मेरे दफ़्तर की अर्चना

(Mere Daftar Ki Archana)

राज अरोड़ा 2011-01-20 Comments

दोस्तो, मेरा नाम राज है, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ तो सोचा क्यों न अपनी भी कहानी आपको बताऊँ…

बात आज से एक साल पहले की है, मेरी नौकरी एक प्राइवेट कंपनी में लगी, मुझे टीम लीडर की पोस्ट मिली थी। यूँ तो मैं लड़कियों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था मगर वहाँ एक लड़की जॉब पर नई नई लगी थी नाम था अर्चना, काफी सुन्दर थी, मोटे मोटे चूचे, मस्त गांड, देखने में बिलकुल केटरीना कैफ.. कंपनी के सारे लड़के उस पर मरते थे।

अब इसे संजोग कहो या मेरी किस्मत कंपनी के मैनेजर ने उसे मेरे विभाग में ट्रान्सफर कर दिया… वो मेरे विभाग में काम करने लगी…

हालांकि मुझे तो काम से मतलब था तो मैं उसे एक कर्मचारी की तरह से ही देखता था.. लेकिन उसके आ जाने से मेरे विभाग के बाकी कर्मचारी उसके चक्कर में बहकने लगे और लडको में आपस में लड़ाइयाँ होने लगी, जो मुझे पसंद नहीं आया।

मैंने उससे एक दिन यूँ ही बातों बातों में कहा- देखो अर्चना, तुम काफी सुन्दर भी हो मगर तुम्हारे होने से मेरे ऑफिस का माहौल बिगड़ रहा है जो मुझे पसंद नही है, मुझे अच्छा तो नहीं लगेगा मगर तुम्हें यहाँ नौकरी नहीं करनी चाहिए.. यह मेरी निजी राय है। यहाँ के लड़के तुम्हें गलत निगाहों से देखते हैं और न जाने टोइलेट में जाकर क्या क्या करते हैं, मैंने ये सब सुना है।

उसने मेरी ओर गुस्से में देखा और कहा- आप टोइलेट में कुछ नहीं करते मेरे बारे में सोचकर?

मैंने कहा- क्या ???
तो वो मुस्कुरा कर बोली- मैं यहाँ जॉब करने आई हूँ ! मुझे किसी से क्या मतलब है।

यह सुनकर मैं चुप हो गया और अपने काम पर लग गया।

इस बात को दो दिन हो गये थे, हम सब ऑफिस में ही थे कि अचानक तेज बारिश पड़ने लगी.. शाम हो गई मगर बारिश नहीं रुकी। ऑफिस से छुट्टी होने के बाद सबकी तरह मैं भी अपनी बाइक लेकर घर जाने लगा कि अर्चना मेरे पास आई..

बारिश में भीगी हुई वो क्या लग रही थी ! उसका कमीज भीग कर शरीर से चिपक गया था और ब्रा में कैद चूचे साफ़ दिखाई दे रहे थे और ऊपर से टाईट जीन्स ! मैं उसे देखता ही रह गया और वो अपने बारिश में भीगे होंठों से बोली- राज सर, क्या आप मुझे आज घर छोड़ देगे… तेज बारिश हो रही हैं और इस समय बस भी नहीं मिलेगी !

मैंने कहा- और भी तो लड़के आपके घर की तरफ ही तो जा रहे हैं, आप उनके साथ चली जाओ।

वो बोली- नहीं, मुझे उन पर विश्वास नहीं है, घर की जगह कहीं ओर ले गये तो…

मैंने कहा- ठीक है।

और उसे घर छोड़ने के लिए पर लिफ्ट दे दी… वो मुझसे चिपक कर बैठ गई और मेरी धड़कनें तेज होने लगी.. मैं सोचने लगा- काश ! मौका मिल जाये तो इसे चोद दूँगा..

मैंने उसे घर छोड़ा तो वो बोली- सर, ठण्ड बहुत हो रही है, आप काफी पीकर जाना..

ठण्ड ज्यादा थी तो मैं उसे मना नहीं कर पाया..

उसने घर का दरवाजा खोला, मैंने कहा- क्या आप अकेली रहती हो?

वो बोली- नहीं, दीदी और मम्मी दिल्ली गई हैं, एक दो दिन में लौट आयेंगी।

मैंने कहा- तो मैं चलता हूँ.. ऐसे आपके साथ अकेले घर में आना ठीक नहीं !

वो बोली- क्यों? क्या मैं आपका देह शोषण कर दूँगी?

