तरक्की का सफ़र-11

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राज अग्रवाल

एक दिन ऑफिस में शाम को जब काम खतम हो गया तो मीना मेरे पास आयी और बोली, “सर! मेरे भाई का कॉलेज में एडमिशन हो गया है…… इससे घर के खर्चे बढ़ गये हैं, इसलिये मैं अपसे एक रिक्वेस्ट करने आयी हूँ।”

“अगर तुम तनख्वाह बढ़ाने की बात लेकर आयी है तो मैं पहले से ही ना कर रहा हूँ।”

“नहीं सर! तनख्वाह की बात नहीं है, अगर आप मेरी माँ को नौकरी दे सकें तो मेहरबानी होगी, मैंने सुना है एच.आर डिपार्टमेंट में जगह खाली है, मेरी मम्मी वहाँ कुछ साल काम कर चुकी है।”

“मैं इस बारे में सोचुँगा”, मैंने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी मम्मी काम के बारे में तो जानती है लेकिन क्या वो कंपनी कि दूसरी पॉलिसी के बारे में जानती है?”

“तो क्या आप मेरी मम्मी को भी चोदेंगे?” मीना ने चौंकते हुए पूछा।

“तुम्हें पता है कि कंपनी की पॉलिसी क्या है और कंपनी का डी.एम.डी होने के नाते मैं पॉलिसी नहीं बदल सकता”, मैंने जवाब दिया, “लेकिन तुम अभी अपनी मम्मी से कुछ ना कहना…… मुझे पहले एम-डी से बात कर लेने दो।”

मैंने एम-डी को फोन लगाया और बताया।      इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“उसे रखना है तो रख लो! काफी मेहनती औरत है और चोदने के लिये भी अच्छी है। तुम्हें उसे चोदने में मज़ा आयेगा। मैंने कई बार उसे चोदा है और दोबारा भी चोदना चाहुँगा, पर मीना को क्या कहोगे?” एम-डी ने कहा।

“सर! मैं मीना को बता चुका हूँ कि अगर वो यहाँ पर कम करेगी तो मुझे उसे चोदना पड़ेगा।”

“ठीक है! तुम उसे कल बुला लो”, एम-डी ने फोन रखते हुए कहा।

शाम को जब मैं घर पहुँचा तो प्रीती घर पर नहीं थी। जैसा कि हफ़्ते में दो तीन बार होता था…. प्रीती जरूर किसी क्लब में गुलछर्रे उड़ा रही थी। देर रात वो नशे में धुत्त लड़खड़ाती हुई कार से उतरी तो मैंने कुछ बात करना मुनासिब नहीं समझा। सुबह जब वो उठी तो मैंने कहा, “प्रीती! तुम्हारे लिये एक खबर है।”

“तुम्हारे लिये भी मेरे पास एक खबर है, लेकिन पहले तुम बोलो!” प्रीती बोली।

“मीना ने सिफ़ारिश की है कि मैं उसकी माँ को काम पर रख लूँ…… एम-डी ने भी हाँ कर दी है।”

“जाहिर है तुम उसे चोदोगे!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।

“तुम्हें कंपनी की पॉलिसी का तो पता है!”

“राज! मैं देख रही हूँ कि इन दिनो तुम चुदी हुई चूतों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हो, इसमें कहीं मुझे ना भूल जाना”, प्रीती हँसी।

“तुम्हें और तुम्हारी चूत को कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरे लिये स्पेशल हो। तुम तो जानती हो कि मुझे चोदने में कितना मज़ा आता है। अगर मेरे पास साठ साल की बुढ़िया भी काम माँगने आये तो मैं उसे भी बिना चोदे काम नहीं दूँ। हाँ… अब तुम बताओ क्या खबर है?”

“घर से खत आया है…. राम और श्याम की शादी पक्की हो गयी है”, प्रीती खुश होते हुए बोली।

“मुबारक हो तुम्हें! क्या वो दो बहनों से शादी कर रहे हैं?”

