असिस्टेंट से चुद कर चूत की प्यास बुझाई

(New Fuck Second Sex Story)

रोमा शर्मा 2025-10-31 Comments

न्यू फ़क सेकंड सेक्स स्टोरी में मैंने बताया है कि मेरी नयी और दूसरी चुदाई किसके साथ और कैसे हुई. मेरी प्रमोशन के बाद मुझे एक असिस्टेंट मिला.

यह कहानी सुनें.

मैं रोमा, आपको अपनी पाठिका मीरा की सेक्स कहानी लिख कर आपको बता रही थी कि कंपनी के सहकर्मियों में सेक्स संबंध किस तरह से बनते हैं और क्या क्या होता है.

पिछली कहानी
मैंने अपने बॉस को अपना कौमार्य अर्पित कर दिया
में अब तक आप पढ़ चुके थे कि मीरा अपने बॉस के साथ मीटिंग के लिए दूसरे शहर गई थी और उधर वह अपने बॉस निखिल के लौड़े से चुद गई.

अब आगे न्यू फ़क सेकंड सेक्स स्टोरी मीरा की जुबानी:

यह कहानी सुनें.

कुछ ही दिनों बाद कंपनी की ओनर मिताली मैडम ने मुझको और निखिल सर को बुलाया.

कंपनी की ओनर मिताली ने कहा- निखिल और मीरा, आप दोनों ने जिस प्रोजेक्ट पर काम किया था और मीटिंग के लिए भी गए थे, वह प्रोजेक्ट हमें मिल गया है. इसके लिए आप दोनों को बहुत बहुत बधाई. मैं इस काम के लिए आप दोनों से बहुत खुश हूँ.

यह सुनकर हम दोनों बड़े खुश हुए.

तभी मिताली मैडम ने कहा- इतना बड़ा प्रोजेक्ट मिलने की खुशी में निखिल मैं आपका प्रमोशन कर रही हूँ. अब आप एरिया मैनेजर की पोजीशन पर आ गए हैं. इसके लिए भी आपको बहुत बहुत बधाई … और मीरा आपके लिए एक गुड न्यूज भी है और एक बेड न्यूज़ भी!

मैं- मेम, मैंने भी तो इस प्रोजेक्ट पर मेहनत की है, फिर मेरे लिए एक गुड और एक बेड न्यूज़ क्यों?
मिताली मेम- हां, अब क्या कर सकते हैं.

मैं- मेम अब प्लीज़ बताइए कि क्या है वह न्यूज़?
मिताली मेम- मीरा गुड न्यूज तो ये है कि अब तुम्हारा भी प्रमोशन हो गया है और तुम अब मैनेजर की पोस्ट पर आ गई हो.

मैं खुशी से उछल पड़ी.
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.

फिर कुछ देर खुश रहने के बाद मैं बोली- ये तो ठीक है मेम … पर आपने कहा था कि एक बेड न्यूज़ भी है तो प्लीज़ वह भी बता दीजिये.

मिताली मेम- हां मीरा, बेड न्यूज़ ये है कि हमें ये जो प्रोजेक्ट मिला है … उसे दूसरी सिटी में शुरू करना है तो इसके लिए तुम्हें उस सिटी में जाना होगा!

मैं- पर मेम में अकेले किसी दूसरे सिटी में कैसे काम कर पाऊंगी. मेरी फैमिली यहीं है … और वे मुझे जाने नहीं देंगे.
मिताली मेम- देखो मीरा, अगर तुम्हें प्रमोशन चाहिए तो वहां जाना ही होगा. कंपनी की तरफ से तुम्हें वहां एक बंगला और कार भी दी जाएगी और तुम्हें सिर्फ प्रोजेक्ट पूरा होने तक के लिए ही उधर रहना है, उसके बाद तुम वापस यहीं आ जाओगी. अब तुम्हें कैसे अपनी फैमिली को मनाना है, ये तुम जानो, इसमें मैं कुछ नहीं कर सकती. अब फैसला तुम्हें ही लेना है कि यहीं रहना है तो तुम्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा और अगर जाना है … तो प्रमोशन मिल जाएगा.

