संतान की चाह में सहकर्मी से चुद गई

(Xxx Desi Bhabhi Fuck Kahani)

Xxx देसी भाभी फक कहानी में एक भाभी के पति का लंड नाकारा था, ना उससे चुदाई का मजा मिला, ना औलाद. तो भाभी ने अपने ऑफिस के बांके मर्द के लंड से बच्चा पैदा किया.

यह कहानी सुनें.

प्रिय पाठको, मेरा नाम मोना सिंह है.
मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूँ. मेरे हसबैंड सरकारी बैंक में जॉब करते हैं.

मैं भी होटल मैनेजमेंट की पढ़ी हूँ और एक होटल में रिसेप्शनिस्ट का काम करती हूँ.

ये Xxx देसी भाभी फक कहानी बिल्कुल सच्ची है … जो मेरी ज़िंदगी का एक बहुत अहम हिस्सा है.

हमारी शादी को 5 साल हो चुके थे, लेकिन मैं कंसीव (गर्भवती) नहीं कर पा रही थी.
मेरी ससुराल नागपुर में है और मैं व मेरे पति हैदराबाद में जॉब करते थे.

मैं अपने पति अंशुल से बिल्कुल खुश नहीं थी.
वे बिस्तर में कुछ कर ही नहीं पाते थे.

मैं अपने पति के साथ संभोग में हमेशा असंतुष्ट ही रहती थी.
जब तक मेरा चरम आता, उससे पहले ही अंशुल झड़ जाते थे.

अंशुल के झड़ने के बाद मेरे अन्दर सब कुछ एकदम गुलगुला गुलगुला सा लगता था … यानि साफ शब्दों में लिखूँ तो उनके लौड़े की जान निकल जाती थी और उनका लंड किसी मारे हुए मेंढक की तरह मेरी चुत में लिथुड़ने सा लगता था … साला कोई मज़ा ही नहीं आता था. मेरी चुत भरपूर गीली रहती थी और गीली ही रह जाती थी.

इसके अलावा उनके वीर्य में मुझे हमल से करने की शक्ति भी नहीं थी.

मुझे तो अब कोई लोहे का रॉड चाहिए था और चुदाई का लंबा समय चाहिए था ताकि मुझे चोद कर झाड़ सके और उसके बाद भी चोदते रहने वाला मर्द चाहिए था.

कुछ समय बाद जब बच्चा नहीं ठहरा तो मैंने अंशुल से कहा- मुझे गर्भ क्यों नहीं ठहर रहा है?
इस पर वे चुप हो गए.

इस मुद्दे पर काफी ठंडे दिमाग से चर्चा करने के बाद मैंने और अंशुल ने फर्टिलिटी क्लिनिक में अपनी जांच करवाई.
पता चला कि अंशुल को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन है और उनका स्पर्म काउंट भी बहुत कम है.

अंशुल के स्पर्म से बच्चा लगना नामुमकिन था.
जब डॉक्टर ने मुझे रिपोर्ट के बारे में बताया तो मैं समझ गई कि मेरे पति एक नामर्द हैं.

चूंकि उस दिन अंशुल मेरे साथ नहीं आए थे तो मैंने अंशुल को क्लिनिक की रिपोर्ट नहीं दिखाई.
उसकी कुछ वजह थी, जो मैं आपको आगे बताऊंगी.

जब मैं घर आई और मैंने खुद से अंशुल से जांच को लेकर चर्चा नहीं की.
तो कमाल की बात यह हुई कि अंशुल ने भी उस विषय में मुझसे कुछ जानने की जिज्ञासा जाहिर नहीं की.

इससे मुझे समझ में आ गया कि अंशुल को शायद इस बात का अहसास है कि वे मुझे गर्भ से करने में अक्षम हैं.

इस बात को जब काफी दिन बीत गए तो मेरी सास मुझे बच्चा पैदा न करने के कारण भला-बुरा कहने लगी थीं.
वे मुझे ही कसूरवार ठहराती थीं.

मेरे मन में तो आता था कि कह दूं कि तुम्हारे बेटे में ही कमी है लेकिन ऐसा कहने से कुछ हासिल होने वाला नहीं था.