“नहीं दोनों अलग परिवार कि लड़कियाँ हैं”, प्रीती बोली।

“तुम कितने दिन के लिये जाना चाहती हो?” मैंने पूछा।

“एक महीना तो लग ही जायेगा।”      इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“एक महीना! इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रह सकुँगा।”

“ऑफिस में इतनी सारी लड़कियाँ हैं चोदने के लिये, एक महीना कहाँ बीत जायेगा कि तुम्हें एहसास भी नहीं होगा”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।

“लड़कियाँ तो आज भी हैं…. पर तुम तो जानती हो कि रात को मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।”

“मेरे बिना या मेरी चूत के बिना!” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।

“प्रीती! अब ये अच्छी बात नहीं है….” मैंने नाराज़गी जाहिर की।

“अरे बाबा! नाराज़ मत हो….. मैं जानती हूँ, इसलिये मैंने रजनी से कह दिया है कि वो रोज़ शाम को तुम्हारे पास आ जाया करेगी और कभी-कभी रात को भी रुकेगी।”

“ठीक है!!! कब जाना चाहती हो?”

“मैंने कल सुबह की फ्लाइट की टिकट बुक करा ली है”, प्रीती ने जवाब दिया।

दूसरे दिन प्रीती को एयरपोर्ट छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा तो मिसेज महेश को मेरी वेट करते देखा, “आयेशा!! जरा मिसेज महेश को मेरे केबिन में भेजना?”

मिसेज महेश वाकय काफी आकर्शित महिला थी। उनकी उम्र पैंतालीस के आसपास होने के बावजूद शरीर गठीला था, भरे हुए मम्मे और लंबे बाल। उन्होंने काली रंग की साड़ी, मैचिंग का ब्लाऊज़ और काले ही रंग के बहुत ही ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे था। दिखने में काफी सुंदर लग रही थी।

मैं उनके सर्टिफिकेट्स देखने लगा। इतने में एम-डी ने केबिन में कदम रखा।

“हाय अनिता! कैसी हो? कई दिनों से तुम्हें नहीं देखा”, एम-डी ने कहा। मिसेज महेश एम-डी से मिलने के लिये उठीं तो एम-डी ने उन्हें बाँहों में भर लिया और उनकी छाती दबा दी।

“अनिता! राज तुम्हारे सर्टिफिकेट्स देख चुका है, अब वो तुम्हारी चूत देखना चाहता है। चलो कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ जिससे इंटरव्यू शुरू किया जा सके”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।

“क्या आप हर केंडिडेट का इंटरव्यू उसे चोद के लेते है?” अनिता ने मुस्कुराते हुए कहा।

“ये हमारी कंपनी की पॉलिसी है, चलो अब झिझको मत…. वैसे भी तुम बगैर कपड़ों में और ज्यादा सुंदर दिखती हो और मुझे पता है तुम्हारी चूत चुदाई के लिये हमेशा तैयार रहती है”, एम-डी ने कहा। अनिता थोड़ा शर्माते हुए अपने कपड़े उतारने लगी और अचानक वो रुक गयी।

“तो इसका मतलब है, मीना को नौकरी देने से पहले आप लोग……?” अनिता ने पूछा।

“हाँ अनिता!!! खूब अच्छी तरह चोद-चोद कर ही मीना को काम पर रखा है, चलो अब तुम भी तैयार हो जाओ, आज तुम्हें एक ऐसे लौड़े से चुदवाने को मिलेगा जो तुम्हारे स्वर्गवासी पति के लौड़े से भी बड़ा है।”

“तब तो मैं जरूर देखुँगी!!!” अनिता ने तेजी से अपने कपड़े उतारे और सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी हो गयी। थोड़ी देर में हम तीनों ही नंगे हो चुके थे। “ओहहह…ऊऊऊ सर! ये तो वाकय में बहुत मोटा है”, अनिता मेरे लंड को पकड़ सोफ़े पर लेटती हुई बोली।

“सर! ज़रा धीरे से चोदियेगा”, मैंने अपने पति के मरने के बाद इतने बड़े लंड से नहीं चुदवाया है।

“जैसा तुम कहोगी मेरी जान!” कहकर मैंने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक पेल दिया।

“ऊऊऊऊऊऊ मर गयीईईई… अनिता चींखी, सर धीरे से चोदिये ना।”

मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा, “हाँ सर! ऐसे ही…” अनिता भी अपने चूतड़ उछाल कर मज़े लेने लगी।

एम-डी हम दोनों की चुदाई देख रहा था। उसने फोन उठाया और कुछ कहा। थोड़ी देर में मीना केबिन में आयी। एम-डी ने उसे शाँत रहने को कहकर कपड़े उतारने का इशारा किया।

थोड़ी देर में एम-डी ने नंगी मीना को मेरे बगल में लिटा कर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया। “ऊऊऊह सर! थोड़ा धीरे से, मीना सिसकी।”

