फ़ौजी ने पुलिस वाले की लुगाई की चुत मारी

(Bhabhi Ki Desi Chudai Kahani)

भाभी की देसी चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं फ़ौज से छुट्टी पर आया तो साथ वाले घर की भाभी पर मेरे नजर पड़ी. उसे मैंने कैसे सेट करके चोदा?

हैलो मित्र, मैं क्रिस रोहतक हरियाणा से हूँ. मेरी हाइट 5 फुट 11 इंच है, वजन 80 किलो ग्राम है.
मेरा रंग साफ है और दिखने में एकदम से फिट हूं.
मेरी उम्र 26 साल है और मैं इंडियन आर्मी में जॉब करता हूं.

ये मेरी पहली सच्ची भाभी की देसी चुदाई कहानी है.

यह बात एक साल पहले की दिसम्बर माह की है.
मेरे पड़ोस में एक सेक्सी भाभी रहती है. उनका नाम मैं नहीं बता सकता हूँ … आप चाहें तो भाभी को रूबी कह सकते हैं.

भाभी का फिगर एकदम मस्त है. उनके 36 के साइज चूचे 40 के आसपास का पिछवाड़ा होगा.
जब भाभी हंसती हैं, तो उनके गालों पर डिंपल पड़ते हैं. भाभी एकदम प्रीतिजिंटा की तरह दिखती हैं.
उनकी हाइट 5 फुट 5 इंच के आसपास की रही होगी.

जब भाभी चलती हैं, तो उनके कूल्हे कुछ इस तरह से ऊपर नीचे चढ़ते हैं कि किसी का भी लौड़ा खड़ा हो सकता है.

उन दिनों मैं छुट्टी में घर आया था तो मैं अपने घर की छत पर धूप में बैठा था.

भाभी जी का मकान हमारे घर के बाजू में ही है. उनके घर और मेरे घर के बीच में उनके मकान की खुली जगह है, जिसमें वो अपनी भैंसें बांधती हैं.

वैसे भाभी से मेरी कभी कोई बात नहीं हुई थी. न ही कभी उन्होंने मुझसे बात करने की कोशिश की.
क्योंकि हमारे घर गांव में हैं और गांव की परम्परा के चलते यहां की महिलाएं आड़-पर्दा ज्यादा करती हैं.
इसी वजह से हम दोनों में कभी कोई बात नहीं होती थी.

भाभी को देखने की मेरी इच्छा बहुत होती थी.

एक दिन भाभी भैंसों को प्लाट में बांधने आई थीं. उस वक्त मैं घर की छत पर धूप में बैठा था और भाभी को देख रहा था.
वो भैंसों को बांधती हुई कभी कभी मेरी तरफ भी देख रही थीं.

ऐसे ही रोज भाभी आतीं, ऐसे ही देखतीं … वो कोई इशारा भी नहीं करतीं और ना ही मुस्करातीं.

मेरी छुट्टियां अब खत्म होती जा रही थीं.

एक दिन भाभी प्लाट में भैंस बांधने आईं तो उस दिन उनकी भैंस गर्म हो रही थी. वो जोर जोर से आवाज कर रही थी.

भैंस को देख कर मैं मुस्करा दिया, मेरे साथ में भाभी भी मुस्करा दीं.

पहली बार भाभी मेरी तरफ देख कर मुस्करायी थी.

कुछ देर तक भैंस यूं ही गर्माती रही और भाभी उसे काबू करने के चक्कर में मेरी तरफ देख कर 4-5 बार मुस्कराईं.

फिर भाभी घर में चली गईं.

शाम को भाभी और उनका छोटा लड़का एक भैंसा ले आए. प्लाट में भैंसा को बांध कर उसे भैंसे से ठंडी करवाने में लग गए.

मैं छत से सब देख रहा था.
जैसे ही भैंसा भैंस पर चढ़ता तो भैंस पिछवाड़ा घुमा देती.

भाभी बार बार ये देख कर मुस्करा रही थीं, साथ में मैं भी मुस्करा रहा था.

फिर भाभी ने अपने लड़के को मेरे पास भेजा. लड़के ने आकर मुझसे कहा कि मम्मी बुला रही हैं.

ये सुनकर मेरी तो मानो लॉटरी लग गई. मैं झट से नीची दीवार के रास्ते प्लाट में कूद गया और भाभी के पास चला गया.

भाभी मेरी तरफ देख कर बोलीं- देवर जी, इनकी लाइन मिलवा दो, काफी देर हो गई … घुस ही नहीं रहा अन्दर.
ये कह कर भाभी मुस्करा दीं.

भाभी के मुँह से इतना सुनते ही मेरी तो बॉडी में एकदम से करंट सा लगा और मेरे लौड़े में हरकत शुरू हो गई.