सास जब तब गालियां देती रहतीं और कहतीं- तू बांझ है!
मैं बस कुढ़ कर रह जाती थी.

इसी बीच मेरे हसबैंड की पोस्टिंग करीमनगर हो गई जो यहां से 300 किलोमीटर दूर है.
वे वहां शिफ्ट हो गए.

अब वे हफ्ते में सिर्फ शनिवार शाम को आते और रविवार शाम को चले जाते. बाकी दिन मैं अकेली ही अपने रेंटेड फ्लैट में रहती थी.

हैदराबाद वापस ट्रांसफर के लिए वे कोशिश करते रहे.

दो साल बाद आखिरकार ट्रांसफर मिल ही गया, मेरे कारण… क्योंकि मैं उनकी बीवी हैदराबाद में जॉब कर रही थी.
लेकिन इन दो साल में वह हुआ, जिसकी मुझे चाहत थी.

हमारे होटल के स्टाफ में मैनेजर पद पर शेख सुलेमान था.

उसकी लाइफ में भी बहुत प्रॉब्लम थी.
उसकी वाइफ का ट्यूब ब्लॉक था और वह भी इनफर्टाइल थी.
मोहतरमा से सुलेमान हमेशा नाखुश रहता था.

मेरी और सुलेमान की नजदीकियां धीरे-धीरे बढ़ती गईं.
एक वक्त आया जब हम दोनों अपनी सारी प्रॉब्लम्स, सुख-दुख शेयर करने लगे … अपनी प्राइवेट लाइफ भी.

हम एक-दूसरे से बंधते चले गए.
हमारी रिलेशनशिप मजबूत होती गई… हम और करीब आते गए.

इस रिश्ते की सीक्रेसी आज तक हम दोनों ने बरकरार रखी है.

सुलेमान हर शाम मेरे साथ होता. ढेर सारी बातें होतीं.
बस कुछ बातें दिल में होतीं, ज़ुबान पर नहीं आ पाती थीं.

एक तड़प, एक चाहत … हम दोनों एक-दूसरे की ज़रूरत बन चुके थे.
हम एक-दूसरे के लिए ही बने थे!

इसी बीच उसकी बेगम अपने मायके गई हुई थी.
सुलेमान तब ज्यादातर टाइम मेरे साथ गुजारने लगा था.

हम दोनों शॉपिंग करते, सिनेमा देखते, कभी रात का डिनर रेस्तराँ में, कभी रात का खाना मेरे फ्लैट में ही होता.

लेकिन रात में जब वह अपने फ्लैट जाता तो मैं तड़पती रहती, पर उससे रुकने को कह नहीं पाती थी.

पर हमें ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा.

जुलाई का महीना था.
सुलेमान रोज़ की तरह आज भी मुझे होटल से छुट्टी के बाद अपनी बाइक पर ड्रॉप देने आया.

उसने मेरे साथ चाय पी.

चाय पीते हुए हम दोनों बातें करते रहे.
रात काफी हो चुकी थी.
पर्सनल बातें होने लगीं.

‘मुझे बच्चा क्यों नहीं हुआ?’
‘तेरे हसबैंड अंशुल कैसे हैं?’

मैं भी उससे पूछने लगी कि तुम्हारी बेगम में क्या कमियां हैं? सुलेमान तू अपनी बेगम से क्यों खुश नहीं है?
यही सब बातें करते-करते रात के 12 बज गए थे.

अगले दिन छुट्टी थी.

तभी बाहर आंधी-तूफान और तेज बारिश शुरू हो गई.

सुलेमान ने कहा- अब मुझे जाना चाहिए!
मैंने रोका- नहीं, बाहर आंधी-तूफान चल रहा है, आज यहीं रुक जाओ!

सुलेमान बोला- नहीं रानी, समझो… हम दोनों एक-दूसरे के दिल में रहते हैं और यहीं तक अच्छा है. रात में मैं तुम्हारे साथ यहां रहा तो गड़बड़ हो जाएगी. वैसे भी मैं तुम्हारे हुस्न पे फिदा हूँ … हालत खराब रहती है तुम्हारे कारण. रोज तुम मेरे ख्वाबों में आती हो और मैं खुद को संभाल नहीं पाता. बीवी न हो तो बिस्तर में … या तो बाथरूम में … या बिस्तर में ही गिरा देता हूँ!