अपनी बेटी की आवाज़ सुन कर अनिता ने मुँह घुमा कर देखा कि मीना भी उसे ही देख रही थी। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को देख रही थीं और हम दोनों उन्हें चोद रहे थे।

थोड़ी देर में ही वो अपने कुल्हे उछाल कर हमारी थाप से थाप मिला रही थीं। उनके मुँह मादक आवाज़ें निकल रही थी।

“हाँ सर!!!!! मुझे जोर से चोदो”, अनिता ने मुझे जोर से बाँहों में भरते हुए कहा, “हाँआँआँ ऐसे ही!!!!!! हाँ और जोर से!!!!!!!!”

“ओहहहहहह हाँआँआँ……. हाँआँ…… ऊऊऊहहहह….” मीना भी चिल्लाये जा रही थी, “हाँ सर चोदो मुझे!!!!! जोर से!!!!!! मेरा छूटने वाला है!!!!”

एम-डी ने सच कहा था, अनिता की चूत सही में चुदक्कड़ थी, वो एक अनोखे अंदाज़ में अपनी चूत की नसों से लंड को जकड़ लेती थी। मुझे अपने लंड के पानी में उबाल आता दिखा और मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मैंने एक एक्सप्रेस ट्रेन की तरह अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।

अनिता ने भी महसूस किया और बोल पड़ी, “ओहहहह राज सर! रुकिये मत….. चोदते जाइये!!!!! डाल दो अपना पानी मेरी चूत में…. मैं भी झड़ने वाली हूँ।” मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाया और अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी।      इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“ओहहहहह कितना अच्छा लग रहा है”, वो सिसकी जैसे ही मेरी पहली पिचकारी छूटी, “मेराआआआआ भी छूट रहा है…… हाँआँआँआँ”, अपना बदन ढीला छोड़ कर वो अपनी साँसें संभालने लगी।

वहाँ बगल में मीना अपने कुल्हे उछाल कर एम-डी का साथ दे रही थी, “ओहहहह….. सर!!! मेरा छूटाआआ!!!!” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। एम-डी ने भी दो चार धक्के लगा कर अपने वीर्य की बरसात उसकी चूत में कर दी। हम चारों अब ढीले पड़े अपनी साँसें काबू में कर रहे थे।

“मम्मी मुझे माफ़ कर दो, मुझे आपको पहले बता देना चाहिये था”, मीना ने अनिता से माफी माँगते हुए कहा।

मुझे समझ में नहीं आया कि वो अपनी चुदाई की माफ़ी माँग रही थी या अपनी माँ की चुदाई पर। “कोई बात नहीं मीना!!! जो होना था सो हो गया”, अनिता ने मीना को बाँहों में भरते हुए कहा।

“ओह मम्मा!!!! मुझे उम्मीद है आपको यहाँ काम करके मज़ा आयेगा”, मीना बोली।

“जरूर मज़ा आयेगा!!!! जब राज जैसा लंड मिल जाये चुदवाने के लिये तो किस औरत को मज़ा नहीं आयेगा”, अनिता ने बेशर्मी से कहा।

“चलो बहुत हो गया”, एम-डी ने कहा, “अब यहाँ आओ और हमारा लौड़ा चाट कर साफ़ करो।”

दोनों रेंग कर हमारे घुटनों के बीच आ कर अपनी जीभ से हमारा लौड़ा चाटने लगीं और फिर मुँह में ले उसे जोरों से चूसने लगी।

अनिता चुदवाने में ही माहिर नहीं थी, बल्कि लंड चूसने में भी उसका जवाब नहीं था। वो अपने मुँह को पूरा खोल कर लौड़े के जड़ तक ले जाती और जोरो से चूसते हुए अपने मुँह को ऊपर उठाती। बहुत ही दिलकश नज़ारा था। दोनों माँ बेटी का सिर हमारे लौड़े पर हिल रहा था।

मेरा लंड फिर एक बार झड़ने के लिये तैयार था, “अनिता जोर जोर से चूसो…….. मेरा छूटने वाला है।” मेरी आवाज़ सुन कर अनिता और जोरों से चूसने लगी। “मेराआआआ छूट रहाआआआ है!!!!!” मैं चिल्लाया।

अनिता मेरे लंड का सारा पानी पी गयी और एक बूँद भी उसने बाहर नहीं गिरने दी। अभी भी वो मेरा लंड चपड़-चपड़ कर के चूस रही थी। उधर एम-डी ने भी अपना पानी मीना के मुँह में छोड़ दिया।

