह कर अनीता अपने होटल की कार में उसके ड्राईवर के साथ चल दी।
मैंने अनीता की कार के पीछे अपनी बाइक लगा दी। कुछ दूर जाने के बाद पता चला कि ट्रेफिक जाम था, हमें गाड़ी रोकनी पड़ी, आगे पुल के पास की टर्निंग में कोई ट्रक पलट गया है, इससे आवाजाही रुक गई है, पुल के दोनों तरफ भारी मात्र में वाहन फंसे हुए हैं।
जानकारी यह मिली की 6-7 घंटे तक ट्रेफिक नहीं खुल सकता, पुलिस भी आने वाली है।

अनीता कार से उतर कर मेरी बाइक के पास आ गई, बोली- सौरभ, अब क्या करें?

मैंने कहा- पीछे जो ढाबा दिख रहा है, वहीं चल कर बैठते हैं।

मैं अनीता का ड्राईवर और अनीता तीनों ढाबे पर जाकर बैठ गए, अनीता का सिगरेट पीना फिर चालू हो गया, उसने चुस्त गहरे नीले रंग की जींस पहन रखी थी, ऊपर एक पतले कपड़े का छोटा शर्ट था जो उसकी नाभि के ऊपर तक ही था, यहाँ से जींस तक का हिस्सा ओपन था, उसके शर्ट का कपड़ा इतना झीना था कि उसमें से उसका ब्लाउज और वक्ष का उभार साफ दिख रहा था।
मेरा दिमाग खराब होना शुरू हो गया।

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हम लोगो ने ढाबे पर चाय पी, वहीं पर ढाबे पर काम करने वाले लड़के ने बताया कि आप लोग शहर जा सकते हैं, पीछे जाकर लेफ्ट में जो कच्चा रास्ता जाता है, वो 25 km का है और बाद वापस इसी सड़क पर आ जाता है, पर बीच में एक छोटे पहाड़ के किनारे किनारे एक सकरी पगडण्डी (पैदल रास्ता जो दो फीट से ज्यादा चौड़ा नहीं होता) से निकलना होगा वहाँ से सिर्फ बाइक ही निकल सकती है, कार नहीं, यह शोर्टकट है तीन घंटे में आप शहर पहुँच सकते हैं।

मुझे जंगल में बाइक चलाने का शौक है, मैंने कहा- अनीता मैं तो इस शोर्ट कट रास्ते से जाने के मूड में हूँ, अभी 6 बज रहे हैं, 7.30 तक उजाला रहता है। अँधेरा होने से पहले हम मेन रोड पर आ जायेंगे।
उस समय जून का महीना था।
अनीता ने कुछ देर सोचा, फिर ड्राईवर से कहा- जब ट्रेफिक शुरू हो जाये, तुम कार लेकर होटल चले जाना, मैं सर के साथ जा रही हूँ।

मेरा मन खुशी के मारे नाचने को होने लगा, सेक्सी जवान अकेली लड़की बाइक पर जंगल के रास्ते में शाम के वक्त मेरे साथ.. वाह…

अनीता लड़कों के जैसे दोनों तरफ पैर करके बैठ गई और इससे पहले कोई और बाधा आये मैं उसे लेकर कच्चे रस्ते पर आ गया।
रेसिंग बाइक में पीछे की सीट ऊँची होती है, वो मुझसे लगभग सट गई थी। मेरे लंड में तनाव आ रहा था, उसके बूबे मेरी पीठ से दबने लगे थे।
मैंने नोटिस किया कि अनीता को बूबे दबने और सट जाने की ज्यादा परवाह नहीं थी, वो इसे बिलकुल सामान्य ले रही थी पर मैं… तो कामवासना में मस्त हो रहा था।

थोड़ी देर के बाद उसने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रख दिए और गर्लफ्रेंड स्टाइल में सट गई। मेरी हालत और ख़राब हो गई, मैं मन में सोचने लगा कि आज फिर इसके नाम की मुठ मारनी पड़ेगी।

हम लोग जंगल में आ गए थे, तभी मौसम भी खराब होने लगा, हल्की हल्की बूंदाबांदी होने लगी और हवा भी जोर पकड़ने लगी।
बादल घिर जाने से उजाला कम होने लगा था, अनीता बोली- सौरभ तुम जल्दी चलो नहीं तो हम बारिश में फँस जायेंगे।

मैं बोला- अनीता, यह प्री-मानसून बारिश है, थोड़ी बूंदाबांदी होकर बंद हो जाएगी, तुम डरो मत…
हम आगे बढ़ते रहे।

इसके बाद अनीता बोली- वहाँ पहाड़ी पर वो एक कमरा देख रहे हो?

