आंटी ने सेक्स सिखाया-1

(Aunty Ne Sex Sikhaya-1)

अमन वर्मा 2008-09-11 Comments

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मेरा नाम अमन वर्मा है, दिल्ली में रहता हूँ, 26 साल का लम्बा, स्मार्ट, गोरा और हाई प्रोफाइल का लड़का हूँ।

मैंने अन्तर्वासना में कई कहानियाँ पढ़ी तो मुझे लगा कि मुझे भी अपना अनुभव आप लोगों को बताना चाहिए।

मैं गुरूजी का धन्यवाद देना चाहूँगा कि उन्होंने इतनी अच्छी वेबसाइट बनाई है।

मैं बचपन से बहुत ही शर्मीले किस्म का लड़का था जो लड़कियों को देख कर घबरा जाया करता है।

मैं उन दिनों की कहानी बताने वाला हूँ जब मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ता था।
मेरी उम्र 18 साल की होगी।

मुझे उस समय सेक्स की कोई जानकारी नहीं थी।
लेकिन उन दिनों मेरे साथ ऐसा हुआ जिसने मेरी जिंदगी बदल दी।

हुआ यों कि मैं एक दिन स्कूल से वापस आ रहा था, मेरी साइकिल की हवा किसी ने निकाल दी थी और स्कूल के पास कोई साइकिल ठीक करने वाला नहीं था इसलिए मैं पैदल ही साइकिल लेकर आ रहा था।

तभी मुझे रास्ते में एक पत्रिका नजर आई।
उसके मुख पृष्ट पर एक खूबसूरत और बहुत ही कम कपड़ों में एक लड़की की तस्वीर थी।

मैं रुक गया और देखने लगा।

फिर ना जाने मेरे मन में क्या आया और मैंने उसे उठा लिया और अपने बैग में डाल लिया।
मैं घर वापस आ गया।

घर पहुँच कर मैंने हाथ-मुँह धोकर खाना खाया और फिर पढ़ाई करने अपने कमरे में चला गया।

अचानक मेरे दिमाग में उस पत्रिका का ख्याल आया तो मैंने उसे बैग से निकाला और उसके पन्ने पलटने लगा।

उसमें कई सारी नंगी लड़कियों की तस्वीरें थी और कुछ सेक्सी कहानियाँ भी थी।

जैसे-जैसे मैं पत्रिका के पन्ने पलट रहा था, मुझे कुछ महसूस हुआ कि मेरी नीचे कुछ हो रहा था।
मुझे मेरे लिंग में कुछ खिंचाव सा महसूस हुआ।

पहले मुझे समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है फिर बाद में मुझे समझ आया कि मेरा लिंग कड़ा हो रहा है।

उस पत्रिका में एक कहानी थी जिसमे आंटी और भतीजे के बीच सेक्स होता है।
अब तक मेरे लिंग में उफान आ गया था और मैंने उसे बाहर निकाल लिया और देखने लगा।

मैं उसे हाथ से हिलाने लगा तो मुझे मजा आने लगा।

कुछ देर तक हिलाने के बाद उसमें से कुछ चिपचिपा सा निकल गया।
मैं एकदम से घबरा गया कि यह क्या हो गया।
बाद में मुझे पता चला था कि इसे वीर्य कहते हैं।

फिर तो अक्सर ही मैं अकेले में पत्रिका को निकाल कर पढ़ता था और हिलाता था।
मुझे कसम से बहुत मजा आता था।

इस तरह धीरे धीरे मैं मुठ मारना भी सीख गया।
मैं अक्सर बाथरूम में जाकर मुठ मार लिया करता था।

फिर एक दिन मैं स्कूल से बंक मारकर एक ब्लू फिल्म देखने चला गया।

सेक्स के सीन देख कर मुझे इतना जोश आ गया कि मैं एक घंटे की फिल्म में तीन बार मुठ मार आया।
अब मेरा भी मन करता था कि मैं सेक्स करूँ पर मैं मुठ मार कर ही काम चला रहा था।