मैं- मेम, मुझे तो प्रमोशन चाहिए ही है. ठीक है … मैं अपनी फैमिली को इसके लिए राज़ी कर लूंगी.
मिताली मेम- तो ठीक है तुम्हें अगले हफ्ते ही जाना होगा!
मैं- ठीक है मेम.

निखिल- पर मेम, अगर मीरा चली जाएगी तो मेरा असिस्टेंट कौन होगा?
मिताली मेम- निखिल तुम उसकी चिंता मत करो … तुम्हारे लिए एक नई असिस्टेंट हायर कर ली जाएगी.

मैंने ने अपने घर वालों को ये सब बात बताई, पर मेरे घरवालों ने तो मना ही कर दिया.
पर मेरी ज़िद के आगे उनकी एक न चली.

अगले हफ्ते मैं नई सिटी में शिफ्ट हो गई.

मुझ को यहां कंपनी की तरफ से एक बंगला और कार मिली थी.
कार चलने के लिए एक ड्राइवर मिला था जिसका नाम शंकर था.
बंगले में काम करने के लिए एक नौकरानी भी थी, जिसका नाम कांता था.

शंकर मुझे लेने के लिए बस स्टॉप पर आया था और वह उसे बंगले पर ले गया.
शंकर ने बंगले की नौकरानी कांता से मुझे मिलवाया.

शंकर ओर कांता दोनों मियां बीवी थे.
शंकर की उम्र कुछ ज्यादा थी, वह करीब 40 साल का था … पर उसकी बीवी कांता काफी कम उम्र की थी. वह करीब 24-25 साल की थी.

दोनों मियां बीवी मिल कर ही बंगले के ध्यान रखते थे.

अगले दिन मैं सुबह सुबह नहा-धोकर ऑफिस जाने के लिए तैयार हुई.
फिर शंकर मुझे कार में बैठा कर ऑफिस ले गया.

नई जगह थी, नया काम था.
जब हम लोग ऑफिस पहुंचे तो वहां ऑफिस में मेरी मुलाकात अशोक से हुई.

अशोक मेरा असिस्टेंट था.

नई सिटी का ऑफिस थोड़ा छोटा था क्योंकि ये नया प्रोजेक्ट था … तो ऑफिस भी अभी अभी ही बना था और ऑफिस में भी कुछ गिने-चुने ही 10-12 एम्प्लॉई थे.

अशोक ने मुझे ऑफिस के बाकी सभी एम्प्लॉई से मिलवाया.
फिर सब अपने अपने कामों में लग गए.

मैं अपने प्रोमोशन को लेकर काफी खुश थी और इस प्रोजेक्ट को बहुत अच्छे से पूरा करना चाहती थी.

अशोक दिखने में भी काफी हैंडसम था.

अशोक ने जब मुझको देखा था तो वह देखते ही रह गया था क्योंकि लाल कलर की साड़ी और बैकलैस ब्लाउस पहने मैं बहुत सेक्सी लग रही थी.

अशोक एकटक मुझे देखे जा रहा था.
फिर उसने किसी तरह अपने आपको कंट्रोल किया.

ऐसे ही कुछ महीने बीत गए.

पर अशोक हमेशा ही अपनी चोर नज़रों से कभी मेरी की कमर को ताड़ता तो कभी मेरे बूब्स की गहराई में झांकता.

जब भी मैं ऑफिस आती तो अशोक हमेशा उसे ऑफिस के बाहर ही खड़ा मिलता और जब मैं ऑफिस में अन्दर आती तो अशोक उसके पीछे पीछे आता.
वह मेरे कूल्हे की मटकती पहाड़ियों को वासना से निहारता.

अशोक पूरी तरह से मेरी जवानी पर फिदा हो गया था.
पर वह कुछ कर नहीं सकता था क्योंकि मैं उसकी बॉस थी.
अगर वह कुछ करता तो उसे अपनी नौकरी जाने का डर भी था.

