जूनियर लड़की को पटा कर चोदा

(Office Xxx Free Chudai Kahani)

ऑफिस Xxx फ्री चुदाई कहानी में मेरी फक्ट्री में एक लड़की पैकिंग का काम करती थी. मैं उसे चोदना चाहता था पर बदनामी से डरता था. तब मैंने एक अन्य जूनियर की मदद ली.

दोस्तो, मेरा नाम हैरी बवेजा है।
मैं जालंधर, पंजाब से हूँ।

मेरी उम्र 37 साल है।

मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ, करीब 12 सालों से इस साइट पर कहानियाँ पढ़ता हूँ।

पुराने पाठक शायद मुझे जानते होंगे।
मैंने भी इस साइट पर कई आत्मकथाएँ लिखी हैं, जो आप लोग पढ़ सकते हैं।
मेरी पिछली कहानी थी:
पति से परेशान सलहज की चुत मारी

अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ।
ये ऑफिस Xxx फ्री चुदाई कहानी मेरी और मेरी एक महिला दोस्त की है जिसका नाम सरिता है।
वो मेरी ही कंपनी में काम करती थी।

सरिता 25 साल की है, बिलकुल दूध जैसी गोरी, सुडौल फिगर वाली, 38 साइज की चूचियों वाली, शादीशुदा औरत है।
लेकिन उसकी शादी को 8 साल हो गए, फिर भी कोई बच्चा नहीं है।

बात उन दिनों की है जब कोरोना खत्म हुआ और फैक्ट्रियाँ फिर से शुरू हुईं।

सरिता हमारी कंपनी के पैकिंग डिपार्टमेंट में पैकिंग का काम करती थी और मैं प्रोडक्शन मैनेजर था।

वैसे तो मुझे सरिता पहले से ही बहुत पसंद थी लेकिन मैंने पहले ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मैं ऊँची पोस्ट पर था और सोचता था कि कहीं बदनामी न हो जाए।

सरिता की एक सहेली भी थी, दोनों साथ काम करती थीं।

उसी समय कंपनी में एक नया लड़का जॉइन हुआ जो बहुत लड़कियों का दीवाना था।

उसे सरिता की सहेली पसंद आ गई और वो उसे लाइन मारने लगा।
मेरे दिल में भी ख्याल आया कि मैं इस लड़के के जरिए सरिता तक अपनी बात पहुँचाऊँ, क्योंकि उस लड़के से मेरी अच्छी दोस्ती हो गई थी।

हालाँकि मैं भी लड़कियों के मामले में कम नहीं हूँ लेकिन कंपनी में अपनी इमेज खराब न हो इसलिए चुप रहता था।

फिर भी, मैंने अपने दोस्त के जरिए सरिता तक अपनी बात पहुँचाई कि मैं उसे पसंद करता हूँ।

उस दिन के बाद सरिता मुझे ध्यान से देखने लगी।
जब भी वो मेरे ऑफिस के पास से गुजरती, मुझे स्माइल देकर जाती।

मुझे लगने लगा कि बात बन जाएगी।

मैं अब उसके डिपार्टमेंट में ज्यादा समय बिताने लगा और उसे ही निहारता रहता।
वो भी मुझे एकटक देखती।

ऐसा सिलसिला कई दिनों तक चला, लेकिन न वो कुछ खुलकर कहती, न मैं।

एक दिन शाम को जब छुट्टी हुई, मैं अपने दोस्त के घर गया।

अचानक वो मुझे अपनी गली में मिल गई।
उसने खुद ही कहा, “सर, आप इधर कहाँ?”
मैंने जवाब दिया, “मेरा दोस्त यहीं रहता है, उससे मिलने आया था!”
वो बोली, “मैं भी यहीं रहती हूँ!”

शायद वो ये समझ रही थी कि मैं उसका पीछा करते हुए वहाँ आया हूँ।
वो चली गई।
अब रोज नजरें चार होतीं और आँखों-आँखों में बात होती।

एक दिन मैंने उससे मोबाइल नंबर माँगा।
उसने कहा, “नंबर नहीं दे सकती!”

