ऑफिस की कमसिन कड़क लौंडिया के साथ सेक्स- 2

(My Sex Plan Story)

माय सेक्स प्लान स्टोरी में मैंने अपने ऑफिस की नई लड़की को बता दिया था कि मैं उसे चोदना चाहता हूँ. पर साली नखरे दिखा रही थी. मैं ऑफिस के काम के बहाने उसे दोस्त के फ्लैट पर ले गया.

दोस्तो, मैं राहुल गुप्ता आपको अपने ऑफिस में काम करने वाली एक मस्त लौंडिया कादम्बिनी की चुदाई की कहानी लिख रहा था.

इस कहानी के पहले भाग
ऑफिस में आई नई लड़की को पटाने की कोशिश
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि कादम्बिनी मेरे ऑफिस में मुझे अपने दूध दिखा रही थी और मैं उसे शाम को अपने साथ कार से ही चलने का कह रहा था.

अब आगे माय सेक्स प्लान स्टोरी:

कादम्बिनी जाने को खड़ी हुई तो मैं भी खड़ा हो गया और अपने लंड पर हाथ फेरता हुआ कादम्बिनी की तरफ़ बढ़ा, जिसको उसने पूरी नज़र भर कर अचंभे से देखा.

इससे पहले कि वह अपने अचंभे से बाहर आती और मेरे कमरे से बाहर जाती, मैंने एक बार फिर से उसके सेक्सी और मख़मली पुट्ठे को हाथ में भर कर मसल दिया.

कादम्बिनी मुँह बनाती हुई मेरे कमरे से निकली.
मैंने उसको देर तक ऑफिस रोकने के लिए एक मोटी फाइल निकाल कर ढेर सारे काम के साथ उसके पास भेज दिया कि जाने से पहले किसी भी तरह से ये काम ज़रूर पूरा होना है.

बस फिर क्या था, कल की तरह आज भी कादम्बिनी को देर हुई और मैंने उसको कोई साढ़े सात बजे काम अधूरा छोड़ कर घर जाने को कहा.

कादम्बिनी नीचे उतरी तो मेरी गाड़ी ऑफिस के बाहर ही थी.
वह मुझे नज़रअंदाज़ करके आगे बढ़ना चाहती तो थी, पर मैंने उसको सामने से रोका और उसका हाथ पकड़ कर उसको गाड़ी में बैठा लिया.

कल वाले ही रास्ते पर हम आगे बढ़े.
शायद आज मेरी लॉटरी लगनी थी और मुझे इसका पूरा यक़ीन था.

मैंने कादम्बिनी को बोला- क़िस्मत मेरा साथ दे रही है मैडम, वरना आप कहां मेरी गाड़ी में होतीं आज?
कादम्बिनी- क़िस्मत नहीं है सर, ये आपकी चालाकी है. आपने जानबूझ कर मुझे ऐसा काम दिया, जिससे मुझे देर हो जाए.

मैं- चल ऐसे सही. जब तुझे सच पता है तो इस बारे में बात करके कोई फ़ायदा नहीं. ये बता, दिन में जब मैंने तुझे रगड़ा तो मज़ा आया ना तुझे!

कादम्बिनी- मुझे कोई मज़ा नहीं आया और आपने कोई ऐसा काम किया भी नहीं जो आप इतने खुश हों!
मैं- चल तो अब कर देता हूँ वैसा वाला काम …

इतना कहकर मैंने कादम्बिनी के चूचे को सहलाया ही था कि उसने मेरा हाथ कल की तरह झटक दिया.

मैं- भूल गयीं क्या, तुमने दिन में कहा था कि अगर क़िस्मत ने मेरा साथ दिया तो तुम मुझे रोकोगी नहीं?
कादम्बिनी- मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा था बल्कि आप कुछ भी करते और कहते जा रहे थे.

मैं- इतनी दिक़्क़त थी तो तू ऑफिस से बाहर चली जाती. वहां बैठी क्यों रही? अब फ़ालतू के नख़रे तो मुझे दिखा मत!

इतना कहकर मैंने गाड़ी को साइड में दबाकर कादम्बिनी के चेहरे को हाथों में थामा और उसके होंठों को पीने लगा.

कादम्बिनी ने मुझे धकेल कर अलग किया तो मैंने उसके एक चूचे को थाम लिया.
इससे पहले कि वह कुछ करती या कहती, मैंने उसके गले की तरफ़ से उसके कपड़ों में हाथ डाल उसके निप्पल को थाम लिया और उसको मसाज करने लगा.

