चुदाई एक्सप्रेस- 2

(Aunty Chudai Kahani)

सनी वर्मा 2025-11-11 Comments

आंटी चुदाई कहानी में गाँव के अमीर जमींदार का बेटा शहर में एक विधवा के घर में कमरा लेकर रहने लगा पढ़ाई के लिए. उसकी एक बेटी भी थी. विधवा को जवान लड़का देख चुदाई की तलब लगी.

कहानी के पहले भाग
चूत लंड की जरूरत है सबको
में आपने पढ़ा कि गाँव के बड़े जमींदार की ह,त्या के बाद सारी संपत्ति उनकी विधवा ठकुरानी के पास आ गयी. पर जमींदार का एक सौतेला भाई भी था, उसके बाप की रखैल का बेटा.
वह खेती की देखभाल करने लगा और साथ में ठकुरानी को भी चुदाई के लिए मना लिया.
ठकुरानी का बेटा धीरज शहर में पढ़ रहा था.

अब आगे आंटी चुदाई कहानी:

धीरज अब उसके मकान में शिफ्ट हो गया.
सरिता बहुत मिलनसार और बातूनी महिला थी.
वो खाना भी बहुत अच्छा बनाती थी.

धीरज को पैसे की कोई दिक्कत थी ही नहीं.
अब उसका मन पढ़ाई में लगने लगा था. वो अक्सर सरिता के रूम में बैठकर ही पढ़ता. वहां एसी लगा था.

उसकी सरिता से खूब पटने लगी.
हालाँकि सरिता उससे काफी बड़ी थी पर हंसी मजाक के दौरान दोनों काफी खुल गए थे.

उधर सावित्री की तबियत भी खराब रहने से वो अब सफर नहीं कर पाती थी तो इतने सालों के बाद एक बार धीरज उससे मिलने गाँव गया.

उसने सावित्री से अपने साथ चलने को बहुत कहा, पर सावित्री नहीं आई.

गरमी के दिन थे.
धीरज के कमरे में सिर्फ पंखा था तो वो अक्सर कपड़े उतार कर सिर्फ लुंगी पहन कर सोता.

एक रात बारिश तेज होने लगी, आसमान में बिजली कड़क रही थी.
घर का मेन गेट किसी पत्थर के बीचे में आने से ठीक से बंद नहीं हो रहा था.

सरिता ने धीरज को आवाज दी.
धीरज ने नीचे आकर पत्थर हटा कर गेट लगाया तो वह भीग गया.
सरिता ने उससे कहा की वो जाकर कपड़े बदले और वो उसके लिए चाय बनाती है.

धीरज ने मना भी किया पर सरिता ने उसे जबरदस्ती ऊपर भेज दिया कपड़े बदलने को.

धीरज ने हंस कर कहा की वो तो रात को केवल लुंगी पहनता है तो सरिता भी मुस्कुरा कर बोली- तो केवल लुंगी ही बदल कर आ जाओ.

धीरज लुंगी बदल कर ऊपर से टॉवेल डाल कर आ गया.

सरिता ने कॉफ़ी बनायी थी.
दोनों कॉफ़ी लेकर बेड पर बैठ गए.

कमरा ठंडा हो रहा था.
अचानक बिजली चली गयी … शायद बारिश की वजह से.

सरिता का इन्वर्टर भी चालू नहीं हुआ.

सरिता ने मोबाइल की लाइट खोल दी, कमरे में हल्की सी रोशनी हो गयी.

बेड पर बैठे बैठे दोनों के पैर टकरा रहे थे.
सरिता की पाजेब आवाज कर रही थी. धीरज का मन मचल रहा था.

एक तो मौसम और ऊपर से विपरीत सेक्स का साथ.

कमोबेश सरिता भी बेचैनी महसूस कर रही थी.

उसने धीरज को लेकर कभी गलत नहीं सोचा, बस वो उसे अच्छा लगता था.
पर आज मन बेईमान हो रहा था.

इन्वर्टर देखने के बहाने धीरज उठने को हुआ देखने को तो सरिता ने हाथ पकड़कर रोक लिया कि बिजली आती ही होगी.