उसकी इतनी खुली बात सुनकर मैं अवाक भी थी और मन ही मन मुदित भी थी.
मैंने उसे बहुत रोका मगर वह न रुका, बस अपनी बात कहते हुए चला गया.

करीब 20 मिनट बाद फिर से डोरबेल बजी.

मैं समझ गई कि सुलेमान अब मेरे सपनों का राजा बन चुका है. वह ऐसे नहीं जा सकता! हो न हो यही सुलेमान है जो कॉल-बेल बजा रहा है.

मैंने तुरंत दरवाजा खोला. सुलेमान पूरी तरह भीगा हुआ था.
तेज हवाएं चल रही थीं, बारिश बहुत तेज थी.
सुलेमान पानी में लथपथ आधे रास्ते से वापस लौट आया था.

मैंने कहा- सुलेमान … मैंने कहा था न मत जाओ! मेरी तो सुनते ही नहीं … न अपना ख्याल रखते हो, न मेरा!
वह चुप था.

मैं फिर से बोली- चलो, अपने कपड़े उतारो, मैं वॉशिंग मशीन में डाल देती हूँ … जल्दी ही सूख जाएंगे.
यह कहते हुए मैंने सुलेमान को तौलिया पकड़ा दिया.

सुलेमान ने अपने सारे भीगे कपड़े उतार दिए.
मैंने पूछा- अंडरवियर भीगी नहीं क्या?

उसने कहा- सब भीग गया है रानी. लो, इसे भी उतार देता हूँ … तुम वॉशिंग मशीन में डाल दो.

सुलेमान का लंड पूरी तरह खड़ा था. तौलिया के बाहर 8 इंच का भूरा लंड, गुलाबी सुपारा चमक रहा था.
उसने छुपाने की कोई कोशिश भी नहीं की.
मैं बस देखती रह गई.

सुलेमान सोफे पर बैठ गया.

तभी बिजली चली गई.
मैंने खिड़कियां-दरवाजे अच्छे से बंद कर दिए, पर्दे ठीक कर दिए, सारे स्विच ऑफ कर दिए.

कमरे में सिर्फ एक LED टॉर्च की हल्की रोशनी थी.

तभी सुलेमान ने कहा- रानी क्या हुआ है तुम्हें? प्लीज यहां मेरे पास बैठो, बगल में बैठो! मुझे पता है तुम्हें क्या हुआ है, क्या होना है … क्या चाहिए तुम्हें मुझसे!

मैं सुलेमान के साथ सोफे पर बैठ गई.

सुलेमान ने पूछा- आज तुमने जो देखा, वो कैसा लगा?’

मैंने कहा- मस्त कड़क, प्यारा सा लंड है तुम्हारा! मुझे बहुत पसंद है. आज चलो दोनों सेक्स कर लेते हैं! तुमने मुझे बहुत तड़पाया है … आज नहीं छोड़ूँगी तुम्हें सुलेमान! बहुत चुदवाऊंगी तुमसे, तुम्हारे इस प्यारे लंड से!

इतना खुल कर मैंने कैसे कह दिया, मुझे खुद समझ नहीं आया था.

फिर मैं और सुलेमान मेरे बेडरूम में बिस्तर पर जाकर लेट गए.

सुलेमान ने तौलिया उतारी और मुझसे कहा- रानी जानेमन … अपने कपड़े उतारो … आज मैं तुम्हारी मुराद पूरी करूँगा. तुम्हारी चूत की प्यास मेरे अलावा कोई और नहीं मिटा सकता.

सुलेमान ने टॉर्च अपने लंड पर मारी और बोला- देखो … तुम्हारी चूत का प्यासा है मेरा लंड!

मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए.
सुलेमान ने मेरी चूत में टॉर्च मारी और चिल्लाया- माशाल्ला … बड़ा मस्त छेद है … गुलाबी लिप्स … अच्छा मैचिंग है जानेमान!

मैंने कहा- हां ये छेद तुम्हारे लिए ही है. तुम्हारे लंड के लिए तड़प रही है मेरी चुत … आज की रात तुम प्लीज मेरी सारी हवस मिटा दो!