मैंने कहा- हाँ…

‘मालूम है वो क्या है?’

‘नहीं…’

‘वो फारेस्ट विभाग के फायर वाचर का कमरा है जो जंगल में आग लगने पर नजर रखता है, आग लगने पर वह दूसरे लोगों को खबर देता है और आग बुझाता है, इसे पहाड़ी पर ऊँचाई पर बनाते है ताकि दूर दूर तक नजर रख सके और जानवरों से भी सुरक्षित रह सके।

मैंने सर हिला दिया, हम लोग आगे बढ़ते रहे, बारिश रुक नहीं रही थी, कपड़े गीले हो ते जा रहे थे, अँधेरा बढ़ने लगा था, रास्ता कच्चा होने से कीचड़ हो रहा था, बाइक स्लिप मार रही थी।
अनीता ने गिरने से बचने के लिए दोनों हाथ में मेरी छाती को लपेट कर कस पकड़ लिया, वो मुझसे पीछे से पूरी तरह लिपट गई थी, उसके बूबे मेरी पीठ से दबे हुए थे, पीठ के निचले हिस्से में मैं उसके नंगे पेट का स्पर्श महसूस कर रहा था, कपड़े गीले होने से स्पर्श और भी ग़हरा लग रहा था।

कुछ देर देर बाद बारिश इतनी बढ़ गई कि बाइक चलाना रोक देना पड़ा, क्योंकि सामने एक पहाड़ी नाला आ गया था जिसमें पानी तेजी से बह रहा था, उसमें से बाइक निकलना असंभव था।

हम दोनों बाइक से उतर कर नाले के पास सड़क के किनारे एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए।

अनीता की पतली शर्ट भीग कर उसके बदन से चिपक गई थी, उसके वक्ष के उभार साफ दिख रहे थे, अब तक शर्ट से ढका हुआ उसका गोरा बदन भीगी शर्ट में से झांक रहा था।
मोबाइल पर नेट वर्क नहीं मिल रहा था… अनीता ने बारिश से बचाने के लिए दोनों के मोबाइल उसके पर्स में डाल लिए।

बारिश रुक नहीं रही थी, अब अनीता के चेहरे पर साफ परेशानी दिख रही थी।

मैंने कहा- अनीता, अपन वापस चलते हैं रात में अब इस रास्ते से निकला नहीं जा सकता।

वो मान गई, बाइक स्टार्ट की और किसी तरह हम वापस होने लगे।
बाइक बार बार स्लिप हो रही थी, तभी हम वहाँ पहुँचे जहाँ से हमने फायर वाचर का रूम देखा था।
इस वक्त हम 10 km जंगल में थे, अँधेरा पूरी तरह से हो चुका था, बादलों के कारण रात डरावनी और काली लग रही थी, रह रह कर बादल गरज रहे थे और बिजली चमक रही थी।
मुझे भी डर लगने लगा, मैंने कहा- अनीता, हम फायर वाचर के रूम में चलते हैं, वहाँ हमें कुछ राहत मिले शायद, फायर वाचर हमारी मदद करे?

बाइक को सड़क के एक तरफ ले जाकर मैंने लॉक कर दिया और हम दोनों किसी तरह उस छोटी पहाड़ी पर चढ़ कर फायर वाचर के रूम में पहुँच गए पर वहाँ कोई नहीं था। बारिश होने से आग लगने की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी इसलिए वो शायद अपने घर चला गया होगा।
कमरा में अँधेरा था, सिर्फ एक ही दरवाजा था और दरवाजे के ओपोजिट एक खिड़की थी, खिड़की में लोहे के सरिये लगे थे।
अनीता ने मोबाइल का टॉर्च जलाया, वह एक पक्के फ़र्श वाला 10×12 फीट का कमरा था, कोने में एक मटका था जिसमें पानी था, बीड़ी के कुछ अधजले टुकड़े थे, और कुछ नहीं था।
कहानी जारी रहेगी…
जीना इसी का नाम है-3

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