अब कादम्बिनी बहुत ज़्यादा विरोध नहीं कर रही थी बस रुकने को कह जरूर रही थी, पर उसने एक बार भी मेरा हाथ नहीं पकड़ा.
मैंने मौक़ा ना गंवाते हुए उसके चूचे को ऊपर से बाहर निकाला और उसके चूचे को पीना शुरू कर दिया.

मुझे बड़ी हैरानी थी कि इतना मोटा मम्मा था यारो कादम्बिनी का!
मैंने उसकी शर्ट के दो बटन और खोल कर जितना मम्मा बाहर निकल सकता था, वह भी निकाल लिया और उसको चूसने काटने लगा.

मैंने एक बार तो उसके निप्पल को इतनी ज़ोर से काटा कि कादम्बिनी की चीख निकल गई.

मैंने एक हाथ उसकी चूत पर रख दबाना शुरू किया कि उसने मुझे रोका और घड़ी की तरफ़ इशारा करके बोली- क्या करते हो सर? मुझे देर हो रही है और जिम भी जाना है. आपके साथ आना ही मेरी गलती थी, पर अब ये दोबारा नहीं होगी. आप मुझे मेरे स्टॉप पर ड्राप कर दो प्लीज़!

मैं होंठों पर जीभ फेरते हुए बोला- कौन सी गलती? और ऐसा क्या कर दिया मैंने जो तू इतने नख़रे दिखा रही है?
कादम्बिनी अपना मम्मा अन्दर करते हुई बोली- आपने कुछ नहीं किया … गलती तो सब मेरी है.

मैं- थोड़ी देर रुक जा, फिर चलते हैं ना. इस तरफ़ आम तौर पर कोई नहीं आता!

कादम्बिनी- आपका क्या है अगर कोई आ भी गया तो? बदनामी तो मेरी होगी. सड़क है ये … चलती सड़क और आप मुझे जाने क्या समझ रहे हो जो मेरे साथ ऐसे …
मैं उसका चूचा मसलते हुए बोला- ठीक है, अब नाटक ना कर. चल तुझे छोड़ देता हूँ.

फिर मैंने गाड़ी उसके स्टॉप की तरफ़ दौड़ा दी.

मैं- अच्छा सुन अब 1-2 दिन में हमें एक मीटिंग के लिए नोएडा जाना है तो तुम मेरे साथ चलना.
कादम्बिनी- मैं आपके साथ कहीं नहीं जाने वाली. आप तो अंधेरे का फ़ायदा उठा कर जाने क्या क्या करना चाहते हो!

मैं- दिन में जाना है पागल, ना कि रात में. कितनी हवस है ना तेरे अन्दर जो मुझे इशारा करके रात की मीटिंग को कह रही है.
इतना कह कर मैंने आंख मटका दी.

कादम्बिनी- कोई हवस नहीं है, पर मुझे अपना ख़्याल ख़ुद ही रखना है इसलिए कहा कि रात में नहीं जाऊंगी.
मैं- सुबह 10-11 बजे की मीटिंग रहेगी. तुम समय से आ जाना, तो दिक़्क़त नहीं होगी. इसलिए तुमको बताया. फिर आगे से तुम ख़ुद जाकर क्लाइंट से मिल लिया करोगी. काम भी तो सिखाना है तुमको सब तरह से!

कादम्बिनी- सब तरह से मतलब?
मैं- अरे यार … तुमको यह भी नहीं पता? काम का मतलब हिन्दी और संस्कृत में अलग अलग होता है और एक अच्छे बॉस के तौर पर मैं तुमको दोनों तरह के काम में पारंगत करूँगा.

यही सब कहते कहते उसका स्टॉप आ गया.
कादम्बिनी गाड़ी से उतरती हुई बोली- मुझे कोई काम नहीं सीखना आपसे. जो आता है, वह बहुत है … और मुझे ड्राप करने के लिए थैंक्यू.

मैं- मैं तो रोज़ ड्राप कर दूँ, तुम मानो तो सही!
मैंने इसके साथ ही जो कादम्बिनी को आंख मारी, वह बिना बाय कहे मेरे मुँह पर दरवाज़ा पटक कर चली गई.

मैंने गाड़ी घुमायी, पर आज कादम्बिनी ने ऐसी आग मुझमें लगायी थी कि मैंने गाड़ी चलाते हुए ही अपना लंड बाहर निकाला और मुट्ठी मार कर अपना पानी गिराया.

मैं मुट्ठी मारते हुए कादम्बिनी को कैसे-कब और कहां चोदा जाए, ये सोच रहा था.
मेरे एक दोस्त का फ्लैट नोएडा में ख़ाली पड़ा था, जिसकी चाबी गार्ड पर रहती थी.

