बॉस को मिली नई हसीन असिस्टेंट- 2
(Mature Lust Kahani)
मेच्योर लस्ट कहानी में अपनी अस्सिटेंट को कई बार चोदने के बाद बॉस की नजर उसकी मम्मी पर भी थी. एक दिन उसे मौक़ा मिल भी गया. कैसे हुआ ये सब?
फ्रेंड्स, आप सब मेरी सेक्स कहानी कंपनी में सहकर्मियों के बीच होने वाले सेक्स संबंधों को पढ़ रहे थे.
कहानी के पिछले भाग
नई ऑफिस असिस्टेंट की सीलतोड़ चुदाई
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि निखिल की नई असिस्टेंट टीना को निखिल ने अपने घर बुला कर चोद दिया था.
अब आगे मेच्योर लस्ट कहानी:
सुबह टीना उठी तो निखिल का लंड एकदम कड़क था और छत की तरफ देख रहा था.
टीना को अपने बॉस निखिल का लंड इतना प्यारा लगा कि वह खुद को रोक ही न सकी और उसने निखिल के खड़े लौड़े को चूसना शुरू कर दिया.
निखिल की नींद खुली तो वह सीन देख कर मुस्कुरा दिया और उसने टीना के दूध दबा कर उसे उत्तेजित करना शुरू कर दिया.
जल्द ही टीना निखिल के लौड़े पर बैठ गई और चुदाई का मजा लेने लगी.
करीब बीस मिनट की सुबह सुबह की चुदाई वाली कसरत के बाद दोनों झड़ गए और हाँफने लगे.
उसके बाद टीना निखिल को चूम कर लौड़े से उतरी और बाथरूम में चली गई.
कुछ देर बाद वे दोनों एक सतह ऑफिस आ गए और काम में लग गए.
उस दिन दोपहर में टीना से निखिल ने ऑफिस में पूछा कि कल रात कैसी रही?
इस पर टीना कुछ बोल नहीं पाई और शर्मा कर निखिल के केबिन से भाग गई.
कहीं न कहीं टीना को भी कल रात जो कुछ भी हुआ था उसे वह अच्छा ही लगा था … पर बस वह शर्मा रही थी.
अब टीना निखिल से हमेशा दूर भागने लगी थी और हमेशा नज़रें चुराती थी.
एक दिन निखिल ने टीना से कहा- तुम मुझसे हमेशा दूर क्यों भागती हो? क्या तुम्हें उस रात मेरा साथ अच्छा नहीं लगा था?
टीना- सर मुझे अच्छा तो लगा था, पर पता नहीं क्यों … मुझे बहुत शर्म आई. मैं आपसे नजरें नहीं मिला पाती हूँ.
निखिल- टीना, जो हुआ वह सब नेचुरल हुआ था … ये सब जीवन में होता रहता है. अब अगर तुम एक घटना से इतना शर्मा जाओगी तो फिर आगे काम कैसे कर पाओगी?
टीना- हां सर, शायद आप ठीक कह रहे हैं.
इतना कह कर निखिल ने ऑफिस में ही अपने केबिन के अन्दर टीना को अपनी तरफ खींचा और उसे किस करने लगा.
वह कहने लगा- अब शर्माओ मत!
इस तरह निखिल का टीना को फिर से अपनी ओर खींच कर किस करना बहुत ही अच्छा लगा.
टीना निखिल का विरोध नहीं कर पाई और वह भी निखिल का साथ देने लगी.
दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे और हश्र यह हुआ कि निखिल ने टीना को टेबल के ऊपर ही कुतिया बना कर झुका दिया.
उस दिन टीना ने स्कर्ट पहनी हुई थी तो निखिल ने उसकी स्कर्ट को ऊपर किया और उसकी पैंटी निकाल कर अपने लंड को टीना की चुत में डाल कर धक्के लगाने लगा.
निखिल का इस तरह टीना की स्कर्ट उठा कर लंड को चुत में डालना ये सब इतने जल्दी हुआ कि टीना को कुछ सोचने और समझने का मौका ही नहीं मिला.
फिर टीना को मजा आने लगा तो उसने निखिल का साथ देना शुरू कर दिया.
