सपने में मैंने पड़ोसन आंटी को चोदा

(Aunty Fuck Sex Dream)

आंटी फक़ सेक्स ड्रीम की कहानी मेरे सपनों की है कि कैसे मैंने अपने सपने में मामा की पड़ोसन एक सेक्सी आंटी के चूट की चुदाई कर डाली. यह फंतासी कहानी पूरी पढ़कर मजे लीजिये।

नमस्कार दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है.
मेरा नाम राहुल है. मैं 25 साल का हूं और लखनऊ का रहने वाला हूं.

मुझे लड़कियों से ज्यादा आंटी अच्छी लगती हैं. शायद इसीलिये अभी तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.

20 साल की उम्र से ही मैं अन्तर्वासना की कहानी पढ़ता आ रहा हूं.
मैं हमेशा सोचता था कि काश मैं भी किसी आंटी को चोद पाता.

पर सच में तो मेरी यह ख्वाहिश कोई पूरी नहीं कर सकता.
इसलिए मैं रोज रात को अपने सपने में किसी आंटी के साथ सेक्स करता हूँ।

मैं आपको अपने पहले सपने के बारे में बताता हूँ.

मजा लें आंटी फक़ सेक्स ड्रीम की कहानी का:

सोने के बाद मैं सीधे अपने सपनों की दुनिया में आ पहुंचा.
मैं अपने मामू के घर मुंबई आया हुआ था।
मुंबई मैं घूमने के लिए आया था।

मेरे मामू का मुंबई में एक छोटा सा बिजनेस है. वे अकेले रहते हैं, उनकी पत्नी अपने सास ससुर यानि मेरे नाना नानी के साथ रहती है.

पहले तो मैं खूब घूमा, बहुत एंजॉय किया. 3 – 4 दिनों में मैं लगभग मुंबई की सारी फेमस जगह घूम लिया।
लेकिन घर आने के बाद मैं अकेले बोर होने लगता था।

तो अकेले में मैं पोर्न देखता और एक दिन 2 – 3 बार मुठ मारता था।
मुठ मारते समय मैं हमेशा आंटी की चुदाई वाली पोर्न ही देखता था।

दोस्तो, सच बताऊं तो मैं जब भी बाहर घूमने जाता हूँ तो अगर मेरे सामने से कोई आंटी गुजरे तो मैं कुछ देर वहीं खड़ा होकर उनकी गान्ड देखने लगता।

आज ऑफिस जाते समय मामू ने कहा- मैंने नाश्ता बना दिया है और पड़ोस वाली आंटी को बोल दिया है, वह तुमको दोपहर में खाना देने आएगी.

दोपहर को घंटी बजी, मैंने जैसे ही दरवाजा खोला मेरा सामने एक भरे पूरे शरीर वाली और बहुत खूबसूरत औरत हाथ में टिफिन लिए खड़ी थी.

थोड़ी देर के लिए तो मैं उनको देखता ही रह गया।

फिर अचानक से मुझे उनकी आवाज सुनाई दी- आप ही राहुल हो ना?
मैंने हड़बड़ाते हुए बोला- ह … हाँ … आप कौन हैं?

वे बोली- मैं आपकी बगल के घर में रहती हूँ. मैं आपके लिए खाना लाई हूँ, आप खा लीजिये.
मैं बोला- आप खाना मेज पर रख दीजिए, मैं बाद में खा लूंगा.

फिर मैंने उनको थैंक्स बोला जिसके जवाब में वे थोड़ा मुस्कुराई।

वे जैसे ही टेबल पे खाना रख कर जाने लगी … अचानक उनका पैर फिसला और वे गिर गई।

मैं दौड़ कर उनके पास गया, उनको उठाया और उनसे पूछा- आप ठीक तो हैं ना?
वे कराहने लगी और अपनी कमर पर हाथ फेरने लगी.