फिर एक दिन दोपहर के समय वो मुझे अकेली मिल गई।
मैंने एक कागज पर अपना मोबाइल नंबर लिखकर उसे दे दिया।
उसने वो नंबर अपने ब्लाउज में रख लिया।

करीब 30 मिनट बाद मेरे पास एक अनजान नंबर से कॉल आई।
उधर से एक औरत की बहुत सुंदर आवाज आई।
मैंने पूछा, “कौन?”
वो बोली, “अभी आपने जिसे नंबर दिया था, वही बोल रही हूँ!”

मैं बहुत खुश हुआ।

इसके बाद बातों का सिलसिला शुरू हो गया।

वो बोली, “मुझे आप बहुत दिनों से पसंद थे, लेकिन डरती थी!”

बातों-बातों में उसने बताया कि शादी के 8 साल बाद भी वो माँ नहीं बन सकी।
मैंने कहा, “तुम टेंशन मत लो!”
वो बोली, “डॉक्टर को बहुत दिखाया, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता!”
मैंने कहा, “तुम चिंता मत करो, तुम्हारा बच्चा जरूर होगा!”

मैंने उसे प्रॉमिस किया और कहा- मुझे तंत्र-मंत्र सिद्धि भी आती है। मैंने इससे पहले कई लोगों का भला किया है। कई लोगों को संतान प्राप्ति हुई है। किसी का भला हो, इससे अच्छी बात क्या होगी?

मैंने कहा, “तुम्हें बच्चा होगा, और इसका विश्वास मैं तुम्हें देता हूँ!”

इसी तरह कई दिन बातें होती रहीं।

फिर एक दिन मैंने उसे अकेले मिलने को कहा।
वो मान गई।
समय फिक्स हो गया।

सुबह वो तैयार होकर मेरे बताए पते पर आ गई।

मैं उसे एक होटल में ले गया।
वो बहुत सुंदर लग रही थी।
सच में वो बहुत खूबसूरत है।
उसका फिगर लाजवाब है।

कंपनी के कई लड़के उसके पीछे पड़े थे लेकिन वो किसी के हाथ नहीं लगी।

होटल में पहुँचकर हमने थोड़ी देर बात की।

फिर मैंने धीरे-धीरे उसके बूब्स पर हाथ फिराना शुरू किया और उसके कमीज के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा।
वो शरमाकर मेरे हाथ हटा देती।

फिर मैंने धीरे-धीरे उसे किस करना शुरू किया।
उसके होंठ एकदम मुलायम थे।
होंठों पर होंठ रखकर चूमने में बहुत आनंद आ रहा था।

धीरे-धीरे मैंने उसके कमीज में हाथ डाल दिया।
उफ्फ! क्या मोटे-मोटे चूचे थे, एकदम कसे हुए।
लग ही नहीं रहा था कि ये शादीशुदा औरत के बूब्स हैं।

मैं धीरे-धीरे उसके बूब्स दबा रहा था।
वो नशे में मदहोश होकर आँखें बंद कर लेती।

फिर मैंने उसकी सलवार पूरी उतार दी।
उसने नीचे कुछ नहीं पहना था।

उफ्फ! क्या मस्त दूध थे, बता नहीं सकता।
एकदम सफेद और कसे हुए।

अब उसके बूब्स बिलकुल नंगे मेरे सामने थे।
धीरे-धीरे मैंने उसके बूब्स चूसना शुरू किया और एक हाथ से उसके दूसरे बूब्स को दबा रहा था।

वो “उह्ह्ह… आह्ह!” की आवाजें निकाल रही थी।

बूब्स चूसते-चूसते मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया और उसकी चूत में उंगली डालने लगा।
इससे वो पानी छोड़ने लगी।
वो बहुत उत्तेजित हो गई थी।

मैंने पूछा, “इतनी जल्दी?”
उसने जवाब दिया, “क्या करूँ? पति महीनों तक चोदते नहीं हैं! जान, क्या करूँ? इतने दिनों से तड़प रही हूँ!”