टीना को निखिल का यूँ थोड़ा उसके साथ जबरदस्ती करना भी उसे अच्छा लग रहा था, तो टीना ने भी अच्छे से मजे ले लेकर अपनी चुत में निखिल के लंड को और अच्छे से पिलवाया.
निखिल उसके दूध दबाते हुए चुदाई करने लगा तो टीना भी चुदाई के मजे लेती रही.
एक हफ्ते बाद:
कंपनी की बॉस मिताली ने निखिल ओर टीना को अपने केबिन में बुलाया.
मिताली- निखिल और टीना तुम दोनों को एक हफ्ते के लिए मीरा के ऑफिस जाना होगा. वहां बहुत सारा काम पेंडिंग है, जो अकेले मीरा से हैंडिल करना मुश्किल हो रहा है. तुम लोग जाकर मीरा की थोड़ी हेल्प करो.
निखिल- पर मेम, मेरा भी यहां का बहुत कम पेंडिंग है. मुझे उस काम को कम्प्लीट करना बहुत जरूरी है और मेरी एक दो डीलरों के साथ मीटिंग भी है. मेरा जाना तो अभी पॉसिबल नहीं होगा.
मिताली- अच्छा तो ठीक है, तुम दो दिन में अपने सारे काम कम्प्लीट कर लो और फिर चले जाना. पर टीना तुम घर जाकर अपनी पैकिंग करो. तुम्हें तो कल ही जाना है क्योंकि तुम्हें वहां जाकर मीरा की हेल्प करनी है.
टीना- ठीक है मेम मैं अपनी पैकिंग करती हूँ और कल ही निकल जाऊंगी.
टीना घर आई और उसने अपनी माँ को बताया कि उसे ऑफिस के काम से एक हफ्ते के लिए ऑफिस टूर पर जाना है.
वह अपने जाने की तैयार करने लगी और अगले ही दिन वह बस से निकल गई.
टीना जब वहां पहुंची तो मीरा ने उसे बस स्टेंड से रिसीव किया और वह उसे अपने साथ अपने घर ले गई.
अगले दिन टीना ने निखिल को फोन करके बताया कि क्या वह उसकी एक छोटी सी हेल्प कर सकता है.
निखिल ने कहा- हां क्यों नहीं, मैं जरूर करूँगा.
टीना- निखिल, आज मेरी माँ का बर्थडे है पर मैं उनके पास नहीं हूँ … तो क्या तुम मेरी माँ के लिए एक बर्थडे केक लेकर मेरे घर जा सकते हो?
निखिल- अरे हां यार … क्यों नहीं, ये भी कोई कहने की बात है. बल्कि तुमने अच्छा किया कि मुझे बता दिया. मैं जरूर एक बर्थडे केक और उनके लिए एक अच्छा सा गिफ्ट लेकर जाऊंगा. तुम किसी बात की चिंता मत करो.
शाम को निखिल टीना की माँ सुनीता के लिए एक अच्छा सा केक और एक बर्थडे गिफ्ट भी ले लिया और उनके घर के लिए निकल गया.
थोड़ी ही देर में निखिल टीना के घर पहुंच गया और डोरबेल बजा दी.
कुछ ही देर में सुनीता ने दरवाज़ा खोला.
निखिल ने सुनीता को बर्थडे विश किया ‘हैलो सुनीता जी, हैप्पी बर्थ डे टू यू!’
यह सुनकर सुनीता थोड़ा चौंक गई और खुश भी हो गई.
उसके मन में बसा निखिल उसे बर्थडे विश कर रहा था.
सुनीता- अरे निखिल तुम यहां … इस वक़्त … और तुम्हें कैसे पता है कि आज मेरा बर्थडे है?
निखिल- अरे यार आंटी, ये सब तो हम पता कर ही लेते हैं!
सुनीता- मैंने कितनी बार कहा है कि मुझे आंटी मत कहा करो. तुम मुझे सुनीता ही बोलो!
निखिल- ओ हो सॉरी … मैडम जी ठीक है अब नहीं बोलूंगा आंटी … और अब पूरा ध्यान रखूँगा और आपको सुनीता डार्लिंग ही बोलूंगा!
वह डार्लिंग सुनकर हंस पड़ी.
‘क्या अब मैं यहीं खड़ा रहूँ … मुझे अन्दर आने का नहीं बोलोगी सुनीता जी!’