“राज! जरा आयेशा को ड्रिंक्स लाने के लिये बोलना”, एम-डी ने कहा।

थोड़ी देर में आयेशा चार ग्लास, बर्फ और व्हिस्की की बोतल लेकर आयी। एम-डी ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके मम्मे दबाते हुए कहा, “राज! ये तो बहुत चुदासी लग रही है…… लगता है तुम इसे आजकल चोदते नहीं हो?”      इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“नहीं सर! इसे अपनी चुदाई का हिस्सा बराबर मिलता रहता है, लेकिन ये चुदाई को दवाई समझती है कि खाना खाने के बाद दिन में तीन बार लेनी चाहिये”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।

“लगता है इसकी चूत की प्यास मुझे ही बुझानी पड़ेगी!” एम-डी ने उसकी सलवार नीचे खिसका कर उसकी चूत में अँगुली डालते हुए कहा।

“सर! ये तो बहुत अच्छी बात है, आप मुझे अभी चोदेंगे या बाद में?” आयेशा खुश होते हुए बोली।

“अभी मुझे कुछ काम है, तुम ऐसा करो… शाम को पाँच बजे आ जाओ”, एम-डी ने कहा।

आयेशा के जाने के बाद मैंने और एम-डी ने बाकी का इंटरव्यू अनिता और मीना की गाँड मार कर पूरा किया। अपने कपड़े पहनते हुए अनिता बोली, “अब मैं समझी कि क्यों महेश इंटरव्यू मिस नहीं करना चाहता था।”

समय गुज़रने लगा, मेरी चुदाई भी हमेशा कि तरह चल रही थी, ऑफिस में लड़कियाँ थी और घर पर रजनी शाम को आ जाती थी। कभी-कभी शबनम और समीना भी घर आ जाती थीं।

एक दिन अनिता ने मुझसे कहा, “सर! क्लर्क की पोस्ट के लिये नयी लड़की रखनी पड़ेगी।”

“क्यों पहले वाली कहाँ गयी?” मैंने पूछा।      इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“दो दिन हुए उसने नौकरी छोड़ दी।”

“मुझे क्यों नहीं बताया कि वो छोड़ के जा रही है, कम से कम आखिरी बार उसकी चूत तो चोद लेता।”

“सर! छोड़ने के पहले वो आपके ही साथ थी।”

“मुझे नहीं मालूम!!! आगे से ये तुम्हारी जवाबदारी है कि कोई लड़की नौकरी छोड़े तो मैं उसकी चूत गाँड और मुँह अपने वीर्य से भर दूँ। अब नयी लड़की के लिये पेपर में इश्तहार दे दो।”

“वो सब मैं कर चुकी हूँ और एक लड़की को सलैक्ट भी कर लिया है। आप सिर्फ़ इतना बता दें कि उसका इंटरव्यू कब लेना है… सो मैं उसे समझा कर ले आऊँ”, अनिता ने आँख मारते हुए कहा।

“ठीक है! कल शाम पाँच बजे उसे बुला लो और एम-डी को भी इंटरव्यू के बारे में बता देना”, मैंने जवाब दिया।

दूसरे दिन अनिता एक २५-२६ साल की लड़की को साथ लिये ऑफिस में दाखिल हुई। मैंने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा, वो सही में सुंदर थी, गोरा रंग, नीली आँखें, पतली कमर, लंबी टाँगें और उसके मम्मे काफी बड़े थे। ऐसा लग रहा था अभी उसके कुर्ते को फाड़ कर बाहर आ पड़ेंगे।

“सर! ये ज़ुबैदा है!!! अपने एच-आर डिपार्टमेंट में क्लर्क की पोस्ट के लिये…” अनिता ने परिचय कराया।

इतने में एम-डी ने भी केबिन में कदम रखा। “अनिता अब तुम शुरू कर सकती हो!” एम-डी ने कहा।

अनिता ने ज़ुबैदा के सर्टिफिकेट दिखाने शुरू किये। ज़ुबैदा अपने पिछले काम के एक्सपीरियेंस बता रही थी कि इतने में अनिता ने ज़ुबैदा से पूछा, “क्या तुम कुँवारी हो?”