शायद उनकी कमर में चोट आई थी।

मैंने उन्हें उठने को बोला पर वे उठ नहीं पा रही थी.
तो मैं बोला- चलिए, मैं आपको मूव लगा देता हूँ।

पहले तो वे कराहती हुई मना करने लगी पर मेरे बहुत जोर देने और खुद भी दर्द में होने के कारण मान गई।

मैंने उनको कमर से पकड़ के उठाया और सोफे पे बैठा दिया।
उनको वहीं बैठने को बोलकर कमरे से मूव लाने चला गया।

मूव लाने के बाद मैंने उनसे कहा- आप पेट के बल सोफे पे लेट जाइए।
वे लेट गई.
वे साड़ी में थी।

मैं सोफे के नीचे बैठ कर उनके सारी को कमर पे से हटाकर उनकी कमर पे मूव लगाने लगा।
मैंने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने सरिता बताया।

मूव लगाते हुए मैं उनकी कमर को हल्के हल्के सहला भी रहा था, इसमें मुझे बहुत मजा आ रहा था।

दोस्तो, जब वो लेटी हुई थी उनकी चूतड़ बिल्कुल उठे हुए थे।
मेरा मन तो कर रहा था कि अभी उनके चूतड़ अपने हाथों से इतना मसलूं कि लाल हो जायें।

मैं मूव लगाते हुए उनसे बात भी कर रहा था।
उनके उठे चूतड़ देखकर मेरा लन्ड खड़ा होने लगा।

अब मैं धीरे धीरे उनके पेटीकोट को नीचे की तरफ करने लगा जिससे उनके चूतड़ के उठे हुए भाग दिखने लगे।

मैंने उनके पेटीकोट को थोड़ा और नीचे किया तो उनकी काले रंग की पैंटी दिखने लगी.
अब मैं रुक गया और उनकी पैंटी के ऊपर पूरी नंगी कमर को सहलाने लगा।

शायद अब उनको भी मजा आने लगा था, उनके मुंह से भी सिसकारियां निकलने लगी थी।

मैं अपना हाथ धीरे धीरे उनके पेटीकोट के अंदर उनकी पैंटी से टच करने लगा।
उनके चूतड़ बिल्कुल रूई की तरह लग रहे थे … मुझे उनके चूतड़ दबाने में बहुत मजा आ रहा था।

फिर मैंने उनके पेटीकोट को उनके शरीर से अलग कर दिया और फिर उनकी मोटी और गुद्देदार जांघों को चूमने लगा।

इसके बाद मैं उठा और उनके दोनो पैरों के बीच बैठ गया जिसका उन्होंने कोई विरोध नहीं किया।
अब मेरी हिम्मत और बढ़ गई. अब मैं धीरे धीरे उनके पैंटी को उनकी गान्ड के नीचे कर दिया और उनके चूतड़ प्यार से मसलने लगा।

आह क्या चूतड़ थे उनके … बिल्कुल मुलायम!
अब उनको भी मजा आ रहा था, वे भी आह ऊह की आवाज निकलने लगी।

अब मैंने उनकी पैंटी उतार दी और खुद भी नंगा हो गया।
फिर मैं उनके पैरों के बीच आ गया और उनके दोनों पैर फैला दिये.

अब शायद उनको भी समझ आ गया था कि आगे क्या होने वाला है.

मैंने उनके पैरों के बीच में आकर बैठ गया और अपना मुंह उनकी चूत के पास ले गया.
आह … क्या खुशबू थी!

मेरी जीभ अपने आप ही उनकी चूत पर घूमने लगी.

मैं जोर से अपनी जीभ चलाने लगा जिसका यह असर हुआ कि वे अपनी गान्ड मेरे मुंह पे मारने लगी.
अचानक से मैंने उनकी पूरी चूत को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा.

वे ‘आह्ह आह्ह उह्ह … बस करो प्लीज … आअआ … प्लीज छोड़ दो’ की आवाज निकाल रही थी.

अब मैं उनको और नहीं तड़पाना चाहता था।
मैं उठा और अपना लन्ड उनकी चूत के छेद पे रखा और एक जोर का झटका लगाया.
मेरा आधा लन्ड उनकी चूत में धंस गया.

वे जोर से रोने लगी- आह्ह मम्मी … मर गई … निकाल लो प्लीज … आह्ह … बहुत दर्द हो रहा है. ओह … प्लीज बचा लो कोई! प्लीज मुझे छोड़ दो … आअह्ह फट गई मेरी! मम्मी बचा लो मुझे!