वह फ्लैट मुझे सबसे अच्छा विकल्प दिखा तो मैंने अगले दिन ही वहां जाने का प्लान किया.

सुबह जल्दी ऑफिस पहुंच कर कादम्बिनी के आने का इंतज़ार करने लगा.

जैसे ही मैंने उसको आते देखा, मैं ऑफिस से नीचे उतरने लगा और उसको बाहर ही रोक कर मेरे साथ मीटिंग में चलने का कहकर नोएडा निकल गया.

पूरे रास्ते में हमारी कोई ख़ास बात नहीं हुई.
नोएडा पहुंच कर मैंने गाड़ी फ्लैट के नीचे पार्किंग में लगायी और एंट्री करने के बहाने गार्ड से जाकर फ्लैट की चाबी ले आया.

फ्लैट दूसरे माले पर था और पूरी सोसाइटी में बहुत चहल पहल थी तो कादम्बिनी को किसी प्रकार का कोई शक नहीं हुआ.

मैंने कादम्बिनी को मेरा बैग लाने के बहाने से वापस गाड़ी पर भेजा, जिससे वह मुझे ख़ुद फ्लैट का ताला खोलते हुए ना देखे.

जब तक वह वापस आयी, मैं ताला खोल कर तैयार था.
कुछ देर में कादम्बिनी भी वापस आ चुकी थी तो मैंने फ्लैट में कदम बढ़ाये जिसको कादम्बिनी ने फॉलो किया, पर उसको ये समझते देर नहीं लगी कि फ्लैट में हम दोनों के अलावा कोई तीसरा नहीं था.

इससे पहले वह बाहर जाती, मैं दरवाज़े को बंद कर अन्दर से ताला लगा चुका था और चाबी मैंने अपनी जेब में डाल ली थी.

मैंने उसको अन्दर आकर बैठने को कहा और ख़ुद ड्राइंग रूम में जाकर बैठ गया.

माय सेक्स प्लान जानकार कादम्बिनी के चेहरे की हवाइयां उड़ी दिख रही थीं, पर स्वभाव से वह एकदम सहज थी.
शायद पिछले दिनों जो मेरे और उसके बीच घटित हुआ था, उससे वह ख़ुद ही थोड़ा तैयार थी.

वह ये भी समझ चुकी थी कि जो आदमी सड़क पर उसके चूचे पी सकता है, वह अकेले में उसकी चूत का भोसड़ा बनाये बिना नहीं मानेगा.

थोड़ी देर दरवाज़े पर बिताने के बाद वह स्वयं चल कर ड्राइंग में पड़े सोफ़े पर आकर मेरे सामने बैठ गई.

थोड़ी देर सब शांत रहा और फिर मैंने आगे बात बढ़ाने की सोची.

मैं कादम्बिनी से बोला- इतनी दूर क्यों बैठी हो? पास भी बैठ सकती हो … तुमको खा नहीं जाऊंगा!
कादम्बिनी- आप मुझे झूठ बोलकर यहां किस लिए लाए हो, मैं सब समझती हूँ.

मैं- ऐसा भी कुछ नहीं है. तेरे साथ कोई अन्याय नहीं होगा. तू परेशान क्यों होती है. थोड़ा दूध पिला दे मुझे, फिर चलते हैं ना!

कादम्बिनी- मुझे बहुत डर लग रहा है सर … चलते हैं ना प्लीज़.
मैं- डरने की क्या बात है? पहले कभी सेक्स नहीं किया क्या?

कादम्बिनी ग़ुस्से से मुझे देखती हुई बोली- ना अभी तक किया है और ना आज भी करूँगी. दिमाग़ ख़राब हो गया है आपका!

बातों से हम आगे नहीं जाने वाले, ये मैं समझ गया था तो मैं ख़ुद उठ कर कादम्बिनी जिस सोफ़े पर बैठी थी, उसके बराबर में पड़े एक स्टूल पर बैठ गया.

मैं कादम्बिनी के हाथ को हाथ में थाम कर सहलाने लगा.
मैंने थोड़ी देर उसका हाथ सहलाया और जैसे ही मैंने उसके चूचे को पकड़ना चाहा, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.

मैंने कादम्बिनी से पानी लाने को कहा और जब वह पानी लेने को उठी, मैंने उसको पकड़ कर अपनी गोद में उल्टा लिटा लिया, जिससे उसकी गांड ऊपर को उभर गई.

मैंने कादम्बिनी को इसी अवस्था में पकड़ लिया और देर ना करते हुए उसकी गांड पर कई सारे चांटे जड़ डाले.