ज़ुबैदा को ऐसे प्रश्न की आशा नहीं थी, “हाँ! मैं बिल्कुल कुँवारी हूँ।”

“देखो ज़ुबैदा! सच-सच बताना, कारण…. हमारी कंपनी अपने हर एम्पलोयी का मेडिकल चेक अप कराती है…… सो अगर तुम झूठ बोल रही होगी तो तुम्हारा झूठ वहाँ पकड़ा जायेगा”, अनिता ने कहा।

ज़ुबैदा कुछ वक्त सोचती रही और फिर धीमी आवाज़ में कहा, “नहीं!!! मैडम मैं कुँवारी नहीं हूँ।”

“तुमने अपनी कुँवारी चूत को कब और कैसे चुदवाया?” अनिता ने पूछा।

“मैडम, ये मेरा पर्सनल मामला है, इससे आपको क्या करना है?” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“हमारी कंपनी का असूल है कि वो अपने करमचारी की हर बात की जानकारी रखती है….. सो डरो मत…… बताओ!!” अनिता ने कहा।

“ये कुछ  साल पहले की बात है, मेरे अम्मी और अब्बा घर पर नहीं थे। मेरा बॉयफ्रेंड उस दिन मेरे घर पर आया और जबरदस्ती मेरी कुँवारी चूत चोद दी”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“क्या तुम्हें चुदवाने में मज़ा आया।”

“पहली बार तो बहुत दर्द हुआ था और मज़ा भी नहीं आया। लेकिन बाद में मज़ा आने लगा। तीन महीने तक हम पागलों की तरह चुदाई करते रहे पर एक दिन वो मुझसे झगड़ा कर के चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने कहा।

“तुमने कभी अपनी गाँड मरवायी है?” अनिता ने पूछा।

“यही तो झगड़े की जड़ थी, एक दिन वो मेरी गाँड मारना चाहता था….. मैंने मना किया तो उसने मेरे साथ जबरदस्ती करनी चाही पर मैंने उसे अपनी गाँड नहीं मारने दी, वो झगड़ कर चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने बताया।

“तुम्हें चुदवाने का दिल करता है?” अनिता ने पूछा।

“हाँ मैडम! बहुत करता है।” ज़ुबैदा ने शर्माते हुए कहा।

“तो क्या करती हो!” अनिता ने पूछा।

“जी मोमबत्तियों और खीरे-बैंगन से काम चाला लेती हूँ बस!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“तो ठीक है अपने कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ।”

“क्या सर मुझे चोदेंगे?” ज़ुबैदा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।

अनिता ने उसके कंधों पर हाथ रख कर कहा, “ज़ुबैदा मैंने तुमसे कहा था ना कि तुम्हें तन मन से काम करना होगा, तो तुम्हारा तन मैनेजमेंट के लिये बहुत स्पेशल है”, इतना कह कर अनिता भी अपने कपड़े उतारने लगी।

ज़ुबैदा अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गयी थी। वो अपने सैंडल उतारने लगी तो अनिता ने उसे रोक दिया। अनिता उसकी झाँटों को पकड़ कर बोली, “ज़ुबैदा! कल ऑफिस आओ तो ये झाँटें तुम्हारी चूत पर नहीं होनी चाहिये, तुम्हारी चूत एक दम चिकनी और सपाट होनी चाहिये मेरी चूत की तरह…. और हमेशा हाई-हील के सैंडल पहने रखना….. जैसे आज पहने हुए हो।”

“हाँ मैडम!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।      इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“ठीक है अब बिस्तर पर लेट जाओ!” अनिता ने उसे कहा, और एम-डी की तरफ पलटते हुए बोली, “सर! अब ये अपने फायनल इंटरव्यू के लिये तैयार है।”

“राज! तुम इसकी चूत चोदो….. मैं बाद में इसकी गाँड फाड़ुँगा”, एम-डी ने कहा।

जब ज़ुबैदा सोफ़े पर लेट गयी तो मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मेरे खड़े लंड को देख कर ज़ुबैदा बोली, “मैडम! इनका लंड कितना बड़ा है!”