मेरे परिवार में मेरी मम्मी-पापा, दादाजी और दादीजी रहते थे।
साथ ही एक कमरे में एक आंटी भी रहती थी जो हमारे बीच परिवार के सदस्य की तरह रहती थी।

मेरे दादाजी और दादीजी निचली मंजिल पर रहते हैं, मैं मम्मी और डैड के साथ पहली मंजिल पर और आंटी दूसरी मंजिल पर रहती हैं।

आंटी की उम्र करीब 32-33 साल की थी, वो देखने में बहुत सुन्दर लगती थी।
उनका फिगर भी आकर्षक था। आंटी बहुत ही गोरी थी।

उनको देखने के बाद किसी की भी नियत ख़राब हो सकती थी।
यह सब मुझे तब नहीं पता था।

एक दिन मैंने आंटी को नहाते देख लिया तो मेरा दिमाग ख़राब हो गया।
मैंने तो पहली बार किसी औरत को नंगी देखा था, मुझे कामवासना सताने लगी और मैं बेकाबू सा हो गया।

हालांकि आंटी निर्वस्त्र नहीं थी, उनके बदन पर पेटीकोट था मगर उनके स्तन निर्वस्त्र थे।
काफी बड़े बड़े और गोरे गोरे गोल गोल स्तन थे उनके।
उन पर भूरे रंग के चुचूक थे।

मुझसे अब सहन करना मुश्किल हो गया और मैंने तभी मुठ मार ली।

उसके बाद से मैं उनके नाम पर ही मुठ मारने लगा।
मेरे मन में उनको पाने की प्यास जग गई और इसमें सारा दोष उस पत्रिका का था जिसमे मैंने आंटी और भतीजे के बीच की सेक्स कहानी पढ़ी थी।

इस घटना को कई दिन बीत गए।

फिर मेरी मम्मी कुछ दिनों के लिए नानी के घर चली गई।
मेरे डैड सारा दिन बाहर ही रहते हैं और काफी लेट से घर आते हैं।
मैं मम्मी के जाने के बाद बिंदास आंटी को छुप छुप कर देखता था।

दो दिनों के बाद आंटी ने मुझसे कहा कि आज की रात मैं उनके कमरे में ही सो जाऊँ क्योंकि उन्हें अकेले डर लगता है।

मेरी तो मन की मुराद पूरी हो गई।
मैं उनके पास सोने चला गया।

रात को उनके कमरे में जाकर उनके पलंग पर सो गया।
थोड़ी देर बाद आंटी भी आकर बगल में सो गई।

सर्दियों का मौसम था और ठण्ड ज्यादा थी।
हम एक ही रजाई में थे।

मैं आँख बंद कर लेटा था मगर नींद कोसों दूर थी।
आंटी सो चुकी थी।

थोड़ी देर बाद आंटी ने करवट बदली और मेरे बिल्कुल करीब आ गई।
उनको इतने करीब देख कर मेरी सांसें गर्म होने लगी और मैं बेचैन होने लगा।
उनके स्तन उनके चोली से झांक रहे थे।

मेरा पैर उनके पैर से सट रहा था और मेरा लण्ड फुफकार उठा।

मैं अपना हाथ उनके करीब ले गया और उनकी कमर पर रख दिया।

धीरे धीरे उनके स्तनों के पास पहुँच गया और उनको ऊपर से ही सहलाने लगा।

मेरे लण्ड की हालत ख़राब हो गई और थोड़ी देर में मुझे बाथरूम जाना पड़ा।

बाथरूम जाकर मैंने अपना लावा उगला और फिर आकर बगल में आंटी से थोड़ा चिपक कर सो गया।

थोड़ी देर में मुझे महसूस हुआ कि आंटी मुझसे कुछ ज्यादा ही चिपकी हैं।

मैंने चुपके से आँख खोली और देखा कि आंटी के स्तन ब्लाऊज़ से बाहर हैं और मुझसे चिपक रहे हैं।
फिर आंटी के हाथ मेरे बदन पर फिसलने लगे।