इसी बीच मैंने उसकी जीन्स को पकड़ के नीचे सरकाया तो साथ ही उसकी पैंटी भी गांड से सरक गई.
उसकी नंगी गांड देख कर मुझमें कोई शैतान सा जाग गया और कुछ चांटे उसकी नंगी गांड पर बजा कर मैं उसकी गांड को मसलने लगा.

बीच बीच में कादम्बिनी उठने की कोशिश भी करती, पर मेरी पकड़ मज़बूत थी.

मैंने उसकी गांड से चूत तक अपना हाथ फिराया तो उसने सिसकी सी भरी, जिससे मैं समझ गया कि ये सिर्फ़ नाटक कर रही है वरना आग तो इसके बदन में भी पूरी लगी है.

मैंने उसकी चूत में हल्की सी उंगली क्या डाली, कादम्बिनी ने तेज़ आवाज़ के साथ अपना पानी छोड़ दिया और उसका पूरा बदन कांपने लगा.

मेरा रास्ता साफ़ था पर मैंने थोड़ी देर और उसकी चूत का मर्दन किया.

मेरा हाथ उसके कामरस से गीला था तो मैंने उसको चाटते हुए कादम्बिनी को खड़ी होने को बोला.
और जब उसका चहरा देखा तो वह आंखें नीचे किए, थोड़ी शर्माती और थोड़ी अपनी चूत को छुपाने की नाकाम कोशिश करती इतनी मासूम लग रही थी, जैसे उसको कुछ पता ही ना हो.

मैंने फिर उससे कहा- अब तो दूध पिलायेगी या अभी और नख़रे दिखाने का मन है?

जिस पर उसने अपनी मुस्कुराहट से सिर्फ़ अपनी हामी का इज़हार किया.

फिर मैंने एक एक करके कादम्बिनी को उसके कपड़ों से आज़ाद किया और उसके बदन पर टूट पड़ा.

आज मैंने उसको पहली बार जन्मजात नग्न देखा था और मुझे पहली बार अहसास हुआ कि जिन चूचों का साइज अब तक मैं 38 इंच समझ रहा था, वे असल में 42 इंच के थे और कपड़ों से आज़ाद होकर अपने पूरे शवाब में थे.

मेरा हब्शी लंड उसकी कातिल जवानी को देख कर मतवाला हुआ जा रहा था.

ऐसा लग रहा था जैसे आज कादम्बिनी की चूत का भोसड़ा बनाये बिना ये नहीं रुकने वाला.
और रुके भी क्यों … आज तो खुली दावत होने जा रही थी इस निगोड़े की!

मैंने उसको अपनी गोद में बिठाया और बारी बारी से कादम्बिनी के चूचों को पिया, फिर उसके पूरे बदन को चूमा और चाटा और उसको ज़मीन पर लिटाकर उसके पैरों के बीच में पहुंच गया.

मैं उसकी चूत चाटने लगा.
मैं जानता था कि ये वह माल है, जिसको जितना गर्म करके पेला जाए, उतना ही मज़ा देगी.

कादम्बिनी मेरी जीभ को अपनी चूत पर सहन नहीं कर पा रही थी और बार बार मुझे अपनी चूत से अलग करने की कोशिश कर रही थी.

मैंने उसकी चूत की फांकों को हाथ से खोला और उसकी गुलाब के पंखुड़ी सी गुलाबी चूत देख कर सब भूल गया.

बस मैं उसकी चूत पीने पर पिल पड़ा.

कादम्बिनी ने मेरे सिर को अपनी चूत के अन्दर धकेला और उसका ज़ोर मेरे सिर पर बढ़ता चला गया.

कुछ ही पलों में एक बार फिर उसने एक लंबी चीख के साथ अपना पानी छोड़ दिया था.
पर मेरे सिर पर उसकी पकड़ अभी भी मज़बूती से बनी हुई थी.

मैं भी कामरस का पुराना शौक़ीन, उसको कैसे बहने देता … जितना पी सकता था, पूरे स्वाद के साथ पिया.

पूरी स्खलित होने के बाद कादम्बिनी ने मुझे भी छोड़ दिया और ज़मीन पर हाथ पैर फैला कर ऐसे पड़ गई, जैसे कितनी मेहनत करके आयी हो.

दोस्तो, कादम्बिनी को नंगी करके उसकी मदमस्त जवानी को किस तरह से चोदा, यह चुदाई की कहानी आपको सविस्तार अगले भाग में पढ़ने को मिलेगी.
आपसे उम्मीद है कि माय सेक्स प्लान स्टोरी पर आप अपने कमेंट्स मुझ तक जरूर भेजेंगे.
[email protected]

माय सेक्स प्लान स्टोरी का अगला भाग:

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