अब सरिता का हाथ उसके हाथ में था.
धीरज धीरे धीरे उसे सहला रहा था.

दोनों चुप थे.

अचानक बिजली जोर से कड़की तो सरिता उससे लिपट गयी.
बस अब सब्र का बाँध टूट गया.
धीरज ने उसे कस के चिपटा लिया.

सरिता ने मुंह ऊपर उठाया तो धीरज ने अचानक ही उसे चूम लिया.

अब तो दोनों लिपट गए, ताबड़ तोड़ चूमा चाटी होने लगी.
धीरज को एक औरत के जिस्म की नजदीकी जिन्दगी में पहली बार मिल रही थी और सरिता को दो साल के बाद किसी मर्द की बलिष्ठ छाती से लिपटने का सुख मिल रहा था.

धीरज का लंड पूरा तन गया था.
उसने सरिता के नाईट सूट को पीछे उठाया और उसकी चिकनी पीठ पर हाथ फिराते हुए उसे अपने से और चिपटा लिया.

सरिता कसमसाई और बोली- धीरज, हम गलत कर रहे हैं.
धीरज को करेंट सा लगा.
उसने सरिता को छोड़ दिया और बेड से उतरने लगा.

अब सरिता दोबारा उससे लिपट गयी, बोली- मत जाओ. जो तूफ़ान उठा है उसे भगवान की मर्जी मान लो.
सरिता ने कहकर धीरज की लुंगी खोल दी और उसका मूसला बन चुका लंड पकड़ लिया.

धीरज ने भी सरिता के कपड़े उतार दिए.
तभी बिजली आ गयी.

दोनों नंगे एक दूसरे के सामने थे.
सरिता का मचलता जिस्म दमक रहा था.

वह झपट कर उठी और कमरे की लाइट बंद कर दी और धीरज से जा लिपटी.
धीरज ने पहली बार किसी औरत के मम्मे पकडे थे.

सरिता के मम्मे मांसल थे.
धीरज उन्हें बारी बारी से चूसने लगा.
सरिता उसका लंड मसल रही थी.

बहुत ज्यादा फोरप्ले की गुंजाइश नहीं थी.
दोनों की आग भड़क चुकी थी.

धीरज ने हाथ नीचे किया और अपनी एक उंगली सरिता की चूत में कर दी.
वहां तो उसकी चूत पानी बहा रही थी.

अब तो दोनों गुत्थम गुत्था हो गए.
दो जिस्म एक होने को मचल उठे.

लेटे लेटे ही सरिता ने धीरज का लंड अपनी चूत पर सेट किया और धीरज से कसमसा कर कहा- ऊपर आ जाओ.

धीरज ने सेक्स भले ही न किया हो, पोर्न तो खूब देखीं थीं.
वो चढ़ गया सरिता के ऊपर और मूसल पेल दिया.

सरिता की तो मानो जान निकल गयी.
धीरज का जवान लंड बहुत मोटा था और फिर सरिता की आदत भी तो ख़त्म हो गयी थी घमासान चुदाई की.

धीरज ने लंड बाहर निकालना चाहा तो सरिता ने उसे चिपटा लिया अपने से और बोली- कहीं मत जाओ, चुदाई रोको मत. धक्के लगाओ जोर से, मेरी प्यास बुझा दो.

थोड़ी देर की उठापटक के बाद दोनों निढाल होकर अगल बगल में पड़े उखड़ी उखड़ी सांस ले रहे थे.
सरिता ने धीरज को चूमते हुए कहा- आज तुमने मेरी बरसों की प्यास बुझा दी. कनिका के पापा और मैं बिना दमदार सेक्स किये सोते ही नहीं थे. मैं तड़प रही थी ऐसी चुदाई के लिए.

आंटी चुदाई के बाद सुबह धीरज कॉलेज चला गया.

अब तो वो और सरिता पति पत्नी की तरह रहने लगे.
दोनों साथ नहाते, साथ खाते और रात को दबा कर सेक्स करते.
मौक़ा मिलता तो नहाते समय भी चुदाई कर लेते.

अब तो सरिता और धीरज बिना कपड़ों के लिपट कर सोते.