ऐसे ही एक दिन मैं और अशोक ऑफिस में काम कर रहे थे.
उस दिन काम बहुत ज्यादा था.

दोनों को काम करते करते रात के करीब 9 बज गए थे.
ऑफिस के बाकी एम्प्लॉई तो सब जा चुके थे, बस मैं और अशोक ही ऑफिस में बचे हुए थे.

तभी अशोक ने कहा- मीरा मेम चलिए अब हम भी घर चलते हैं. ऑफिस के सारे एम्प्लॉई घर जा चुके हैं और अब बहुत रात भी हो गई है बाकी का काम हम कल कर लेंगे.

मैं- हां तुम ठीक कह रहे हो अशोक, अब हमें भी घर चलना चाहिए वाकयी बहुत रात हो गई है. इतना काम करके थकान भी बहुत हो गई है.

मुझको इस थकान में उस रात निखिल के साथ होटल के रूम में बिताए कुछ पल याद आ गए.
वह उन ख्यालों में खो गई.

तभी अशोक ने मुझे पुनः आवाज़ लगाते हुए कहा- मेम, आप किन ख्यालों में खो गई हो क्या? आपको घर नहीं चलना?
मैं- अरे कुछ नहीं अशोक, बस ऐसे ही.

अशोक- तो चलिए में ऑफिस को लॉक करवा देता हूँ.
मैं- हां ठीक है.

मैं अपनी कार में बैठ गई और अशोक से कहा- तुम भी ऑफिस लॉक करवा कर घर चले जाना.

शंकर कार स्टार्ट करके चलने लगा पर कुछ दूर चलने के बाद ही कार खराब हो गई.

शंकर ने कार से नीचे उतर कर कार को ठीक करने की कोशिश की.
पर उसे कुछ समझ नहीं आया कि कार में क्या खराबी है.

शंकर ने बताया कि मैडम कार में क्या खराबी है, समझ नहीं आ रहा है. लगा कार को किसी मैकेनिक के पास ही ले जाना होगा!

इतने में पीछे से अशोक अपनी बाइक पर आ गया और मेरी कार को देख कर रुक गया.

उसने शंकर से पूछा कि क्या हुआ है?
शंकर ने अशोक को भी यही बताया कि कार खराब हो गई है और उसे समझ नहीं आ रहा है कि क्या प्रॉब्लम है, उसे कार को मैकेनिक के पास ही ले जाना होगा.

इतने में मैं भी कार से उतर कर आई और शंकर से कहा- शंकर, तुम कार को कैसे भी करके मैकेनिक के पास ले जाओ. मैं किसी ऑटो या कैब बुक करके घर चली जाती हूँ. यह याद रखना कि तुम कार ठीक करवा कर ही घर लौटना.

अशोक- मेम, आप ऑटो या कैब से क्यों जाओगी … आइए न मैं आपको अपनी बाइक से घर छोड़ देता हूँ … अगर आपको कोई प्रॉब्लम न हो तो?
मैं- अरे नहीं अशोक इसमें क्या प्रॉब्लम होगी, बल्कि ये तो ठीक ही है कि तुम मुझे अपनी बाइक से ही घर तक छोड़ दो.

अशोक ने अपनी बाइक स्टार्ट की और मैं बाइक पर बैठ गई.
हम दोनों मीरा के घर की तरफ निकल गए.

रास्ते में अशोक मीरा से बोला- मेम बहुत भूख लग रही है, क्या आप कुछ खाना चाहोगी. यहीं रास्ते में एक ढाबा है … जहां खाना बहुत अच्छा मिलता है.
मैं- हां जरूर, क्यों नहीं. हम लोग खाना खा कर ही चलते हैं.

हम दोनों ढाबा पहुंच गए और खाना खाने बैठ गए.
इस सबमें रात के करीब 11 बज गए.