मैंने कहा- लेकिन..

उसने कहा- लेकिन-वेकिन कुछ नहीं, चलो।

मैं अन्दर आ गया…

उसने कहा- मैं कपड़े बदल कर आपके लिए काफी लाती हूँ, आप बैठो..

मैं सोफे पर बैठ गया और सोचने लगा कि काश आज इसकी चूत मिल जाये !

मैं चुपके से उठा और उसके कमरे में झांकना शुरू कर दिया, देखा तो वो अपने कपडे बदलने जा रही थी, उसने दरवाजा खुला छोड़ दिया था।

उसने जैसे ही अपनी कमीज उतारी और ब्रा देखकर तो मैं मदहोश हो गया ! क्या मस्त चूचियाँ थी ! 34″ इंच रही होगी। देखते ही मुँह में पानी आ गया, दिमाग गर्म हो गया और लंड खड़ा हो गया।

मैंने झट से दरवाजा खोल दिया और जाकर उसका उसका हाथ पकड़ लिया और बोला- आज तो तुम बिल्कुल जन्नत की हूर लग रही हो।

इतना कहते हुए मैंने उसे अपनी बाहों में भीच लिया।

वो बोली- क्या कर रहे हो? यह गलत है ! मैं शोर मचा दूंगी।

मैंने कहा- कुछ गलत नहीं होता, सब सही है !

और उसकी चूचियाँ दबाने लगा और कस कर चूमने लगा। कुछ देर तक वो ना-नुकुर करती रही फिर उसे भी मज़ा आने लगा और उसकी साँसें तेज़ होने लगी। मैं चूचियों को तेज़ी से मसल रहा था और वो गर्म हो रही थी।

अब उसने भी अपना हाथ मेरी पैंट में डाल दिया था, जैसे ही उसने मेरे लंड को छुआ, मुझे करंट सा लगा और मज़ा आने लगा, मेरा 4 इंच का सिकुड़ा लंड अब 7 इंच का हो चला था और पैंट के अन्दर ही फनफना रहा था !

मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और चूचियों को ब्रा की कैद से आज़ाद कर दिया, वो अब काफ़ी बड़ी हो गई थी और कसी थी। अपने जीवन में अब तक इतनी मस्त चूची कभी नहीं देखी थी मैंने !

और अब वो सही समय आ गया था कि मैं उसे वो सुख दूँ जिसके लिए वो इस हद को पार कर गई थी।

मैंने एक चूची को मुँह में ले लिया और वो सिसकारने लगी। उसे पूरा मज़ा आ रहा था। फिर मैंने उसे अब बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी पैंटी भी उतार दी और एक उंगली उसके चूत में डाल दी। वो और ज्यादा मस्त हो गई और उफ़ उफ़ उफ़ आह आह कर रही थी। वो पूरे चरम पर थी पर मैं धीरज से काम ले रहा था। उसकी चूचियाँ एकदम तन गई और चुचूक कड़े हो गए। अब उससे रहा नहीं जा रहा था और कह रही थी- प्लीज़ ! प्लीज़ !

मैंने अपना 8 इंच का लंड उसके चूत पर धीरे से रखा और हल्का सा जोर दिया, वो उचक पड़ी और बोली- निकालो बाहर ..! मैं मर जाऊँगी !
और उसने रोना शुरू कर दिया।

फिर मै वहीं रुक गया और उसकी चूचियाँ जोर जोर से दबाने लगा जिससे उसका दर्द कम हो जाये।

और अगले ही मिनट दर्द कम हुआ और फिर मैंने एक झटका जोर से दिया और लंड अन्दर जा घुसा, वो चीख पड़ी- उईईईई आआअ मार डाला !

उसके खून बहना शुरु हो गया पर मैंने बाहर नहीं निकाला। दो मिनट के बाद दर्द चला गया। अब उसे मज़ा आने लगा था, वो मदहोश थी। अब मैं ऊपर नीचे कर रहा था।

धीरे धीरे उसने भी साथ देना शुरू कर दिया और हिल हिल कर आह आह करने लगी। उसकी चीखों से पूरा कमरा गूंज उठा !

करीब दस मिनट के बाद मैं अन्दर ही झड़ गया और उसके ऊपर ही पड़ा रहा।

फिर मैंने उसकी गांड कैसे मारी, यह मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊँगा..
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल कर के जरूर बताना..
आपका राज अरोड़ा
[email protected]

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