मैंने उसकी टाँगें उठा कर मेरे कंधों पर रख लीं और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया, “आऊऊऊऊ सर!!!! धीरे…. लगता है”, वो सिसकी। मैं धीरे-धीरे उसे चोदने लगा।

थोड़े धक्कों में उसे मज़ा आने लगा और वो सिसकारी भरने लगी, “ओहहहहहह आआआआहहहहहह।”

“क्यों अच्छा लग रहा है ना?” अनिता ने पूछा।

“हाँ मैडम!!! बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ”, वो सिसकते हुए बोली।

उसकी बात सुनकर मैं पूरी ताकत से उसे चोदने लगा। मैंने रफ़्तार भी बढ़ा दी।

“हाँआँआँ सर!!!! ऐसे ही चोदो, और जोर से सर!!!! हाँआँआँ आआआहहहहह ऊऊऊओओहहहहह”, वो सिसक रही थी। मैं भी जोर से चोद रहा था और हमारी साँसें फूल रही थीं।

“ओहहहहह मैडम!!!!!! कितना अच्छा लग रहा है…….. मैं तो गयीईईईईई”, वो चिल्ला रही थी और मैं अपने आपको ना रोक सका और उसे अपनी बाँहों में भींचते हुए उसकी चूत में पिचकारी छोड़ दी। थोड़ी देर एक दूसरे को चूमने के बाद हम अलग हो गये।

“क्यों अच्छा था ना?” अनिता ने पूछा।

“हाँ मैडम!!!! बहुत अच्छा लगा, इतना मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“ठीक है… अब घोड़ी बन जाओ और अपनी गाँड मरवाने के लिये तैयार हो जाओ।”

“नहीं मैडम!!!!! प्लीज़ मेरी गाँड में नहीं”, ज़ुबैदा मिन्नत करते हुए बोली।

“मुँह बंद करो और मैं जैसा कहती हूँ वैसा करो”, अनिता ने उसे डाँटते हुए कहा, “अपना सिर नीचे कर और चूतड़ों को थोड़ा उठा दे।” ज़ुबैदा ने बात मान ली। अनिता झुक कर उसकी गाँड चाटने लगी और दो-तीन मिनट तक उसकी गाँड में अपना थूक भर दिया।

“सर!!! इसकी गाँड अब तैयार है”, अनिता ने एम-डी से कहा। ज़ुबैदा का शरीर काँप रहा था। एम-डी ने उसके पीछे आकर उसकी टपकती चूत में अपना लंड डाल दिया। ज़ुबैदा का शरीर थोड़ा संभला तो एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा दबा दिया।

“ओह सर!!!! प्लीज़ नहीं, सर बहुत दर्द हो रहा है, रुक जाइये प्लीज़ वरना मैं मर जाऊँगी।” मगर ज़ुबैदा की बात पे ध्यान ना देते हुए एम-डी ने और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।

“ओओओहहहह मैडम!!!! आआआ…आप ही इन्हें रोकिये ना!!!” ज़ुबैदा चींखती रही और चिल्लाती रही पर एम-डी अब तेजी से उसकी गाँड मारने लगा। और तब तक मारता रहा जब तक उसका पानी नहीं छूट गया। ज़ुबैदा का मुँह दर्द के मारे लाल हो गया था और आँखों से आँसू बह रहे थे।

“बहुत अच्छे!!!! अब तुम कंपनी में काम करने लायक हो गयी हो”, अनिता ने ज़ुबैदा का हाथ पकड़ कर उसे सोफ़े पर से खड़ा करते हुए कहा, “ज़ुबैदा अब तुम राज सर का लंड चूसो और इनका पानी निगल जाना समझी!!!”

ज़ुबैदा मेरे पैरों के बीच आ गयी और मेरा लंड जोर से चूसने लगी।

“सर! मैं ड्रिंक्स मंगा लूँ?” अनिता ने एम-डी से पूछा। एम-डी ने गर्दन हिला कर हाँ कर दी।

“आयेशा! चार ग्लास और व्हिस्की लाना”, अनिता ने इंटरकॉम पर कहा।

“अभी लायी मैडम!” आयेशा ने जवाब दिया।      इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“ओहहहहह ज़ुबैदा….. जोर-जोर से चूसो….. मेरा छूटने वाला है….” मैंने कहा।

जब ज़ुबैदा मेरे लंड से छूटे पानी को पी रही थी उसी समय आयेशा व्हिस्की लिये केबिन में आयी। मैंने देखा कि वो एक दम नंगी थी। आयेशा ने कुछ कहना चाहा तो अनिता ने उसे चुप रहने का इशारा करके केबिन से जाने के लिये कहा।