फिर हम दोनों वहां से निकल कर घर के लिए रवाना हुए ही थे कि तभी हल्की हल्की बारिश शुरू हो गई और घर पहुंचते पहुंचते दोनों ही थोड़े भीग गए.

मैंने घर की डोरबेल बजाई तो कांता ने दरवाजा खोला.
मैं अशोक से बोली- अन्दर आ जाओ अशोक, बारिश बहुत तेज़ होने लगी है … तुम इतनी बारिश में घर नहीं जा पाओगे.

कांता भी मीरा से बोली- बीबी जी, मेरे पति नहीं आए?
मैं- हां कांता, वह कार खराब हो गई थी तो शंकर कार को मैकेनिक के पास ले गया है. वह शायद आज रात नहीं आ पाएगा. तुम एक काम करो खाना खाकर आज रात यहीं सो जाओ, सुबह जब शंकर आएगा तो चली जाना.

कांता- ठीक है बीबी जी. मैं आपके लिए खाना लगा दूँ?
मैं- नहीं कांता, मैं खाना खा कर आई हूँ.

कांता- बीबीजी, आप तो बारिश में भीग गई हो … आप जाकर जल्दी से कपड़े बदल लीजिए नहीं तो आप बीमार पड़ जाएंगी!

मैं- अरे अशोक, तुम भी तो गीले हो गए हो, तुम एक काम करो उस रूम में जाकर तुम भी कपड़े निकाल दो, नहीं तो तुम भी बीमार हो जाओगे … और कांता तुम अशोक को तौलिया दे दो.

अशोक- मेम, अगर मैं कपड़े निकाल दूंगा, तो पहनूंगा क्या … मेरे पास तो कुछ है भी नहीं पहनने के लिए! मैं घर ही चला जाता हूँ. अब मैं बारिश में भीग तो चुका ही हूँ … मैं भीगते हुए ही घर चला जाऊंगा.

मैं- नहीं नहीं अशोक बारिश बहुत तेज हो रही है … और बारिश में अगर तुम भीगोगे तो बीमार पड़े जाओगे. तुम एक काम करो, अपने कपड़े निकल कर कांता को दे दो. वह तुम्हारे कपड़े प्रेस से सुखा देगी. जब तक तुम उस रूम में जाकर फ्रेश हो जाओ. मुझे नहीं लगता कि आज बारिश रुकेगी. बल्कि तुम एक काम करो, आज रात यहीं रुक जाओ.

अशोक- हां मेम, बारिश को देख कर तो यही लग रहा है कि आज ये नहीं रुकेगी. ठीक है … मैं आज रात यहीं रुक जाता हूँ

इतना सब होने के बाद मीरा अपने रूम में चली गई.

इधर अशोक भी रूम में आया और अपनी कपड़े निकालने लगा.
उसने पहले अपनी शर्ट उतारी और फिर पैंट भी उतार दी.

अब वह सिर्फ अंडरवियर में था कि तभी कांता कमरे में आ गई.
अशोक को यूं अर्धनग्न अवस्था में देख कर वह चौंक गई.

पर इससे अशोक को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि कांता उसे इस हालत में देख रही है.

चूंकि कांता भी एक जवान और सुंदर महिला थी तो उन दोनों के बीच एक मूक वासना उभरने लगी थी.

कांता- साहेब, ये आपके लिए तौलिया!
अशोक ने कांता के हाथ से तौलिया ले ली.

कांता लगातार अशोक को एकटक देखे जा रही थी.
वह एक जवान औरत थी और उसे अपने 40 वर्षीय पति से यौन सुख की पूर्ण प्राप्ति नहीं मिल पाती थी.

जब उसने एक जवान मर्द को अपने सामने यूं अर्धनग्न अवस्था में देखा तो वह अपने आपको रोक नहीं पा रही थी.

अशोक- ऐसे क्या देख रही हो कांता?
कांता- कुछ नहीं साहेब. वह वह …. वह आपके गीले कपड़े दे दीजिए, मैं सुखा कर ले आती हूँ.