मैं वैसे ही उनकी पीठ को पकड़ कर गान्ड को दबाए रहा.
फिर आधे घुसे हुए लन्ड से ही धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.

वे अब भी बोल रही थी- आह … आह्ह … मर गई … छोड़ दो अब!

फिर मैंने धीरे से अपने लन्ड को बाहर निकाला और एक जोर का धक्का दिया.
मेरा पूरा लन्ड जड़ तक उनकी चूत में समा गया.

वह छटपटाने लगी और मेरे पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी.
मैंने उनकी कमर को पकड़ा और अब जोर जोर से धक्के लगाने लगा.

थोड़ी देर के बाद शायद उनको भी मजा आने लगा था। अब रोने की जगह वे भी आह … उह … उम्म्ह की मादक आवाज निकलने लगी.

मैं उनको चोदते हुए उनकी गान्ड पे थप्पड़ भी मार रहा था.

लगभग 20 मिनट की चूदाई के बाद अब मैं आने वाला था. मैं जोर जोर से धक्के लगाने लगा और उनके गान्ड पे थप्पड़ भी मारने लगा।

फिर एक जोरदार धक्के के साथ मैंने अपना लन्ड उनकी चूत से निकाला और सारा माल उनकी गान्ड के ऊपर गिरा दिया.

फिर मैं उठा और उनकी गान्ड पे दो थप्पड़ जड़ दिये.
वे कराह उठी.

लगभग 5 मिनट वैसे ही पड़े रहने के बाद वे उठी और कपड़े पहनकर जाने लगी तो मैंने उनको वापस सोफे पे पटक दिया।

मैं उनके ब्लाउज के ऊपर से ही उनके बूब्स चूसने लगा।
वे फिर से आह्ह हआह उम्मह की आवाज निकालने लगी.

मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए.
उन्होंने अंदर से ब्रा नहीं पहन रखी थी।

मैं उनकी चूचियों पर टूट पड़ा और उन्हें जोर से चूसने लगा।
अचानक से मैंने उनके एक निप्पल पर जोर से काट लिया.

वह जोर से चिल्ला उठी- आह्ह … धीरे प्लीज!
मैं कोई रहम नहीं करते हुए उनके बूब्स दोनों हाथों से जोर जोर से मसलने लगा।

फिर मैंने अपना लन्ड उनके मुंह में डाल दिया.
पहले तो वो मना करने लगी. फिर मेरे ज्यादा जोर देने पर वो मेरे लन्ड को धीरे धीरे चूसने लगी.

मैं उनके बूब्स पे बैठ गया और उनका मुंह चोदने लगा.
जोर जोर से मैं उनके मुख को चोद रहा था।

उनके मुंह से सिर्फ गु गु की आवाज आ रही थी.

करीब 5 मिनट उनका मुंह चुदाई के बाद मैं उनके मुंह में ही झड़ गया और वैसे ही लन्ड उनके मुंह में डाले रखा.

कुछ देर बाद मैंने लन्ड उनके मुंह से निकाला तो उनको कुछ राहत मिली।

फिर कुछ देर वे वैसे ही पड़ी रही.
मैंने उनके दोनों बूब्स पकड़कर उनको उठाया.

उठने के बाद वे बाथरूम गई, फिर फ्रेश होकर कपड़े पहन कर अपने घर चली गई।

आंटी फक़ सेक्स ड्रीम खत्म हुआ और अचानक से मेरी नींद खुली.

सुबह हो चुकी थी, मेरा सपना टूट गया था।
पता नहीं मेरा सपना कब पूरा होगा?

आपको मेरी आंटी फक़ सेक्स ड्रीम की कहानी अच्छी लगी होगी. मुझे मेल कीजिए और अपने विचार मुझ तक पहुंचाइये।
अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लगेगी तो मैं अपने दूसरे सपने के बारे में जरूर बताऊंगा आप सभी को मेरा प्रणाम।

अगर आपको मेरी सपनों की दुनिया में आना है तो मुझे मेल करें। मेरे सपनों की दुनिया बहुत बड़ी है तो एक दो कहानियों में तो वे पूरा नहीं लिखे जा सकते.
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