कुछ देर बाद मैंने फिर से सरिता को गर्म किया।
अब उसकी सारी शर्म उतर गई थी और वो खुलकर बात करने लगी।

मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरा नंगा हो गया।
मैंने सरिता को लंड चूसने का इशारा किया।

सरिता थोड़ी शरमा रही थी।
मैंने खुद ही उसके होंठों पर अपने लंड का टोपा रख दिया।
सरिता ने धीरे से मेरे लंड के टोपे को चूसा और चाटा।

मैं कुछ अलग करना चाहता था जो सरिता ने पहले कभी न किया हो।
उसका पति बहुत साधारण सेक्स करता था।

मैंने सरिता को बेड पर लिटाकर उसकी चूत चाटना शुरू किया।

सरिता की चूत पहले कभी चूसी नहीं गई थी।
ये उसके लिए नया था।

मैं उसकी चूत चूस रहा था।
सरिता “उफ्फ… उफ्फ… सीईईई!” की आवाजें निकाल रही थी।
वो कभी मेरे मुँह को अपनी चूत पर दबा देती।
उसे बहुत मजा आ रहा था।

मैंने सरिता से कहा, “आओ, तुम मेरा चूसो और मैं तुम्हारा!”
फिर हम 69 पोजीशन में आ गए।
सरिता मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत में अपनी जीभ डालकर उसके कसेले और नमकीन चूत का रस पी रहा था।

चूत चूसने के कारण सरिता एकदम चुदासी हो गई थी।
उसकी साँसें लंबी-लंबी चलने लगीं।

फिर मैंने उसे बेड के किनारे लिटाया, उसकी टाँगें ऊपर उठाईं और उसकी चूत में जोर का झटका दिया।
वो “उह!” करके चुप हो गई और अपनी टाँगें हवा में लहराने लगी।

अब मैं उसकी चूत में धक्के मार रहा था।
सरिता मजे से “उह्ह्ह… आह्ह्ह!” करके चुदवा रही थी।

फिर मैंने सरिता को बेड से उतारकर खड़ा किया और एक टाँग बेड पर रखकर उसकी चूत में लंड घुसाकर चुदाई करने लगा।
सरिता भी धीरे-धीरे अपनी गांड आगे-पीछे करके मजे ले रही थी और “सीआई… सीआई… उह्ह्ह्ह… उह्ह्ह… आउछ!” की सिसकारियाँ निकाल रही थी।

अब सरिता की टाँगों में दर्द होने लगा।
मैंने उसे फिर से बेड पर लिटाया, उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और चुदाई शुरू कर दी।
इस पोजीशन में सरिता को आराम और मजा दोनों मिल रहा था।

मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था।
सरिता “उह्ह… आह!” की आवाजें निकाल रही थी, जिससे मेरा जोश और बढ़ जाता।

मैं और जोर से उसकी चूत चोदने लगा।
सरिता भी नीचे से अपनी गांड हिलाकर लंड को जवाब दे रही थी और मादक सिसकारियाँ ले रही थी।

सरिता के माथे पर पसीना आ गया था।
चुदाई करवाते समय वो बिलकुल अप्सरा सी लग रही थी।

मेरे मन में उसकी चूत से लंड निकालने का मन ही नहीं कर रहा था।
फिर मैंने और जोर-जोर से उसे चोदा।

सरिता भी नीचे से गांड उठाकर लंड को जवाब दे रही थी और “सीई ईईई… सीईईईई… आह्ह… आह्ह!” की आवाजें निकाल रही थी।
उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और बोली, “जोर से! जोर से!”
फिर वो “आह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्ह!” करके मुझसे लिपटकर झड़ गई।

इधर मेरा भी बुरा हाल था।
मैंने भी जोर-जोर से चुदाई की और “आह… आह!” करके उसकी चूत में अपना गर्म-गर्म लावा छोड़ दिया।

गर्म लावा चूत में जाने के बाद सरिता ने मुझे फिर से गले लगा लिया।
वो बोली, “जल्दी-जल्दी मुझे माँ बना दो!”

अब बहुत देर हो चुकी थी।

हम तैयार हुए और कंपनी के लिए निकल गए।
पहले मैं कंपनी पहुँचा, फिर एक घंटे बाद वो, ताकि किसी को शक न हो कि हम एक साथ आए हैं।

उसके बाद भी हमारी बहुत चुदाई हुई।
मैंने सरिता की कुंवारी बहन मधु को भी चोदा।

वो कहानी भी जल्दी लिखूँगा।
दोस्तों, कुछ महीनों बाद सरिता गर्भवती हुई और उसे एक लड़की पैदा हुई।

ऑफिस Xxx फ्री चुदाई कहानी पर मुझे प्यार भरे मेल जरूर करिएगा!
इजाजत दीजिए, फिर हाजिर हूँगा आपकी खिदमत में नई कहानी लेकर।
[email protected]
मेरी फेसबुक आईडी भी यही है.

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