अशोक- ये लो और इन्हें जल्द से जल्द सुखा कर ले आओ!
कांता अशोक पर अपनी आंखें सेकती हुई वहां से निकल गई.

इधर मैं अपने कमरे में आई और बाथरूम में जाकर अपने गीले कपड़े निकालने लगी, फिर नहाने के लिए शॉवर के नीचे खड़ी हो गई.

बारिश का मौसम इतना सुहाना हो रहा था कि मुझे फिर से निखिल के साथ बिताए वे पल याद आने लगे थे.
मैं नहाती हुई उन पलों को याद करने लगी.

उधर अशोक तौलिया लपेटे रूम से निकला और कांता को ढूंढ़ने लगा कि उसने कपड़े सुखाये या नहीं.

अशोक कांता को ढूंढते ढूंढते मेरे रूम की तरफ आ गया.

मेरे रूम का दरवाजा लॉक नहीं था, तो अशोक कमरे के अन्दर चला गया.
पर उसे रूम के अन्दर मैं दिखाई नहीं दी.

वह थोड़ा आगे बढ़ा तो देखा कि बाथरूम का दरवाज़ा भी खुला हुआ था और बाथरूम के अन्दर मैं आंखें बंद किये शॉवर के नंगी नीचे खड़ी थी.

एक मिनट के लिए तो अशोक चौंक गया … पर फिर मुझे को इस नग्न अवस्था में देख कर अशोक की यौन संबंध बनाने की तीव्र इच्छा जागृत होने लगी.

अशोक मुझे लगातार देखे जा रहा था और अपने लौड़े पर साथ रख कर अपने लंड को मसलने लगा.

उधर मैं आंखें बंद किए निखिल के साथ बताए पलों में खोई हुई थी और मेरे अन्दर भी यौन संबंध बनाने की इच्छाएं जागृत होने लगी थीं.

मेरी और अशोक दोनों की ही यौन इच्छाएं प्रबल हो गई थीं.

तभी मैंने शॉवर को बंद करके अपनी आंखें खोलीं और बाथरूम से बाहर निकलने के लिए मुड़ी तो अपने सामने अशोक को खड़ा पाया जो कि अपने हाथ से अपने लंड को मसल रहा था.

मैंने फटाफट तौलिया अपने नंगे बदन पर लपेटा और बोली- अशोक, तुम यहां क्या कर रहे हो?
अशोक हड़बड़ाते हुए बोला- वो वो …वो … मेम मैं कांता को ढूंढते हुए यहां आ गया. वह मेरे कपड़े लेकर गई थी सुखाने के लिए … मैं उसे ही ढूंढ़ रहा था तो मैं उसे ढूंढते ढूंढते यहां आ गया!
मैं- अच्छा!

अशोक- वैसे एक बात कहूँ मेम?
मैं- क्या?

अशोक- आपका ये गदराया हुआ गीला बदन बहुत सेक्सी लग रहा है.

अशोक और मेरी दोनों के अन्दर यौन इच्छाएं तो जग ही चुकी थीं.

अपने सेकंड सेक्स के लिए तैयार मैं वासना से बोली- क्या सच में?
अशोक बाथरूम के अन्दर जाते हुए बोला- हां मेम में सच कह रहा हूँ. आपके बालों से टपकती ये पानी की बूंदें आपकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रही हैं.

न्यू फक होने की आशा से मैं शर्माने लगी.
तभी अशोक ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए.

मेरी भी यौन इच्छाएं इतनी तीव्र थीं कि मैं अशोक को ऐसा करने से रोक नहीं पाई.

मैं भी अशोक को किस करने लगी.
दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमने चाटने लगे.

कुछ देर एक दूसरे को किस करने के बाद अशोक ने मुझे पीछे से पकड़ किया और अपने दोनों हाथों को पीछे से ले जाकर उसने मेरे बूब्स पकड़ लिए और उन्हें दबाते हुए अशोक मेरी गर्दन पर किस करने लगा.