फिर आंटी ने मुझे कस कर बाहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूम लिया।
फिर उनका हाथ मेरी टांगों की ओर चला गया और थोड़ी ही देर में उनके हाथ में मेरा लण्ड था।
वो उसे धीरे धीरे प्यार कर रही थी।

मेरा लण्ड फुफकारने लगा।

फिर वो लण्ड को आगे पीछे करने लगी।

मैंने उनका हाथ पकड़ लिया।

आंटी घबरा गई, उन्हें लगा नहीं था कि मैं जग जाऊंगा, पर मैं तो जगा हुआ ही था।

उन्होंने झट से हाथ खींच लिया और अपने कपड़े ठीक कर लिए।
फिर वो करवट बदल कर सो गई।

मेरा मूड ख़राब हो गया।
मैं पीछे से ही उनसे चिपक गया।

इस बार उनके मस्त नितम्बों से मेरा लण्ड रगड़ खा रह था।
मैं बेकाबू हो रहा था और शायद आंटी भी।

मैं उनकी तेज तेज सांसों को महसूस कर रहा था।

मैं आंटी के तरफ से पहल का इंतजार कर रहा था और शायद आंटी मेरे पहल का।
किसी ने पहल ना करी और मैं मन मारकर सो गया।

अगले दिन जब मैं स्कूल से वापिस आया तो आंटी मेरे कमरे में आ गई।
पता नहीं कैसे उन्हें वो पत्रिका दिख गई जिसे मैं रोज पढ़ कर मुठ मारता था।

वो पत्रिका के पन्ने पलट कर देखने लगी तो आंटी को पत्रिका पढ़ते देख कर मेरे होश उड़ गए।

आंटी मेरी तरफ़ देख कर बोली- तुम यह सब पढ़ते हो?
“नहीं, आंटी !”

“फिर यह कहाँ से आई?”
“मुझे सड़क पर पड़ी मिली थी।”

“और तुमने उठा ली?”
“जी!”

“और फिर इसी की पढ़ाई करने में लग गए?”
“नहीं आंटी!”

“क्या नहीं?”
“सॉरी आंटी!”

“रात को तुम्हारे पापा को दिखाती हूँ!”
“सॉरी आंटी, अब दुबारा से ऐसी गलती नहीं करुँगा, प्लीज़ पापा को मत बताना!”

आंटी ने मेरी बात अनसुनी कर दी और पत्रिका को लेकर चली गई।

थोड़ी देर बाद मैं उनके कमरे में गया तो वो वही पत्रिका को पढ़ रही थी।

मैंने उनके पास जाकर उन्हें सॉरी बोला।

उन्होंने मुझे बैठने को कहा।

“तो कब से इसकी पढ़ाई चल रही है?”
“एक महीने से !”

“अच्छा तो एक महीने से इसे पढ़ रहे हो?”
“सॉरी आंटी!”

“क्या-क्या सीखा है?”

“सॉरी आंटी!”

“मैंने पूछा कि क्या क्या सीखा है? कुछ सीखा या नहीं सीखा अभी तक?”
“नहीं!” मैंने झूठ बोल दिया।

“चलो कोई बात नहीं!” उन्होंने पत्रिका को बंद करके रख दिया और मेरे करीब आकर बैठ गई।

फिर बोली,”कुछ सीखना चाहते हो?”

मुझे तो मुँह मांगी मुराद मिल गई।
मैंने हाँ में सर हिला दिया।

उन्होंने कहा- ठीक है, मैं तुम्हें सिखा दूंगी मगर एक शर्त पर! मैं जैसे जैसे कहूँगी वैसे करना होगा। मेरी हर बात माननी होगी।

मैंने हां में सर हिला दिया।

फिर आंटी उठ कर दरवाजे की कुण्डी लगा दी।

मैं चुपचाप खड़ा होकर देख रहा था कि आंटी क्या करती हैं।

फिर उन्होंने मुझे अपने करीब बुलाया और बोली- तुम्हें कुछ आता है या नहीं?