भाभी तिरछी नजरों से मुझे देख रही थीं, साथ साथ जब मैं भैंस को आवाज देते हुए सैट कर रहा था, तो भाभी मुस्कुरा रही थीं.

अबकी बार जैसे ही झोटा यानि भैंसा भैंस पर चढ़ा. तो मैंने बोला- भाभी, जल्दी से झोटे का डंडा पकड़ कर लाइन में लगा दो.
उन्होंने एक बार मेरी तरफ देखा और मुस्करा दीं.

मैंने कहा- साले का जितना लाल दिख रहा है, उतना गर्म है नहीं … वरना अभी तक तो काम हो जाता.
ये सुनकर भाभी ने मेरी तरफ देखा और हंस दीं.
साथ ही उन्होंने झोटे के लंड को पकड़ कर भैंस की चुत पर सैट कर दिया.

उसी समय भैंसा ने दाब मारा, तो उसका लंड भैंस की चुत में घुस गया.

जैसे ही पूरा लंड चुत के अन्दर गया, तो भाभी बोलीं- अब कुछ शांति हुई है मेरी इस साली को.

इधर मेरा लंड मेरे लोअर में पूरा खड़ा हो गया था.
मैं उसे छुपाने की कोशिश कर रहा था, जिसे भाभी ने देख लिया.
वो मेरी तरफ देख कर कुछ विशेष तरह से मुस्करा दीं.

भैंस भैंसे से चुद कर फारिग हो गई तो मैं भाभी के पास से अपने घर आ गया.

फिर दो तीन दिन ऐसे ही भाभी किसी न किसी बहाने से मेरी तरफ देख कर मुस्करा देतीं.

एक दिन मैंने हिम्मत करके एक पर्ची पर मेरा फोन नम्बर लिख कर उनके प्लाट में फैंक दिया, जिसे भाभी ने देख लिया था.
पहले तो वो देख कर अनदेखा कर रही थीं.
मैं नीचे छिप कर देख रहा था कि भाभी उठाएंगी कि नहीं.

कुछ देर बाद भाभी आईं और पर्ची उठाकर देखा और उसे उन्होंने अपनी ब्रा में डाल ली.

वो मेरी छत की तरफ देखती हुई चली गईं … मगर उस समय मैं उनके सामने नहीं आया.

एक बात बताना तो मैं भूल ही गया था कि भाभी का हसबैंड पुलिस ने जॉब करता है.
वो दो हफ्ते में एक बार ही घर आ पाता है. वो भाभी से उम्र में भी बड़ा है.

उस रात को मेरे फोन पर एक मिस कॉल आई.
ये अननोन नम्बर से आई थी.
मैंने कॉलबैक की, तो एक ही रिंग में ही फोन अटैंड कर लिया गया.

मैंने बोला- हैलो कौन!
उधर से एक प्यारी सी लेडीज आवाज़ आई- हैलो.

मैंने पूछा- आप कौन?
तो भाभी ने अपना बताया- देवर जी मैं आपकी पड़ोस वाली भाभी बोल रही हूँ.

मैंने कहा- हां बोलो भाभी जी … कैसी हो?
भाभी बोलीं- ठीक हूँ.

फिर हमारी इधर उधर की बात होने लगी.

मैंने बोला- भाभी आप बहुत खूबसूरत हो.
भाभी बोलीं- ऐसा क्या है मेरे में?

मैं- भाभी आपमें क्या नहीं है … आप तो पूरी कयामत हो.
भाभी बोलीं- अच्छा!

मैं बोला- मेरे को आप बहुत अच्छी लगती हो.
कुछ इस तरह की बातों से भाभी खुश हो गईं.

दस मिनट बाद फोन कट हो गया.

ऐसे ही हमारी रोज रात को बात होने लगी.
मेरी छुट्टी भी थोड़ी ही रह गई थीं और मेरा भाभी की चुत मारने का दिल कर रहा था.
पर उनसे ये बात बोलूं कैसे … समझ ही नहीं आ रहा था.

कहीं भाभी नाराज ना हो जाएं. फिर मैंने सोचा जो होगा, सो देखा जाएगा.

रात में भाभी का कॉल आया और मैंने हैलो बोल कर उन्हें हाय सेक्सी कह दिया.
भाभी हंस दीं और हम दोनों के बीच सेक्सी बातें शुरू हो गईं.

मैंने बोला- भाभी दे दे न!
तो भाभी हंस कर बोलीं- क्या?

मैंने बोला- चुत.
इस पर भाभी बोली- तू तो मेरे को रंडी समझ रहा है. मैं ऐसी वैसी नहीं हूँ. अब तू मेरे से आगे कॉल मत करना.

भाभी ने फोन काट दिया.