सुलेमान बोला- जानेमन … तुम मेरे ख्वाबों में रोज चुदवाती हो. आज तो मेरा ख्वाब हकीकत हो रहा है. इतने दिनों से तुमने भी मुझे बहुत परेशान किया हुआ है. तुम पहले भी बोल तो सकती थी न … मैं तो तैयार ही था!

यह कहते हुए सुलेमान ने मुझे अपनी बांहों में लपेट लिया, खूब प्यार किया मेरे दूध चूसे और मस्ती की.
फिर वह नीचे सरक गया.

मेरी चूत में अपनी जीभ लगाई और अन्दर तक जीभ डाल-डाल कर चाटने लगा.
मैं भलभला कर झड़ने लगी.

उसने मेरी चूत का सारा रस चाट लिया और पीता चला गया.

फिर वह एकदम से मेरे ऊपर स्प्रिंग की तरह कूद कर चढ़ा और अपना प्यारा गुलाबी सुपारे वाला लंड मेरी गुलाबी चूत के सुराख़ पर टिका दिया.
मैंने कसमसा कर छेद को लौड़े पर सैट किया तो उसी वक्त उसने जोर लगाकर पेल दिया.

उसका लंड चुत के अन्दर घुस गया.

आह आज पहली बार सख्ती का मीठा अहसास हुआ.
मैं कामुक स्वर में सिसकारियां लेती हुई चिल्ला उठी थी- आह मर गई सुलेमान माय लव … मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती!
सुलेमान ने कहा- अब चोदने दो … मस्त चूत है … एकदम टाइट … आज तो जानेमन मन भर कर चोदूंगा तुमको … आह अब तो मैं तुम्हें रोज पेलूँगा … मेरी वाइफ बन जाओ … मेरे बच्चे की अम्मी बन जाओ!

मैंने सिर हिला के ‘हां.’ कह दिया.
उस रात उसने Xxx देसी भाभी फक कर कर के मेरी चुत का भोसड़ा बना दिया.
हर बार मेरी चुत में अपना रस भर दिया.
करीब चार बजे सुबह तक में उसने मुझे चार बार पेला.

उस रात पहली बार सुकून मिला था.
अब सुलेमान रोज रात को मेरे साथ सोता, मेरे बिस्तर पर.

वह रोज़ कई कई बार चुदाई करता और अपना गर्म-गर्म माल (वीर्य) मेरी फुद्दी में डाल देता.
वह झड़ने के बाद जरूर कहता- लो … लोड कर दिया तुम्हारी बच्चेदानी में!

ये सिलसिला 3 महीने तक चलता रहा.

अक्टूबर का महीना आ गया. मुझे MC नहीं हुई थी.
तीन महीने डिले क्यों हुआ, यह मुझे भी समझ नहीं आया.

जब मैं गर्भ से हो गई तो मैंने अपने पति से कहा और ससुराल में फोन करके अपनी सास से भी कहा.
मेरे पतिदेव मुझे क्लिनिक ले गए.
गायनी ने चेक किया, टेस्ट करवाए.
अल्ट्रासोनोग्राफी में ट्विन्स दिखे.

मैंने हॉस्पिटल में रेडियोलॉजिस्ट से उस रिपोर्ट को गोपनीय रखने की रिक्वेस्ट की.
तो डॉक्टर ने भी बाहर सिर्फ एक बच्चे की बात कही.

अप्रैल में मेरी डिलीवरी हुई.
मेरी कोख से दो लड़के हुए.

एक को सुलेमान ने गोद ले लिया.
मेरे बेटे का नाम है समीर और सुलेमान के बेटे का नाम है शमीम.

अब मेरे दोनों बेटे 5 साल के हो गए.
सुलेमान की बीवी भी मेरे बेटे को अपने बच्चे जैसा पाल-पोस रही है.

दोनों हेल्दी हैं, इंटेलिजेंट हैं, बहुत अच्छे हैं.
दोनों परिवार एकदम खुश.

ये राज़ मेरे और सुलेमान के बीच हमेशा-हमेशा सुरक्षित है.
ईश्वर की यही मर्ज़ी थी.

दोस्तो, मेरी Xxx देसी भाभी फक कहानी कैसी लगी?
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