सरिता तो खेली खायी थी, उसने पहले से ही ऑपरेशन करा रखा था तो कोई डर नहीं था.
और बिना कपड़ों के रहने की आदत उसे डॉक्टर साहब ने डाल दी थी तो उसने यही फोर्मुला धीरज पर भी अप्लाई कर दिया.

ऐसे ही कब एक साल निकल गया पता ही नहीं चला.
अब ये धीरज का आखिरी साल था.

सरिता की बेटी कनिका की पढ़ाई पूरी हो गयी तो वो वापिस आने वाली थी.

रात को सेक्स के दौरान लिपटते हुए सरिता ने धीरज को ऊपर ही शिफ्ट होने को कहा.
धीरज ने कहा कि वो मकान बदल लेगा.
तो सरिता ने उसे चूमकर कहा- अब मैं बिना तेरे नहीं रह सकती.

उस रात उनका धमाकेदार सेक्स हुआ.
ऐसा सेक्स मानो यह उनकी जिन्दगी आ आखिरी सेक्स हो.
उन्होंने पूरी रात चुदाई कर के अपनी हसरतें पूरी कीं.

अगले हफ्ते सरिता की बेटी कनिका आ गयी.
धीरज तो उसे देखता रह गया.
कनिका बिलकुल सरिता की छाया थी पर उससे बहुत ज्यादा सुंदर और चंचल.

धीरज और कनिका आपस में जल्दी ही घुलमिल गए.
कनिका भी जॉब ढूँढने लगी.

उसे जल्दी ही एक कॉल सेंटर में जॉब मिल गयी.
उसे दोपहर 12 बजे जाना होता था और रात 9 बजे तक वो वापिस आती थी.

सबकी टाइमिंग अलग थी.
सरिता सुबह 7 बजे निकलती और दोपहर 3 बजे तक वापिस आती.
धीरज कॉलेज के लिए सुबह 10 बजे निकलता और शाम तक लौटता.

सरिता सुबह बहुत जल्दी उठकर सबके लिए नाश्ता बनाकर चली जाती.

दोपहर का खाना सभी बाहर खाते, रात का खाना सरिता बना ही लेती.

कनिका अक्सर ही रात को लेट आती तो बस आकर खाना खाकर सो जाती.

सुबह उसे अक्सर धीरज ही उठाता कॉलेज जाते समय.

सन्डे को धीरज कनिका को घुमाने ले जाता, कनिका के पापा की मोटरसाइकिल पर.

अब धीरज और कनिका नजदीक आने लग गये थे और एक दूसरे को पसंद भी करने लगे थे.

पर यह बात सरिता नहीं जानती थी.
धीरज से चुदाई के बाद सरिता ने डॉक्टर साहब को चुदाई के लिए मना किया.

डॉक्टर साहब उस पर दबाव बनाने लगे तो सरिता ने उनका अस्पताल छोड़ दिया था और दूसरा अस्पताल ज्वाइन कर लिया था.

सरिता और धीरज को शाम को समय मिलता.
सरिता जल्दी से रात का खाना बना लेती और धीरज के साथ समय बिताती.

दोनों अक्सर शाम को साथ नहाते और सेक्स करते.
कई बार तो धीरज पीछे पड़ जाता कि बिना कपड़ों के ही खाना बनाओ.

ऐसी स्थिति में किचन में स्लैब के ऊपर टांग रखकर धीरज उसकी चुदाई करता.

सरिता चुदाई के लिए कभी मना नहीं करती.
पर अब उनको डर था कनिका का.

एक दिन मोटरसाइकिल पर घुमते हुए कनिका धीरज से ज्यादा ही नजदीक होकर चिपट कर बैठ गयी.
उसके मम्मे धीरज की पीठ पर चिपके हुए थे.

कनिका ने अपने लम्बे नाख़ून धीरज की छाती पर शर्ट के अंदर कर लिए.

धीरज ने मुंह घुमाया तो कनिका ने उसे चूम लिया.