फिर मैंने भी की तरफ देखना बंद कर दिया.
जब वो प्लाट मैं आतीं तो मैं नीचे घर में चला जाता.

मैंने बिल्कुल भी उनकी तरफ देखना बंद कर दिया.
ऐसे ही 3-4 दिन निकल गए.

उनका रात को सॉरी का मैसेज आया.
मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

उस रात भाभी के 6 मैसेज आए, पर मैंने कोई भी जवाब नहीं दिया और सो गया.

फिर दिन में दस बजे भाभी प्लाट में भैंस बांधने आईं, तो मैं नीचे घर में चला गया.

वो भैंस बांधकर मेरे घर में आ गईं.
मैं कमरे में टीवी देख रहा था.

भाभी साथ वाले कमरे में मेरी मां के पास बात करने लगीं.

थोड़ी देर बाद मेरी मां चाय बनाने किचन में गईं तो भाभी मेरे कमरे में आ गईं.

वो बोलीं- क्या हुआ … फौजी नाराज हो गया क्या … मैसेज का जवाब भी नहीं देता.

उन्होंने मेरा सिर पकड़ कर मुझे किस किया और हंस कर बाहर चली गईं.

भाभी की इस हरकत से मेरा लौड़ा खड़ा हो चुका था.

थोड़ी देर बाद भाभी अपने घर चली गईं.

उन्होंने घर जाकर मेरे फोन पर कॉल किया. भाभी बोली- हैलो अब भी नाराज हो क्या?
मैंने बोला- नहीं.

भाभी- तो अब क्या चाहता है तू!
मैंने सीधा बोल दिया कि भाभी आप बहुत सेक्सी हो, मुझे आपकी चुत मारनी है.

वो बोलीं- अच्छा … तेरे अन्दर हिम्मत है मेरी चुत मारने की!
मैं बोला- हां क्यों नहीं है.

भाभी- मेरा पानी जल्दी नहीं छूटता है, देख ले, कहीं बीच में ही न पिघल जाए.
मैं- एक बार मौका तो दो, फिर बोलना.

भाभी बोलीं- ठीक है, तो रात को तेरे भैया घर नहीं आए, तो देखूंगी कि कितना पानी है तेरे में!
ये कह कर भाभी ने फोन कट कर दिया.

रात की सोच कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया. मैंने बाथरूम में जाकर भाभी को याद करके मुठ मारी, तब कुछ शान्ति हुई.

फिर जब शाम हो गई और भाभी का कोई मैसेज नहीं आया तो मैं उनके फ़ोन आने तक तक इंतजार किया.

उस रात कोई फ़ोन या मैसेज नहीं आया तो मैं उदास होकर सो गया.

रात 11.30 बजे भाभी की कॉल आई.
मैंने फोन देखा, भाभी का था.

वो बोलीं- सो गए थे क्या मेरे घोड़े!
मैं- हां सो गया था.

भाभी बोली- अभी घर आ जाओ, बच्चे सो गए हैं.
मैंने बोला- दरवाजे खोल कर रखो भाभी.

भाभी बोलीं- दीवार फांद कर अन्दर आ जाना, अन्दर का गेट खुला होगा.
मैंने ओके बोला और फोन काट दिया.

मैंने उठ कर देखा तो मेरे घर में सब सोये हुए थे.

मैं धीरे भाभी के प्लाट में उतर कर बाहर गली में पहुंच गया. सर्दी थी तो मैंने एक शाल ओढ़ लिया ताकि किसी को पता नहीं चले कि कौन है.

भाभी का घर गली से हट कर अन्दर एक पतली गली में था.

मैंने इधर उधर देखा और गली में घुस गया. उनके घर की चाहरदीवारी फांद कर मैं अन्दर चला गया.

मैं जैसे ही अन्दर जंप मार कर अन्दर कूदा, भाभी ने सामने गेट खोल दिया.

मेरे अन्दर जाते ही भाभी ने गेट बंद कर दिया. उसी समय पीछे से मैंने भाभी को कोली में भर लिया.

क्या मस्त माल लग रही थीं. भाभी लाल रंग के सूट सलवार में थीं, ये सूट टाइट फिटिंग वाला था.
भाभी की चूचियां बाहर आने को मचल रही थीं.

मैंने भाभी को अपनी बांहों में भरा, तो भाभी ने भी मेरी कोली भर ली.

कब हमारे होंठ आपस में जुड़ गए, कुछ पता ही नहीं चला.
सबसे ज्यादा तो मुझे भाभी की गांड मस्त लगती थी. उनकी गांड चार अंगुल बाहर निकली हुई थी.

भाभी बोलीं- तू अन्दर कमरे में चल … मैं बच्चों को देख कर आती हूं.

थोड़ी देर में भाभी अन्दर आईं और मेरे साथ कम्बल में लेट गईं.