दोनों मदहोशी के आलम में खो चुके थे.

अशोक ने मेरी गर्दन को चूमते चूमते ही पीछे से तौलिया खोल दिया जिसे अशोक ने मीरा के तन से अलग कर दिया और वह मेरे दोनों मम्मों को अपने दोनों हाथों में लेकर जोर जोर से दबाने लगा.

कुछ देर बाद मीरा अशोक की तरफ मुड़ी और अपने घुटनों पर नीचे बैठ गई.
अशोक खड़ा ही था.

मैंने धीरे से अशोक की अंडरवियर को नीचे सरका दिया और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
मैं जोर जोर से अशोक के लंड को चूसने लगी तो अशोक मदहोश हो गया और उसके मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.

फिर कुछ देर बाद मैं खड़ी हुई तो अशोक ने अपनी बॉस को अपनी गोद में उठा लिया और मुझे लेकर बाथरूम से बाहर आ गया.

अशोक ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे शरीर से लिपट गया.
हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.

कुछ देर की चुम्मा चाटी के बाद अशोक अब अशोक मेरी चुत पर अपना मुँह रख कर सूंघने लगा.

फिर उसने अपनी जीभ को निकाला और वह चुत को चूमने व चूसने लगा.

मैं भी अब पूरे जोश में आ गई थी.
अब मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थीं और अशोक से बोलने लगी- आह अशोक अच्छे से चाट … आह हहह आह हहह … बहुत अच्छा लग रहा है!’

कुछ देर तक चुत को चूमने चाटने के बाद अशोक ने मेरी चुत पर अपना लंड रख दिया और अपने लंड को गीली चुत में डाल दिया.

मेरी आह निकली और अशोक ने तेज़ तेज़ धक्कों के साथ मुझे पेलना चालू कर दिया.
हम दोनों अपनी मस्ती में खो चुके थे.

तभी कांता आई.
कमरे का दरवाजा अभी भी खुला हुआ ही था.

मुझे और अशोक ये बात पता ही नहीं थी. हम दोनों तो अपनी मस्ती में मगन थे.

कांता ने देखा कि अशोक और मैं पूर्ण नग्न एक दूसरे से लिपट धक्कम पेल में लगे हैं.

यह देख कर कांता के अन्दर की जवानी भी फूट पड़ी.

उसने अभी कुछ देर पहले भी अशोक को अर्धनग्न अवस्था में देखा था तो उसकी चुत में भी खुजली होने लगी थी.

कांता एक भरपूर जवान औरत है और कई दिनों से उसने अपनी जवानी को भोगा नहीं था, क्योंकि उसका पति शंकर चुदाई में कुछ ज्यादा कर नहीं पाता था.

कांता अशोक और मुझे को यौन सुख का आनन्द लेता देख कर गर्म हो गई और उसने भी अपनी साड़ी को ऊपर उठा लिया.

वह अपनी चुत में उंगली करती हुई हम दोनों को चुदाई करते हुए देखने लगी.

काफी देर तक चले चुदाई के इस खेल के बाद हम तो थक कर सो गए … पर इधर कांता बेचैन हो गई थी.

फिर वह भी जाकर अपने बिस्तर पर लेट गई.
पर उसकी आंखों से नींद कोसों दूर थी.

उसकी आंखें के आगे तो बस अशोक का नग्न शरीर ही घूम रहा था.
उसे अशोक का मोटा लंड मेरी चुत में आता जाता दिखाई दे रहा था.

दोस्तो, उम्मीद है कि आपकी टांगों के बीच में रस आ गया होगा.
आगे अभी और भी रस बहने वाला है, आप प्लीज मुठ बाद में मार लेना, पहले मुझे मेरी इस न्यू फ़क सेकंड सेक्स स्टोरी पर अपने मेल लिख भेजिए.

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न्यू फ़क सेकंड सेक्स स्टोरी से आगे की कहानी: घरेलू नौकरानी को मिला लंड

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