मैं उनका मतलब समझ ना पाया और उनसे पूछ लिया तो वो हंसने लगी और मुझे अपने करीब खीच कर मेरे गालों पर चूमने लगी।
मैं भी उन्हें चूमने लगा।

फिर आंटी ने अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिया तो मैं उन्हें चूमने लगा।

फिर उन्होंने मेरे ऊपरी होंठ को अपने होंठों से भींच लिया और अपना निचला होंठ मेरे होंठों के बीच घुसा दिया।
मैं उन्हें चूसने लगा। अब मुझे मजा आने लगा था।

मैं उनको बेतहाशा चूम रहा था।
मैंने आंटी को अपने बाहों के दायरे में कस लिया और मेरे हाथ उनकी पीठ पर फिसलने लगे।

तभी आंटी ने मेरे गले और गर्दन पर चूमना शुरु कर दिया। मेरा भी मन मचलने लगा और लण्ड उफान मारने लगा।

मेरा मन हो रहा था कि सीधा उनको लिटा कर चोद दूँ।

मैं भी उनके गले और गर्दन पर चूमने लगा।
अब मैं वासना के मारे पागल होने लगा और उनको लिटाने की कोशिश करने लगा।

तभी आंटी बोल पड़ी,”हड़बड़ी नहीं करो, जैसे मैं कहूँगी वैसे ही करना है।”
मैंने हां में सर हिलाया।

अब आंटी ने मेरे शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए और फिर अपना कमीज़ उतारा।
उनको इस हाल में अपने इतने करीब देख कर मैं बेकाबू होने लगा।
मैं उन पर टूट पड़ा। उनके गर्दन और गले पर चूमते हुए मैं नीचे की ओर बढ़ने लगा।

आंटी ने गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी जिससे उनके स्तन बाहर झांक रहे थे।
मैं उनके स्तनों को ऊपर से ही दबाने लगा।

मैंने उनके स्तनों को जोर से दबा दिया तो वो चीख पड़ी, बोली,” आराम से कर।”
मैं फिर धीरे धीरे सहलाने लगा।

उनके दोनों स्तनों के बीच की घाटी में मेरा चेहरा आ गया और मेरे हाथ उनकी चिकनी पीठ पर चले गए और उनकी ब्रा को खोलने में लग गए।

काफी मशक्कत के बाद किसी तरह मैंने उनकी ब्रा पर फतह हासिल कर ली और उनको स्तनों को आजाद करा दिया।

उनके बड़े बड़े अनार झलक कर बाहर आ गए।
अब मैं दीवाना सा हो गया और मदहोश हो गया। मेरे लण्ड से स्राव होने लगा।

मैंने उनके उन्नत स्तनों को दबाना शुरू कर दिया।
जैसे जैसे मैंने स्तनों को दबाना शुरु किया वैसे वैसे वो कड़े होते जा रहे थे, मैंने उन पर मुंह लगा दिया।

और तभी आंटी बोल पड़ी,”चूस इसे, चूस, जोर जोर से चूस।”
मैं उन्हें चूसे जा रहा था।

फिर उनके चुचूक को हाथ से दबा कर चूसने लगा।
आंटी ने कहा- मुँह में लेकर दांतों के बीच में दबा, मगर काटना नहीं।

उनके भूरे चुचूक एकदम गुलाबी हो गए थे। वो एक इंच के पूरे खड़े थे।

अब मैंने उनके स्तनों पर अपना चेहरा रगड़ना शुरु कर दिया और उनके स्तनों को मसलने लगा।

इतना सब करने के बाद मैं अब बर्दाश्त के काबिल नहीं रहा और मेरे लण्ड ने पानी उगल दिया और मैं खलास हो गया।

मैंने देखा कि आंटी की सलवार भी गीली हो गई थी।
मैंने अपने आप को फिर काबू में किया और फिर शुरु करने की सोचने लगा।

तभी नीचे से दादाजी की आवाज आई।
वो मुझे बुला रहे थे।
उनकी आवाज सुन कर हम दोनों घबरा गए।

शेष कहानी दूसरे भाग में!
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