भाभी के लेटते ही मैंने उनकी कोली भर ली.
मैंने उनके होंठों पर किस करना शुरू कर दिया. साथ साथ भाभी की चूचियां भी मसलने लगा.

भाभी लंबी लंबी सांसें लेने लगीं.

कुछ देर बाद मैंने भाभी के कुर्ते को निकाल दिया.
नीचे भाभी ने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी.

क्या मस्त चूचियां थीं. एक हाथ में एक बड़ी मुश्किल से आ रही थी.

मैं भाभी की चूचियों के निप्पल बारी बारी से मुँह में लेकर चूसने लगा.
इससे भाभी के बदन में आग सी लग गई, उन्होंने मेरा पूरा मुँह अपनी चूचियों में दबा लिया.

मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

मैंने एक हाथ नीचे सलवार में डाल दिया.
भाभी ने पैंटी नहीं पहनी थी.

जैसे ही हाथ नीचे चुत पर गया, तो मैंने महसूस किया कि भाभी की चुत का इलाका नीचे से पूरा गीला हो रखा है.

भाभी की चुत के चारों ओर सलवार पूरी गीली हो रही थी.

मैंने भाभी से पूछा- ये क्या है?
भाभी बोलीं- मेरा तो पानी चूचियों पीने से ही छूट गया है.

मैंने महसूस किया कि भाभी की चुत से पानी बहुत ज्यादा निकलता था.

फिर भाभी बोलीं- फौजी, मेरी चुत की आग बुझा दे. मैं भी तो देखूं कि कितना दम है तेरे लौड़े में.

मैंने भाभी की सलवार निकाल दी और सलवार से उनकी गीली चुत साफ कर दी.
जब मैंने भाभी की चुत को चाटने के लिए मुँह नीचे लगाया, तो भाभी ने मना कर दिया.

वो बोलीं- ये गंदी जगह है. मुँह नहीं लगाओ.

फिर मैं ऐसे ही चुत को मसलने लगा. मैंने कुछ मिनट तक फ़ोर प्ले किया.

अब भाभी बोलीं- फौजी, और मत तड़पा.

मैंने भाभी को औंधा कर दिया और पीछे से भाभी की चुत में धक्का मारा, तो आधा लंड चुत में घुस गया.

भाभी कराह कर बोलीं- आंह दर्द हो रहा है … धीरे कर!

मैंने भाभी की एक बात नहीं सुनी और दूसरा तेज धक्का लगा दिया.
मेरा पूरा का पूरा लौड़ा भाभी की चुत में घुस गया.

भाभी की चीख निकल गई और वो आगे की ओर सरक गईं.
वो मेरे नीचे से निकलने को कोशिश करने लगीं. पर मैंने भाभी को हिलने नहीं दिया.

दो मिनट बाद भाभी का दर्द कुछ कम हुआ तो भाभी ने जिस्म ढीला छोड़ दिया.

मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
धीरे धीरे पूरा लौड़ा आराम से चुत में जाने लगा.

मैंने भाभी को घुटनों को बल खड़ा करके घोड़ी बना दिया.

फिर शुरू हुई भाभी की देसी चुदाई!
अब भाभी भी मेरा बराबर साथ दे रही थीं.

मैंने भाभी को काफी देर तक पेला.

लगभग सभी आसनों में मैंने भाभी को 30 मिनट तक चोदा. भाभी की चुत अब तक दो बार पानी छोड़ चुकी थी.

भाभी बार बार बोल रही थीं- आंह अब तो छोड़ दे अपना पानी!
मगर मेरा लंड झड़ ही नहीं रहा था.

जैसे ही मेरा छूटने को होता, तो मैं चुदाई धीरे कर देता.
ऐसे कर करके मैंने भाभी के हाथ जुड़वा दिए.

भाभी ने आखिर में अपने हाथ से मेरी मुठ मारी, तब मेरा पानी छूटा.

झड़ने के बाद मैंने देखा कि भाभी के चूतड़ों के नीचे पूरा पानी पानी हो रखा था.

मैंने भाभी से पूछा, तो भाभी बोलीं- जानू मेरा पानी शुरू से ही बहुत ज्यादा छूटता है … और आज तो मैं जीवन में पहली बार लगातार दो बार झड़ी हूँ.

उस रात मैंने भाभी को दो बार और चोदा और सुबह 4 बजे उनके घर से अपने घर आ गया.

दूसरे दिन मुझे वापस ड्यूटी पर जाना था.

फिर जब भी मैं छुट्टी पर आता, तो भाभी की देसी चुदाई करने को मिल ही जाती थी.

दोस्तो, ये मेरी भाभी की देसी चुदाई कहानी थी आपको कैसी लगी.
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