सुनीता- अरे हां हां क्यों नहीं, अन्दर आओ न निखिल!
दोनों हॉल में आए और सोफे पर बैठ गए.
सुनीता- अच्छा तो अब बताओ निखिल कि तुम्हें कैसे पता चला कि आज मेरा बर्थडे है?
निखिल- अरे कहा न सुनीता जी कि बस हमने पता कर लिया. अच्छा ठीक है अब आप इतना पूछ रही हो तो बता देता हूँ मुझे टीना की कॉल आई थी, उसने ही बताया कि आज आप का बर्थडे है. हर बर्थडे पर टीना तो आप के साथ होती थी पर आज वह यहां नहीं है तो उसने मुझसे कहा कि मैं आपके लिए बर्थडे केक लेकर जाऊं … तो बस मैं आ गया केक लेकर!
सुनीता- थैंक्यू सो मच निखिल कि तुम मेरे लिए केक लेकर आए हो.
निखिल- सिर्फ केक ही नहीं, मैं तो आपके लिए गिफ्ट भी लेकर आया हूँ!
सुनीता- वाह क्या बात है … पर इसकी क्या जरूरत थी. तुम केक लेकर आए हो, मेरे लिए यही बहुत है.
निखिल- क्यों जरूरत नहीं है. अगर किसी का बर्थडे हो और उसे गिफ्ट न मिले … ये कैसे हो सकता है! ये लीजिये आपका गिफ्ट!
सुनीता ने गिफ्ट ले कर उसे साइड में रख दिया.
निखिल- सुनीता जी गिफ्ट खोल कर तो देखिए कि उसमें क्या है?
सुनीता- मैं बाद में देख लूँगी.
निखिल- नहीं प्लीज़ आप अभी देखिए.
सुनीता- ठीक है.
सुनीता ने गिफ्ट खोला.
गिफ्ट खोलने पर उसमें से एक लाल रंग की साड़ी निकली.
उस साड़ी को देख कर पहले तो सुनीता बहुत खुश हुई.
पर फिर वह निखिल से कहने लगी- निखिल तुम्हें पता है ना कि मैं एक विधवा हूँ और विधवा औरतें लाल रंग की साड़ी नहीं पहनती हैं, तो फिर तुम मेरे लिए ये लाल रंग की साड़ी क्यों लेकर आए हो?
निखिल- हां मैं जानता हूँ सुनीता जी कि आप एक विधवा है और विधवा औरतें लाल रंग की साड़ी नहीं पहनती हैं. पर ऐसा क्यों सुनीता जी? अगर पति की मौत हो जाए तो क्यों औरतों को सिर्फ ये सफेद रंग में रहना होता है क्या? विधवा औरतों का दिल नहीं होता क्या? आपका दिल नहीं करता कि इन रंगीन कपड़ों को पहना जाए?
सुनीता- निखिल, ये समाज इस बात की इजाजत नहीं देता है.
निखिल- अरे भाड़ में गया ये समाज. क्या विधवा औरत का दिल नहीं होता है … क्या उन्हें अपनी ज़िंदगी जीने का हक नहीं है. अच्छा ठीक है आप ही बताइए कि क्या आपका मन नहीं होता है? मुझे टीना ने एक बार बताया था कि आपको लाल रंग बहुत पसंद है, इसलिए मैं आपके लिए ये लाल रंग की साड़ी लेकर आया था.
सुनीता- पर …
निखिल- अच्छा ठीक है आपको नहीं पसंद तो आप इसे बाहर कहीं मत पहनिएगा. पर मैं इतने प्यार से आपके लिए ये लेकर आया था तो क्या प्लीज़ आप इसे मेरे लिए पहनोगी … और प्लीज आज इसे पहन कर ही हम केक कट करेंगे! प्लीज़ सुनीता जी आप मना मत कीजिएगा!
सुनीता- ठीक है अगर तुम इतनी रिकवेस्ट कर रहे हो तो ठीक है. तुम बैठो मैं तैयार होकर अभी आती हूँ.
निखिल- सुनीता जी मैं एक और भी गिफ्ट लाया था आपके लिए … पर मुझे वह देने में थोड़ी हिचकिचाहट हो रही है. डर है कि कहीं आप बुरा न मान जाएं.
सुनीता- क्या … एक ओर गिफ्ट? और क्या है … बताओ?