धीरज ने एक एकांत देखकर बाइक रोकी तो कनिका ने उसे दोबारा चूमा और कहा- आई लव यू!
धीरज ने उसका हाथ थामा और कहा- तुमने अपनी मम्मी से पूछा है?
कनिका बोली- अभी नहीं पूछा, तुम हाँ कहोगे तब पूछूंगी. पर एक बात स्पष्ट है कि मेरे अलावा उनका कोई नहीं. तो शादी के बाद मैं उनका ध्यान पूरा रखूंगी.

धीरज ने उसका हाथ दबाते हुए कहा- यह तो बहुत अच्छी बात है. मैं भी उन्हें हमेश खुश देखना चाहूँगा.

दोनों वापिस आ गये.

अगले दिन शनिवार था.
धीरज और कनिका को कहीं नहीं जाना था.

सरिता अपने रूटीन से हॉस्पिटल चली गयी.

धीरज नहा रहा था.
अचानक कनिका बिना आवाज किये ऊपर आ गयी और बाथरूम का दरवाजा खोल लिया.
अंदर धीरज नंग धडंग नहा रहा था.

कनिका सॉरी बोलकर जाने लगी तो धीरज ने हँसते हुए अंदर खींच लिया और शावर के नीचे चिपटा लिया अपने से.

अब दो जवान जिस्म जब मिले तो पानी में आग और भड़क गयी.
पहले तो होंठ मिले फिर जिस्म.

कनिका की फ्रॉक कब उतर गयी और कब उसके मम्मे धीरज चूसने लगा, कब कनिका के हाथ में धीरज का लंड आ गया, कब वो लंड कनिका के मुंह में पहुंचा, ये सब पता ही नहीं चला.

होश तो तब आया जब धीरज ने वहीँ शावर के नीचे कनिका की चूत में लंड पेलना चाहा.
कनिका बहुत कसमसाई पर धीरज ने लंड चूत के छेद से नहीं हटाया.

अब कनिका भी बिफर गयी.
दोनों बेड पर आ गए और पहली चुदाई की रस्म अच्छे से अदा करने के लिए.

कनिका पैर चौड़ा कर लेट गयी.
धीरज ने अपनी जीभ घुसा दी उसकी चूत में.
कनिका की चूत पर हल्के हल्के रेशमी बाल थे.
वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी.

धीरज ऊपर हुआ और उसके मम्मे लपक लिए और उन्हें चूसने लगा.

कनिका ने हाथ नीचे किया तो उसके हाथ में धीरज का तना हुआ लंड आ गया.

धीरज ने भी टाइम वेस्ट नहीं किया और ऊपर होकर अपना लंड कनिका की चूत पर रख दिया.

कनिका का यह पहला मौक़ा था.
वो लंड की मोटाई से घबराई.

धीरज ने पास रखी क्रीम अपनी लंड और कनिका की फांकों पर लगाई और आहिस्ता से लंड सरका दिया मखमली फांकों के बीच.

कनिका की चीख निकल गयी.
उसने धीरज को कस के जकड़ लिया.

धीरज ने अब पूरा लंड पेल दिया अंदर.
कनिका के आंसू निकल आये.

धीरज लंड बाहर निकालने को हुआ तो कनिका ने उसे कस के जकड़ लिया.

अब तो दोनों की रेलम पेल शुरू हो गयी.
कनिका भी चुदाई में धीरज का पूरा साथ दे रही थी.

कसी चूत थी, धीरज का भी होने को था.
उसने बाहर निकालना चाहा पर कनिका की पकड़ मजबूत थी.
धीरज ने अपने गाढ़े वीर्य से कनिका की चूत भर दी और निढाल होकर कनिका के बगल में लेट गया.

बेड शीट पर खून के कतरे दिख रहे थे.
कनिका के चेहरे पर मुस्कान थी और साथ में डर था इस अनप्लांड सेक्स के अंजाम का.

धीरज ने उसे समझाया कि जो कुछ हुआ मेरी जल्दबाजी से हुआ.
मैं तुमसे शादी के लिए तैयार हूँ, पर पहले पढ़ाई पूरी कर लूं. आज के सेक्स के लिए अभी दवाई ला देता हूँ.

अब तो कनिका और उसका सेक्स हर शनिवार को होने लगा.

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