आयेशा व्हिस्की और ग्लास रख कर केबिन से चली गयी।

“ज़ुबैदा! तुमने देखा आयेशा ने क्या पहन रखा था?” अनिता ने पूछा।

“मैडम!! वो तो बिल्कुल नंगी थी, उसने हाई-हील सैंडलों के अलावा कहाँ कुछ पहन रखा था”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“अच्छा है…. तुमने देख लिया। ये यहाँ का नियम है….. कोई भी हायर मैनेजमेंट से तुम्हें बुलाये तो तुम्हें इसी तरह आना है।”

ज़ुबैदा कुछ देर तक सोचती रही फिर हँसते हुए बोली, “हाँ मैडम, मैं समझ गयी। आप कहें तो मैं ओ~फिस में हर वक्त ऐसे ही बिल्कुल नंगी सिर्फ हाई-हील के संडल पहने रहने को तैयार हूँ!”

“वेरी-गूड! ऑय लाइक योर स्पिरिट!” अनिता हंसते हुए बोली।

हम चारों जब दो-दो पैग व्हिस्की पी चुके तो अनिता ने कहा, “ज़ुबैदा! अब तुम एम-डी के ऊपर लेट कर उनका लंड अपनी चूत में ले लो, और पीछे से राज सर तेरी गाँड मारेंगे।”

“पर मैडम! राज सर का इतना बड़ा लंड मेरी छोटी गाँड में कैसे जायेगा?” ज़ुबैदा बोली। उसकी नीली आँखें नशे में बोझल थीं।

“वैसे ही जायेगा जैसे वो मेरी गाँड में, आयेशा की गाँड में और कंपनी की हर लड़की की गाँड में घुस चुका है। तुम लेकर तो देखो…. दो-दो लंड से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मज़ा आयेगा।” अनिता ने उसे समझाते हुए कहा।

एम-डी सोफ़े पर लेट चुका था। ज़ुबैदा उसके ऊपर चढ़ कर अपने हाथों से एम-डी का लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद पे लगाकर बैठती हुई आगे को झुक गयी। एम-डी का लंड उसकी चूत में पूरा घुस चुका था।

मैंने ज़ुबैदा के पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा सा अंदर घुसाया तो वो जोर से चिल्लायी पर मैंने और एम-डी ने उसे दोनों तरफ से चोदना ज़ारी रखा। थोड़ी देर में ही हमारा पानी झड़ गया।      इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“कुछ और सर?” अनिता ने एम-डी से पूछा।

“नहीं! अभी कुछ नहीं”, एम-डी ने जवाब दिया।

“ठीक है ज़ुबैदा! तुम कपड़े पहन कर बाहर इंतज़ार करना…. मैं तुम्हें ऑफिस का काम समझा दूँगी”, अनिता ने कहा। ज़ुबैदा जब कपड़े पहन कर जाने लगी तो एम-डी ने उससे पूछा, “ज़ुबैदा! अब जबकि तुम दो-दो लंड का स्वाद चख चुकी हो तो अब चाहोगी कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड वापस आ जाये?”

“सर! जब इतने शानदार दो लंड हैं तो मुझे उसके पिद्दु जैसे लंड की कोई जरूरत नहीं है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया और अपनी सैंडल खटखटती बाहर निकल गयी। व्हिस्की के सुरूर के कारण उसकी चाल में थोड़ी सी लड़खड़ाहट थी।

ज़ुबैदा के जाने के बाद एम-डी ने कहा, “अनिता! तुम कमाल की हो, क्या कहते हो राज?”

“हाँ सर! मुझे लगता है कि आज के बाद हर इंटरव्यू में हमें अनिता को शामिल करना चाहिये, और इसे इनाम भी देना चाहिये”, मैंने एम-डी से कहा।

मेरी बात सुनते ही अनिता खुशी से उछल पड़ी और बोली, “सर! मैं अपनी चूत ले कर अपना इनाम लेने कब हाज़िर होऊँ?”

“आज नहीं! कल शाम को आना और ज़ुबैदा को भी साथ में लाना”, मैंने कहा।

दूसरे दिन अनिता ज़ुबैदा के साथ दाखिल हुई। दोनों ने कपड़े नहीं पहन रखे थे, सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने हुए थीं। आज ज़ुबैदा की चूत एक दम चिकनी और सपाट दिख रही थी। बालों का कहीं भी नामो निशान नहीं था। मैं और एम-डी ने दो घंटे तक दोनों की चूत और गाँड मारते रहे।

पंद्रह दिन बाद प्रीती अपने भाइयों की शादी अटेंड कर के वापस आ गयी।

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