निखिल- प्लीज़ पहले आप प्रॉमिस कीजिये कि आप बुरा नहीं मानेंगी और वह जो कुछ भी हो आप उसे जरूर पहनेंगी … प्रॉमिस कीजिए.
सुनीता- हां बाबा प्रॉमिस करती हूं अब बताओ भी कि क्या है?
निखिल ने एक दूसरा बॉक्स सुनीता को पकड़ा दिया.
सुनीता उस बॉक्स को खोलने लगी.
निखिल- नहीं सुनीता जी, इसे यहां मत खोलिए. इसे आप अन्दर ले जाकर ही खोलना!
सुनीता- अच्छा ठीक है.
सुनीता अपने कमरे में गई और उसने उस लाल रंग की साड़ी को ध्यान से देखा और बहुत खुश हो गई.
फिर उसने उस दूसरे बॉक्स को खोला. उस दूसरे बॉक्स में से एक बहुत ही सेक्सी ब्रा पैंटी का सैट निकला.
पहले तो सुनीता चौंक गई, फिर कुछ ही देर में उसे हंसी भी आई कि निखिल ने ये क्या लेकर आया है.
सुनीता मन ही मन सोचने लगी कि सच में निखिल के टेस्ट का जवाब नहीं है … क्या चुन कर उसने मेरे लिए ये सेक्सी सी ब्रा पैंटी ली है … और ये साड़ी भी लेकर आया है. निखिल ने तो मुझे मेरी जवानी के दिन याद दिला दिए. पर मैं अभी इतनी बूढ़ी भी नहीं हुई हूँ … मैं तो अभी भी जवान ही हूँ. पर पता नहीं निखिल के मन में क्या है … वह मेरे लिए इस तरह के कपड़े क्यों लेकर आया है. जो भी है मैं आज इसे जरूर पहन लेती हूँ … मैं काफी सेक्सी भी लगूंगी!
सुनीता ने सबसे पहले उस ब्रा पैंटी के सैट को पहना, फिर साड़ी और उससे मैचिंग के ब्लाउज व पेटीकोट को भी पहन कर ड्रेसिंग टेबल के सामने आ गई.
उसने जैसे ही अपने आपको शीशे में देखा तो वह अपने आपको देख कर खुद ही चौंक गई.
क्योंकि वह इन कपड़ों में बहुत सेक्सी लग रही थी.
सुनीता जब तैयार होकर बाहर आई तो निखिल उसे देखता ही रह गया और बोला- सुनीता जी अगर आप बुरा न माने तो मैं कुछ कहूँ!
सुनीता- हां निखिल कहो!
निखिल- सुनीता जी आज आप इस साड़ी में तो बहुत ही खूबसूरत और …
सुनीता- और … क्या … बोलो न?
निखिल- और बहुत सेक्सी लग रही हो. माफ कीजिएगा सुनीता जी मैं आपकी खूबसूरती देख कर अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाया और आपको इस तरह से सेक्सी बोल दिया. पर मैं भी क्या करूँ आप लग ही इतनी खूबसूरत रही हो कि मैं क्या बताऊं. आज आप किसी दुल्हन से कम नहीं लग रही हो!
सुनीता- निखिल, तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया जो तुमने मुझे आज इतना अच्छा गिफ्ट दिया है. आज इस साड़ी को पहन कर मुझे मेरी खूबसूरती का पता चला कि मैं इतनी खूबसूरत भी हूँ. नहीं तो पति के जाने के बाद तो जैसे मैंने अपनी खूबसूरती कहीं खो ही दी थी. पर आज इस साड़ी को पहनने के बाद मुझे पता चला कि मैं अभी भी उतनी ही खूबसूरत हूँ, जितनी मैं विधवा होने से पहले थी. इस गिफ्ट के लिए तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया.
उन दोनों के मन में वासना का समुद्र हिलोरें लेने लगा था और बस किसी एक ऐसी चिंगारी की जरूरत थी जो उन दोनों को चुदाई के लिए उकसा दे.
यह सब कैसे हुआ, आप अगले भाग में जरूर पढ़ें. मेरी इस मेच्योर लस्ट कहानी पर अपने मेल भी जरूर भेजें.
धन्यवाद.
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मेच्योर लस्ट कहानी का अगला भाग:
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